Added by R N Tiwari on January 24, 2011 at 10:00am — 13 Comments
Added by shahid mirza shahid on January 23, 2011 at 7:00pm — 8 Comments
पिता जी की डायरी से....
हाय भगवन क्या दिखाया ,
शांति मन में विक्रांति लाकर .
सरज का नव पुष्प कोमल ,
अग्नि ज्वाला में फसाकर,
वेड ही दिवस महिना ,
श्वेत ही वर्ण था निशा का,
शास्त्र ही दिन शेष था.
सूर्य था पश्चिम दिशा का.
उत्साह का उस दिन था पहरा ,
नयन सबही के खिले थे.
एक वर वधु के व्याह में ,…
Added by R N Tiwari on January 23, 2011 at 6:30pm — 4 Comments
Added by shalini kaushik on January 23, 2011 at 9:46am — 2 Comments
सिमरन दो साल के बेटे विभु को लेकर जब से मायके आई थी उसका मन उचाट था, गगन से जरा सी बात पर बहस ने ही उसे यंहा आने के लिए विवश किया था | यूँ गगन और उसकी 'वैवाहिक रेल' पटरी पर ठीक गति से चल रही थी पर सिमरन के नौकरी की जिद करने पर गगन ने इस रेल में इतनी जोर क़ा ब्रेक लगाया क़ि यह पटरी पर से उतर गई और सिमरन विभु को लेकर मायके आ गयी | सिमरन अपने घर से निकली तो देखा विभु उस फूल की तरह मुरझा गया था जिसे बगिया से तोड़कर बिना…
ContinueAdded by shikha kaushik on January 23, 2011 at 9:00am — 2 Comments
महफिल में भी अनजाने हो गये |
आखों में ख्वाब जो दिखाया करते थे वो
Added by Ajay Singh on January 22, 2011 at 8:30pm — 1 Comment
घबरा जाता हूँ में
जब वो दिन याद आते हैं
पीड़ा के वो पल
टूट कर बिखर गया था में जब
वो रोज आँखें नम होना
वो हर हर बात पर आने वाली सिसकी
वो फूंक फूंक कर क़दमों को बढ़ाना
वो लाचार जिंदगी
रास्ते में पड़ा पत्थर जिसकी तकदीर का कोई पता नहीं
जाने कब कोई ठोकर मारकर आगे चल पड़े
जैसे उसका कोई वजूद ही नहीं
अपने अंजाम से बेखबर
वो छोटी छोटी चीज़ों का ध्यान रखना
वो बिस्तर पर पड़े रहकर रोज सोचते…
ContinueAdded by Bhasker Agrawal on January 22, 2011 at 3:16pm — 2 Comments
हर सुबह नई आशा के साथ जागो;
दिल में विश्वास रखो ऊपर वाले के प्रति;
गिरो अगर तो गिरकर संभालो खुद को;
जिन्दगी में जीत फिर तुम्हारी होगी!
ये मत सोचो क्या खो दिया;…
ContinueAdded by shikha kaushik on January 22, 2011 at 9:30am — 2 Comments
Added by anupama shrivastava[anu shri] on January 21, 2011 at 2:49pm — 2 Comments
"इंसाफ जालिमों की हिमायत में जायेगा,
ये हाल है तो कौन अदालत में जायेगा."
राहत इन्दोरी के ये शब्द और २६ नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ के द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट पर किया गया दोषारोपण कि "हाईकोर्ट में सफाई के सख्त कदम उठाने की ज़रुरत है क्योंकि यहाँ कुछ…
ContinueAdded by shalini kaushik on January 21, 2011 at 1:00pm — No Comments
तुम साथ नहीं हो
लेकिन फिर भी
ऐसा लगता है
कि तुम यहीं हो
फुलों में, हवाओ में
पतझड़ में, बहारों में
घटाओ…
Added by Raju on January 21, 2011 at 10:09am — 4 Comments
वो कौन है ...
Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on January 21, 2011 at 8:30am — 6 Comments
Added by CHANDAN KUMAR on January 21, 2011 at 1:00am — 2 Comments
Added by R N Tiwari on January 20, 2011 at 5:30pm — No Comments
Added by Lata R.Ojha on January 20, 2011 at 3:30pm — 8 Comments
Added by shikha kaushik on January 19, 2011 at 10:00pm — 6 Comments
Added by Lata R.Ojha on January 19, 2011 at 8:00pm — 6 Comments
Added by Ratnesh Raman Pathak on January 19, 2011 at 6:37pm — No Comments
Added by R N Tiwari on January 19, 2011 at 4:30pm — 2 Comments
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