2122 1212 22
बेसबब वह वफ़ा नहीं करते । खत मुझे यूँ लिखा नहीं करते ।।
है मुहब्बत से वास्ता कोई । उस के आँचल उड़ा नहीँ करते ।।
लूट जाते हैं जो मेरे घर को। गैर वह भी हुआ नहीं करते ।।
बात कुछ तो जरूर है वर्ना । तुम हक़ीक़त कहा नही करते ।।
न्याय बिकता है इस ज़माने में । बिन लिए फैसला नही करते ।।
वह गवाही भी बिक गई कब की ।
अब भरोसा किया नही करते ।।
जश्न लिखता हयात को बन्दा ।
जिंदगी से डरा नहीँ करते ।।
है…
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Added by Naveen Mani Tripathi on April 15, 2017 at 11:56pm —
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212 212 212
चाहतों का सिला दीजिये ।
हो सके मुस्कुरा दीजिये ।।
टूट जाए न् ये जिंदगी।
हौसला कुछ बढा दीजिये।।
गफलतें हो चुकी हैं बहुत ।
रुख़ से पर्दा हटा दीजिये ।।
देखिए हाल बेहाल क्यूँ ।
आप ही कुछ दवा दीजिये ।।
बेवफा कह दिया क्यो उसे ।
राज है क्या बता दीजिये ।।
लूट कर ले गई सब नजर ।
यह रपट भी लिखा दीजिये ।।
टूटकर वह बिखर ही गई ।
जाइये घर बसा दीजिये ।।
है जरूरी मुलाकात भी…
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Added by Naveen Mani Tripathi on April 15, 2017 at 1:00pm —
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121 22 121 2 2 121 22 121 22
नई जवानी नई अदाएं
कहीं ये नीयत फिसल न् जाए ।।
जरा सँभालो अदब में पल्लू
कोई इरादा बदल न् जाए ।।
कबूल कर ले सलाम मेरा
ऐ हुस्न वाले तुझे है सज़दा ।
मेरी मुहब्बत का दौर यूं ही
तेरी ख़ता से निकल न् जाए ।।
बड़ी तमन्ना थी महफ़िलो की
ग़ज़ल में उसके पयाम होगा ।
उधर है दरिया में बेरुखी तो
इधर समंदर मचल न् जाए ।।
है क़त्ल का गर तेरा इरादा
तो दर्द देकर गुनाह मत कर ।
हराम होगा ये इश्क़…
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Added by Naveen Mani Tripathi on April 13, 2017 at 10:13pm —
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2122 2122 212
मैकदों के पास आकर देखिये ।
तिश्नगी थोड़ी बढ़ाकर देखिये ।।
वह नई उल्फ़त या नागन है कोई ।
गौर से चिलमन हटाकर देखिये ।।
सर फरोसी की तमन्ना है अगर ।
बेवफा से दिल लगाकर देखिये ।।
आपकी जुल्फें सवंर जायेगी खुद ।
आशिकों के पास जाकर देखिये ।।
आस्तीनों में सपोले हैं छुपे ।
हाथ दुश्मन से मिलाकर देखिये ।।
जल न् जाऊँ मैं कहीं फिर इश्क़ में ।
इस तरह मत मुस्कुराकर देखिये ।।
होश खोने का…
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Added by Naveen Mani Tripathi on April 10, 2017 at 5:30pm —
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2122 1122 1122 22
अब दुवाओं के लिए हाथ उठाया जाए ।
तेरे सर से न् कभी इश्क़ का साया जाए ।।
हुस्न मगरूर हुआ है ये सही है यारों ।
आइनॉ को न् उसे और दिखाया जाए ।।
होश खोना भी जरूरी है मुहब्बत के लिए ।
सुर्ख होठों पे कोई जाम सजाया जाए ।।
पूछ मत दर्द से रिश्तों की कहानी मेरी ।
ज़ह्र देना है तो बेख़ौफ़ पिलाया जाए ।।
एक हसरत के लिए जिद भी कहाँ है वाजिब ।
गैर चेहरों को चलो दिल में बसाया जाए ।।
बिक गई आज निशानी भी जो तुमने…
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Added by Naveen Mani Tripathi on April 6, 2017 at 11:14pm —
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22 22 22 22 22 2
रंग बदलते रुख़सारों से क्या लेना ।
रोज मुकरते किरदारों से क्या लेना ।।
गंगा को मैली करती हैं सरकारें ।
उनको जग के उद्धारोँ से क्या लेना ।।
खूब कफ़स का जीवन जिसको भाया है ।
उस पंछी को अधिकारों से क्या लेना ।।
जंतर मंतर पर बैठा वह अनसन में ।
राजा को अब लाचारों से क्या लेना ।।
टूट चुका है उसका अंतर मन जब से ।
जग में दिखते मनुहारों से क्या लेना ।।
फुटपाथों पर जिस्म बिक रहा खबरों में…
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Added by Naveen Mani Tripathi on April 1, 2017 at 10:30pm —
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22 22 22 22
चाँद बहुत शर्मीला होगा ।
थोड़ा रंग रगीला होगा ।।
यादों में क्यों नींद उडी है।
कोई छैल छबीला होगा ।।
रेतों पर जो शब्द लिखे थे ।
डूब गया वह टीला होगा ।।
ख़ास अदा पर मिटने वालों ।
पथ आगे पथरीला होगा ।।
जिसने हुस्न बचाकर रक्खा ।
हाथ उसी का पीला होगा ।।
ज़ख़्मी जाने कितने दिल हैं ।
ख़ंजर बहुत नुकीला होगा ।।
मत उसको मासूम् समझना ।
दिलवर बहुत हठीला होगा ।।
बिछड़ेंगे जीवन के…
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Added by Naveen Mani Tripathi on March 27, 2017 at 6:51pm —
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22 22 22 22
मुद्दत से वह ठहरा होगा ।
रिश्ता शायद दिल का होगा ।।
सच कहना था गैर ज़रूरी ।
छुप छुप कर वह रोता होगा ।।
ढूढ़ रहा है तुझको आशिक।
नाम गली में पूछा होगा ।।
इल्म कहाँ था इतना उसको ।
अपना गाँव पराया होगा ।।
चेहरा देगा साफ़ गवाही।
जैसा वक्त बिताया होगा ।।
दाग मिलेगा गौर से देखो ।
चिलमन अगर उठाया होगा ।।
मैंने उसको याद किया है ।
खत उसका भी आता होगा ।।
यूँ ही कब निकले हैं आँसू…
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Added by Naveen Mani Tripathi on March 27, 2017 at 2:37pm —
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221 1222 221 1222
इक जख़्म पुराना था फिर जख़्म नया दोगे ।
मासूम मुहब्बत है कुछ दाग लगा दोगे ।।
कमजर्फ जमाने में जीना है बहुत मुश्किल ।
है खूब पता मुझको दो पल में भुला दोगे ।।
एहसान करोगे क्या बेदर्द तेरी फ़ितरत ।
बदले में किसी भी दिन पर्दे को उठा दोगे ।।
कैसे वो यकीं कर ले तुम लौट के आओगे ।
इक आग बुझाने में इक आग लगा दोगे ।।
आदत है पुरानी ये गैरों पे करम करना ।
अपनों की तमन्ना पर अफ़सोस जता दोगे ।।
मजबून…
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Added by Naveen Mani Tripathi on March 19, 2017 at 5:23pm —
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2122 1212 22
कैसे कह दूँ मैं अलविदा तुझसे ।
चैन आया है हर दफ़ा तुझसे ।।
इक सुलगती हुई सी खामोसी ।
इक फ़साना लिखा मिला तुझसे ।।
वो इशारा था आँख का तेरे ।
दिल था पागल छला गया तुझसे ।।
भूल जाती मेरा तसव्वुर भी ।
क्यूँ हुई रात भर दुआ तुझसे ।।
बेखुदी में जो इश्क कर बैठा ।
उम्र भर बस वही जला तुझसे ।।
कर लूँ कैसे यकीन वादों पर ।
कोई वादा कहाँ निभा तुझसे ।।
कुछ रक़ीबों से गुफ्तगूं करके ।
तीर वाज़िब…
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Added by Naveen Mani Tripathi on March 7, 2017 at 11:00pm —
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वज़्न - 2122 1122 1122 22/112
अब्रे जहराब से बरसा है ये कैसा पानी ।
भर गया मुल्क की आँखों में हया का पानी ।।
मिट ही जाए न कहीं शाख जे एन यू की अब ।
आइये साफ़ करें मिल के ये गन्दा पानी।।
मन्नतें उन की हैं हो जाएं वतन के टुकड़े ।
सर के ऊपर से निकल जाए न खारा पानी ।।
कुछ हैं जयचन्द सुख़नवर जो खुशामद में लगे ।
बेच बैठे हैं जो इमानो कलम का पानी ।।
आलिमों का है ये तालीम ख़ता कौन कहे ।
ख़ास साजिश के तहत हद से गुजारा पानी…
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Added by Naveen Mani Tripathi on March 6, 2017 at 10:30pm —
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2122 2122 212
बेसबब लिखता कहाँ उन्वान है ।
वो नई फ़ितरत से कब अनजान है ।।
कुछ मुहब्बत का तजुर्बा है उसे ।
मत रहो धोखे में वो नादान है ।।
सिर्फ माँगा था अदा की इक नज़र।
कह गई वह जान तक कुर्बान है ।।
दायरों से दूर जाना मत कभी ।
ताक में बैठा कोई अरमान है ।।
है भरोसा ही नहीं खुद पर जिसे ।
ढूढ़ता फिरता वही परवान है ।।
कहकशां में ढूँढिये अब चाँद को।
आसमा कब से पड़ा वीरान है ।।
इश्क़ की गलती करेगा आदमी…
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Added by Naveen Mani Tripathi on February 25, 2017 at 12:04am —
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2122 2122 2122 2122
हाथ पर बस हाथ रखकर याद आना चाहता है ।
वो मुकद्दर इस तरह से आजमाना चाहता है ।।
गुफ्तगूं होने लगी है फिर किसी का क़त्ल होगा ।
है कोई मासूम आशिक़ सर उठाना चाहता है ।।
शह्र में दहशत का आलम है रकीबों का असर भी ।
तब भी वह अहले ज़िगर से इक फ़साना चाहता है ।।
बेसबब यूं ही नही वह पूछता घर का पता अब ।
रस्म है ख़त भेजना शायद निभाना चाहता है ।।
स्याह रातों का है मंजर चाँदनी मुमकिन न होगी ।
रोशनी के वास्ते वह घर जलाना…
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Added by Naveen Mani Tripathi on February 24, 2017 at 2:59am —
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*221 2121 2121 212*
मेरी गली के पास से वो यूँ गुजर गया ।
ऐसा लगा जमीं पे आसमा उतर गया ।।
माना मुहब्बतों का फ़लसफ़ा अजीब है ।
शायद नज़र खराब थी वो भी उधर गया ।।
मैं रात भर सवाल पूछता रहा मगर ।
उसका जबाब हौसलों के पर क़तर गया ।।
तुमने दिए जो जख़्म आज तक न भर सके ।
जब जब किया है याद दर्द फिर उभर गया ।
इस तर्ह उस हसीन की तू पैरवी न कर ।
मतलब निकलने पर जो रब्त से मुकर गया ।।
तू मेरी आजमाइशों की कोशिशें…
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Added by Naveen Mani Tripathi on February 20, 2017 at 12:53am —
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1212 1122 1212 22
ये जिंदगी है अभी तक नहीं दुआ पहुँची ।
खुदा के पास तलक भी न इल्तजा पहुँची।।
गमो का बोझ उठाती चली गई हँसकर ।
तेरे दयार में कैसी बुरी हवा पहुँची ।।
अजीब दौर है रोटी की दास्ताँ लेकर ।
यतीम घर से कोई माँ कई दफ़ा पहुची ।।
तरक्कियों की इबारत है सिर्फ पन्नों तक ।
है गांव अब भी वही गाँव कब शमा पहुँची ।।
यहां है जुल्म गरीबी में टूटना यारो ।
मुसीबतों में जफ़ा भी कई गुना पहुँची।।
है फरेबों का चमन मत…
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Added by Naveen Mani Tripathi on February 13, 2017 at 1:00pm —
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212 212 212 212
याद आता रहा सिलसिला आपका ।
बस नज़र क्या मिली हो गया आपका ।।
आपकी सादगी यूं असर कर गई ।
रेत पर नाम मैंने लिखा आपका ।।
इश्क़ की जाने कैसी वो तहरीर थी ।
रातभर इक वही खत पढ़ा आपका ।।
है सलामत अभी तक वो खुशबू यहां ।
गुल किताबों से मुझको मिला आपका ।।
वक्त की भीड़ में खो गया इस कदर ।
पूछता रह गया बस पता आपका ।।
इक ख़ता जो हुई भूल पाया कहाँ ।
यूं अदा से बहुत रूठना आपका ।।
बात शब् भर चली हिज्र…
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Added by Naveen Mani Tripathi on February 11, 2017 at 1:36am —
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2122 1122 1122 22
मुद्दतों बाद तुझे हद से गुज़ारा किसने ।
कर गया हुस्न को आँखों से इशारा किसने ।।
खास मकसद को लिए लोग यहां मिलते हैं ।
फिर किया आज मुहब्बत से किनारा किसने ।।
आज महबूब के आने की खबर है शायद ।
जुल्फ रह रह के कई बार संवारा किसने ।।
ऐ जमीं दिल की निशानी को सलामत रखना ।
मेरी ताबूत पे लिक्खा है ये नारा किसने ।।
हो गया था मैं फ़ना वस्ल की ख्वाहिश लेकर ।
चैन आया ही नहीं दिल से पुकारा किसने ।।
चोट गहरी थी…
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Added by Naveen Mani Tripathi on February 9, 2017 at 9:50pm —
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212 212 212
इस तरह रूठ मत जाइए ।
आइये बस चले आइये ।।
आज तो जश्न की रात है ।
घुंघरुओं की सदा लाइए ।।
टूट जाए न दिल ही मेरा ।
जुल्म इतना नहीं ढाइये ।।
बेगुनाही पे चर्चा बहुत ।
कुछ सबूतों से भरमाइये ।।
जो तरन्नुम में था मैं सुना ।
गीत फिर से वही गाइये ।।
हम गिरफ्तार पहले से हैं ।
मत रपट कोई लिखवाइये।।
है ग़ज़ल में मेरे तू ही तू ।
एक मिसरा तो पढ़वाइये ।।
हूँ तेरे हुस्न का आइना…
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Added by Naveen Mani Tripathi on February 7, 2017 at 9:00pm —
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2122 2122
तुम मिली थी सादगी से ।
याद है चेहरा तभी से ।।
जिक्र आया फिर उसी का ।
जब गया उसकी गली से ।।
बादलों का यूं घुमड़ना ।
है जमीं की तिश्नगी से ।।
यूं मुकद्दर आजमाइश ।
कर गई फ़ितरत ख़ुशी से ।।
गीत भंवरा गुनगुनाया ।
आ गई खुशबू कली से ।।
मैकशों का क्या भरोसा ।
वास्ता बस मैकशी से ।।
सिर्फ राधा ढ़ूढ़ते हो ।
क्या गिला है रुक्मिणी से ।।
जोड़ता है रोज मकसद ।
आदमी को आदमी से…
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Added by Naveen Mani Tripathi on January 31, 2017 at 10:30pm —
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है नई नई ये मेंरी ख़ता इसे जुल्म में न शुमार कर ।
है जो आशिकी का ये दौर अब इसे इस तरह न तू ख्वार कर ।।
उसे जिंदगी से नफ़ा मिला मुझे दर्द का है सिला मिला ।
ये हिसाब अब न दिखा मुझे न तिजारतों में दरार कर ।।
वो हवा चली ही नहीं कभी वो दरख़्त को न नसीब थी ।
मेरे फ़िक्र की है ये आरज़ू तू इसी चमन में बहार कर ।।
यहाँ चाहतों में है दम कहाँ कई चाहतें भी दफ़ा हुईं ।
है मुहब्बतों का सवाल ये कहीं जिंदगी को निसार कर…
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Added by Naveen Mani Tripathi on January 26, 2017 at 12:44am —
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