श्री रामचंद्र जी के अयोध्या लौटने पर उनके स्वागत में एक गीत -
हेली मंगल गाओ आज ,
सहेली मंगल गाओ आज |
ढोल नगाड़ा नौपत बाजे
अयोध्या में आज
तोरण द्वार सजे सब आँगन
कौशल्या घर आज |
मोत्यां चौक पुरावो है सखी
झिलमिल आरती थाल
रामचंद्र जी लौटेंगे सखी
सीता लखन संग आज |
शुभ घड़ी आई भ्राता मिलाई
दशरथ के घर आज
भरत की तपस्या लायेगी
सखी ! खुशियों का अम्बार…
ContinueAdded by mohinichordia on October 21, 2011 at 9:00pm — No Comments
सदियों से हम, साल में इक दिन, घर-घर दीप जलाते हैं |
इस दिन को कह कर दीवाली, खुशियाँ बहुत मनाते हैं ||
दीप जलें, अंधियारा भागे, हो जाता उजियारा है |
हर दिन ख़ुशी के दीप जलाएं, बनता फ़र्ज़ हमारा है ||…
Added by Shashi Mehra on October 21, 2011 at 9:30am — No Comments
Added by Noorain Ansari on October 20, 2011 at 9:06am — 4 Comments
Added by AVINASH S BAGDE on October 19, 2011 at 8:00pm — 4 Comments
लघुकथा - बकाया !
डॉ धीरज आज सुबह कुछ देर से अस्पताल में पहुंचे थे | सीधे आई सी यू में भर्ती…
ContinueAdded by Abhinav Arun on October 19, 2011 at 9:00am — 16 Comments
मैं जुबां पर सिर्फ मैं, यह बात है अभिमान की,
छोड़ मैं को अब बनें हम बात ये ही ज्ञान की. |१|
जो किसी को भी न भातीं छोड़ दो वो आदतें,
दोस्तों अब फिक्र हो इस देश के सम्मान की. |२|
माँ से हमको है मिलाया बाप का साया दिया,
हम चुका सकते नहीं कीमत तेरे एहसान की. |३|
जान देकर जो गये अपनी शहीदाने…
Added by Er. Ambarish Srivastava on October 19, 2011 at 12:30am — 8 Comments
समाजसेवी अन्ना हजारे ने पिछले दिनों तेरह दिनों तक अनशन करके ‘अन्नागिरी’ को हवा दे दी है। देश में अब तक नेतागिरी, चमचागिरी, बाबागिरी की हवा चल रही थी। अन्नागिरी के हावी होते ही अभी भ्रष्टाचारियों के मूड खराब हो गए हैं, क्योंकि जहां-तहां अन्नागिरी ही छाई हुई है। हर जुबान से बस अन्नागिरी की लार लपक रही है। किसी को अपनी बात मनवानी है तो वह, बस अन्नागिरी करने लग जा रहा है। वैसे हमारे समाजसेवी अन्ना जी ‘अनशन’ के लिए माहिर माने जाते हैं, लेकिन उनके पीछे जो लोग ‘अन्नागिरी’ का सहारा लेने लगे हैं,…
ContinueAdded by rajkumar sahu on October 18, 2011 at 1:17am — No Comments
ऐ खुदा तुझे मैं मेरे दोस्तों मे शुमार करता हूँ
ध्यान से सुन तुझे मैं मेरा राज़दार करता हूँ
मुझको दे जाता है वो शख्स हमेशा ही धोखा
फिर भी भरोसा मैं उसका बार-बार करता हूँ
देगी…
ContinueAdded by Vikram Srivastava on October 17, 2011 at 8:00pm — 2 Comments
एक बात सब जानते हैं कि जब हम बीमार होते हैं, तब इलाज के लिए अस्पताल पहुंचते हैं और डॉक्टर नब्ज समझकर इलाज करते हैं। अस्पताल जाने के बाद बीमारी छोटी हो या बड़ी, गरीबों के लिए कुछ ही दिन अस्पताल ठिकाना बन पाता है। गरीबों के लिए ‘गरीबी’ अभिशाप अभी से नहीं है, जमाने से ऐसा ही क्रूर मजाक चल रहा है। हर हालात में गरीब ही बेकार का पुतला होता है, जिसकी ओर देखने की किसी को फुरसत तक नहीं होती, वहीं जब कोई मालदार, अस्पताल की दहलीज पर पहुंचता है, उसके बाद गरीबों को हेय की दृष्टि से देखने वाले भी, उनकी…
ContinueAdded by rajkumar sahu on October 16, 2011 at 4:49pm — No Comments
हमको रहना चाहिए अब सोह्बते तलवार में !
Added by Hilal Badayuni on October 15, 2011 at 5:00pm — 9 Comments
मरना चाहू मर ना पाउ ये क्या किया तू महंगाई ,
Added by Rash Bihari Ravi on October 15, 2011 at 1:16pm — No Comments
क्रेडिट कार्ड
सपना दिखता हैं ,
पावर दिलाता हैं ,
खर्चे में तो तो पंख लगता हैं ,
ना हो पैसा फिर कम हो जाता हैं ,
लगे की दोस्तों में इज्जत बढ़ता हैं,
बिल जब आता हैं ,
पागल बनाता हैं ,
क्यों ली क्रेडिट कार्ड ,
समझ ना आता हैं ,
भाई ये इज्जत लेकर ही जाता हैं ,
.
.
बैंक ऋण
पहली पहली बार ये ,
झट पट मिल जाता हैं ,
क्यों की अन्दर की बात ,
समझ में ना आता हैं…
ContinueAdded by Rash Bihari Ravi on October 15, 2011 at 11:30am — 2 Comments
Added by Abhinav Arun on October 15, 2011 at 10:50am — 4 Comments
कंधे पर मेरे एक अज़ीब सा लिजलिजा चेहरा उग आया है.. .
गोया सलवटों पड़ी चादर पड़ी हो, जहाँ --
करवटें बदलती लाचारी टूट-टूट कर रोती रहती है चुपचाप.
निठल्ले आईने पर
सिर्फ़ धूल की परत ही नहीं होती.. भुतहा आवाज़ों की आड़ी-तिरछी लहरदार रेखाएँ भी होती हैं
जिन्हें स्मृतियों की चीटियों ने अपनी बे-थकी आवारग़ी में बना रखी होती हैं
उन चीटियों को इन आईनों पर चलने से कोई कभी रोक पाया है क्या आजतक?..
…
Added by Saurabh Pandey on October 15, 2011 at 9:30am — 20 Comments
कैसा असर दोस्तों?
Added by AVINASH S BAGDE on October 14, 2011 at 7:00pm — No Comments
Added by Shashi Mehra on October 14, 2011 at 10:01am — 1 Comment
पहले मैं अपने पुराने दिनों की याद ताजा कर लेता हूं। जब हम स्कूल में पढ़ा करते थे, उस दौरान शिक्षक हमें यही कहते थे कि प्रधानमंत्री बनोगे तो क्या करोगे ? इस समय मन में बड़े-बड़े सपने होते थे। उस सपने को पाले बैठे, अपन आज बचपन से जवानी की दहलीज में पहुंच गए हैं। हम जैसे देश में न जाने कितने, यह सपना देखते हैं, लेकिन खुली आंख से सपना कहां पूरा होता है ? ये अलग बात है कि कई बार ऐसा होता है, जब व्यक्ति सपना तक ही नहीं देखा रहता और प्रधानमंत्री बन जाता है। बिन मांगे मुराद मिल जाती है और जीवन की…
ContinueAdded by rajkumar sahu on October 14, 2011 at 12:11am — No Comments
अब तो यथार्थ बन आ जाये
उसको पाकर जीवन मे मेरा
मन हर्षित, पुलकित हो जाए
स्वेत वर्ण और केश स्वर्ण हो,
जो देखे चकरा जाये |
सुंदर, कोमल, मधुर, कर्णप्रिय
बोले तो…
Added by Vikram Srivastava on October 13, 2011 at 6:00pm — 12 Comments
क़लम रुक रही है बहर खो रही है,
खड़ी है मुसलसल गज़ल रो रही है।
मुझे यूं ग़ज़ल से मुखातिब कराया,
तरन्नुम से मेरा जहाँ जगमगाया,…
Added by इमरान खान on October 13, 2011 at 11:31am — 5 Comments
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