बेटी ऐसी बेल है, ऊपर तक चढ़ जाय!
भले-बुरे संग खुश रहे,कभी न तोड़ा जाय!!
बेटी प्यारी दूब सी, नरम बिछौना जान!
गाट-गाट जोड़त रहे,खुशहाली की शान!!
बुलबुल कोकिल मैना सी,कूक रहे दिन-रात!
मात-पिता का अंतिम मन,बेटी घर ससुराल!!…
Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 9, 2013 at 2:30pm — 4 Comments
जब मि . गुप्ता ने कैफे में प्रवेश किया तब मि . खान और मसंद का ठहाका उनके कानों में पड़ा। उन्हें देखकर मि .खान बोले " आओ भाई सुभाष आज देर कर दी।" मि . गुप्ता ने बैठते हुए कहा " अभी तक रघु नहीं आया, वो तो हमेशा सबसे पहले आ जाता है।" मि . मसंद बोले " हाँ हर बार सबसे पहले आता है और हमें देर से आने के लिए आँखें दिखाता है, आज आने दो उसे सब मिलकर उसकी क्लास लेंगे।" एक और संयुक्त ठहाका कैफे में गूंज उठा।
तीनों मित्र मि . मेहता का…
ContinueAdded by ASHISH KUMAAR TRIVEDI on March 9, 2013 at 12:46pm — 3 Comments
मौलिक एवम् अप्रकाशित रचना
महिला दाता प्रेम की, बना भिक्षुक नर जात !
माया ममता ना मरी, मरा अहम् बड़जात !!
दामिनी भारत की बेटी, कल्पना भरे उड़ान !
इंदिरा किरण वेदी चॅढी, सुनीता गगन शान!!
बच्चे अच्छे एक या दो, जीवन का श्रृंगार!
पढ़ते - पढ़ते ग्यान दे, बेटी को मत मार !!
(के.पी.सत्यम)
मौलिक एवम् अप्रकाशित रचना !
Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 8, 2013 at 10:50pm — 4 Comments
जाने क्यों आजकल
जब भी
देखता / सुनता हूँ ख़बरें
तो धड़कते दिल से
यही सुनना चाहता हूँ
न हो किसी आतंकी घटना में
किसी मुसलमान का हाथ...
अभी जांच कार्यवाही हो रही होती है
कि आनन्-फानन
टी वी करने लगता घोषणाएं
कि फलां ब्लास्ट के पीछे है
मुस्लिम आतंकवादी संगठन...
बड़ी शर्मिंदगी होती है
बड़ी तकलीफ होती है
कि मैं भी तो एक मुसलमान हूँ
कि मेरे जैसे
अमन-पसंद मुसलमानों के बारे…
ContinueAdded by anwar suhail on March 8, 2013 at 9:11pm — 11 Comments
खबर पढ़ी दिल्ली में सामूहिक बलात्कार की शिकार पीडिता को मरणोपरांत "स्त्री -शक्ति सम्मान " से सम्मानित किया गया .मंत्रालय की मुहर लग गई। "उसे बहादुर बालिका" की उपाधि से सम्मानित किया गया।
मुझे जहाँ तक ज्ञात है सम्मान किसी उपलब्धि पर दिया जाता है। इस केस में क्या उपलब्धि रही समझ नहीं आया। क्या उस घटना के बाद सुरक्षा व्यवस्था इतनी मजबूत हो गई कि भविष्य में ऐसी कोई घटना दोहराई न जा सके? नहीं। फिर उसका गैंगरेप हुआ क्या यह उपलब्धि रही।? या तमाम सरकारी चिकित्सकीय सुविधाओं को मुहैया कराने…
ContinueAdded by mrs manjari pandey on March 8, 2013 at 9:00pm — 10 Comments
"महात्मा गाँधी मार्ग से कालीदास मार्ग तक"
भारत भ्रमण पर एक विदेशी,
जो था हिन्दी भाषा का प्रेमी!
एशो नज़ाकत का तहज़ीबी नगर!
'मुस्कराईए कि आप लखनऊ मे हैं'.
मन मे गुनता -गुनगुनाता -मुस्कराता;
खचाड़े रिक्शे का लुफ्त लेता,
गुजर रहा था अभी-
'महात्मा गाँधी मार्ग' से .
सहसा उसे नये टेम्पो पर पढ़ने को मिला-
'देखो मगर प्यार से'
वो कुछ बुदबुदाया फिर मुस्कुराया,
तभी अचानक पास से ही सनसनाती-सन्न से;
एक नयी नवेली ट्रक 'धन्नो'…
Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 8, 2013 at 8:30pm — 4 Comments
हास्य व्यंग्य
आज के दिन यानि महिला दिवस के दिन,
महिला ने अपने पति की पिटाई,
पति ने थाने में शिकायत लगाई,
थानेदार ने महिला थाने में बुलवाई,
महिला थानेदार को देख घुरराई,…
Added by rajinder sharma "raina" on March 8, 2013 at 7:00pm — 4 Comments
मैं महिलाओं और बच्चियों को शुभकामना देती हूँ कि जरूर समाज में जल्दी ही एक साकारात्मक परिवर्तन आएगा, जब पुरुष महिला दो अलग इकाई नहीं बल्कि इस देश के और समाज के बराबर नागरिक होंगे, और घर में भी लड़की लड़के को बराबर दर्जा मिलेगा |
और उनके लिए शुभकामना सन्देश ---
वो खिले रहें फूलों की तरह…
ContinueAdded by डॉ नूतन डिमरी गैरोला on March 8, 2013 at 6:30pm — 4 Comments
सृष्टि की महत्त्वपूर्ण रचना है नारी । यदि नारी नहीं होती तो आज हम इस सम्पूर्ण सृष्टि की कल्पना करने में भी असमर्थ होते । इस सृष्टि के विकास में नारी का महत्त्वपूर्ण योगदान है । वह मानव जीवन की संचालिका और मूलाधार है । मानव-जीवन उसके अनेक रूपों और उत्तरदायित्वों से भरा पड़ा है । वह माँ है, बहिन है, पत्नी है, प्रेयसी है, पुत्री है और कहीं-कहीं प्रेरणास्त्रोत भी है । यदि नारी अपने प्रेम और सौन्दर्य से मानव-जीवन को…
ContinueAdded by Savitri Rathore on March 8, 2013 at 5:30pm — 8 Comments
आँखे चढ़ी -चढ़ी सी हैं
आज मेरी ......
लोग कहते हैं कि
मैंने शराब पी है .....
हाँ तेरी यादे
किसी नशे से कम भी तो नही
जब भी चढ़ता है नशा
तेरी यादो का मुझ पर
मेरी…
Added by Sonam Saini on March 8, 2013 at 3:30pm — 6 Comments
तुम्हारे मन का चोर दरवाज़ा
जिसके पार -
लहराती हैं
बदहवास हवाएं
गूंजते जहाँ-
अतीत के गीत
सायास
बज उठती है
अकुलाई सुधियों…
Added by Vinita Shukla on March 8, 2013 at 3:00pm — 11 Comments
बॆटॊं जैसा ही मिले, इनको भी अधिकार ।
विनती है हर मात सॆ, बेटी को मत मार ॥
**************************
माता,बहना रूप में, मिलता इनका प्यार ।
बेटी मूरत प्रेम की , जानत है संसार ॥
**************************
इनको मिले समाज में, उतना ही सम्मान ।
कुल का दीपक पूत है , बेटी घर की शान ॥
***************************
बदलो अपनी सोच को,दो नवीन आकार ।
नारी कॆ कारन रहॆ , हरा-भरा परिवार ॥
राम शिरोमणि पाठक "दीपक"
मौलिक /अप्रकाशित
Added by ram shiromani pathak on March 8, 2013 at 3:00pm — 8 Comments
आज इतनी जल्दी क्लिनिक बंद कर के कैसे आ गए डॉक्टर साहब निशा ने दरवाज़ा खोलते ही अपने पति से पूछा|डॉक्टर अरुण बोले आज एक ऐसी पेशेंट आई जो तीन बेटियों की माँ थी और चौथी बार गर्भवती थी बोली डॉक्टर साहब मुझे गर्भ से ही एहसास हो रहा है कि ये उस कमीने का होने वाला बीज लड़का ही है जो मुझे नही चाहिए मैं नही चाहती कि कल वो भी किसी की बेटी पर उतने ही जुल्म ढाये जो इसके बाप ने मेरे और मेरी बेटियों के ऊपर ढाये|और हैरानी की बात ये थी कि वो सच ही कह रही थी उसके गर्भ में लड़का ही था,और मैं नियम क़ानून से…
ContinueAdded by rajesh kumari on March 8, 2013 at 11:09am — 16 Comments
घण्टियों की
खनखनाती खिलखिलाहट
से गूँज उठी
हर पूजास्थली..
मन्नत की
लाल चूनर और रंगीन धागों के
ग्रंथिबंधन में आबद्ध हुए सारे स्तम्भ
और बरगद पीपल की हर शाख..
माँ के दर फैलाये झोली,
जोड़े कर, झुकाए सर,
नवदम्पत्ति मांग रहे हैं भिक्षा-
पुत्र रत्न की...
और हम अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मना रहे हैं !!!
****************************************
उड़ान भरने को व्याकुल
पर फड़फड़ाते…
Added by Dr.Prachi Singh on March 8, 2013 at 10:30am — 24 Comments
मौलिक व अप्रकाशित
इसी तरह दिन गुजरते गए और फसल पकने का समय हो आया. इस साल अच्छी फसल हुई थी. महाजन को उसका हिस्सा देने के बाद भी भुवन के घर में काफी अनाज बच गए थे. खाने भर अनाज घर में रखकर बाकी अनाज उसने ब्यापारी को बिक्री कर दिए. जब पैसे हाथ में आते हैं तो आवश्यकता भी महसूस होती है. अभीतक वे दोनों भाई ठंढे के दिन में भी चादर और गुदरी(लेवा - पुराने कपड़ो…
ContinueAdded by JAWAHAR LAL SINGH on March 8, 2013 at 4:00am — 6 Comments
बहते हुए समय के साथ
कदम मिलाकर चल सको
तो अच्छा है,
उसे रोकने की कोशिश मत करो –
तुम्हें धराशायी करके
वह निर्लिप्त, आगे ही बढता जायेगा.
उस धारा में उठती लहरों को
‘गर चूम सको
तो अच्छा है,
उन्हें बाँधने की कोशिश मत करो –
निर्दयी वे, तुम्हें अकेला छोड़
भँवरों में समा जायेंगी.
और, उन तपस्वी वृक्षों तक
यदि पहुँच सको
तो अच्छा है,
उनसे ऊँचा बनने की कोशिश मत करो –
माटी में…
ContinueAdded by sharadindu mukerji on March 8, 2013 at 12:55am — 5 Comments
सुंदर छवि पा,
नयन भर आंसू , नारी क्यों रोती है ?
मधुपों की प्रियतमा,
जग में जो अनुपमा,
शशि की किरणों की बाँहें थाम
कमलिनी निशा में खिलती है –
सुंदर छवि पा,
नयन भर आंसू , नारी क्यों रोती है ?
सागर की उत्ताल तरंगें,
चट्टानों से टकराती लहरें,
होती हैं क्यों छिन्न-भिन्न !
क्या है यह नज़रों का भ्रम
क्षितिज की मृगतृष्णा लिये,
धरा गगन को छूती है –
सुंदर छवि पा,
नयन भर आंसू ,…
ContinueAdded by coontee mukerji on March 8, 2013 at 12:51am — 9 Comments
कुम्हार
रूप दे दो
इधर उधर बिखरी हुई है
ये मिट्टी
रौंद रहे हैं लोग
रंग काला पड़ने लगा
कुछ कीड़े भी पनपने लगे
…
ContinueAdded by बृजेश नीरज on March 7, 2013 at 8:10pm — 18 Comments
लिखना चाहता हूँ
वो गाँव की अमराई
बहार आते ही जो बौराई
सरसों की अंगड़ाई
बाली बाली गदराई
पर कैसे ??
कहाँ से ले आऊँ
वो रंग भरी स्याही
स्याही…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on March 7, 2013 at 3:06pm — 17 Comments
रूठे घर में मानमनौव्वल
के दीपों को पलने दो
बहुत हो चुकी
टोका-टोकी
लस्टम-पस्टम
जीवन झांकी
बंद गली को
चौराहों से
गलबहियां दे
चलने दो
कोरी रातों में कलियों को
पल-दो-पल तो खिलने दो
अंधेरे में
डूबे घर भी
हमें देख
सकुचाते हैं
कल तक लगते
थे जो अपने
अब बरबस
डर जाते हैं
जंजीरों में बंधे बहुत अब
पंख जरा तो मलने…
ContinueAdded by राजेश 'मृदु' on March 7, 2013 at 3:00pm — 11 Comments
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