तपस्या
राशि को एकटक सास-श्वसुर की फोटो देख,रोमिल के झकझोरने पर,सपने से जागी,कहने लगी,‘मेरी तपस्या पूरी हुई.’
'मुझे पाकर,अब कौन-सी तपस्या?'प्रश्नभरी निगाहों से,देखकर बोला.
झेप गई,,फिर संभलते हुए बोली,'हां,लेकिन मम्मी-पापा की बहू,दिल से अपनाने की तपस्या.'
सुनकर,खुशी में,हाथ पकड़कर बोला,'पर,तुम्हें.... कैसे..........?'
चेहरे पर बनते-बिगड़ते भावों से,लगा,जैसे उसे स्वर्ग मिल गया,‘आज तड़के सुबह,फोन पर मम्मी ने पहली बार बात…
ContinueAdded by babitagupta on March 3, 2019 at 4:51pm — 8 Comments
प्यार का दंश या फर्ज
तुलसीताई के स्वर्गवासी होने की खबर लगते ही,अड़ोसी-पड़ोसी,नाते-रिश्तेदारों का जमघट लग गया,सभी के शोकसंतप्त चेहरे म्रत्युशैय्या पर सोलह श्रंगार किए लाल साड़ी मे लिपटी,चेहरे ढका हुआ था,पास जाकर अंतिम विदाई दे रहे थे.तभी अर्थी को कंधा देने तुलसीताई के पति,गोपीचन्दसेठ का बढ़ा हाथ,उनके बेटों द्वारा रोकने पर सभी हतप्रद रह गए.पंडितजी के आग्रह करने पर भी,अपनी माँ की अंतिम इच्छा का मान रखते हुये, ना तो कंधा लगाने दिया,ना ही दाहसंस्कार में लकड़ी.यहाँ तक कि उनके चेहरे के अंतिम…
Added by babitagupta on February 26, 2019 at 4:24pm — 3 Comments
अनूठा इजहार
नितिशा के बाबूजी के अंतिम श्रद्धांजलि दे रहे थे,तभी अंदर से शांत मुद्रा में नितिशा की दादी,सरल चिरनिद्रा में लीन बाबूजी के पार्थवशरीर के समक्ष बैठी,हाथ मे पकड़े नए सफेद रूमाल से मुंह पौछा,फिर कान के पास जाकर जो कहा,सभी उन्हें विस्मयद्रष्टि से देखने लगे,वो सिर पर हाथ फेरते हुये कह रही थी- ‘तुम आराम से रहना,मेरी चिंता मत करना. रामायण की चौपाई सुनाई,फिर बाबूजी का मनपसंद गीत गया,और सूखीआँखें चली गई.पूरे तेरह दिन सरला अपने ही कमरे मे ही रही. गरूढ़पुराण में शामिल होने को कहते तो…
ContinueAdded by babitagupta on February 22, 2019 at 3:33pm — 2 Comments
चुनावी महाकुंभ के नगाडे की टंकार में
चौतरफा राजनीति का हुआ महौल गरमागरम
ईद के चांद हुए नेता जो ,
चिराग लेकर ढूंढने पर थे नदारद
योजनाओं की बरसात होने लगी
धूल उडती गड्ढे वाली सडकों पर
चुनावी सीमेंट चढ गया
उजाड बंजर खेती पर
हरियाल करने का मरहम लगाते
कंबल, साडी, दारू, मुर्गा का
बंदरबांट का फार्मूला चलाते
नित नए तरीकों से वोटरों को रिझाते
चरणवंदन कर, घडियाली ऑंसू बहाते
खोखले वायदों की दहाड,
ना खायेंगे, ना खाने देगे
दिए प्रलोभन, दिखाई…
Added by babitagupta on November 22, 2018 at 3:19pm — 5 Comments
प्रजातांत्रिक देश स्वतंत्र व्यक्ति
अभिव्यक्ति की आजादी
विकास यात्रा सत्तर साल की
सरकारी नक्शे पर दर्ज इलाका
हालात जस के तस
टूटे घने जंगलों में बसा वीराना सा गांव
टूटी फूटी नदी, दम तोडती पुलिया
जर्जर धूल उडाती सडकें
विकराल संकटों से जूझ रहा
जीवन से लडता
रोजीरोटी की जद्दोजहद
मैले कुचैले अर्धवदन ढके
बदहाली मे आपस में दुख बांटते
अपने गांव की पीडा समझाते
चेहरे पर पीडा झलक आती
नेताओं के झूठे वादे घडियाली ऑसू
बिना लहर के हिलोरें…
Added by babitagupta on November 19, 2018 at 7:52pm — 7 Comments
बचपन की यादों का अटूट बंधन
बिना लेनदेन के चलने वाला
खूबसूरत रिश्तों का अद्वितीय बंधन
एक ढर्रे पर चलने वाली जिंदगी में
नई-नई सोच से रूबरू करवाया
अर्थहीन जीवन को अर्थ पूर्ण बनाया
जीने का एक…
ContinueAdded by babitagupta on August 27, 2018 at 8:00pm — 4 Comments
दरवाजे की घंटी सुन, दरवाजा मेड शीला ने खोला तो अपरिचित समझ मुझे आवाज लगाने पर मैं देखने गई तो सामने सलिल भैया और शालिनी भाभी को देख हतप्रद रह गई.मुझे इस तरह देख,भैया कहने लगे- 'भूल गई क्या ?मैं तुम्हारा भाई .......
मैं अपने को संभालते हुए ,उन्हें इशारे से अंदर आने को कह,कहने लगी- 'अरे नहीं भैया,आपको अचानक इतने सालो बाद देखा ....बस और कुछ नहीं।'
भाभी मेरी मनोस्थिति समझ भैया को डाटने वाले लहजे में कहा - 'अब ,उसे झिलाना छोडो'।और मुझे रसोई में ले जाकर खाना बनाने में हाथ बटाँने…
ContinueAdded by babitagupta on August 26, 2018 at 9:42pm — 8 Comments
रामू की माँ तो अपने पति के शव पर पछाड़ खाकर गिरी जा रही थी.रामू कभी अपने छोटे भाई बहिन को संभाल रहा था ,तो कभी अपनी माँ को.अचानक पिता के चले जाने से उसके कंधों पर जिम्मेदारियों का बोझ आ पड़ा था.
पढ़ाई छोड़,घर में चूल्हा जलाने के वास्ते रामू काम की तलाश में सड़को की छान मारता।अंततःउसने घर-घर जाकर रद्दी बेचने का काम पकड़ लिया।रद्दी में मिलती किताबों को देख उसके अंदर का किताबी कीड़ा जाग उठा.किताबे बचाकर,बाकी रद्दी बेच देता।और रात में लालटेन में अपने पढ़ने की भूख को तृप्त करता।
समय बीतता…
ContinueAdded by babitagupta on August 1, 2018 at 7:00pm — 4 Comments
क्षण-प्रतिक्षण,जिंदगी सीखने का नाम
सबक जरूरी नहीं,गुरु ही सिखाए
जिससे शिक्षा मिले वही गुरु कहलाये
जीवंत पर्यन्त गुरुओं से रहता सरोकार
हमेशा करना चाहिए जिनका आदर-सत्कार
प्रथम पाठशाला की गुरु माँ बनी …
ContinueAdded by babitagupta on July 27, 2018 at 1:00pm — 2 Comments
बहुत देख ली आडंबरी दुनिया के झरोखों से
बहुत उकेर लिए मुझे कहानी क़िस्सागोई में
लद गए वो दिन, कैद थी परम्पराओं के पिंजरे में
भटकती थी अपने आपको तलाशने में
उलझती थी, अपने सवालों के जबाव ढूँढने में
तमन्ना थी बंद मुट्ठी के सपनों को पूरा करने की
उतावली,आतुर हकीकत की दुनिया जीने की
दासता की जंजीरों को तोड़
,लालायित हूँ मुक्त आकाश में उड़ने को
लेकिन अब उठ गए इन्क्लाबी कदम
बेखौफ हूँ,कोइ…
ContinueAdded by babitagupta on July 26, 2018 at 6:00pm — 4 Comments
काव्य मंचों के अपरिहार्य ,नैसर्गिक प्रतिभा के धनी,प्रख्यात गीतकार ,पद्मभूषण से सम्मानित,जीवन दर्शन के रचनाकार,साहित्य की लम्बी यात्रा के पथिक रहे,नीरज जी का जन्म उत्तर प्रदेश के जिला इटावा के पुरावली गांव में श्री ब्रज किशोर सक्सेना जी के घर ४ जनवरी,१९२५ को हुआ था.गरीब परिवार में जन्मे नीरज जी की जिंदगी का संघर्ष उनके गीतों में झलकता हैं.युग के महान कवि नीरज जी को राष्ट्र कवि दिनकर जी 'हिंदी की वीणा' कहते थे. मुनब्बर राना जी कहते हैं-हिंदी और उर्दू के बीच एक पल की तरह काम करने वाले नीरज जी…
ContinueAdded by babitagupta on July 22, 2018 at 9:20pm — 7 Comments
तड़के सुबह से ही रिश्तेदारों का आगमन हो रहा था.आज निशा की माँ कमला की पुण्यतिथि थी. फैक्ट्री के मुख्यद्वार से लेकर अंदर तक सजावट की गई थी.कुछ समय पश्चात मूर्ति का कमला के पति,महेश के हाथो अनावरण किया गया.
कमला की मूर्ति को सोने के जेवरों से सजाया गया था.एकत्र हुए रिश्तेदार समाज के लोग मूर्ति देख विस्मय से तारीफ़ महेश से किये जा रहे थे. …
ContinueAdded by babitagupta on July 10, 2018 at 8:00pm — 7 Comments
हँसमुखी चेहरे पर ये कोलगेट की मुस्कान,
बिखरी रहे ये हँसी,दमकता रहे हमेशा चेहरा,
दामन तेरा खुशियों से भरा रहे,
सपनों की दुनियां आबाद बनी रहे,
हँसती हुई आँखें कभी नम न पड़े,
कालजयी जमाना कभी आँख मिचौली न खेले,…
ContinueAdded by babitagupta on July 8, 2018 at 5:00pm — 9 Comments
घुमड़-घुमड़ बदरा छाये,
चम-चम चमकी बिजुरियां,छाई घनघोर काली घटाएं,
घरड-घरड मेघा बरसे,
लगी सावन की झड़ी,करती स्वागत सरसराती हवाएं........
लो,सुनो भई,बरखा बहार आई......
तपती धरती हुई लबालव,
माटी की सौंधी खुश्बू,प्रफुल्लित बसुन्धरा से संदेश कहती,
संगीत छेड़ती बूंदों की टप-टप ,
लहराते तरू,चहचहाते विहग,कोयल मधुर गान छेड़ती.......
लो सुनो भई,वरखा बहार आई.......
छटा बिखर गई,मयूर थिरक उठा-सा,
सुनने मिली झींगरों की झुनझुनी,पपीहे…
ContinueAdded by babitagupta on June 28, 2018 at 8:30pm — 9 Comments
अकस्मात मीनू के जीवन में कैसी दुविधा आन पड़ी????जिन्दगी में अजीब सा सन्नाटा छा गया.मीनू ने जेठ-जिठानी के कहने पर ही उनकी झोली में खुशियाँ डालने के लिए यह कदम उठाया था लेकिन...पहले से इस तरह का अंदेशा भी होता तो शायद....चंद दिनों पूर्व जिन ख्यावों में डूबी हुई थी,वो आज दिवास्वप्न सा लग रहा था....
तेरे पर्दापर्ण की खबर सुन किलकारी सुनने को व्याकुल थे.....तब तेरे अस्तित्व से वो अपरिचित थे तो जिठानी जी की दुःख…
ContinueAdded by babitagupta on June 24, 2018 at 3:00pm — 8 Comments
चट्टान की तरह दिखने वाले पाषाण ह्रदय पिता नारियल के समान होते हैं पर उनका एहसास मोम की तरह होता हैं.सख्त,खुरदुरे,अनुशासन प्रिय पर अंतर्मन सरलतम पिता उस संस्कारी गहरी जड़ों वाले वट वृक्ष की तरह होते हैं जिसकी विशालतम स्नेह्सिल छाया तले हम बच्चे और हमारी माँ पलती हैं.क्योकि वह पारिवारिक जिम्मेदारी का वह सारथी हैं जिस पर सभी अपनी उम्मीदों को पूरा करने का सपना संजोते हैं.और वह एक महानायक की तरह सभी को बराबर का हक देकर,अपने नाम से पहचान दिलाता हैं.जीवन की रह दिखाने…
ContinueAdded by babitagupta on June 17, 2018 at 10:04pm — 5 Comments
जल्दी चलो माँ,जल्दी चलो बावा,
देर होती हैं,चलो ना,बुआ-चाचा,
बन ठनकर हंसते-मुस्कराते जाते,
परीक्षा फल सुनने को अकुलाते,
मैदान में परिजन संग बच्चों का तांता कतार बद्ध थे,
विराजमान शिक्षकों के माथे पर बल पड़े हुए थे,…
ContinueAdded by babitagupta on June 3, 2018 at 7:33pm — 5 Comments
क्षण क्या हैं??????
एक बार पलक झपकने भर का समय....
पल-प्रति-पल घटते क्षण में,
क्षणिक पल अद्वितीय,अद्भुत,बेशुमार होते,
स्मृति बन जेहन में उभर आये,वो बीते पल,
बचपन का गलियारा,बेसिर - पैर भागते जाते थे,…
ContinueAdded by babitagupta on May 28, 2018 at 4:17pm — No Comments
मुंह अँधेरे ही भजन की जगह,फोन की घंटी घनघना उठी,
घंटी सुन फुर्ती आ गई,नही तो,उठाने वाले की शामत आ गई,
ड्राईंग रूम की शोभा बढाने वाला,कचड़े का सामान बन गया,
जरूरत अगर हैं इसकी,तो बदले में कार्डलेस रख गया,
उठते ही चार्जिंग पर लगाते,तत्पश्चात मात-पिता को पानी पिलाते,…
ContinueAdded by babitagupta on May 17, 2018 at 12:00pm — No Comments
छोटा-सा,साधारण-सा,प्यारा मध्यमवर्गीय हमारा परिवार,
अपने पन की मिठास घोलता,खुशहाल परिवार का आधार,
परिवार के वो दो,मजबूत स्तम्भ बावा-दादी,
आदर्श गृहणी माँ,पिता कुशल व्यवसायी,
बुआ-चाचा साथ रहते,एक अनमोल रिश्ते में बंधते,
बुजुर्गों की नसीहत…
ContinueAdded by babitagupta on May 16, 2018 at 6:48pm — 1 Comment
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