आपकी नज़रें इनायत हो गई,
दूर बरसों की, शिकायत हो गई ।
आप हैं तो धडकनों में गीत है,
जिंदगी जैसे, रवायत हो गई ।
बात उनकी मानना बस!फ़र्ज़ है,
जो, जहाँ, जैसी, हिदायत हो गई ।
आपकी खामोशियों को देखकर,
बात अपनी बस! हिकायत हो गई |
फूल सी लम्बी थी उनकी जिंदगी,
साँस लेने में, किफायत हो गई |
मेरी नज़रों का ,करें वो शुक्रिया,
खूबसूरत वो, निहायत हो गई ।
बात टेढ़ी कब, तलक रहती भला,
सादगी बोली, हिमायत हो गई |…
Added by AVINASH S BAGDE on February 1, 2013 at 7:30pm — 13 Comments
खास आदमी जीने के, मौके करे तलाश
Added by AVINASH S BAGDE on December 25, 2012 at 12:33pm — 11 Comments
छन्न पकैया छन्न पकैया ,पढ़ते दांत पहाडा।
खड़ा हुआ है सर के ऊपर , डंडा लेकर जाड़ा।।
छन्न पकैया छन्न पकैया,पार तभी हो नाव।
सर्द हवा के बीच रात में, जलता रहे अलाव।।
छन्न पकैया छन्न पकैया,ठिठुर रहें फुटपाथ।
काली कुतिया साथ ठिठुरती,सोती है जो साथ।।
छन्न पकैया छन्न पकैया,नहीं गल रही दाल।
शीत युद्ध के चलते पहनो,स्वेटर मफलर शाल।।
छन्न पकैया छन्न पकैया,सड़कें हैं सुनसान।
ऊपर वाले का कर्फ्यू है ,लो अच्छे से जान।।
छन्न पकैया छन्न पकैया,कहता है…
ContinueAdded by AVINASH S BAGDE on December 15, 2012 at 8:30pm — 9 Comments
Added by AVINASH S BAGDE on November 1, 2012 at 8:26pm — 10 Comments
Added by AVINASH S BAGDE on October 16, 2012 at 11:00am — 15 Comments
Added by AVINASH S BAGDE on October 11, 2012 at 8:36pm — 17 Comments
"अरे ! ये क्या!! मनु दीदी तुम तो कह रही थी की तुम्हारा बजट केवल पांच सौ रुपयों का ही था!! ये गणपति जी की शानदार मूर्ती तो हजार रुपयों से क्या कम होगी!!" शाम को सुनंदा ने अपनी बड़ी बहन के घर गणेश स्थापना की पूजा के लिये घुसते ही कहा.
'अरे! क्या बताऊँ!! हम मूर्तियाँ खरीदने गए थे तो वहां हमारी काम वाली बाई भी मिल गई. उसने पांच सौ वाली मूर्ति उठा ली तो हमारे पास हजार वाली उठाने के अलावा कोई चारा ही नहीं था...."
गहरी उदासी के साथ…
Added by AVINASH S BAGDE on September 19, 2012 at 2:30pm — 10 Comments
Added by AVINASH S BAGDE on September 9, 2012 at 5:27pm — No Comments
बुनियादें मज़बूत हों , सुदृढ़ रहे मकान.
Added by AVINASH S BAGDE on August 17, 2012 at 12:15pm — 6 Comments
Added by AVINASH S BAGDE on August 16, 2012 at 9:59am — 10 Comments
कुछ नए खेल ओलम्पिक के लिये........
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करोडो के देश में चंद लोग पदक पा कर देश का नम ऊँचा उठा रहें हैं....ये बात हजम नहीं हो रही है. उसमे से भी आधे वो लोग है जिन्हें किस्मत से भ्रूण-हत्या से निजात मिली और आज हम उनके गौरव के जुलूस में नारे लगा रहें हैं. हमारा दोगलापन भी हमारे-अपने तरह का ही है उसका कोई सानी नहीं......... हम विषय से भटक रहे हैं...सो ओलम्पिक में हमारे पदक जीतने लायक खेल ही शामिल नहीं किये जाते. पश्चिम देशों की मिलीभगत ने हॉकी तक को…
Added by AVINASH S BAGDE on August 11, 2012 at 1:30pm — 10 Comments
हरी-हरी धरती भई.....
Added by AVINASH S BAGDE on August 7, 2012 at 2:00pm — 7 Comments
कटाक्ष...
Added by AVINASH S BAGDE on August 1, 2012 at 8:16pm — 8 Comments
Added by AVINASH S BAGDE on July 26, 2012 at 4:00pm — 11 Comments
सुबह-सुबह हेलमेट और गुटखे की पान की टपरी पे मुलाकात हो गई.
Added by AVINASH S BAGDE on July 24, 2012 at 1:01pm — 1 Comment
Added by AVINASH S BAGDE on July 21, 2012 at 1:00pm — 12 Comments
Added by AVINASH S BAGDE on July 6, 2012 at 8:40pm — 5 Comments
Added by AVINASH S BAGDE on July 1, 2012 at 3:30pm — 13 Comments
मंत्रालय में आग.......भाग डी. के..भाग.......!!!!!!
Added by AVINASH S BAGDE on June 23, 2012 at 4:57pm — 11 Comments
Added by AVINASH S BAGDE on June 19, 2012 at 10:30am — 7 Comments
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