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शांति आदमी के कमजोर बना देला ,

शांति आदमी के कमजोर बना देला ,
शक्ति इन्सान के सैतान बना देला ,
अगर सम्पति पाके जे संभल गइल ,
ओकर स्वरुप भगवान के रूप होला .
सैयम के संगे सादगी ता सफलता मिली ,
आउर समृधि अपने आप होई ,
त संस्कार खिली ,
जब स्वास्थ बढ़िया रही त सन्मान मिली ,
आउर सरस्वती जहा रहिआन ,
त उहा स्नेह मिलबे करी ,
जब सनेह मिली ता उहा शांति रही ,
ता रौआ जानते बानी ,
शांति आदमी के कमजोर बना देला ,

Added by Rash Bihari Ravi on April 1, 2010 at 6:59pm — 5 Comments

जीवन हमार लेके आइल बहार ,

जीवन हमार लेके आइल बहार ,
हमारा तोहरा से प्यार हो गइल,
नाही रतिया के नींद ,
नाही दिन के करार ,
इ ता जीवन हो गइल तोहर,
हमारा तोहरा से प्यार हो गइल,
जेने देखि ओने तुही दिखेलु ,
मनवा पे हमारा तू राज करेलू ,
लगे आवेलु आवे ला बहार ,
हमारा तोहरा से प्यार हो गइल,
सपना में तुही खुली अखीया में तुही ,
हर दम हमारा बतिया में तुही ,
दूर जालू ता तरपे मन हमार ,
हमारा तोहरा से प्यार हो गइल,

Added by Rash Bihari Ravi on April 1, 2010 at 6:40pm — 5 Comments

जे जीवन से खुबे कईलास प्यार ,

जे जीवन से खुबे कईलास प्यार ,

ओकर जीवन बेकार हो गईल ,



ये भरम में त मत रहा इयर ,

की इ जीवन हमर हो गईल ,



चाहे जेतना तू पाउडर लगाला ,

आई बुढ़ापा सूरत बेकार हो गईल ,



कबो माई बाबूजी कबो भाई भौजाई ,

पत्नी आउर बचवान पर मनवा हेराइल ,



जवानी बितावाला तू मस्ती में ईयार ,

लागल जीवन साकार हो गइल ,



जे परभू के चरण में दिनवा बितावल ,

उहो ता भव सागर पर हो गइल ,



अब का पछताई करबा त ईयार ,

सारी उमर जब पार हो गइल… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on April 1, 2010 at 5:20pm — 6 Comments

बाह रे भगवान तहार अजबे बा माया ,

बाह रे भगवान तहार अजबे बा माया ,

कही बाटे धुप त कही बाटे छाया ,

जेकरा लागे बाटे,

ओके खूब देत बारs ,

जेकरा लागे नइखे ,

ओकर पेटो ना भरत बारs ,

बाह रे भगवान तहार अजबे बा माया ,

कही बाटे धुप त कही बाटे छाया ,

जेकरा लागे पाईसा बा ,

उ भगवान के जइसन बा

तहरे अइसन इहो ,

अब कम त करत बा ,

जेकरा लागे बाटे ,

ओकरे के पूछत बा ,

जेकरा लागे नइखे ,

ओके दूर से नमस्कार ,

बाह रे भगवान तहार अजबे बा माया ,

कही बाटे धुप त कही बाटे… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on March 31, 2010 at 4:11pm — 4 Comments

दोस्त बनाई किस्मत चमकाई,

( इ कविता बा हमारा उ सब भाई लोग खातीर जे एड देख के दोस्ती करे ला लोग ओ

लोग के सावधान करे खातीर अंत में जिगोलो सब्द आइल बा जिगोलो मर्द बेस्या के

कहल जाला धन्यवाद राउर आपन रवी कुमार गिरी गुरु )



दोस्त बनाई किस्मत चमकाई,

अइसन एड अक्सर ,

न्यूज़ पेपर में आवे ला ,

जवन मन के भावे ला ,

भईया इ मन भावन एड से ,

रहीआ दुरी बनाई ,

इ किस्मत ना चमकाई ,

एक जाना इ एड के देखी ,

दिहले फोन मिलाई ,

दूसरा तरफ से आवाज ,

खनखनात महिला के आइल… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on March 31, 2010 at 2:26pm — 4 Comments

"एक था और एक थी"

This poem is not written by me......This is my one of favourite poem

एक था’…

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Added by Raju on March 31, 2010 at 1:57pm — 4 Comments

अइसन तू दिहलू ग़म प्यार में

अइसन तू दिहलू ग़म प्यार में हमके सनम
जीयल अब जाई ना बिन तोहरा…
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Added by PREETAM TIWARY(PREET) on March 31, 2010 at 11:04am — 8 Comments


मुख्य प्रबंधक
-माई तनिक बतावS मोहे, का हो गईल हमसे कसूर.

आज रात के बात, पुरी तरह से बावे याद,

एक छोटी सी,नन्ही सी, प्यारी सी गुड़िया,

करत रहल बहुत ही कातर गुहार,

माई तनिक बतावS मोहे, का हो गईल हमसे कसूर,

दुनिया मे आवे से पहिले, कईल चाहेलू तू अपना से दूर,



तोहरे खून से सिचिंत बानी, तोहरे हई हम त अंश,

अपने हाथ से अपना के मिटा के, कईसे सहबू इ पाप के दंश,

अपने से ही बनावल गुड़िया, कईसे देबू हपने से तूर,

माई तनिक बतावS मोहे, का हो गईल हमसे कसूर,

दुनिया मे आवे से पहिले, कईल चाहेलू तू अपना से दूर,…

Continue

Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 30, 2010 at 2:30pm — 7 Comments

पहल

परिँदे बोलते नहीँ हैँ, लेकिन महसूस तो करते ही हैँ। इन्सान कुछ कहना चाहे तो उसके पास जुबान है किन्तु इन के पास नहीँ हैँ।इस गर्मी मे इन पंक्षीयो का प्यास से बुरा हाल हो रहा हैं। हमने तो धीरे-धीरे इनका प्राकृतिक जल स्रोत नष्ट कर दिया। ये बेचारे प्यास से मर रहे हैँ। आइये हम और आप मिलकर इनके लिये अपने छत पे, बालकनी मे, अहाते मे इनके लिए दाना-पानी रखे।इसमे अपना क्या जाता है। कवी जी ने सही लिखा है-
राम जी के चिरइ, राम जी के खेत।
खा ले चिरइ भर-भर पेट।।

Added by Mahesh Jee on March 29, 2010 at 10:02pm — 5 Comments

"माई के तुलना ना हो सकेला"

माई हिमालय से भी…

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Added by Raju on March 29, 2010 at 7:53pm — 7 Comments

जय हो ,

जय हो ,

अइसन दिन देखि आइल ,

लोगवा बा भकुआइल ,

सुप्रीम कोर्ट के हम का बोली ,

जज के सरम ना आइल ,

जय हो ,

चोरी छिपे जे मिळत रहे ,

छुट के मिळत बाटे ,

सब कोई के सामने अब ,

संगे रात बितावत बाटे,

सरम के इ ता घोर के पि गइल,

कहत बा कोर्ट के आर्डर बाटे ,

जय हो ,

बाबु जी से बेटी बोली ,

फलना के हम चाही ले ,

राजी हो जा बाबु जी ,

ओकरा संगे रात बिताइले ,

कवनो इ गलत नइखे ,

कोर्ट से सुनत बनी ,

जय हो ,

अइसन दिन आ… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on March 29, 2010 at 5:00pm — 3 Comments

हर पल हसणे वाले को,खुद हसणे का भी वक़्त नही

हर खुशी है लोगो के दामन मे,

पर एक हसी के लिए वक़्त नही,

दिन रात दौड़ती दुनिया मे,

ज़िंदगी के लिए वक़्त नही,



माँ की लॉरी का एहसास तो है,

पर माँ को माँ कहने का वक़्त नही,

सारे रिश्तो को तो हम मार चुके,

उन्हे दफ़नाने का भी वक़्त नही,



सारे नाम मोबाइल मे हैं,

लेकिन दोस्ती के लिए वक़्त नही,

दिल है गम से भरा हुआ,

पर रोने का भी वक़्त नही,



पैसे की दौड़ मे ऐसे दौड़े,

की थकने का भी वक़्त नही,

पराए एहसासो की क्या कद्र…
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Added by PREETAM TIWARY(PREET) on March 29, 2010 at 9:10am — 2 Comments

जिन्दगी की दास्तान

अपने इच्छाओँ का त्याग करके,

अपने आप को संभाला हमनेँ।

फिर भी शान्ति नही रहती है,

अपने आप से पूछा हमनेँ।

क्यो होती है किसी की शान्ति मे विघ्न?

क्या ये उचित है जो कर रहा हू मैं?

बेचैन हो उठता हूँ पागल सा लक्षण,

कराह रहा होता हू,

अकेले मे जब होता हू…

Continue

Added by Mahesh Jee on March 28, 2010 at 11:00pm — 5 Comments

"जिन्दगी"

जिन्दगी कबो दुख के धुप ,त…

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Added by Raju on March 28, 2010 at 8:00pm — 6 Comments

हे भगवन तू कईसन दिन दिखावाला ,

हे भगवन तू कईसन दिन दिखावाला ,

आज से बीस साल पाहिले बबुनी जनमली ,

दहेज़ के बात होत रहे हजार में ,

ओ घरी इंजिनियर डाक्टर कलक्टर ,

मिळत रहले चालीस पचास हजार में ,

हमहू सोचनी बैंक में पैसा ,

बीस साल में होई आठ गुना ,

लाईकानो के भाव बढ़ी लउकत बा नमूना ,

ता हम ओ घरी सतर हजार जमा करवानी ,

एही साल पाच लाख साठ हजार पावनी ,

बाकिर इ कम पर गइल,

ऊपर वाला लेकन के भाव ,

बीस लाख के ऊपर चल गइल ,

जवान हमारा लगे पैसा रहे ,

ऊपर से महंगाई के मार… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on March 27, 2010 at 7:22pm — 3 Comments

लोग कहे ला नारी , सब के ऊपर भारी ,

लोग कहे ला नारी ,

सब के ऊपर भारी ,

उनका के उ ना समझले ,

जे रहले अवतारी ,

लोग कहे ला नारी ,

सब के ऊपर भारी ,

कम करावे के होखे ता ,

रूप के जादू जाने ली ,

अलग अलग रूप में इ ,

अपना के ऊपर माने ली ,

बहिन बन के खूब खेलावास ,

माई बारी इ दुःख हारी ,

लोग कहे ला नारी ,

सब के ऊपर भारी ,

मेहरी बन के आवेली ,

मनवा के लोभावे ली ,

इ चाहिआं त जनम सार्थक ,

न त नरक बनावे ली ,

कही कही बारी कलंकनी ,

कही मनो हारी… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on March 26, 2010 at 7:30pm — 2 Comments

आइये अब करे देहात दर्शन





धान के दवनी…

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Added by Ratnesh Raman Pathak on March 26, 2010 at 1:03am — 11 Comments

कभी नहीं भूलेंगे २०१० की बिहार दिवस

सूबे में तीन दिनों से मनाया जा रहा बिहार दिवस भली बहती संपन्न हो गया .

बेहद ही रोचक और अनूठे ढंग से bihar दिवस मनाया गया.आइये प्रकाश डालते है बिहार दिवस में क्या -क्या ख़ास रहा !

सफाई को लेकर प्रशासन की पहल !

पटना जिला प्रशासन ने बिहार दिवस पर राजधानी आने वाले अतिथियों की सेवा सौजन्यता के साथ करने की तैयारी की है। सड़कों की सफाई, पेयजल आपूर्ति, सुरक्षा के प्रबंध के बीच हवाई अड्डा और रेलवे स्टेशन पर आगंतुकों के स्वागत का प्रबंध किया गया है। समारोह स्थल पर जिला नियंत्रण… Continue

Added by Ratnesh Raman Pathak on March 25, 2010 at 3:50pm — 2 Comments

बिहार बिकाश आउर एकर मज़बूरी ,

बिहार बिकाश आउर एकर मज़बूरी ,

का कही एकर मज़बूरी ,

हर दम इ मजबुर रहे,

नेता एकरा मिलले अइसन ,

जाती से सराबोर रहे ,

एकर अइसन भूगोल बनल बा ,

जाती आउर छेत्रन के नाते ,

कही भोजपुरी कही मगह बा ,

कोई मौथली बोलत बाटे ,

ऊपर से मिले घाव पे नमक ,

एकर अपने बनल बा दीमक ,

दिल्ली वाला बारे चलाक ,

एक भाई के कईले पास ,

आपस में इ साथ ना दिहन ,

एकर माजा उ काहे ना लिहन,

जाती बाद बा एकर धुरी ,

बिहार के बाटे इ मज़बूरी ,

मगह मैथली ना… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on March 22, 2010 at 4:45pm — 3 Comments

इलाज का इन्तजार आज भी है ,,,,



मुझे मालूम था,

उसे पा न सकूँगा,

उसे न पाने की कसक,

दिल में आज भी है ,,,

जमाना गुजर गया,,,,

पीढियां बदल गयी,

मुहाबत की गलियों में,

दिल बेकरार आज भी है,,,,,

मेरी तनहा ज़िन्दगी,

उनकी तनहा यादें,

सदियों की रुसवाई में,

दिल रुखसार आज भी है,,,

दिल नादाँ था बेवकूफ नहीं ,,

हार बैठा काँटों के झंझावतों में,

बचने का आसरा ही नहीं,

मगर दूर दरिया के पार,,

दिखती पतवार आज भी है,,,,,

मुझे उनकी सादगी पसंद थी,,

उन्हें…
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Added by ABHISHEK TIWARI on March 21, 2010 at 10:00pm — 7 Comments

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