कभी कभी
शब्दो के साथ
खेलने वाले ही
भूल जाते हैं
शब्दो की बाजीगरी
रात-दिन जो
रहते हैं शब्दो के बीच
कभी कभी उनको ही
नही मिलते शब्द
कहने को अपनी बात
जाहिर करने को
अपने जज्बात ....
ऐसा लगता है मानो
रूठ गया हो खुदा भी हमसे
उनकी ही तरह
जैसे वो रूठे हैं हमसे
सिर्फ कुछ
शब्दो के कारण …
एक ख्याल
बार-बार आता है
मन के छोटे से घर में
कि क्यों नही होता ऐसा
कि जज्बात को …
Added by Sonam Saini on December 5, 2013 at 4:30pm — 17 Comments
देख कर सावन को
आँखे भर आती हैं
क्या पता सावन भी
किसी की याद मे रोता होगा
मेरी ही तरह करता होगा
इंतज़ार किसी का ….
टूट जाने पर वादा
मेरी ही तरह रोता होगा
क्या पता सावन भी
सावन में किसी के लिए
तरसता होगा ………
करके वादा गया होगा कोई
लौट कर आऊंगा उस महीने में
जिसमे बरसात होगी ……
ऐ मेरे चाहने वाले
अब तो तुमसे
बरसात में ही मुलाक़ात होगी
टूटता होगा वादा तो
दिल भी टूट जाता होगा
दर्द के…
Added by Sonam Saini on July 28, 2013 at 11:30am — 7 Comments
तन्हा- तन्हा, चुपके चुपके
.
Added by Sonam Saini on July 8, 2013 at 9:30pm — 11 Comments
प्यासी धरती पर
Added by Sonam Saini on June 28, 2013 at 1:11pm — 12 Comments
इन चमकती आँखों का फ़साना क्या है
दबे होठो से ये मुस्कुराना क्या है
बता भी दो अब कि क्यों
कटती है रात ख्वाबो में किसी के
बिना नींद के सो जाने का ये बहाना क्या है ...…
Added by Sonam Saini on June 18, 2013 at 12:30pm — 10 Comments
ये आदत अच्छी नही तुम्हारी
मेरा दिल जलाने की
तुम्हारा ही घर जलता है
आदत से बाज आ जाओ ....
न सुनते हो न समझते हो
बिना बात के मुझ पर बरसते हो
तुम्हारा ही चैन खोता है
आदत से बाज़ आ जाओ…
Added by Sonam Saini on June 6, 2013 at 2:20pm — 16 Comments
सड़क पर पड़ी
खाली बोतल
लोग आते- जाते
ठोकर मार जाते हैं .....
और इस तरह
यहाँ से वहाँ भटकती ....
न जाने कहाँ से कहाँ
पहुँच जाती है
ये खाली बोतल…
Added by Sonam Saini on May 30, 2013 at 11:30am — 8 Comments
बंज़र होती धरती
किसान बे-हाल है
सोच रहा है इस बार भी पानी मिलेगा
मेरी फसल को या नही
या गुजरे कई सालो जैसा ही
ये साल है .........
सोच रहा है ......
क्या कम होगा .......?????…
Added by Sonam Saini on May 17, 2013 at 4:30pm — 18 Comments
तपती धुप धूप में
छाँव हो तुम
मेरे लिए
बहुत खास हो तुम
तुम्हारे एहसास भर से
दूर हो जाती है हैं मेरी…
Added by Sonam Saini on May 7, 2013 at 11:00am — 22 Comments
तेरे सपनो की कोई औकात नहीं
मेरे सपने हैं बहुत बड़े
मुझसे जब यह बात कही उसने
मेरे दिल ने बस एक बात कही......
एक बार वो लड़की बनकर तो देखे
खुद- ब- खुद समझ जायेगा मेरी मज़बूरी को
क्यों…
Added by Sonam Saini on April 17, 2013 at 10:30am — 8 Comments
मिट्टी के घरोंदे टूट गये
इंटो के महल बनाने मे
हम भूल गये संस्कृति अपनी
खुद को आधुनिक बनाने मे
पापा का प्यार न याद रहा
माँ की ममता भी भूल गये
ये बच्चे जो मशगुल हुए
खुद की पहचान बनाने में…
Added by Sonam Saini on April 9, 2013 at 3:30pm — 6 Comments
वक़्त बहता रहा
कभी पानी की तरह
कभी हवा के मानिद
हम भी बहते रहे बहाव में इसके
कभी फूल बनकर
कभी धूल बनकर .....
कब जिदगी के उस छोर से हम
इस छोर पर आ गये…
Added by Sonam Saini on April 4, 2013 at 11:30am — 7 Comments
जिन्दगी एक कठपुतली सी है
जिसकी डोर .....
वो जो ऊपर बैठा है
उसके हाथो में है
वो जो दीखता नही
मगर है तो सही .....
कोई कहता है कि
भगवान नही हैं
और कोई…
Added by Sonam Saini on March 19, 2013 at 9:30am — 7 Comments
चलो अच्छा हुआ ये भ्रम भी टुटा मेरा
वो हमे प्यार करते थे ये झूठ निकला
चलो अच्छा हुआ धोखा जो खा ही लिया
प्यार एतबार से होता है ये भी झूठ निकला
चलो अच्छा हुआ जो गम ही मेरे दामन में आया
कोशिश हमेशा कामयाब होती है ये भी झूठ निकला…
Added by Sonam Saini on March 13, 2013 at 10:08am — 14 Comments
आँखे चढ़ी -चढ़ी सी हैं
आज मेरी ......
लोग कहते हैं कि
मैंने शराब पी है .....
हाँ तेरी यादे
किसी नशे से कम भी तो नही
जब भी चढ़ता है नशा
तेरी यादो का मुझ पर
मेरी…
Added by Sonam Saini on March 8, 2013 at 3:30pm — 6 Comments
मौत भी अब तो बहाने बनाने लगी है दोस्तों
देखकर उनको ये भी नखरे दिखाने लगी है दोस्तों
हार जाना ही था शायद हिम्मत को मेरी
किस्मत भी मुझको चिढाने लगी है दोस्तों
क्या थी जिन्दगी और क्या हो गई है
रौशनी भी अब डराने लगी है दोस्तों
खो गये मेरे ख्वाब इस शहर में न जाने कहाँ
हकीक़त ही बस अब भाने लगी है दोस्तों
हो गई दोस्ती मेरी गमो से कुछ यूँ
खुशियाँ अब मुझको रुलाने लगी है दोस्तों
कहो तुम ही अब अंजाम-ए-जिन्दगी क्या हो…
Added by Sonam Saini on November 2, 2012 at 1:55pm — 12 Comments
देखते ही देखते दिन रात बदल जाते है
पल में लोग अपनी बात बदल जाते है
यूँ बदल गई आब-ओ-हवा मेरे शहर की
घर देख कर यहाँ अब ताल्लुकात बदल जाते हैं
न कर गुरुर बन्दे मेयार-ए-ख़ुद पर
कौन जाने कब किसके हालत बदल जाते हैं
रह गई है मौहब्बत की इतनी ही हकीक़त
रोज आशिको के अब जज्बात बदल जाते हैं
होती है आरजू-ए-मुकतला यहाँ सभी को
तकदीरे कभी तो कभी ख्वाहिशात बदल जाते है
क्या करें जहाँ में ऐतबार अब किसी का
जब…
Added by Sonam Saini on October 19, 2012 at 9:34am — 13 Comments
वो कॉलेज की दुनिया
दोस्तों का फ़साना
बड़ा याद आता है
कॉलेज का जमाना .........
सब दोस्तों का इंतजार करना
थोडा लेट होने पर भी
कितना झगड़ना
सुबह- सुबह पहली क्लास में
सबसे आगे पहली बेंच पर बैठना
कितना याद आता है
लास्ट लेक्चर में थ्योरी सुनते- सुनते
चुपके से सो जाना .........
वो कॉलेज की दुनिया
दोस्तों का फ़साना ..............
वो मोटी-मोटी सी किताबे
अकाउन्ट्स की भाषा
आँखों में पलते बड़े बड़े सपने
मगर फिर…
Added by Sonam Saini on October 4, 2012 at 10:44am — 10 Comments
क्या लिखूँ अब मैं
सब तो लिख दिया मैंने
अपने दिल की बाते
टूटे ख्वाबों की यादे
सब..............
क्या लिखूँ अब मैं................
सब तो लिख दिया मैंने.............................
जिन्दगी----- कल भी तो ऐसी ही थी
कुछ भी तो नही बदला
कल भी जी रहे थे बिन अपनों के हम
और आज भी तो जी ही रहे है............
कुछ भी तो नही बदला
क्या लिखूँ अब मैं......
सब तो लिख दिया मैंने..............
जब सीखा था अपने दिल को कागज़ पर…
Added by Sonam Saini on September 26, 2012 at 11:00am — 5 Comments
मेरे सपनो का भारत ऐसा तो नहीं था
इतना कमजोर , इतना खोखला
ऐसा देश तो मैंने कभी चाहा ही नही था
बाहर से जितना साफ अंदर से उतना ही गन्दा
मेरे सपनो का भारत ....................
सोचा था मैंने तो कि ये चमन खूब महकेगा
अपने परिंदों के चहकने से खूब चहकेगा
मगर ये क्या --- इसे तो इसके ही फूलो ने कांटे चुभोये
लहू देशभक्तों का बो कर भी गद्दार उगाये
मेरे सपनो का भारत ये तो नहीं था
मेरे सपनो का भारत ऐसा ......................
.
मैंने चाहा…
Added by Sonam Saini on September 10, 2012 at 9:30am — 10 Comments
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