कृति मौलिक न होने के कारण प्रबंधन स्तर से हटा दी गई है |
एडमिन
2013083107
Added by Neeraj Nishchal on August 29, 2013 at 10:00am — 16 Comments
कृष्ण का जीवन दर्शन बहुत गहरा और अद्भुत है , और समझने जैसा है । कृष्ण माखन चोरी करते हैं ,
रास रचाते हैं , राजनीति भी करते हैं , प्रतिज्ञा भी तोड़ते हैं , फिर भी हमने उन्हें भगवान् कहा है पूर्णावतार
कहा है उन्होंने जो भी किया हमने उसे लीला कहा है और बिलकुल जब कोई इतना प्रेमपूर्ण व्यक्ति कुछ भी करता
है तो वो लीला हो ही जाता है ।
कृष्ण का जन्म भी बड़े अद्भुत ढंग से हुआ इसे भी समझ लेना चाहिए कृष्ण का जन्म साधारण गर्भ
से नही हो पाता , और वासुदेव देवकी द्वारा भूमि तैयार…
Added by Neeraj Nishchal on August 28, 2013 at 9:00am — 5 Comments
जो मै हूँ वही है तू , नही गर मै नही है तू ।
नही कुछ तू तू सबकुछ है , तू अंबर है ज़मी है तू ।
हवा भी तू घटा भी तू , तू ही बारिश की रिमझिम है ।
तू ही खिलता है फूलों में , सितारों की तू टिम टिम है ।
जो ना जानू कहीं ना तू , जो जानू तो यही है तू ।
परिंदों के मधुर स्वर में , तू ही नदियों की कल कल में ।
वक्त गुज़रे न गुज़रे तू , तेरा तो वास पल पल में ।
ये जीवन तुझसे पूरा है , तो इसकी हर कमी है तू ।
छुपाकर खुद को परदे में,…
ContinueAdded by Neeraj Nishchal on August 27, 2013 at 10:56am — 7 Comments
तड़पा करूँ तेरी याद में हर पल ।
बन के रहूँ तेरे प्यार में पागल ।
मेरी जाना । मेरी जाना ।
मेरी जाना । मेरी जाना ।
तुझे भूलूं न कभी तुझे छोड़ूं न कभी ।
तेरे लिए मै जियूँ तू है मेरी ज़िन्दगी ।
दीवाने दिल की चाहत बनकर ।
आती हो मेरे ख़्वाबों में अक्सर ।
मेरी जाना । मेरी जाना ।
मेरी जाना । मेरी जाना ।
तेरा सपना सजाऊं तुझे अपना बनाऊं ।
लाऊं तोड़ के तारे तेरी मांग सजाऊं ।
तोड़ न जाना जन्मों…
ContinueAdded by Neeraj Nishchal on August 22, 2013 at 4:57pm — 4 Comments
तुमसे बिछड़ के क्यों जीता हूँ ,
मेरे पागल दिल से पूछो ।
दर्द के आंसू क्यों पीता हूँ ,
मेरे पागल दिल से पूछो ।
तनहाई के दौर बहुत हैं ।
दर्द मिले इस तौर बहुत हैं ।
ये न समझना एक तुम्ही हो,
दिल के साथी और बहुत हैं ।
टूटे सपने क्यों सींता हूँ ,
मेरे पागल दिल से पूछो ।
माना तुमसे दूर बहुत हैं ।
हम दिल से मजबूर बहुत हैं ।
प्यार की रस्मे कैसे निभायें,
दुनिया के दस्तूर बहुत हैं ।
किन…
ContinueAdded by Neeraj Nishchal on August 22, 2013 at 4:31pm — 11 Comments
दिल से उतरा है रूह का तराना समझिये ।
उसकी बन्दगी में मिला ये नज़राना समझिये ।
दिल से दिल के तारों को जोड़कर ज़रा ,
मेरा ये अंदाजे बयाँ सूफियाना समझिये ।
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बिन ताल कभी नाचा करिये, बिन सुर भी कभी गाया करिये |
अपने मुख पर एक गहन हंसी बेवज़ह कभी लाया करिये ।
फूलों ने कौन वज़ह मांगी गुलशन महकने से पहले ।
पक्षियों ने रब से क्या चाहा डालों पे चहकने से पहले…
ContinueAdded by Neeraj Nishchal on August 20, 2013 at 9:30pm — 5 Comments
सहरा में कहीं खो जायें न हम, आवाज़ हमें देते रहना ।
नयी राहों का नयी मंजिल का, आगाज़ हमें देते रहना ।
माना कि उदासी के सायें कभी हमको घेर भी लेते हैं ,
खुश रहकर जीने का अपना, अन्दाज़ हमें देते रहना ।
जब गिरने लगे ये तनहा मन घनघोर निराशा के तल में,
ऐसे में अपनी उल्फत की, परवाज़ हमें देते रहना ।
भावों की लहर जब उठती है, शब्दों के शहर बह जाते हैं ,
वो प्यार सहेजने को अपने, अल्फ़ाज़ हमें देते रहना ।
जो दिल में हमारे रहती…
ContinueAdded by Neeraj Nishchal on August 18, 2013 at 12:00am — 12 Comments
Added by Neeraj Nishchal on August 16, 2013 at 8:42pm — 11 Comments
अपनी इस ग़ज़ल के साथ सभी को स्वतंत्रता दिवस की बधाई देता हूँ
आये लौट आज़ादी आज अपनी जवानी में ।
के फहरा दो तिरंगा फिर हवाओं की रवानी में ।
उड़ा दो फिर वही बादल आसमाँ में गुलालों के ,
गुलाबी रंग मिल जाए आज फिर आसमानी में ।
हिमालय की पनाहों में शहीदों को सलामी दे ,
कोई तो गीत गूँजेगा आज गंगा के पानी में ।
बनायें उनके सपनों का चलो आज़ाद भारत हम ,
जिन्होंने ख्वाब देखा था ये अपनी जिंदगानी में ।
आँखों…
ContinueAdded by Neeraj Nishchal on August 15, 2013 at 2:00pm — 19 Comments
निगाहों ने छुपा रखी समन्दर की निशानी है ।
बहा करता है अश्कों में ये जो खारा सा पानी है ।
ये मानो या न मानो तुम कोई सागर तो है दिल में,
उठा करती यहाँ पल पल जो मौजों की रवानी है ।
हज़ारों दर्द सहकर भी मोहब्बत छोड़ ना पाया ,
अकेला दिल नही मेरा ये हर दिल की कहानी है ।
इश्क से रूबरू होकर नए हर दिल के किस्से हैं ,
मगर ये चीज उल्फत तो यहाँ सदियों पुरानी है ।
भले ही दुनियादारी के बड़े नादान पंछी हम ,
मगर दिल…
ContinueAdded by Neeraj Nishchal on August 11, 2013 at 3:07pm — 12 Comments
Added by Neeraj Nishchal on August 9, 2013 at 10:01am — 20 Comments
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