(1)
दर्द ए दिल से पहचान यारो मेरी बहुत पुरानी है
आँखो के अश्को की यारो देखो अलग कहानी है
थे पास जब वो मेरे जीवन की अलग रवानी थी
नहीं आयेगी जीवन में बीती शाम जो सुहानी है
(2)
मेरे भी दर्द ए दिल को काश कोई जान लेता
आँखो में छुपे अश्को को भी काश जान लेता
कितना दर्द यारो हमें बिछुडने का अपनो से
मेरे दर्द भरे शब्दे से ही काश कोई जान लेता
(3)
किसने किसको दर्द दिया ना जान पाया मैं
कैसे…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on December 25, 2013 at 11:00pm — 18 Comments
कल तक थी जाने कहाँ
आज आ रही है पास वो
देख नहीं पाये जो
जीवन के रंगों को
ले रही उन्हें भी
अपने आगेाश में वो
ना सुना नाम कभी
ना जाना पहचान ही
चुपके से चली आयी वो
तोड़ने उनकी सॉसे को
इल्जाम कभी लेती नहीं
अपने दामन पर वो कभी
है इल्जाम उनहीं पे
खत्म करती जिसका
जीवन वो
जीवन में नहीं रंग उतने
नाम उनका उतना हैं
आ जाती है चुपके से वो
जाने कब जीवन…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on December 25, 2013 at 11:00am — 14 Comments
दो हमसफर
एक छत
रहे अजनबी की तरह
लब खुले तो टकरार
ना साँसे टकराती
ना बिन्दीयाँ भाती
ना विदाई
ना स्वागत
नजर चुराते
बीती राते
कभी
तन मन साथ
हँसी उमंग चाहत प्यार
लगी नजर
बने नदी के
दो किनारे
बीच में
शक
केवल शक
बाँट दिया प्यार
एक ना सुनते
एक दूजे की बाते
स्वाभिमान
विद्रोह
गुस्से की
ज्वाला जला रही
प्यार…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on December 21, 2013 at 7:55pm — 12 Comments
मन अशांत चेहरा शान्त
आँखे शुन्य में निहारती
चारो तरफ था शोर था
मेरी गोद में सोया
मेरा सुहाग था
जीवन का उजाला
बच्चों का पालक
मेरा साहस मेरा श्रृंगार था
आज बीमार था
यहाँ मौत से थी जंग
वहाँ हड़तालियों की
वार्ता सरकार के संग
रोके थे गाड़ीयों के पहिये
आवाज साथीयों साथ रहीये
आती थी हिचिकियाँ बार बार
मौत का मौन निमंन्त्रण
मैं लाचार,कैसे चले पहीये
मेरा बच्चा जो चुप…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on December 15, 2013 at 9:00pm — 7 Comments
है वही रास्ते
पथरीले चौड़े
पतले पक्के
घट गये रास्ते
बढ़ गयी दूरियाँ
है वही गिलास
शरबतों से भरे
शराब से खाली
नशा प्यार का
नशा नशा का
दरवाजों पे दरबार
मन की शांति
मन का तनाव
भूला प्यार
बचा टकरार
वही है रिश्ते
निभाने की होड़
दिखावट की होड़
मदद चाहत
मदद डर
प्रेम है वहीं
मन का मिलन
तन का मिलन
समर्पित हम
धन…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on December 11, 2013 at 9:00pm — 13 Comments
मौसम के
सहारे वह
अरमान सजाता
जीवन का
दिन रात ना समझे वह तो
एहसास,ना वर्षा,ना ठंड का
कमर तोड़ मेहनत पर भी
ना मिलता उसे निवाला था।
खाद बीज महँगा अब तो
पानी भी ना देता संग था।
कर्ज में डूब कर भी वह
करता पूरे कर्म था।
तब जीवनदायक
अनाज का दाना
आता उसके घर था।
बड़े अरमान इसी दाने पर
हाथ पीले बेटी के
बदले मेहर की वह
तन दिखाती साड़ी को
जीवन की है और जरूरत
महीनो तक मुँह का निवाला
कर्ज निवारण इसी दाने…
Added by Akhand Gahmari on December 2, 2013 at 12:13am — 8 Comments
ऑंखो में था जो
सपना गुम हुआ,
वफा की राह
टूटा वह
मैं बिखर गया
है भरोसा प्यार पर
तेरे हमें इस कदर
वेवफा नहीं कहूँगा
कभी मेरे जानेजिगर
मेरी ही चाहत
में रही शायद
कमी होगी
नहीं याद करती
दूर हो चली,
चली थी बनने
जो कभी मेरा हमसफर।
जब रोया मैं याद कर
उसके तराने को
अश्क सुखाये मेरे
दिल की जलन ने
पी गये बंद ओठ
यादों के अश्क को।
खुले ओंठ तो…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on November 30, 2013 at 4:30pm — 8 Comments
दूर बैठे थे उनसे कभी हम आज कितने करीब आ गये
दिल ने किया कब दिल से बाते इससे अंजान हो गये
बातो ही बातो हम एक दूजे की नजरो में खो गये
मगर लगी जो नजर प्यार पर एक दूजे से दूर हो गये
कभी अपने लगते थें जो रास्ते आज बेगाने हो गये
किसकी जुबान से निकला क्या हम ढूढ़ते रह गये
चॉंद ढ़ले तक करते बात जो अब चॉंद निकलते सो गये
एक झलक पाये उनका अब लगता वर्षो हो गये
एक ही तो प्यार था मेरा वो जाने कहॉं अब खो गये
कभी अपने लगते थे जो रास्ते आज बेगाने…
Added by Akhand Gahmari on November 24, 2013 at 11:38am — 8 Comments
भारत रत्न केवल एक पुरस्कार ही नहीं है वह भारत का सम्मान है और 1 अरब भारतीयों का मान है,भारत रत्न। 1954 से प्रारम्भ हुए भारत रत्न के बारे में साफ लिखा है कि भारत रत्न, कला, विज्ञान, साहित्य एवं समाजसेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले को प्रदान किया जाता है। भारत रत्न जिसको भी मिला वह कम या अधिक सभी हकदार थे। मगर सचिन रमेश…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on November 20, 2013 at 1:30pm — 6 Comments
लाल लहू से अपने जिसने,देश की धरती कर दिया
नित्य नई खोजों में,जीवन के सुख छोड दिया
वेा भारत का वीर सपूत,गुमनामी में खो गया
देश को दे कर नये आयाम वेा बेनाम हो गया
शिकार राजनीति का, भारत रत्न हो गया।
ध्यानचंद जैसा जादूगर, आज बेनाम हो गया
विदेशी धरती पर जो हुआ विजेता, कपिल गुम हो
खेलों के कितने मसीहा का दीपक अब बुझ गया
रत्नो के रत्न कितने,वो गुमनामी में खो गया
शिकार राजनीति का भारत रत्न होगया।
आजादी…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on November 18, 2013 at 9:00pm — 7 Comments
मॉं
एक शब्द
एक संबोधन
एक रिश्ता
क्या हैं,मॉं
नहीं समझ पाया
नहीं जान पाया
नीमअंधकार से निकला मैं
खुली पलकें
मखमली गोद में
सिर पर स्नेह की छाया
सीने से लग कर
क्षुधार्त की शांति
क्या यही हैं मॉं
या मॉं हैं
हाड़ मॉंस की एक पुतली
जिसके अनेकों रूप
जाने अंजाने कितने
बेटी,बहन,बहू पत्नी
आसानी से बनते रिश्ते
मगर मॉं
दिर्घावधि…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on November 17, 2013 at 11:39am — 7 Comments
बात एक रात की,
मैं था सोया
मीठे सपनो में खोया
तभी सपनो में आयी
एक सुन्दर नारी
दमकता चेहरा पर उदास
उज्जवल वस्त्र पर गंदे
कीचड में सने
मैं इर कर कॉंप…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on November 13, 2013 at 4:10pm — 3 Comments
Added by Akhand Gahmari on November 13, 2013 at 2:29pm — 7 Comments
वक्त की मारी नहीं मैं,
हालत की मारी नहीं मैं,
जिन्दगी से घबराई नहीं मैं
शिकार हूँ दुश्कर्म की ,
जिन्दगी से हारी नहीं मैं।
अवला नहीं मैं
जो सहूँ जुल्मो सितम केा
आज की नारी हूँ,
बदल दूँगी जमाने को,
जमाने की सोच केा
अपनी जिंन्दगी केा
क्योंकि मैं आज की नारी हूँ
जिन्दगी से हारी नहीं हूँ।
मेरा क्या हुआ,
सम्मान गया
नहीं।
बेनकाब हो गया
चेहरा मानव समाज का
सल्तनत…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on November 11, 2013 at 7:30pm — 7 Comments
''आत्महत्या''
क्या है ये।
क्यों हो रही है ये,
क्यों भागते है वे,
जिन्दगी से,
कर्तव्यों से,
क्यों नहीं सामना करते
कठिनाईयों का,
समस्याओं का,
परिस्थितों का,
किस के दम पर
छोड जाते है वे
बूढे मॉं -बाप को,
अवोध बालको केा,
अपनी विवाहिता केा
जिसका संसार बदल दिये वे
एक चुटकी सिन्दूर से
क्या कसूर है इनका
यही , वे करते है
प्यार उनसे
चाहते है…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on November 7, 2013 at 5:49pm — 13 Comments
Added by Akhand Gahmari on October 31, 2013 at 8:00pm — 8 Comments
Added by Akhand Gahmari on October 29, 2013 at 9:29pm — 7 Comments
वो कहते हैं
शब्द र्निजीव होते है,
बेजुबान होते है।
वो कहते है,
यह लेखनी से बने,
आकार भर है।
जुबान से निकली,
आवाज भर है।
ना इनकी पहचान है,
ना इनका अस्तिव।
मगर यारो शब्द तो शब्द हैं,
अक्षरों केा संगठित कर
खुद में समाहित कर,
वाक्य बना कर उसे
पहचान देते है।
और खुद गुमनामी के
अँधेरे में खो जाते है।
ये शब्द निस्वार्थ सेवा का
एक सच्चा उदाहरण है।
एक शब्द झकझोर…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on October 28, 2013 at 7:30pm — 5 Comments
चॅाद की शीतलता,
फूलों की महक,
शब्दों से खुशी,
शब्दो से रास्ते,
दिखाता एक कवि है,
शब्दो केा माले में पिरोता,
एक कवि है,
फिर भी गुमनामी की जिन्दगी…
Added by Akhand Gahmari on October 27, 2013 at 10:00am — 6 Comments
चॉदनी रात में
खुले आसमान में
विचरण करते चॉंद को देख रहा था
कितना निश्चल कितना शांत
चला जा रहा है अपने रस्ते
पर प्रकाश से प्रकाशमान पर
ना ईष्या ना कुंठा,ना हिनता
प्रकाश दाता के अस्त पर
बन कर प्रतिबिम्ब उसका
अंधेरे को दूर कर उजाले के
लिये सदैव प्रत्यनशील
भले रोक ले आवारा बादल
उसका रास्ता
छुपा ले प्रकाश उसका
मगर फिर भी प्रत्यन कर
बादलो से निकल कर
पुन: धरती को, अंबंर को, मानव को…
Added by Akhand Gahmari on October 26, 2013 at 10:30am — 6 Comments
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