For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

May 2013 Blog Posts (195)

वीर छंद - लक्ष्मण लडीवाला

वीर छंद (३१ मात्राएँ/ १६ मात्राओं पर यति, १५ मात्राओं पर पूर्ण विराम/ अंत गुरु लघु)

सरबजीत भव पार गया है ---छोड़ गया वह देश जहान।  

अमर शहीदो से मिलने वह-- चला गया देकर फरमान। …

Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 2, 2013 at 3:00pm — 22 Comments

एक सवाल

(1)

कब मैंने तुमसे

वादा किया था कोई

अपने को मैंने कब बंधन में बाँधा

जो किया , तुमने ही किया

हर सुबह आलस्य तजकर

पूजा की थाल सजा

अरूणोदय होता तेरे दर्शन से .

(2)

मिथ्या लगी

जग की सारी बातें

जब मैंने तुमसे प्रीत की

अब क्रोध करूँ या मान करूँ

या करूँ अपने आप पर दया

रीति रिवाजों के नाम पर

खींच दी तुमने सिंदूर की लम्बी रेखा

भाग्य ने लिख दी माथे पर मृत्युदण्ड

चेहरे पर घूँघट खींचकर .

(3)…

Continue

Added by coontee mukerji on May 2, 2013 at 11:30am — 17 Comments


सदस्य कार्यकारिणी
गीत : चन्दन हमें बबूल लगे..................

तुमको जो प्रतिकूल लगे हैं

वे हमको अनुकूल लगे

और तुम्हें अनुकूल लगे जो

वे हमको प्रतिकूल लगे...............

हम यायावर,जान रहे हैं…

Continue

Added by अरुण कुमार निगम on May 2, 2013 at 10:27am — 41 Comments

!!! लखनऊ शहर !!!

!!! लखनऊ शहर !!!

जीवन है सरस लखनऊ सदा!!!

नवाबी सुरूर,

बागों की हूर

हुस्न औ शबाब,

हजरत आदाब।

अमनों शहर मजहबी सजदा।

जीवन है सरस लखनऊ सदा!!1

मस्जिद आजान

मंदिर रस गान

अमृत औ नीरज

साहित्य धीरज।

शायर कवि कहते बेपरदा।

जीवन है सरस लखनऊ सदा!!2

भूल भुलईया

दिलकुशा छइयां

गंजो का गंज

बागों का ढंग।

यहां हरियाली रहती फिदा।

जीवन है सरस लखनऊ सदा!!3

गलियों की महक

अहातों की चहक

पतंगी जुनून

फाखता…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 2, 2013 at 9:23am — 18 Comments

उनके लिए...गजल

जो जुटाते अन्न, फाकों की सज़ा उनके लिए।

बो रहे जीवन, मगर जीवित चिता उनके लिए।

 

सींच हर उद्यान को, जो हाथ करते स्वर्ग सम,

नालियों के नर्क की, दूषित हवा उनके लिए।

 

जोड़ते जो मंज़िलें, माथे तगारी बोझ धर,…

Continue

Added by कल्पना रामानी on May 2, 2013 at 8:53am — 34 Comments

पहले की तरह .....हास्य व्यंग

आजकल सुबह सुबह

मुर्गे की जगह

लाउडस्पीकर

बाँग दे रहा है

क्योकि

चुनाव आ रहा है.

पहले की तरह

इस बार भी

स्वामी जी

वोट माँगने आयेंगे

पुल्हिया बनवाने

वजीफा दिलवाने

की शपथ खायेंगे

और पहले की तरह

चालिस वोटों से

हार जायेंगे.

पहले की तरह ही

श्रीमती देवी जी

भी आयेंगी

अपने सम्बोधन से

जनता को लुभायेंगी

कुछ नये कुछ पुराने

सवाल उठायेंगी

सत्तापक्ष पर

ताने कसेंगी

और

पहले की तरह… Continue

Added by manoj shukla on May 2, 2013 at 7:00am — 12 Comments

पंच सब टंच

पंच सब टंच

जिंदगी की जंग से अंग  सब तंग लेकिन

पाश्चात्य के रंग सब हुए मतवाले हैं।

निर्धन अधनंग पिसे, महंगाई के पाट बीच

चूर चूर स्वप्न मिले आंसुई परनाले हैं।।…

Continue

Added by डा॰ सुरेन्द्र कुमार वर्मा on May 2, 2013 at 6:00am — 6 Comments

प्रेम का प्रारब्ध

अश्रुओं से सींचता 

हर स्वप्न मन का ,

प्रेम का प्रारब्ध 

परिवर्तित विरह में ,

इन्द्र धनुषी हास 

अधरों के निकट आ,

दे रहा प्रतिक्षण 

प्रशिक्षण वेदना को !…

Continue

Added by भावना तिवारी on May 1, 2013 at 9:30pm — 11 Comments

माँ //कुशवाहा //

माँ //कुशवाहा //

----

कोई याद रहे या न रहे

कोई साथ रहे या न रहे

हम रहें या  न रहें

तुम रहो या न रहो

हमेशा वो  रहती है

स्वयं और…

Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 1, 2013 at 5:04pm — 9 Comments

मजदूर





आप सब को मजदूर दिवस की हार्दिक शुभकामनायें 



मजदूर



मजबूर हूँ मजदूरी से पेट का 



गुजरा अब हाथ से निकल रहा, 



अब हम चुप कब तक रहे, 



हृदय हमारा पिघल रहा, 



मेहनत करके नीव रखी देश की, 



अब सब बिफल रहा, 



अपने हकों के लिए चुना नेता, 



देखो हम को ही निगल रहा, 



डिग्री लेकर कोई इंजिनियर 



कुर्सी पर जो रोब जमता है



देखा जाय तो बिन मजदूर…

Continue

Added by राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' on May 1, 2013 at 3:32pm — 3 Comments

तुम, मेरी पहचान !

                              तुम, मेरी पहचान !

            

                 

             तुम अति-सुगम सरल स्नेह से मेरी

                                            प्रथम पहचान

             मेरे   कालान्तरित   काव्य   की

             अंतिम कड़ी,

             गीतों की गमक…

Continue

Added by vijay nikore on May 1, 2013 at 1:30pm — 26 Comments


सदस्य कार्यकारिणी
मजदूर दिवस की बधाई हो !!!

खुरदुरी हथेलियाँ 

कटी  फटी उंगलियाँ 
पच्चीस की उम्र में 
पचास के जैसी चेहरे पर
प्रौढ़ता की  लकीरें 
दस बीस इंटों से भरा तसला
सर पर ढोती 
बीच- बीच में दूर एक झाड़ी पर 
बंधे पुराने चिथड़ों से बने 
झूले पर नजर डालती ,
ना जाने उसका नन्हा 
कब भूख से बिलबिलाने लगे 
सोचकर अपने भीगे ब्लाउज को 
अपनी फटी धोती के पल्लू से…
Continue

Added by rajesh kumari on May 1, 2013 at 11:37am — 23 Comments

!!! मां !!!

!!! मां !!!



मां -एक मात्र ऐसी स्तम्भ है,

जिस पर सम्पूर्ण ब्रहमाण्ड टिका है।

और हम अज्ञानी-अहंकारी-विकारी,

मां का अनादर करते है-

लज्जित करते है।

हम इस ब्रहमाण्ड को परे रख कर

स्वयं को सर्वज्ञ - अभिन्न,

विधाता बने फिरते है।

सुखी-स्वस्थ्य-सम्पन्न होने की चाह,

दया-मुक्ति-परमार्थ होने की आश,

धिक-धिक-धिक है हमारी सोच।

धिक्कार है! ऐसा आत्मबोध!

आह! अकेला ही रह जाएगा,

मां को छोड़...

और मां!

फिर भी मां है।

अन्त समय में भी मां…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 1, 2013 at 7:58am — 10 Comments

मंच के पंच

(रचना 1996 में एक संस्थान के निदेशक को समर्पित थी, पर आज के राष्ट्रीय सन्दर्भ में भी सटीक लगती है)



मुखिया पद की आन, महाराज! कुछ करें

शिकायत जायज़ है, प्रजा साथ नहीं

कल तक थे जहां, हैं वहीं के…

Continue

Added by डा॰ सुरेन्द्र कुमार वर्मा on May 1, 2013 at 6:00am — 8 Comments

डमरू घनाक्षरी / गीतिका 'वेदिका'

डमरू घनाक्षरी अर्थात बिना मात्रा वाला छंद

३२ वर्ण लघु बिना मात्रा के ८,८,८,८ पर यति प्रत्येक चरण में

लह कत दह कत, मनस पवन सम 

धक् धक् धड़कन, धड कत परबस

डगमग डगमग, सजन अयन पथ,

बहकत हर पग, मन जस कस तस 

बस मन तरसत, बस मन पर घर 

अयन जतन तज, अचरज घर हँस 

चलत चलत पथ, सरस सरस पथ,

सजन सजन पथ, हरस हरस हँस 

                 …

Continue

Added by वेदिका on May 1, 2013 at 2:00am — 11 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
31 minutes ago
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
12 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
22 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
yesterday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
Monday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service