Added by सतविन्द्र कुमार राणा on July 19, 2016 at 9:30pm — 10 Comments
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on July 18, 2016 at 11:30am — 9 Comments
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on July 17, 2016 at 12:00pm — 4 Comments
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on July 17, 2016 at 7:30am — 4 Comments
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on July 14, 2016 at 11:17am — 10 Comments
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on June 25, 2016 at 10:00pm — 14 Comments
"अरे!जानती हो आचार्य जगत ज्ञानी जी की पुत्रवधु मरते-मरते बची। बस भगवान ने साँसे बख्श दी। वर्ना ऐसा दुःख मिला है जीवन भर कलेजे में ठुंसा रहेगा।बेचारी!"
बैठने के लिए पीढ़ा सरकाते हुए मुख्तारी ताई एक साँस में बोल गई।
"हाँ! सुना तो है कि कल उसकी तबियत ज्यादा ख़राब हो गई थी। शहर के नर्सिंग होम में ही दाखिल है। अभी तक..."
कुछ सोचते हुए फिर बोली, "अब तो उसकी तबीयत में काफी सुधार है।फिर आप किस दुःख की बात कर रही हो ताई?"
सहमते हुए।
"अरे! जानती हो न कि उसका प्रसव का समय नजदीक…
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on April 10, 2016 at 9:30am — 6 Comments
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on March 14, 2016 at 10:30pm — 2 Comments
अपनी मांग को लेकर एक समुदाय के लोग शांति से आंदोलन कर रहे थे। अचानक आंदोलन ने उग्र रूप लिया। अन्य समुदायों से झड़पें हुई। मारा-मारी हुई। छोटी-बड़ी सड़कें बन्द। लूट-पाट शुरू। यह सब ऎसे चला की मारा-मारी में हुई झड़पों में कइयों की जानें भी गई।
एक पत्रकार मांग को लेकर आंदोलन कर रहे समुदाय के बड़े नेता से
-यह जो हो रहा है, क्या यह सब ठीक है?
-जब चारों तरफ आगजनी हो, मारा-मारी हो, सब अपने ही लोग अपनों को मारने पर तुले हों, जनता हालातों से तंग आ गई हो तो कुछ ठीक कहा जा सकता है? यह…
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on February 22, 2016 at 3:00pm — 5 Comments
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on February 12, 2016 at 3:10pm — 5 Comments
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on January 18, 2016 at 9:55pm — 18 Comments
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on December 10, 2015 at 11:11am — 3 Comments
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on December 10, 2015 at 6:36am — 6 Comments
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on November 28, 2015 at 2:24pm — 8 Comments
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on November 28, 2015 at 7:09am — 4 Comments
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on November 27, 2015 at 12:19pm — 2 Comments
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on November 19, 2015 at 8:06pm — 11 Comments
मोहन कुमार आज एक शराबखाने के एक अलग-थलग कोने में बैठा था।मेज पर सामने एक बोतल शराब के साथ।जिस शराब को वह पीने की ज़बरदस्ती कोशिश कर रहा था,उसे शायद ही कभी पीया हो।एक हल्का सा ज़ाम बमुश्किल गले से उतार पाया।हल्के नशे में उसे अपने ज़िन्दगी का फ्लैशबैक नज़र आने लगा-
कॉलेज से पहले पत्रकारिता के प्रति रूचि..
इंटरमीडिएट के दौरान ही जाने माने टीवी पत्रकार को अपना आदर्श मान लेना...
अपनी रूचि के अनुरूप पत्रकारिता के उच्च कोर्स में प्रवेश लेना....
अपने आदर्श पत्रकार से…
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on November 9, 2015 at 7:30pm — 4 Comments
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on October 7, 2015 at 8:23pm — 6 Comments
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on October 6, 2015 at 6:02pm — 2 Comments
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