Added by sanjiv verma 'salil' on December 13, 2010 at 2:07am — 3 Comments
ग़ज़ल
आ जाओ हमारी बांहों में, कुछ प्यार मोहब्बत हो जाये |
ये प्यार इबादत होता है, आओ ये इबादत हो जाये ||
दुनिया से भला क्या घबराना, जलता है कोई तो जलने दो.
आ जाओ मिला लें दिल से दिल, दुनिया से…
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 13, 2010 at 12:30am — 1 Comment
महल्ला का गुंडा , देश का गुंडा , दुनिया का गुंडा .
देश की सीमा कि तरह गुंडो का भी अधिकार क्षेत्र होता है। जैसे महल्ले का गुंडा ,…
Added by madan kumar tiwary on December 12, 2010 at 10:00pm — No Comments
अवकलन समाकलन
फलन हो या चलन-कलन
हरेक ही समीकरन
के हल में तू ही आ मिली
घुली थी अम्ल क्षार में
विलायकों के जार में
हर इक लवण के सार में
तु ही सदा घुली मिली
घनत्व के महत्व में
गुरुत्व के प्रभुत्व में
हर एक मूल तत्व में
तु ही सदा बसी मिली
थीं ताप में थीं भाप में
थीं व्यास में थीं चाप में
हो तौल या कि माप में
सदा तु ही मुझे मिली
तुझे ही मैंने था पढ़ा
तेरे सहारे ही बढ़ा
हुँ आज भी वहीं खड़ा
जहाँ मुझे थी तू…
Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 12, 2010 at 6:33pm — 3 Comments
जब शब्द पड़ गए कम तो मैंने लिखना छोड़ दिया
जब आँखें न हुई नम तो मैंने लिखना छोड़ दिया
पूछा गया के तुमने महफिल में दिखना छोड़ दिया
हम बोले की हमने बिकना छोड़ दिया
न लडखडाये उस वक्त जब राहों में रुकना छोड़ दिया
उड़ने लगे जो आसमां में हम तो कदमों ने दुखना छोड़ दिया
पीते थे जिस जाम में उस जाम को मैंने तोड़ दिया
लिखते लिखते लिख पड़ी कलम के मैंने लिखना छोड़ दिया
Added by Bhasker Agrawal on December 12, 2010 at 4:31pm — 2 Comments
ग़ज़ल
महबूब मेरे सूरत तेरी, मुझे इतनी प्यारी लगती है |
सौ जन्मों से भी पहले की, तेरी - मेरी यारी लगती है ||
तेरा प्यार मेरी रग़ - रग़ में बसा है, बन के नशा हमराज़ मेरे,
एक पल की भी तन्हाई मुझे, कातिल …
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 12, 2010 at 1:30pm — No Comments
ग़ज़ल
छोटे से दिल में दुनिया का, दर्द छुपाये फिरता हूँ |
आंसू के फूलों से अपनी, लाश सजाए फिरता हूँ ||
अपना बनकर दिल को लूटना, है दस्तूर ज़माने का,
मैं ऐसे ही कुछ रिश्तों पे, खुद को लुटाये फिरता हूँ…
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 12, 2010 at 1:00pm — 1 Comment
ग़ज़ल
हर पल दिल ने तुझे पुकारा है यूँ अय हमराज़ मेरे |
भींग गए हैं रोते-रोते आंसू से हर साज़ मेरे ||
जी करता है - इन रश्मों की दीवारों से लड़ जाऊं,…
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 12, 2010 at 12:30pm — 1 Comment
ग़ज़ल
मित्रों , हमें ज्ञान का दीपक घर-घर आज जलाना होगा |
भटक गयी है जो मानवता , उसको राह दिखाना होगा ||
दिल से दिल को आज जोड़ना होगा हमको आगे बढ़कर,…
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 12, 2010 at 2:00am — 1 Comment
ग़ज़ल
यारों , पापों के हिंडोले की यह डोली बहुत बुरी है |
होली खेलो मगर खून की होली यारों बहुत बुरी है ||
तन से मानव बहुत मिलेंगे पर तुम बनना मन से मानव,
गोली बनो दवा की …
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 12, 2010 at 1:30am — 2 Comments
हवाई जहाज को
दुनिया और ख़ासकर शहर
बड़े खूबसूरत नजर आते हैं
सपाट चमचमाती सड़कों से उड़ना
रुई के गोलों जैसे
सफेद बादलों के पार जाना
हर समय चमचमाते हुए
हवाई अड्डों पर उतरना या खड़े रहना
दरअसल
असली दुनिया क्या होती है
हवाई जहाज
ये जानता ही नहीं
वो अपना सारा जीवन
असली दुनिया से दूर
सपनों की चमकीली दुनिया में ही बिता देता है
हवाई जहाज भी क्या करे
उसका निर्माण किया ही गया है
सपनों की दुनिया में रहने के लिए
वो रिक्शे या साइकिल…
Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 11, 2010 at 8:20pm — 1 Comment
आँखों में तुम बसे हो ऐसे ..
कोई अधुरा ख्वाब हो जैसे !
वो तुम्हारा कुछ पलों का साथ
और उन पलों में तुम्हारा असीमित प्यार
तमाम उम्र के लिए अपनी पलकों में
कैद कर के रख लिया ...
वो हसीन से लम्हे
शरीर से लम्हे .
जिन लम्हों को तुम संग जिया
सम्हाल के उनको रख लिया ...
न जाने क्या बात हुई
खफा हो गए मुझसे तुम
यूँ मुंह फेरे बैठे हो
'जैसे'
मैं 'हूँ' , कोई बीता हुआ पल
कोई गुजरा…
ContinueAdded by Anita Maurya on December 11, 2010 at 4:25pm — 4 Comments
बड़े भोले हम भारत वासी ,
जादू तो हमपे चल जाता हैं ,
कोई लूटे लाखो काटे चाँदी ,
मेहरबानी हम कर जाते हैं ,
ये सब हुई अब पुरानी बाते ,
खुल रही हैं अब अपनी आँखे ,
अब चोरो को मार भगायेंगे ,
जो कम करेंगे आगे जायेंगे ,
वो भी अब ना बच पायेंगे ,
जो बने उनका रहम वाली ,
बड़े भोले हम भारत वासी ,
अब जो भी लूट मचाएगा ,
वो एक दिन पकड़ा जायेगा ,
उसकी कुशल नही अब यारो ,
कानून अपना चक्कर चलाएगा ,
जो कानून को धोखा दे जाये ,
तब गुरु…
Added by Rash Bihari Ravi on December 11, 2010 at 11:30am — 2 Comments
Added by Lata R.Ojha on December 11, 2010 at 2:00am — 2 Comments
Added by Sudhir Sharma on December 10, 2010 at 11:19pm — 4 Comments
ग़ज़ल
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 10, 2010 at 9:00pm — 1 Comment
कविता :- हमें माफ करना स्वस्तिका
हमें माफ करना स्वस्तिका
हमने भुला दी है इंसान होने की संवेदना
अब हमें तुम्हारे…
ContinueAdded by Abhinav Arun on December 10, 2010 at 4:51pm — 14 Comments
आँखों में सपने सजाये हुए - सजाये हुए ,
आज द्वार पे तेरे हम आये हुए ,
दरस तू देदे एक झलक दिखा दे ,
मन की अर्ज यार पूरा तू कर दे ,
सच आँखों में सूरत बसाये हुए - बसाये हुए ,
आँखों में सपने सजाये हुए - सजाये हुए ,
तुमसे ही जीवन ये पार लगेगी ,
तेरे ही चाहत में जीवन कटेगी ,
तू तो साथी मेरे सुख दुःख के यारा ,
रखूँगा पलकों में छुपाये हुए - छुपाये हुए ,
आँखों में सपने सजाये हुए - सजाये हुए ,
Added by Rash Bihari Ravi on December 10, 2010 at 4:16pm — 1 Comment
Added by Deepak Sharma Kuluvi on December 10, 2010 at 3:00pm — 1 Comment
तेरा रूप गोरी मनमोहक ,
मेरे मन को बहकाये ,
मैं दूर ना रहना चाहूँ ,
ये पास मुझे ले आये ,
तेरी बाते अच्छी लगती हैं ,
ये मन को चहकाये ,
तेरा रूप गोरी मनमोहक ,
मेरे मन को बहकाये ,
चलना चाहूँ साथ तेरे ,
रहे हाथो में तेरा हाथ मेरे ,
होती रहे दिलकश बाते ,
आँख यूं ही मुस्काये ,
तेरा रूप गोरी मनमोहक ,
मेरे मन को बहकाये ,
इस जहाँ में तेरे सिवा ,
कोई नहीं हैं मेरे लिए ,…
Added by Rash Bihari Ravi on December 10, 2010 at 1:30pm — 2 Comments
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