यूँ दुपट्टा बहुत उड़ा कोई ।
जाने कैसी चली हवा कोई ।।
उम्र भर हुस्न की सियासत से ।
बे मुरव्वत छला गया कोई ।।
याद उसकी चुभा गयी नस्तर ।
दर्द से रात भर जगा कोई।।
ख़्वाहिशें इस क़दर थीं बेक़ाबू ।
फिर नज़र से उतर गया कोई ।।
वो सँवर कर गली से निकला है ।…
Added by Naveen Mani Tripathi on May 31, 2018 at 8:20pm — 4 Comments
2121 2122 2122 212
आंसुओं के साथ कोई हादसा दे जाएगा ।
वह हमें भी हिज़्र का इक सिलसिला दे जाएगा ।
जिस शज़र को हमने सींचा था लहू की बूँद से ।
क्या खबर थी वो हमें ही फ़ासला दे जाएगा ।।
बेवफाई ,तुहमतें , इल्जाम कुछ शिकवे गिले ।
और उसके पास क्या है जो नया दे जाएगा ।।
क्या सितम वो कर गया मत बेवफा से पूछिए ।
वो बड़ी ही शान से मेरी ख़ता दे जाएगा ।।
फुरसतों में जी रहा है आजकल…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on May 28, 2018 at 2:00pm — 3 Comments
2122 2122 212
आँख मुद्दत से चुराती जिंदगी ।
लग रही थोड़ी ख़फ़ा सी जिंदगी ।।
तोड़ती अक्सर हमारी ख्वाहिशें ।
हो गयी कितनी सियासी जिंदगी ।।
सिर्फ मतलब पर किया सज़दा उसे ।
जी रहे हम बेनमाज़ी जिंदगी ।।
रोटियों के फेर में कुछ इस तरह ।
मुद्दतों तक तिलमिलाई जिंदगी ।।
हम जमीं पर पैर पड़ते रो पड़े ।
दे…
Added by Naveen Mani Tripathi on May 20, 2018 at 8:28pm — 1 Comment
2122 2122 212
छेड़ कर उसकी कहानी देखना ।
फिर तबाही आंसुओं की देखना ।।
यूँ ग़ज़ल लिक्खी बहुत उनके लिए ।
लिख रहा हूँ अब रुबाई देखना ।।
अब नुमाइश बन्द कर दो हुस्न की ।
हैं कई शातिर शिकारी देखना ।।
हिज्र ने हंसकर कहा मुझसे यही ।
वस्ल की तुम बेकरारी देखना ।।
वह बहक जाएगा इतना मान लो ।
एक दिन फिर जग हँसाई देखना ।।
तिश्नगी झुक कर बुझा देती है वो ।
बा…
Added by Naveen Mani Tripathi on May 19, 2018 at 10:30pm — 3 Comments
221 2121 1221 212
आया सँवर के चाँद चमन में उजास है ।
बारिश ख़ुशी की हो गयी भीगा लिबास है ।।
कसिए न आप तंज यहां सच के नाम पर ।
लहजा बता रहा है कि दिल में खटास है ।।
मिलता नशे में चूर वो कंगाल आदमी ।
शायद खुदा ही जाम से भरता गिलास है ।।
उल्फत में हो गए हैं फ़ना मत कहें हुजूर ।
जिन्दा अभी तो आपका होशो हवास है ।
पीकर तमाम रिन्द मिले तिश्नगी के साथ ।
साकी तेरी शराब में कुछ बात…
Added by Naveen Mani Tripathi on May 17, 2018 at 11:24pm — 2 Comments
221 2121 1221 212
सब कुछ है मेरे पास मगर बेजुबान हूँ ।
क़ानून तेरे जुल्म का मैं इक निशान हूँ ।।
क्यूँ माँगते समानता का हक़ यहां जनाब ।
भारत की राजनीति का मैं संविधान हूँ ।।
उनसे थी कुछ उमीद मुख़ालिफ़ वही मिले ।
जिनके लिए मैं वोट का ताजा रुझान हूँ ।।
कुनबे में आ चुका है यहाँ भुखमरी का दौर ।
क़ानून की निगाह में ऊंचा मकान हूँ ।।
गुंजाइशें बढ़ीं हैं जमीं पर गिरेंगे आप ।
जबसे कहा…
Added by Naveen Mani Tripathi on May 16, 2018 at 5:49pm — 2 Comments
221 2121 1221 212
आया सँवर के चाँद चमन में उजास है ।
बारिश ख़ुशी की हो गयी भीगा लिबास है ।।1
खुशबू सी आ रही है मेरे इस दयार से।
महबूब मेरा आज कहीं आस पास है ।।2
पीकर तमाम रिन्द मिले तिश्नगी के साथ ।
साकी तेरी शराब में कुछ बात ख़ास है ।।3
उल्फत में हो गए हैं फ़ना मत कहें हुजूर ।
जिन्दा अभी तो आपका होशो हवास है ।14
हुस्नो अदा के ताज पे चर्चा बहुत रही ।
अक्सर तेरे रसूक पे लगता कयास है…
Added by Naveen Mani Tripathi on May 12, 2018 at 11:13am — 1 Comment
121 22 121 22 121 22 121 22
न वक्त का कुछ पता ठिकाना
न रात मेरी गुज़र रही है ।
अजीब मंजर है बेखुदी का ,
अजीब मेरी सहर रही है ।।
ग़ज़ल के मिसरों में गुनगुना के ,
जो दर्द लब से बयां हुआ था ।
हवा चली जो खिलाफ मेरे ,
जुबाँ वो खुद से मुकर रही है ।।
है जख़्म अबतक हरा हरा ये ,
तेरी नज़र का सलाम क्या लूँ ।
तेरी अदा हो तुझे मुबारक ,
नज़र से मेरे उतर रही है…
Added by Naveen Mani Tripathi on May 11, 2018 at 1:08pm — 4 Comments
22 22 22 22 22 2
जुल्म नहीं मैं उन पर ढाने आया हूँ ।
कहते हैं क्यों लोग सताने आया हूँ ।।1
तिश्ना लब को हक़ मिलता है पीने का ।
मै बस अपनी प्यास बुझाने आया हूँ ।।2
हंगामा क्यों बरपा है मैखाने में ।
मैं तो सारा दाम चुकाने आया. हूँ ।।3
उनसे कह दो वक्त वस्ल का आया है ।
आज हरम में रात बिताने आया हूँ ।।4
है मुझ पर इल्जाम जमाने का यारों ।
मैं तो उसकी नींद चुराने आया हूँ ।।5
फितरत तेरी थी तूने…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on May 11, 2018 at 1:42am — 7 Comments
1222 1222 1222 1222
कफ़स में ख्वाब जब भी आसमाँ का देखता होगा ।
परिंदा रात भर बेशक बहुत रोता रहा होगा ।।1
कई आहों को लेकर तब हजारों दिल जले होंगे ।
तुम्हारा ये दुपट्टा जब हवाओं से उड़ा होगा ।।2
यकीं गर हो न तुमको तो मेरे घर देखना आके ।
तुम्हरी इल्तिजा में घर का दरवाजा खुला होगा ।।3
रकीबों से मिलन की बात मैंने पूछ ली उससे।
कहा उसने तुम्हारी आँख का धोका रहा होगा ।।4
बड़े खामोश लहजे में किया इनकार था जिसने…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on May 10, 2018 at 6:12am — 4 Comments
212 212 212 212
हो गईं इश्क में कैसी दुश्वारियां ।
हाथ आती गयीं सिर्फ बेचैनियां ।।1
क्यों हुई ही नहीं तुमसे नजदीकियां ।
हम समझने लगे थोड़ी बारीकियाँ ।।2
इस तरह मुझपे इल्जाम मत दीजिये ।
कब छुपीं आप से मेरी लाचारियां ।।3
उनकी तारीफ़ करती रहीं चाहतें ।
वो गिनाते रहे बस मेरी खामियां ।।4
दिल चुरा ले गई आपकी इक नजर ।
कर गए आप कैसे ये गुस्ताखियां ।5
दिल जलाने की साजिश से क्या फायदा ।
दे गया कोई…
Added by Naveen Mani Tripathi on May 9, 2018 at 1:57am — 5 Comments
उजाले का वहाँ पहरा नहीं था ।
कभी सूरज जहाँ ढलता नहीं था ।।1
बहा ले जाए तुमको साथ अपने ।
वो सावन का कोई दरिया नहींथा।।2
मेरे महबूब की महफ़िल सजी थी ।
मगर मेरा कोई चर्चा नहीं था ।।3
मैं देता दिल भला कैसे बताएं ।
सही कुछ आपका लहज़ा नहीं था ।।4
जरा सा ही बरस जाते ऐ बादल ।
हमारा घर कोई सहरा नहीं था ।।5
जले हैं ख्वाब कैसे आपके सब ।
धुंआ घर से कभी उठता नहीं था ।।6
तुम्हारी हरकतें कहने…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on May 6, 2018 at 4:12pm — 5 Comments
122 122 122 122
मैं जब भी चला छोड़ने मैकशी को ।
अदाएं जगाने लगीं तिश्नगी को ।।1
लिए साथ मैं जी रहा बेखुदी को ।
सजाता रहा होंठ पर बाँसुरी को ।।2
अमीरों की महफ़िल में सज धज के जाना ।
वो देते नहीं अहमियत सादगी को ।।3
है मिलता उसे ही जो रो करके माँगे ।
बिना रोये कब हक़ मिला आदमी को ।।4
पकड़ कर उँगलियों को चलना था सीखा।
दिखाते हैं जो रास्ता अब हमी को ।।5
मुहब्बत हुई इस तरह आप से क्यूँ ।
अभी…
Added by Naveen Mani Tripathi on May 4, 2018 at 9:58pm — 3 Comments
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |