2212 1211 2212 12
जिसको हुआ गुमाँ कि 'ख़ुदा' हो गया है वो
रुस्वाई के भंवर में तो ख़ुद जा गिरा है वो
अच्छा भला था 'ख़ुल्द' में 'इब्लीस' हो गया
झूठी अना की शान को मुन्किर हुआ है वो
हद से ज़ियाद: ख़ुद पे भरोसे का ये हुआ
थूका जो आस्मान पे मुँह पर गिरा है वो
मिट्टी जो फेंकी चाँद पे मैला नहीं हुआ
करनी पे अपनी ख़ुद ही तो शर्मा रहा है वो
थोड़ी सी धूप के लिये था जो रवाँ-दवाँ
सूरज को ले के…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 17, 2022 at 11:38am — 9 Comments
1222 1222 1222 1222
हर इक दिन इन फ़ज़ाओं में नई अल्बम लगाता है
कोई तो है हरी सी घास पर शबनम लगाता है
कहीं सुनता नहीं महफ़िल में भी अब दर्द ए दिल कोई
किसे आवाज वीराने में तू हमदम लगाता है
अज़ब है वाक़िया या रब अज़ब साकी मिला दिल को
नमक ज़ख़्मों पे दिल के किस क़दर पैहम लगाता है
धुआँ होकर निकलती हैं ये साँसें दिल के अंदर से
किसी की याद में दिल दम व दम फिर दम लगाता…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on January 15, 2022 at 3:00pm — No Comments
आया है जन पर्व जो, मकर संक्रांति आज।
गंगा तट पर सब जुटे, छोड़ सकारे काज।१।
*
आज उत्तरायण हो चले, मकर राशि पर सूर्य।
हर घाट शंखनाद अब, बजता चहुँदिश तूर्य।२।
*
निशा घटे बढ़ते दिवस, बढ़ता सूर्य प्रकाश।
भर देते हैं इस दिवस, कनकौवे आकाश।३।
*
विविध प्रांत, भाषा यहाँ, भारत देश विशाल।
विविध पर्व भी हैं मगर, मनें सनातन चाल।४।
*
गंगा में डुबकी लगा, करते हैं सब स्नान।
करते पाने पुण्य फिर, अन्न धन्न का दान।५।
*
कहो मकर संक्रांत…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 14, 2022 at 10:39am — 3 Comments
1222 - 1222 - 1222 - 1222
हँसी में उनकी हमने वो छुपा ख़ंजर नहीं देखा
हसीं मंज़र ही देखा था पस-ए-मंज़र नहीं देखा
वो जैसा उनको देखा है कोई दिलबर नहीं देखा
हसीं तो ख़ूब देखे हैं रुख़-ए-अनवर नहीं देखा
ज़माने में कहीं तुम सा कोई ख़ुद-सर नहीं देखा
सितमगर तो कई देखे मगर दिलबर नहीं देखा
वो मेरे ज़ाहिरी ज़ख़्मों को मुझसे पूछते हैं क्या
दिवानों ने कभी दिल में चुभा नश्तर नहीं देखा
जो कहते थे…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 13, 2022 at 6:03pm — 8 Comments
इस जग में दाता बता .....दोहे
इस जग में दाता बता, कोई ऐसा तीर ।
बहता हो जिस तीर पर, बिना दर्द का नीर ।।
इस जग में दाता बता, कोई ऐसा तीर ।
मिल जाए जिस घाट पर, सुख का थोड़ा नीर ।।
इस जग में दाता बता, कोई ऐसा तीर ।
मिट जाए जिस तीर पर, जग की सारी पीर ।।
इस जग में दाता बता, कोई ऐसा तीर ।
राँझे से आकर मिले, उसकी बिछुड़ी हीर ।।
इस जग में दाता बता, कोई ऐसा तीर ।
जहाँ बने बिगड़ी हुई, बन्दों की तकदीर…
Added by Sushil Sarna on January 13, 2022 at 1:12pm — 1 Comment
2122 2122 212
आख़िरश वो जिसकी ख़ातिर सर गया
इश्क़ था सो बे वफ़ाई कर गया
आरज़ू-ए-इश्क़ दिल में रह गई
जुस्तजू-ए-इश्क़ से दिल भर गया
दिल की दुनिया दर्द का बाजार है
दर-ब-दर…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on January 13, 2022 at 12:30pm — 6 Comments
.
कहीं ये उन के मुख़ालिफ़ की कोई चाल न हो
सो चाहते हैं कि उन से कोई सवाल न हो.
.
कोई फ़िराक़ न हो और कोई विसाल न हो
उठे वो मौज कि अपना हमें ख़याल न हो.
.
तेरी तलब में हमें वो मक़ाम पाना है
कि लुट भी जाएँ तो लुट जाने का मलाल न हो.
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हमें सफ़र जो ये बख़्शा है क्या बने इसका
न हो उरूज अगर इस में या ज़वाल न हो.
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बशर न हो तो ख़ुदा भी न हो जहाँ में कोई
न हो जहाँ में ख़ुदा तो कोई वबाल न हो.
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मैं चाहता हूँ ये दुनिया वहाँ…
Added by Nilesh Shevgaonkar on January 12, 2022 at 9:00am — 4 Comments
1222 1222 1222 1222
लिखें हिंदी कहें हिंदी पढ़ें हिंदी जहाँ हिंदी
अगर है हिंद की संतान फिर बोले यहाँ हिंदी
बताता छंद चौपाई है पिंगल शास्त्र अपना क्या
हमारे देश की यह मात्र भाषा है रवाँ हिंदी
सिखाया पाठशाला में है इसकी संस्कृत जननी
वतन का नाम हिंदोस्तान हमारा कारवाँ हिंदी
यही है ध्येय चारो ओर इसका ध्वज भी लहराये
हमारे देश के हर प्रांत में गूंजे सदाँ हिंदी
न शर्मायें विदेशों में कभी हिंदी अगर…
ContinueAdded by Deepanjali Dubey on January 10, 2022 at 4:30am — 2 Comments
मेरे पिता मेरा गर्व - लघुकथा -
सुरेखा जी समाज शास्त्र की अध्यापिका होने के कारण सातवीं कक्षा के बच्चों को "सामाजिक स्तर" क्या होता है। इस विषय पर पढ़ा रहीं थीं। कुछ छात्र सही तौर पर समझ नहीं पा रहे थे। अतः सुरेखा जी ने सभी छात्रों को…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on January 8, 2022 at 1:00pm — 6 Comments
मैं पुलिस हूँ
मैं पुलिस हूँ, मित्र हूँ
मैं आपका ही प्यार हूँ
आपकी खातिर खड़ा हूँ
आपका अधिकार हूँ
मैं पुलिस हूँ
शपथ सेवा की उठाया हूँ करूँगा आमरण
धीर साहस के लिए मैंने किया वर्दी-वरण
जुल्म-अत्याचार से चाहे प्रकृति की मार से
रात-दिन रक्षा करूँगा आपका बन आवरण
मैं अहर्निश कमर कसकर
वेदना में भी विहँसकर
कर्म को तैयार हूँ
मैं पुलिस हूँ
मैं पुलिस…
ContinueAdded by आशीष यादव on January 5, 2022 at 9:23am — 4 Comments
रह कर अपनी मौज में, बहना नित चुपचाप
सीख सिन्धु से सीख ये, जीवन पथ को नाप।।
*
जन सम्मुख जो दे रहे, आपस में अभिशाप
सत्ता को करते मगर, वो ही भरत मिलाप।।
*
शासन भर देते रहे, जनता को सन्ताप
सत्ता बाहर बैठ अब, करते बहुत विलाप।।
*
बचपन से ही बन रहे, जो गुण्डों की खाप
राजनीति की छाँव में, रहे नोट नित छाप।।
*
दुख वाले घर द्वार पर, सुख देता जब थाप
उड़ जाते हैं सत्य है, बनकर आँसू भाप।।
*
कह लो चाहे तो बुरा, चाहे अच्छा…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 4, 2022 at 8:47pm — 8 Comments
212 212 212
1
जाने क्यों इश्क़ के पेच ओ ख़म
ज़ेह्न वालों को भाते हैं कम
2
उनके सर की उठा कर क़सम
हम महब्बत का भरते हैं दम
3
मुस्कुरातीं हैं सब चूड़ियाँ
जब सँवारें वो ज़ुल्फ़ों के ख़म
4
जब जी चाहे बुला लेते हैं
करके पायल की छम-छम सनम
5
होंगे दिन रात मधुमास से
जब भी पहलू में बैठेंगे हम
6
जाएँ जब उनकी आग़ोश में
रौशनी शम्अ की करना कम
7
एक पल में ही मर…
ContinueAdded by Rachna Bhatia on January 2, 2022 at 1:01pm — 6 Comments
एक साथ यदि सारी दुनिया
क्वारन्टाइन हो जाए
सदा सर्वदा दूर संक्रमण
जग से निश्चित ही जाए
प्रलयंकारी अस्त्र-शस्त्र
ग़र सभी साथ में नष्ट करें
सारे देश सम्मुनत, हर्षित
सर्व सुखों का भोग करें
वन उपवन से प्रकृति सुसज्जित
मानव का कल्याण करे
नित नवीन होता परिवर्तन
सुखद, सात्विक मोद भरे
सकल विश्व का मंगल तय तब
चँहु दिशि व्यापे खुशहाली
सुन्दर पर कल्पित, सपना है
यह पुलाव तो है…
ContinueAdded by Usha Awasthi on January 2, 2022 at 11:31am — 3 Comments
विछोह मुझे मिलन लगता है.....!
जीना मुझे यज्ञ में आहुति
मरना गंगा जल लगता है
जब से होठ, छुए होठों से,
गाँव गुमा शहर वो लगता है
विछोह मुझे मिलन लगता है !
अथाह गहरा है समन्दर वो
मगर मोती सीप रहता है
पालनहार जानता सब कुछ,
रू में उसकी वो खुद रहता है
विछोह मुझे मिलन लगता है !
ग़ज़ल मुझे बाँसुरी कान्हा की
दिल वो अलगोझा लगता है
तेरे मेरे बोझ दुखों …
ContinueAdded by Chetan Prakash on January 1, 2022 at 12:23pm — No Comments
सबसे पहले आपको नाथ नवाता शीश
यही याचना, आपका मिलता रहे आशीष
जीवन मे उत्थान दे मंगलमय नव-वर्ष
नए साल में छूइए नए-नए उत्कर्ष
शुभकामना स्वीकारिये मेरी भी श्रीमान
शुक्ल पक्ष के चाँद सी बढ़े आपकी शान
जैसे इस ब्रम्हांड का नही आदि ना अंत
वैसे ही श्रीमान को खुशियाँ मिलें अनंत
धन-सम्पत से युक्त हों लोभ-मोह से हीन
उनको भी उद्धारिये जो हैं दीन-मलीन
मौलिक एवं अप्रकाशित
आशीष यादव
Added by आशीष यादव on January 1, 2022 at 9:05am — 7 Comments
नए साल की आमद पर तुझ को
क्या तुहफ़ा पेश करूँ ऐ दोस्त
ये दिल तो सदा से तेरा है
अब जान भी तेरी हुई ऐ दोस्त
हर साल के हर नए माह तुझे
ख़ुशियों का नया पैग़ाम मिले
हर दिन के हर लम्हे तुझसे
ग़म कोसों दूर रहे ए दोस्त
नाकामी किसे कहते हैं भला
तुझको न रहे कुछ इसकी ख़बर
थम जाएं कहीं जो तेरे क़दम
ख़ुद आए वहां मंज़िल ए दोस्त
"मौलिक व अप्रकाशित"
Added by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 1, 2022 at 12:00am — 4 Comments
खूब आशीष दो रब नये वर्ष में
सिर्फ सुख में रहें सब नये वर्ष में/१
*
सुन जिसे पीर मन की स्वयं ही हरे
गीत ऐसा लिखें अब नये वर्ष में/२
*
छोड़कर द्वेष बाँटें सभी में सहज
प्रेम की सीख मजहब नये वर्ष में/३
*
नीति ऐसी बने जिससे आगे न हो
बन्द कोई भी मकतब नये वर्ष में/४
*
काम आये यहाँ और के आदमी
सिर्फ साधे न मतलब नये वर्ष में/५
*
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 31, 2021 at 10:39am — 2 Comments
छोटी सी पुकार
क़ि छोटा सा एक नीड़ है
मेरी अमानत
इस पर नज़र रखना…
Added by amita tiwari on December 30, 2021 at 11:30pm — No Comments
आज
काश ! सलाह दे पाऊँ
दीवार को
कि बाहों में भर
फुसफुसा ले
सुना ले सारी दिल की बातें
कर ले सारे गिले शिकवे शिकायतें
ठंडी साँसों को और गहराले
कर ले कलेजे का लिहाज़
कि कहाँ अब बाकि हफ़्ते दिन रैन
घड़ी दो घड़ी की भी क्या बिसात
कि बस सीने से चस्पाँ कलेंडर
इतिहास हो जाने को है
काल क़ा चक्र एहसास हो जाने को है
जी चाहता है
स्मरण दिला दूँ
दीवार को
क़ि ये भी…
ContinueAdded by amita tiwari on December 30, 2021 at 11:30pm — 1 Comment
1222 1222 1222 122
किसी की बेरुख़ी है या सनम हालात का दुख
परेशां हूँ हुआ है अब तुझे किस बात का दुख
तुम्हें तो पड़ गई हैं आदतें सी रतजगों की
तुम्हें क्या फ़र्क़ पड़ता बढ़ रहा जो रात का दुख
जमाती सर्दियाँ, फुटपाथ का घर, पेट ख़ाली
उन्हें सोने नहीं देता कई हालात का दुख
भिंगोते रात का आँचल बशर अपने ग़मों से…
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 30, 2021 at 11:00am — 5 Comments
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