मदन-छंद या रूपमाला
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है मदन यह छंद इसका, रूपमाला नाम.
पंक्ति प्रति चौबीस मात्रा, गेयता अभिराम.
यति चतुर्दश पंक्ति में हो, शेष दस ही शेष,
अंत गुरु-लघु या पताका, रस रहे अवशेष..
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चाँदनी का चित्त चंचल, चन्द्रमा चितचोर.
मुग्ध नयनों से निहारे, मन मुदित मनमोर.
ताकता संसार सारा, देख मन में खोट.
पास सावन की घटायें, चल…
ContinueAdded by Er. Ambarish Srivastava on July 23, 2012 at 1:30pm — 18 Comments
झींगुर की रुन झुन
रात्रि में घुंघरू का
मुगालता देती हैं
बदरी की चुनरी चंदा पर
घूंघट का आभास कराती है
नीर भरी छलकती गगरी
सागर का छलावा देती हैं
अल्हड शौख किशोरी
के गुनगुनाने का
भ्रम पैदा करते हैं
बारिश की टिप- टिप
संगीत सुधा बरसाती हैं
दामिनी की चमक
श्याम मेघों की गर्जना
विरहणी के ह्रदय की
चीत्कार बन जाती है
अन्तरिक्ष में सजनी साजन
के मिलन की कल्पनाएँ
मिलकर करती हैं जो…
Added by rajesh kumari on July 23, 2012 at 1:00pm — 8 Comments
इक तरफ सुन्दर, जग-जमाना,
इक तरफ लुटता, मैं खज़ाना,
इक तरफ प्याला, है मदहोश,
इक तरफ लब, मेरे खामोश,
इक तरफ बिजली, हैं बादल,
इक तरफ आशिक, मैं पागल,
इक तरफ सागर, है गहरा,
इक तरफ खाली, मैं ठहरा,…
Added by अरुन 'अनन्त' on July 23, 2012 at 11:22am — No Comments
Added by Pradeep Bahuguna Darpan on July 23, 2012 at 10:29am — No Comments
वक़्त (कुछ दोहे)
Added by Dr.Prachi Singh on July 23, 2012 at 10:00am — 30 Comments
फिर सावन का सोमवार है बाबाजी
फिर पूजा है, मन्त्रोच्चार है बाबाजी
आज हमारे जन्म दिवस के मौके पर
नाग पंचमी का त्यौहार है बाबाजी
सुबह सवेरे जल्दी उठ कर स्नान करूँ
घरवाली का ये विचार है बाबाजी
बीवी को वश में करने का मन्तर दो
विनती तुम से बार बार है बाबाजी
वोटर का दुःख उसे दिखाई न देगा
जब तक वो कुर्सी सवार है बाबाजी
उम्मीदों पर बार बार जो वार करे
वही सही उम्मीदवार है बाबाजी
जूतों की…
Added by Albela Khatri on July 23, 2012 at 10:00am — 8 Comments
हिसाब ना माँगा कभी
अपने गम का उनसे
पर हर बात का मेरी वो
मुझसे हिसाब माँगते रहे ।
जिन्दगी की उलझनें थीं
पता नही कम थी या ज्यादा
लिखती रही मैं उन्हें और वो
मुझसे किताब माँगते रहे ।
काश ऐसा होता जो कभी
बीता लम्हा लौट के आता
मैं उनकी चाहत और वो
मुझसे मुलाकात माँगते रहे ।
कुछ सवाल अधूरे रह गये
जो मिल ना सके कभी
मैंने आज भी ढूंढे और वो
मुझसे जवाब माँगते…
ContinueAdded by deepti sharma on July 22, 2012 at 7:39pm — 18 Comments
दांत भींच कर उसे दबाऊं
फिर भी उसको रोक न पाऊं
निकले बाहर लगती फाँसी
क्या सखि खाँसी? नहिं रे हाँसी
कदम-कदम पर उसका पहरा
आँख का…
Added by Albela Khatri on July 22, 2012 at 6:00pm — 16 Comments
प्रीत के उपहार
Added by Dr.Prachi Singh on July 22, 2012 at 12:00pm — 21 Comments
==========नज्म/गीत ==========
हर मौसम लगे बहार, तुम से मिलकर
इस दिल को मिले करार, तुम से मिलकर
पल पल भी मुश्किल से कटता है तुम बिन
इक पल भी इक साल सा लगता है तुम बिन
घडी का काँटा रुक रुक चलता है तुम बिन
सूरज चढ़ के देर से…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 22, 2012 at 10:45am — 5 Comments
मेहनत से यदि डर जाओगे बाबाजी
जीवन में क्या कर पाओगे बाबाजी
रोते रोते आये जैसे दुनिया में
वैसे ही तुम घर जाओगे बाबाजी
बाइक पर मोबाइल से मत बात करो…
Added by Albela Khatri on July 22, 2012 at 10:30am — 18 Comments
तशवीशात के अजीमुश्शान महल में जैसे खो गया हूँ. हज़ार रास्ते, मगर कौन सही है, दीवारें जो दिख रहीं हैं वो आँखों का धोखा तो नहीं. दरीचों में समाया मंज़र शायद वहम हो. जगह जगह फिक्रों के फानूस टंगे हैं, अज़ीयतों के जौहर से दरोदीवार आरास्ता हैं. दूर कहीं आँगन में अंदेशों के आबशार से बह रहे हैं, बगीचे खौफ के दरख्तों से गुंजान और उलझनों के टिमटिमाते चरागों से शबिस्ताँ रौशन है. गलियारों में कशीदगी के कालीन बिछे हैं, कफेपा से जिनपे दिल की शोरीदगी के नक्श उभर आए हैं. बैठकखानों में मखफी सायों की मजलिस…
ContinueAdded by राज़ नवादवी on July 21, 2012 at 8:00pm — 4 Comments
वो कोमल थे, वो कंटीले थे,
आँखें सूखीं थी, हम गीले थे,
रास्ते फूलों के, पथरीले थे,
जख्मी पग, कांटें जहरीले थे,
ढहे पेंड़ों से, पत्ते ढीले थे,
बिखरे हम, कर उसके पीले थे,
नाजुक लब, नयना शर्मीले थे,…
ContinueAdded by अरुन 'अनन्त' on July 21, 2012 at 5:30pm — 7 Comments
Added by AVINASH S BAGDE on July 21, 2012 at 1:00pm — 12 Comments
============= गीत =============
मेरी इबादत हो तुम्ही, मेरा हो पूजन, ऐ मेरे सजन
मेरा ये तन औ ये मन, तुमको है अर्पण, ऐ मेरे सजन
सुबहो शाम, रात दिन, याद मुझे आ रहे
वो बिताये पल सुहाने नैनों में समा रहे
खिल रहे नए पुष्प, मन की वाटिका में गा रहे
तुमसे ही चलती हैं साँसे तुमसे है जीवन, ऐ मेरे सजन
मेरी इबादत हो तुम्ही, मेरा हो पूजन, ऐ मेरे सजन
मेरा ये तन औ ये मन, तुमको है अर्पण, ऐ मेरे सजन
छा रहे है मेघ घने आपकी ही प्रीत के…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 21, 2012 at 12:28pm — 8 Comments
नीयत हो यदि साफ़ हमारी बाबाजी
नियति भी तब लगेगी प्यारी बाबाजी
पुस्तक, सी डी और दवायें बेच रहे
सन्त नहीं, वे हैं व्यापारी बाबाजी
कोई किसी का सगा नहीं है दुनिया में…
Added by Albela Khatri on July 21, 2012 at 11:00am — 19 Comments
मुक्तिका "सावन"
मेघों का गर्जन है सावन
बूंदों का अर्पण है सावन
हरियाली चहुँ ओर बिखेरे
कितना मन रंजन है सावन
दीनों की छत से टप टप स्वर
दुःख का अनुरंजन है सावन
शीतल बूंद गिरे जब तन पर
अतिशय तप भंजन है सावन
छेड़े धुन मल्हार पवन जब
मीठा स्वर गुंजन है सावन
"दीप" सजे सब मंदिर देखो
भोले का पूजन है सावन
संदीप पटेल "दीप"
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 21, 2012 at 9:00am — 3 Comments
कोई भी हो नहीं देखी गई सरकार सदमे में।
मगर जनता है जो देखी गयी हर बार सदमे में॥
मुहब्बत करने वाले हैं ज़माने के निशाने पर,
है फतवा खाप पंचायत का सुनकर प्यार सदमे में॥…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on July 20, 2012 at 9:54pm — 11 Comments
(नोट: अपने हिंदुस्तान में ही हिंदी को हर कदम पर अपमानित होना पड़ रहा है ये हिंदुस्तान के अस्तित्व पर ये सवालिया निशान लगता है)
मैं अपने ही घर में कैद हूँ
मुझे अपनों से ही आजादी चाहिए
रोती बिलखती सर पटकती रही मैं
अब मेरी आवाज को एक आवाज चाहिए
जी रही हूँ कड़वे घूँट पीकर
न मेरी राह में कांटे उगाइये
मैं अपने ही घर में कैद हूँ
मुझे अपनों से ही आजादी चाहिए
पराये मेरे दुःख पे आंसू बहा रहे हैं
मेरे जख्मों पे फिर भी मरहम लगा…
Added by राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' on July 20, 2012 at 5:00pm — 5 Comments
पानी था, या हवा था,
वो किस दिल, की दुआ था,
ठंडा मौसम, कड़ी लू
वो गम था, या दवा था,
लगता था, वो खुदा पर,
किस्मत था, या जुआ था,
बेवजह…
ContinueAdded by अरुन 'अनन्त' on July 20, 2012 at 11:37am — 19 Comments
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