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ग़ज़ल की कक्षा

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ग़ज़ल की कक्षा

इस समूह मे ग़ज़ल की कक्षा आदरणीय श्री तिलक राज कपूर द्वारा आयोजित की जाएगी, जो सदस्य सीखने के इच्‍छुक है वो यह ग्रुप ज्वाइन कर लें |

धन्यवाद |

Location: OBO
Members: 376
Latest Activity: Aug 6

Discussion Forum

ग़ज़ल संक्षिप्‍त आधार जानकारी-10 39 Replies

मुफरद बह्रों से बनने वाली मुजाहिफ बह्रेंइस बार हम बात करते हैं मुफरद बह्रों से बनने वाली मुजाहिफ बह्रों की। इन्‍हें देखकर तो अनुमान हो ही जायेगा कि बह्रों का समुद्र कितना बड़ा है। यह जानकारी संदर्भ के काम की है याद करने के काम की नहीं। उपयोग करते करते ये बह्रें स्‍वत: याद होने लगेंगी। यहॉं इन्‍हें देने का सीमित उद्देश्‍य यह है जब कभी किसी बह्र विशेष का कोई संदर्भ आये तो आपके पास वह संदर्भ के रूप में उपलब्‍ध रहे। और कहीं आपने इन सब पर एक एक ग़ज़ल तो क्‍या शेर भी कह लिया तो स्‍वयं को धन्‍य…Continue

Tags: बह्र, विवरण, पाठ, ज्ञान, ग़ज़ल

Started by Tilak Raj Kapoor. Last reply by मनोज अहसास Sep 27, 2024.

ग़ज़ल-संक्षिप्‍त आधार जानकारी-9 6 Replies

(श्री तिलक राज कपूर जी द्वारा मेल से भेजे गए पोस्ट को हुबहू पोस्ट किया जा रहा है.....एडमिन) जि़हाफ़:जि़हाफ़ का शाब्दिक अर्थ है न्‍यूनता या कमी। बह्र के संदर्भ में इसका अर्थ हो जाता है अरकान में मात्राओं की कमी। ग़ज़ल का आधार संगीत होने के कारण यह जरूरी हो गया कि मात्रिक विविधता पैदा की जाये जिससे बह्र विविधता प्राप्‍त हो सके। इसका हल तलाशा गया मूल अरकान में संगीतसम्‍मत मात्रायें कम कर उनके नये रूप बनाकर। मात्रायें कम करना कोई तदर्थ प्रक्रिया नहीं है, इसके निर्धारित नियम हैं।मुख्य…Continue

Started by Admin. Last reply by आवाज शर्मा Jul 20, 2011.

ग़ज़ल-संक्षिप्‍त आधार जानकारी-8 7 Replies

बह्र विवरण-अगला चरण:पिछली पोस्‍ट में जो जानकारी दी गयी थी उससे एक स्‍वाभाविक प्रश्‍न उठता है कि सभी मुफ़रद बह्र एक ही रुक्‍न की आवृत्ति से बनती हैं तो वो प्रकृति से ही सालिम हैं और मुरक्‍कब बह्र अलग-अलग अरकान से बनती हैं तो सालिम हो नहीं सकतीं फिर सालिम परिभाषित करने की आवश्‍यकता कहॉं से पैदा हुई। जहॉं तक मूल अरकान की बात है उनके लिये सालिम परिभाषित करने की वास्‍तव में कोई आवश्‍यकता नहीं थी लेकिन अरकान के जि़हाफ़़ से मुज़ाहिफ़ बह्र बनती हैं और उनमें एक ही जि़हाफ़़ की आवृत्ति होने पर सालिम की…Continue

Tags: पाठ, विवरण, ज्ञान, ग़ज़ल, कक्षा

Started by Tilak Raj Kapoor. Last reply by Tilak Raj Kapoor May 14, 2011.

ग़ज़ल-संक्षिप्‍त आधार जानकारी-7 6 Replies

ग़ज़ल की विधा में रदीफ़ काफि़या तक बात तो फिर भी आसानी से समझ में आ जाती है, लेकिन ग़ज़ल के तीन आधार तत्‍वों में तीसरा तत्‍व है बह्र जिसे मीटर भी कहा जा सकता है। आप चाहें तो इसे लय भी कह सकते हैं मात्रिक-क्रम भी कह सकते हैं।रदीफ़ और काफि़या की तरह ही किसी भी ग़ज़ल की बह्र मत्‍ले के शेर में निर्धारित की जाती है और रदीफ़ काफिया की तरह ही मत्‍ले में निर्धारित बह्र का पालन पूरी ग़ज़ल में आवश्‍यक होता है। प्रारंभिक जानकारी के लिये इतना जानना पर्याप्‍त होगा कि बह्र अपने आप में एकाधिक रुक्‍न…Continue

Tags: बह्र, कक्षा, ग़ज़ल, ज्ञान, पाठ

Started by Tilak Raj Kapoor. Last reply by मिथिलेश वामनकर Jul 21, 2024.

ग़ज़ल-संक्षिप्‍त आधार जानकारी-6 15 Replies

काफि़या को लेकर अब कुछ विराम लेते हैं। जितना प्रस्‍तुत किया गया है उसपर हुई चर्चा को मिलाकर इतनी जानकारी तो उपलब्‍ध हो ही गयी है कि इस विषय में कोई चूक न हो। रदीफ़ को लेकर कहने को बहुत कुछ नहीं है फिर भी कोई प्रश्‍न हों तो इस पोस्‍ट पर चर्चा के माध्‍यम से उन्‍हें स्‍पष्‍ट किया जा सकता है। लेकिन रदीफ़ और काफि़या को लेकर कुछ महत्‍वपूर्ण है जिसपर चर्चा शेष है और वह है रदीफ़ और काफि़या के निर्धारण में सावधानी। यह तो अब तक स्‍पष्‍ट हो चुका है कि रदीफ़ की पुनरावृत्ति हर शेर में होती है और काफि़या का…Continue

Tags: पाठ, ज्ञान, ग़ज़ल, कक्षा

Started by Tilak Raj Kapoor. Last reply by kanta roy Jan 27, 2016.

ग़ज़ल-संक्षिप्‍त आधार जानकारी-5 36 Replies

पिछले आलेख में हमने प्रयास किया काफि़या को और स्‍पष्‍टता से समझने का और इसी प्रयास में कुछ दोष भी चर्चा में लिये। अगर अब तक की बात समझ आ गयी हो तो एक दोष और है जो चर्चा के लिये रह गया है लेकिन देवनागरी में अमहत्‍वपूर्ण है। यह दोष है इक्‍फ़ा का। कुछ ग़ज़लों में यह भी देखने को मिलता है। इक्‍फ़ा दोष तब उत्‍पन्‍न होता है जब व्‍यंजन में उच्‍चारण साम्‍यता के कारण मत्‍ले में दो अलग-अलग व्‍यंजन त्रुटिवश ले लिेये जाते हैं। वस्‍तुत: यह दोष त्रुटिवश ही होता है। इसके उदाहरण हैं त्रुटिवश 'सात' और 'आठ' को…Continue

Tags: पाठ, ज्ञान, ग़ज़ल, कक्षा

Started by Tilak Raj Kapoor. Last reply by Nilesh Shevgaonkar Apr 22, 2017.

ग़ज़ल-संक्षिप्‍त आधार जानकारी-4 33 Replies

काफि़या को लेकर आगे चलते हैं।पिछली बार अभ्‍यास के लिये ही गोविंद गुलशन जी की ग़ज़लों का लिंक देते हुए मैनें अनुरोध किया था कि उन ग़ज़लों को देखें कि किस तरह काफि़या का निर्वाह किया गया है। पता नहीं इसकी ज़रूरत भी किसी ने समझी या नहीं।कुछ प्रश्‍न जो चर्चा में आये उन्‍हें उत्‍तर सहित लेने से पहले कुछ और आधार स्‍पष्‍टता लाने का प्रयास कर लिया जाये जिससे बात समझने में सरलता रहे।काफि़या या तो मूल शब्‍द पर निर्धारित किया जाता है या उसके योजित स्‍वरूप पर। पिछली बार उदाहरण के लिये 'नेक', 'केक' लिये गये…Continue

Tags: पाठ, ज्ञान, ग़ज़ल, कक्षा

Started by Tilak Raj Kapoor. Last reply by Rachna Bhatia Apr 27, 2019.

ग़ज़ल-संक्षिप्‍त आधार जानकारी-3 53 Replies

एक बात जो आरंभ में ही स्‍पष्‍ट कर देना जरूरी है कि यह आलेख काफि़या का हिन्‍दी में निर्धारण और पालन करने की चर्चा तक सीमित है। उर्दू, अरबी, फ़ारसी या इंग्लिश और फ्रेंच आदि भाषा में क्‍या होता मैं नहीं जानता।पिछले आलेख पर आधार स्‍तर के प्रश्‍न तो नहीं आये लेकिन ऐसे प्रश्‍न जरूर आ गये जो शायरी का आधार-ज्ञान प्राप्‍त हो जाने और कुछ ग़ज़ल कह लेने के बाद अपेक्षित होते हैं।प्राप्‍त प्रश्‍नों पर तो इस आलेख में विचार करेंगे ही लेकिन प्रश्‍नों के उत्‍तर पर आने से पहले पहले कुछ और आधार स्‍पष्‍टता प्राप्‍त…Continue

Tags: पाठ, ज्ञान, ग़ज़ल, कक्षा

Started by Tilak Raj Kapoor. Last reply by Rajeev Bharol Feb 22, 2012.

ग़ज़ल-संक्षिप्‍त आधार जानकारी-2 12 Replies

ग़ज़ल की आधार परिभाषायें जानने के बाद स्‍वाभाविक उत्‍सुकता रहती है इन परिभाषित तत्‍वों के प्रायोगिक उदाहरण जानने की। ग़ज़ल में बह्र का बहुत अधिक महत्‍व है लेकिन उत्‍सुकता सबसे अधिक काफि़या के प्रयोग को जानने की रहती है। आज प्रयास करते हैं काफि़या को उदाहरण सहित समझने की।सभी उदाहरण मैनें आखर कलश पर प्रकाशित गोविन्‍द गुलशन जी की ग़ज़लों से लिये हैं। एक मत्‍ला देखें:'दिल में ये एक डर है बराबर बना हुआमिट्टी में मिल न जाए कहीं घर बना हुआ'इसमें 'बना हुआ' तो मत्‍ले की दोनों पंक्तियों के अंत में आने…Continue

Tags: पाठ, ज्ञान, ग़ज़ल, कक्षा

Started by Tilak Raj Kapoor. Last reply by विनोद 'निर्भय' Nov 17, 2018.

ग़ज़ल-संक्षिप्‍त आधार जानकारी-1 56 Replies

यह आलेख उनके लिये विशेष रूप से सहायक होगा जिनका ग़ज़ल से परिचय सिर्फ पढ़ने सुनने तक ही रहा है, इसकी विधा से नहीं। इस आधार आलेख में जो शब्‍द आपको नये लगें उनके लिये आप ई-मेल अथवा टिप्‍पणी के माध्‍यम से पृथक से प्रश्‍न कर सकते हैं लेकिन उचित होगा कि उसके पहले पूरा आलेख पढ़ लें; अधिकाँश उत्‍तर यहीं मिल जायेंगे। एक अच्‍छी परिपूर्ण ग़ज़ल कहने के लिये ग़ज़ल की कुछ आधार बातें समझना जरूरी है। जो संक्षिप्‍त में निम्‍नानुसार हैं:ग़ज़ल- एक पूर्ण ग़ज़ल में मत्‍ला, मक्‍ता और 5 से 11 शेर (बहुवचन अशआर) प्रचलन…Continue

Tags: पाठ, ज्ञान, कक्षा, ग़ज़ल

Started by Tilak Raj Kapoor. Last reply by Asif zaidi Jan 22, 2019.

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Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 21, 2013 at 4:42pm

आदरणीय राज सर ...वो तरन्नुम न रहा और वो तराना न रहा,
साज ऐसा हूँ के अब जिसका बजाना न रहा...सर कभी कभी कुछ छोटे छोटे सवालों में दिमाग उलझ जाता है ..थोडा कंफ्यूज हूँ   जानना ये चाहता हूँ की क्या और के र और वो लघु को मिलकर दीर्घ मानते हुए जिसका के का के अनुरूप बजन दिया जा सकता है 

Comment by Tilak Raj Kapoor on July 17, 2013 at 11:27am

मिल जाती है सबको छूट 
मैं भी लुटता तू भी लूट

शेर से जो भाव उत्‍पन्‍न हो रहा है उसके अनुसार मैं भी लूटूँ तू भी लूट होगा। यही शेर अगर यूँ कहें:

यहॉं सभी को मन की छूट

लूट सके तो तो भी लूट। 

अब इसका वज्‍़न संभालें। 

Comment by Ketan Parmar on July 16, 2013 at 11:55am

Salaam नादिर ख़ान

saheb kripya niche diya hua sher dekhe usme aapke dwara diye huve sare kafiye fit baithenge. Main Jiyada toh nahi jantaa magar koshish rahti hai kuch naya sikhne ki

मिल जाती है सबको छूट
मैं भी लुटता तू भी लूट

Baki jo gurujan sahi sujhav denge use follow karna hamara dharam hai 

Comment by Ramkumar Nema on June 30, 2013 at 11:44am

आदरणीय श्री तिलक राज कपूर जी वा ग़ज़ल की कक्षा के सभी सदस्यो को मेरा सादर प्रणाम मे आप सभी के स्नेह का इच्‍छुक हू 

Comment by Tilak Raj Kapoor on June 3, 2013 at 12:52pm

स्‍वागत है आशुतोष जी।

विकास की आवश्‍यकता है कि ज्ञानाधार सहज, सरल व सुलभ हो। 

प्रयास करेंगे तो इतना तो यहॉं पा ही लेंगे कि आधार बातें स्‍पष्‍ट हो जायें। 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 2, 2013 at 2:11pm

मैं कक्षा में नया छात्र हूँ ..सभी सीनियर्स को श्रधेय गुरुदेव को सादर प्रणाम के साथ कक्षा में बैठने की अनुमति ले रहा हूँ 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 7, 2013 at 2:05pm

//क्या बिना शेर के गजल लिखी जा सकती है //

भाई, प्रश्न पूछने के पहले आप पहले इस समूह के आलेख पढ़ें.

Comment by बसंत नेमा on May 7, 2013 at 12:57pm

क्या बिना शेर के गजल लिखी जा सकती है 

Comment by नादिर ख़ान on October 6, 2012 at 2:24pm
सर जी  आदाब
अगर  मत्ला ये है 
छूट मिली है सबको खूब 
मै भी लूटूँ तू भी लूट
तो क्या इसके साथ काफिया  पूछ,कूद, घूट,रूठ उपयोग मे ल सकते हैं
 
इस तरह 
छूट मिली है सबको खूब 
मै भी लूटूँ तू भी लूट
चमचों को तू रख ले पास
कौन करे फिर तुझसे पूछ
किसने देखी है कल की
कर ले पूरी इच्छा खूब
नाच रहे हैं बंदर भालू
करे मदारी खेल-कूद
 
हरी, नारंगी पिये आप
जनता पीये कड़ुआ घूट
लाख जतन से मिली है कुर्सी
जग रूठे पर तू न रूठ
कृपया मार्गदर्शन दें 
Comment by Tilak Raj Kapoor on April 4, 2012 at 10:40am

यह खुली पाठशाला है जिसमे सीखनेवाले को स्वतंत्रता है के वो कैसे गए बढ़ना चाहता है!

 
 
 

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