Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on February 5, 2017 at 4:15pm — 4 Comments
जब चले थे कभी
Added by Abid ali mansoori on November 9, 2016 at 10:25pm — 4 Comments
आरम्भ
मिल गए शख्स दो,पास आने लगे
कैनवस ज़िन्दगी का सजाने लगे
रोज फिर वो मुलाकात करने लगे
हर मुलाकात का रंग भरने लगे
मध्यांतर
कैनवस रोज़ रंगो से भरने लगा
वो ख़ुशी से ग़मों से संवरने लगा
देखते देखते दिन गुजरने लगे
ज़िन्दगी के सभी रंग भरने लगे
अंत
हर मुलाकात के रंग घुल मिल गए
और मिलके सभी रंग क्या कर गए
ये करामात या कसमकस देखिये
आज काला हुआ कैनवस…
Added by मिथिलेश वामनकर on December 27, 2014 at 2:38am — 8 Comments
1 2 2 2
हुआ पैदा कि धोके से, किसी का पाप मैं बन के
मुझे फेंका गया गन्दी कटीली झाड़ियों में फिर
कि चुभती झाड़ियाँ फिर फिर, कि होता दर्द भी फिर फिर
यहाँ काटे कभी कीड़े, वहां फिर चीटियाँ काटे
पड़ा देखा, उठा लाई, मुझे इक चर्च की दीदी.
हटा के चीटियाँ कीड़े, धुलाए घाव भी मेरे
बदन छालों भरा मेरा, परेशां मैं अज़ीयत से
खुदा से मांगता हूँ मौत अपनी सिर्फ जल्दी से
बड़ी नादान दीदी वो, लगाती जा रही मरहम
दुआ…
ContinueAdded by मिथिलेश वामनकर on December 10, 2014 at 1:30am — 15 Comments
[ 2 2 1 2 ]
वो आज ही बेवा हुई !
बुझ-सी गई जब रौशनी, जमने लगी जब तीरगी,
बदली यहाँ फिर ज़िन्दगी, वह आज ही बेवा हुई !
क्यूं तीन बच्चे छोड़कर, मुंह इस जहां से मोड़कर,
वो हो गया ज़न्नतनशीं, वो आज ही बेवा हुई !
है लाश नुक्कड़ पे पड़ी, मजमा लगा चारो तरफ,
उस पर सभी नज़रें गड़ी, वह आज ही बेवा हुई !
वो रो रही फिर रो रही, बस लाश को वो ताकती,
उसने कहा कुछ भी नहीं, वो आज ही बेवा हुई !
फिर यकबयक वो चुप हुई,…
ContinueAdded by मिथिलेश वामनकर on December 5, 2014 at 2:30am — 19 Comments
वक़्ते-पैदाइश पे यूं
मेरा कोई मज़हब नहीं था
अगर था मैं,
फ़क़त इंसान था, इक रौशनी था
बनाया मैं गया मज़हब का दीवाना
कि ज़ुल्मत से भरा इंसानियत से हो के बेगाना
मुझे फिर फिर जनाया क्यूँ
कि मुझको क्यूँ बनाया यूं
पहनकर इक जनेऊ मैं बिरहमन हो गया यारो
हुआ खतना, पढ़ा कलमा, मुसलमिन हो गया यारों
कहा सबने कि मज़हब लिक्ख
दिया किरपान बन गया सिक्ख
कि बस ऐसे धरम की खाल को
मज़हब के कच्चे माल को…
Added by मिथिलेश वामनकर on December 3, 2014 at 2:00am — 22 Comments
Added by Zaif on August 15, 2014 at 5:34am — 5 Comments
मैं तेरी याद को सीने में चल दिया लेकर,
मेरा भी दिल था जो तूने मसल दिया लेकर।
किसी के वास्ते खुद को तबाह कर लेना,
खुदा किसी को न अब तू ये हौसला देना।
सज़ा मैं कौन से जुर्मों की जाने सहता हूँ,
किसी हुजूम में रहकर भी आज तन्हा हूँ।
क्यों मेरे दिल का ठिकाना बदल दिया लेकर,
मेरा भी दिल था जो तूने मसल दिया लेकर।
न जाने आग में कब तक जला करूँगा मैं,
यूँ किस तरह से भला और जी सकूँगा मैं।
मिटाऊंगा…
ContinueAdded by इमरान खान on February 10, 2014 at 6:43pm — 4 Comments
तड़पा करूँ तेरी याद में हर पल ।
बन के रहूँ तेरे प्यार में पागल ।
मेरी जाना । मेरी जाना ।
मेरी जाना । मेरी जाना ।
तुझे भूलूं न कभी तुझे छोड़ूं न कभी ।
तेरे लिए मै जियूँ तू है मेरी ज़िन्दगी ।
दीवाने दिल की चाहत बनकर ।
आती हो मेरे ख़्वाबों में अक्सर ।
मेरी जाना । मेरी जाना ।
मेरी जाना । मेरी जाना ।
तेरा सपना सजाऊं तुझे अपना बनाऊं ।
लाऊं तोड़ के तारे तेरी मांग सजाऊं ।
तोड़ न जाना जन्मों…
ContinueAdded by Neeraj Nishchal on August 22, 2013 at 4:57pm — 4 Comments
मेरे सीने में तेरी जुदाई का गम ।
मुझको जीने न दे बेवफाई का गम ।
बदले दुआ के दगा दे गये ।
मोहब्बत की ऐसी सजा दे गये ।
कोई जाकर उन्हें ये बताये ज़रा ,
क्या माँगा था हमने वो क्या दे गये ।
ये हाल दिल का मै किस से कहूँ ,
कौन समझेगा दिल की दुहाई का गम ।
मेरे टूटे दिल की वफ़ा के लिए ।
इन धडकनों की सदा के लिए ।
तुझको कसम है कि मिलने मुझे ,
बस एक बार आजा खुदा के लिए ।
जिसको मिला…
ContinueAdded by Neeraj Nishchal on July 10, 2013 at 11:12am — 16 Comments
चाँद सितारों संग, महकी बहारों संग,
देखो चुपके से रात चली है ।
गहरी खामोशी में, ऐसी मदहोशी में ,
दिल में फिर तेरी बात चली है ।
चाँद का जब दीदार करूँ तो ।
दिल के झरोखे से प्यार करूँ तो ।
यादों की महकी बारात चली है ।
पूछो ना काटी कैसे तनहाई ।
याद जो आये वो तेरी जुदाई ।
आँखों से मेरे बरसात चली है ।
थाम के बाहें बाहों में ऐसे ।
चले दो राही राहों में ऐसे ।
जैसे संग सारी कायनात चली है ।
प्यार…
ContinueAdded by Neeraj Nishchal on June 30, 2013 at 12:00pm — 15 Comments
सजी हैँ ख़्वाब बनकर
जुगनुओँ की तरह
मासूम हसरतेँ दिल की
हिज़्र की पलकोँ पर...
यह टीसती हवायेँ
यह लम्होँ की तल्खियां
मचलने लगी है
हर तमन्ना
वक्त की आगोश मेँ..
मुन्तज़िर है आज भी दिल
किसी मख़्सूस सी
आहट के लिए..
यह मंज़र यह फ़िज़ायेँ
यह प्यार का मौसम
कितना है हसीँ
तेरे इन्तेज़ार का मौसम..!
*******************************
(मौलिक व अप्रकाशित)
___आबिद अली मंसूरी
Added by Abid ali mansoori on June 7, 2013 at 11:00am — 24 Comments
Added by Abid ali mansoori on June 5, 2013 at 9:54am — 17 Comments
आज मुझ पे हसीं इल्ज़ाम लगाया उसने,
मेरे सोते हुए बातिन को जगाया उसने।
मुझसे बोला के ये क्या रोग लगा बैठा है,
धूप निकली है अन्धेरे में छुपा बैठा है?
तुझको दुनिया की जो तकलीफ का हो अन्दाज़ा,
अपनी मायूसियों के खोल से बाहर आ जा।…
ContinueAdded by इमरान खान on August 6, 2012 at 3:33pm — 7 Comments
करोड़ों दिलों पर राज करने वाले शहंशाह-ए-ग़ज़ल एवं लोक लाड़ले स्वर सम्राट जनाब मेहदी हसन के देहावसान से हमें बहुत दुःख पहुंचा है .
उनकी आत्मिक शान्ति के लिए परम पिता से प्रार्थना करते हुए एक ग़ज़ल के रूप में दिवंगत आत्मा को विनम्र श्रद्धांजलि :
आँख ग़ज़ल…
Added by Albela Khatri on June 14, 2012 at 11:30am — 12 Comments
दर्द भरा है ये समां, होने लगा धुआं धुआं.
ये तेरी मंजिलें कहाँ, चल दिल चलें अपने जहाँ.
दो पल मुझे हंसा गया, सदियों मगर रुला गया.
सीने में आग जल गयी, इतना मुझे सता गया,
रोने लगा रुवां रुवां, चल दिल चलें अपने…
ContinueAdded by इमरान खान on May 6, 2012 at 11:41am — 7 Comments
नज़्म - निमिष भर को उथल है !
सफ़र कटने में अंदेशा नहीं है
मगर सोचा हुआ होता नहीं है
कई लोगों को छूकर जी चुका हूँ
नहीं…
Added by Abhinav Arun on March 12, 2012 at 4:39pm — 14 Comments
यही है ख़ुदाई उसकी, छोटी सी ये इल्तजा,
जो कभी की थी उससे, पूरी वो न कर सका;
तेरे मेरे बीच हैं अब, मीलों के फ़ासले
कभी सामने थे तुम, आज हो गए परे
तेरे मेरे बीच…
Added by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 2, 2012 at 2:00pm — 21 Comments
बाक़ी रहा न मैं, न ग़मे-रोज़गार मेरे.
अब सिर्फ़ तू ही तू है परवरदिगार मेरे.
यारब हैं सर पे आने को कौन सी बलायें,
क्यूँ आज मेरी क़िस्मत है साज़गार मेरे.
बरसेगी और तुझपे ? उनके करम की बदली,…
ContinueAdded by डॉ. नमन दत्त on September 12, 2011 at 7:30am — 2 Comments
पंछी ए ख्वाब के पर काट के सारे तुमने,
कर दिये फौत ये अरमान हमारे तुमने।
बेकरारी में ये मदहोश मेरी धड़कन है,
अपना साथी तो फकत टूटा हुआ दरपन है,
बेसदा मेरा तराना हुये अल्फाज भी गुम,…
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