वीर छंद (३१ मात्राएँ/ १६ मात्राओं पर यति, १५ मात्राओं पर पूर्ण विराम/ अंत गुरु लघु)
सरबजीत भव पार गया है ---छोड़ गया वह देश जहान।
अमर शहीदो से मिलने वह-- चला गया देकर फरमान। …
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 2, 2013 at 3:00pm — 22 Comments
(1)
कब मैंने तुमसे
वादा किया था कोई
अपने को मैंने कब बंधन में बाँधा
जो किया , तुमने ही किया
हर सुबह आलस्य तजकर
पूजा की थाल सजा
अरूणोदय होता तेरे दर्शन से .
(2)
मिथ्या लगी
जग की सारी बातें
जब मैंने तुमसे प्रीत की
अब क्रोध करूँ या मान करूँ
या करूँ अपने आप पर दया
रीति रिवाजों के नाम पर
खींच दी तुमने सिंदूर की लम्बी रेखा
भाग्य ने लिख दी माथे पर मृत्युदण्ड
चेहरे पर घूँघट खींचकर .
(3)…
Added by coontee mukerji on May 2, 2013 at 11:30am — 17 Comments
तुमको जो प्रतिकूल लगे हैं
वे हमको अनुकूल लगे
और तुम्हें अनुकूल लगे जो
वे हमको प्रतिकूल लगे...............
हम यायावर,जान रहे हैं…
Added by अरुण कुमार निगम on May 2, 2013 at 10:27am — 41 Comments
!!! लखनऊ शहर !!!
जीवन है सरस लखनऊ सदा!!!
नवाबी सुरूर,
बागों की हूर
हुस्न औ शबाब,
हजरत आदाब।
अमनों शहर मजहबी सजदा।
जीवन है सरस लखनऊ सदा!!1
मस्जिद आजान
मंदिर रस गान
अमृत औ नीरज
साहित्य धीरज।
शायर कवि कहते बेपरदा।
जीवन है सरस लखनऊ सदा!!2
भूल भुलईया
दिलकुशा छइयां
गंजो का गंज
बागों का ढंग।
यहां हरियाली रहती फिदा।
जीवन है सरस लखनऊ सदा!!3
गलियों की महक
अहातों की चहक
पतंगी जुनून
फाखता…
Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 2, 2013 at 9:23am — 18 Comments
जो जुटाते अन्न, फाकों की सज़ा उनके लिए।
बो रहे जीवन, मगर जीवित चिता उनके लिए।
सींच हर उद्यान को, जो हाथ करते स्वर्ग सम,
नालियों के नर्क की, दूषित हवा उनके लिए।
जोड़ते जो मंज़िलें, माथे तगारी बोझ धर,…
ContinueAdded by कल्पना रामानी on May 2, 2013 at 8:53am — 34 Comments
Added by manoj shukla on May 2, 2013 at 7:00am — 12 Comments
पंच सब टंच
जिंदगी की जंग से अंग सब तंग लेकिन
पाश्चात्य के रंग सब हुए मतवाले हैं।
निर्धन अधनंग पिसे, महंगाई के पाट बीच
चूर चूर स्वप्न मिले आंसुई परनाले हैं।।…
ContinueAdded by डा॰ सुरेन्द्र कुमार वर्मा on May 2, 2013 at 6:00am — 6 Comments
अश्रुओं से सींचता
हर स्वप्न मन का ,
प्रेम का प्रारब्ध
परिवर्तित विरह में ,
इन्द्र धनुषी हास
अधरों के निकट आ,
दे रहा प्रतिक्षण
प्रशिक्षण वेदना को !…
ContinueAdded by भावना तिवारी on May 1, 2013 at 9:30pm — 11 Comments
माँ //कुशवाहा //
कोई याद रहे या न रहे
कोई साथ रहे या न रहे
हम रहें या न रहें
तुम रहो या न रहो
हमेशा वो रहती है
स्वयं और…
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 1, 2013 at 5:04pm — 9 Comments
आप सब को मजदूर दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
मजदूर
मजबूर हूँ मजदूरी से पेट का
गुजरा अब हाथ से निकल रहा,
अब हम चुप कब तक रहे,
हृदय हमारा पिघल रहा,
मेहनत करके नीव रखी देश की,
अब सब बिफल रहा,
अपने हकों के लिए चुना नेता,
देखो हम को ही निगल रहा,
डिग्री लेकर कोई इंजिनियर
कुर्सी पर जो रोब जमता है
देखा जाय तो बिन मजदूर…
Added by राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' on May 1, 2013 at 3:32pm — 3 Comments
तुम, मेरी पहचान !
तुम अति-सुगम सरल स्नेह से मेरी
प्रथम पहचान
मेरे कालान्तरित काव्य की
अंतिम कड़ी,
गीतों की गमक…
ContinueAdded by vijay nikore on May 1, 2013 at 1:30pm — 26 Comments
खुरदुरी हथेलियाँ
Added by rajesh kumari on May 1, 2013 at 11:37am — 23 Comments
!!! मां !!!
मां -एक मात्र ऐसी स्तम्भ है,
जिस पर सम्पूर्ण ब्रहमाण्ड टिका है।
और हम अज्ञानी-अहंकारी-विकारी,
मां का अनादर करते है-
लज्जित करते है।
हम इस ब्रहमाण्ड को परे रख कर
स्वयं को सर्वज्ञ - अभिन्न,
विधाता बने फिरते है।
सुखी-स्वस्थ्य-सम्पन्न होने की चाह,
दया-मुक्ति-परमार्थ होने की आश,
धिक-धिक-धिक है हमारी सोच।
धिक्कार है! ऐसा आत्मबोध!
आह! अकेला ही रह जाएगा,
मां को छोड़...
और मां!
फिर भी मां है।
अन्त समय में भी मां…
Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 1, 2013 at 7:58am — 10 Comments
(रचना 1996 में एक संस्थान के निदेशक को समर्पित थी, पर आज के राष्ट्रीय सन्दर्भ में भी सटीक लगती है)
मुखिया पद की आन, महाराज! कुछ करें
शिकायत जायज़ है, प्रजा साथ नहीं
कल तक थे जहां, हैं वहीं के…
ContinueAdded by डा॰ सुरेन्द्र कुमार वर्मा on May 1, 2013 at 6:00am — 8 Comments
डमरू घनाक्षरी अर्थात बिना मात्रा वाला छंद
३२ वर्ण लघु बिना मात्रा के ८,८,८,८ पर यति प्रत्येक चरण में
लह कत दह कत, मनस पवन सम
धक् धक् धड़कन, धड कत परबस
डगमग डगमग, सजन अयन पथ,
बहकत हर पग, मन जस कस तस
बस मन तरसत, बस मन पर घर
अयन जतन तज, अचरज घर हँस
चलत चलत पथ, सरस सरस पथ,
सजन सजन पथ, हरस हरस हँस
…
ContinueAdded by वेदिका on May 1, 2013 at 2:00am — 11 Comments
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