मुश्किल में हूँ कान्हा
कैसे तोहे नैनों में बसाऊँ
मेरे श्याम सांवरे
कैसे तोहे मीठे बैन सुनाऊं
कभी तेरे कुंडल मोहें मोहे
कभी माथे की बिंदिया
कभी तेरी बंसी छेड़े मोहे
कभी अँखियाँ छीने निंदिया
मुश्किल में हूँ कान्हा
कैसे तोहे नैनों में बसाऊँ
लाल-पीली पगड़ी पे कान्हा
मोती बन माथे पे लटक जाऊं
कभी होठों की लाली मोहे मोहे
कभी भाल का चन्दन
कभी तेरी बतियां सोहे मोहे
कभी राधिका…
Added by Poonam Matia on January 15, 2014 at 1:30am — 12 Comments
"स्वार्थ और प्यार "
मानव बिकाऊ है जमी पर , मानवता की आड़ में।
ईमान बिकता है यहाँ पर , धर्म जाए भाड़ में ।।
भ्रष्टाचार का खू लगा है ,हर मानव की दाड़ में।
ऐसा बिगाड़ा इंसा जैसे ,बच्चा बिगड़ता लाड़ में।।
स्वार्थ की खातिर बेचा देश , दुनियाँ के बाजार में।
वतन किया नीलाम देखो ,मानव के सरदार ने।।
प्यार कभी न बजता यारों ,खुदगर्जी के साज में।
और कभी न स्वार्थ टिकता ,दिलबर के दरबार में।।
इन दोनों का साथ तो जैसे ,जल पावक के साथ…
Added by chouthmal jain on January 14, 2014 at 10:30pm — 14 Comments
2 2 1 2 1 2 1 1 2 2 1 2 1 2
अब राजनीति सबकी रगों में समा गई
विश्वास खो गया,तो कंही आस्था गई ।।
मैं देखता हूँ मेरे नगर में ये क्या हुआ,
लडकी खुशी-खुशी से ही इज्जत लुटा गई।
हर मोड पर जो शहर के आवारगी खडी,
मैं क्या करूँ बजुर्गों की चिन्ता बढा गई।
बादल न जाने किसके हवन पर गया कंही,
रूठी हुई सी तन्हा अकेली हवा गई।
महफिल में ही किसी ने मेरी बात छेड दी,
सुनते ही इतना रूप की गागर लजा…
ContinueAdded by सूबे सिंह सुजान on January 14, 2014 at 10:30pm — 25 Comments
कितनी दूर से बुलाये गये
नाचने वाले सितारे
कितनी दूर से मंगाए गए
एक से एक गाने वाले
और तुम अलापने लगे राग-गरीबी
और तुम दिखलाते रहे भुखमरी
राज-धर्म के इतिहास लेखन में
का नही कराना हमे उल्लेख
कला-संस्कृति के बारे में...
का कहा, हम नाच-गाना न सुनते
तो इत्ते लोग नही मरते...
अरे बुडबक...
सर्दी से नही मरते लोग तो
रोड एक्सीडेंट से मर जाते
बाढ़ से मर जाते
सूखे से मर जाते
मलेरिया-डेंगू से मर जाते …
Added by anwar suhail on January 14, 2014 at 9:30pm — 8 Comments
१-मूक भाषा
उनसे बात करने के लिए
शब्दों कि आवश्यकता नहीं
पता है क्यूँ ?मेरा
सन्देश वाहक "मौन" है//
२-कोशिश
आज फिर से वो पकड़ा गया
कुछ नया करने कि चोर कोशिश में //
३-चैन कि नींद
शायद इस दुनियां से ऊब गया था
तभी तो
बड़ा सा पत्थर ओढ़कर सो गया है //
४-ऐसा भी
बड़े अज़ीब लोग है
पीट रहे हैं उसे
और उसी से ज़ुर्म भी पूछ रहे है //
५-नाकाम…
ContinueAdded by ram shiromani pathak on January 14, 2014 at 9:00pm — 16 Comments
रिश्तों का अलंकार बनूँगी माँ
इंद्र्धनुष के समाये हें मुझमें सातों रंग
हर कली में ममता का श्रंगार करूंगी माँ।
बंद कली खिल जाने दे, नई सृष्टि रच जाने दे,
इस जग में आकर प्रकृति का उपहार बनूँगी…
ContinueAdded by DR. HIRDESH CHAUDHARY on January 14, 2014 at 7:30pm — 8 Comments
विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत महिलाएं जिस तरह बड़े-बड़े पैकेज (हज़ारों ,लाखों में ) ले रही हैं उसे देख अधिकतर महिलाएं खुद को बहुत नीचा या कमतर समझती है जब उनसे पूछा जाता है कि वे क्या करती हैं ........और शर्म महसूस करती हैं.यह बताने में कि वे केवल हाउसवाइफ हैं .
यह इसलिए कि हाउसवाइफ का मतलब अक्सर यह समझा जाता है कि या तो वह घर में चूल्हा-चौका करती है या फिर सिर्फ किट्टी पार्टियों में अपना समय व्यतीत करती हैं ....... जबकि वास्तविक स्थिति इसके बिलकुल विपरीत होती है ...अधिकांश महिलाएं…
Added by Poonam Matia on January 14, 2014 at 5:30pm — 22 Comments
आदि बेटे, मैं बहू को लेकर अस्पताल जा रही हूँ साथ में रंजना (बेटी) और अदिति ( पोती) भी। तुम गुरूजी को लेकर वहीं आओ।
आइये गुरूजी, प्रणाम। पोती के जन्म के समय आपने पूरा समय दिया था इस बार भी.......।
ठीक है मैया, मिठाई खाकर ही जाऊँगा। बहू को आशीर्वाद देते हुए - चिंता मत करो बेटी श्रीराधेकृष्ण की कृपा से इस बार भी सब कुछ सामान्य और सुखद होगा। हर समय…
ContinueAdded by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on January 14, 2014 at 12:00pm — 15 Comments
बह्रे रमल मुसद्दस महज़ूफ़
2122/ 2122/ 212
जाँ तेरी ऐसे बचा ली जाएगी;
हर तमन्ना मार डाली जाएगी; ।।1।।
बंदरों के हाथ में है उस्तरा,
अब विरासत यूँ सँभाली जाएगी;।।2।।
इक नज़ूमी कह रहा है शर्तियः,
दिन मनव्वर रात काली जाएगी;।।3।।
जब सियासत ठान ली तो जान लो,
हर जगह इज़्ज़त उछाली जाएगी;।।4।।
कर के…
Added by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on January 14, 2014 at 10:00am — 32 Comments
भारत तुझे नमन
जब-जब देखा यहाँ है पाया
एक अनोखा रंग
भारत तुझे नमन
कण-कण मे यहाँ प्यार है बसता
देखो कितनी है समरसता
चाहे हिंदू, चाहे…
ContinueAdded by Pragya Srivastava on January 13, 2014 at 10:30pm — 9 Comments
Added by Ravi Prakash on January 13, 2014 at 8:43pm — 13 Comments
बह्र : २२१ २१२२ २२१ २१२२
रस्ते में जिस्म आया मंजिल तलक न पहुँचे
आँखों में जो न उतरे वो दिल तलक न पहुँचे
मंजिल मिली जिन्हें भी मँझधार में, उन्हीं पर
कसता जहान ताना, साहिल तलक न पहुँचे
जो पिस गये वो चमके हाथों की बन के मेंहदी
यूँ तो मिटेंगे वे भी जो सिल तलक न पहुँचे
मैं चाहता हूँ उसकी नज़रों से कत्ल होना
पर बात ये जरा सी कातिल तलक न पहुँचे
घटता है आज गर तो कल बढ़ भी जायेगा, पर
जानम…
ContinueAdded by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on January 13, 2014 at 7:31pm — 18 Comments
खोज रही उनकी टोही निगाहें मुझमे
क्या-क्या उत्पाद खरीद सकता हूँ मैं...
मेरी ज़रूरतें क्या हैं
क्या है मेरी प्राथमिकताएं
कितना कमाता हूँ, कैसे कमाता हूँ
खर्च कर-करके भी कितना बचा पाता हूँ मैं...
एक से एक सजी हैं दुकाने जिनमे
बिक रही हैं हज़ार ख्वाहिशें हरदम
मेरी गाढ़ी कमाई की बचत पर डाका
डालने में उन्हें महारत है...
कैसे बच पाउँगा बाज़ार के लुटेरों से
एक दिन उड़ेल आऊंगा बचत अपनी
हजारों ख्वाहिशें कहकहा…
Added by anwar suhail on January 13, 2014 at 7:00pm — 4 Comments
प्रीत की चली पवन,
जब मिले धरा गगन,
मेघों के गर्जन,
संगीत बन गए,
बज उठे नूपुर,
प्रेम गीत बन गए।
कान्हा की बंसी ने
प्रेम धुन बजाई
होके दीवानी देखो
राधा चली आई
अजनबी थे जो,
मन के मीत बन गए,
बज उठे नूपुर,
प्रेम गीत बन गए।
चंद्रमा के प्रेम में,
चांदनी पिघल रही,
बिन तुम्हारे नेह की,
रागिनी मचल रही,
प्रीत में यही,
जग की रीत बन गए,
बज उठे नूपुर,
प्रेम गीत बन…
Added by Anita Maurya on January 12, 2014 at 10:30pm — 12 Comments
अभिनय कर तो लूँ
पर कच्ची हूँ
माँ पकड़ ही लेती है छुपाये गए
झूठे हाव भाव...
चुप रह कर सिर्फ सर हिला कर
उनकी बातों का जवाब देना
छत पर घंटों अकेले बिताना
रात भर जागना
और सुबह लाल आँखों से
माँ से कहना-
कुछ नहीं कल गर्मी बहुत थी
नींद नहीं आयी...
माँ ने भी कुछ न कह
बस पास बिठा कर कहा
चाय पियो आराम मिलेगा
वो तो समझ गयी...
काश मैं भी वो समझूं
जो वो मुझसे रोज़ न कहते हुए…
ContinueAdded by Priyanka singh on January 12, 2014 at 10:28pm — 16 Comments
ऐ खुदा मुझ को भी तेरी मेहरबानी चाहिए
इक महकते गुल की जैसी ज़िंदगानी चाहिए
मुझ को लंबी उम्र की हरगिज नहीं है आरज़ू
जब तलक है जिंदगी ,मुझको जवानी चाहिए
मैं समंदर तो नहीं जो उम्र भर ठहरा रहूँ
एक दरया की तरह मुझ को रवानी चाहिए ...
परवरिश बच्चों की करना , फर्ज़ है माँ बाप का
सच की हरदम राह भी उन को दिखानी चाहिए
आज के अखबार का यह कह रहा है राशि…
ContinueAdded by Ajay Agyat on January 12, 2014 at 5:00pm — 15 Comments
221 2121 1221 212
Added by Dr Ashutosh Mishra on January 12, 2014 at 4:00pm — 15 Comments
दिल से प्यार
रूह से प्यार
प्रतिक ताजमहल
सीता,सती,अनुसुईया
बाते किताबों की
आज का प्रेम तन
वासना, भूख
अंहकार,पुरूषार्थ का
अपमान सहे कैसे
खोजे सूनी राह
शांत गलीयाँ
लूटे अस्मत,
इज्जत तार तार
अबला देख रही थी सपने
दिखा रही सपने
कर गुजरने की चाहत
सीखने सीखाने की चाहत
पर अब अंधकार में कैद
लाख साथ जमाना
साथ में ताना
क्यों क्या कैसे
दिल को भेदते…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on January 12, 2014 at 10:25am — 6 Comments
ज़िंदगी के यज्ञ में खुद को हवन करना पड़ा
आंसुओं से ज़िंदगीभर आचमन करना पड़ा....
मंज़िलों से दूरियाँ जब ,कम नहीं होती दिखीं
क्या कमी थी कोशिशों में,आंकलन करना पड़ा .....
ऐसे ही पायी नहीं थी देश ने स्वतन्त्रता
इस को पाने के लिए क्या क्या जतन करना पड़ा ...
जाने मुंसिफ़ की भला थी कौन सी मजबूरियां
फैसला हक़ में मेरे जो दफ़अतन करना…
Added by Ajay Agyat on January 11, 2014 at 7:00pm — 16 Comments
हे हंसवाहिनी, हे शारदे माँ,
विद्या का तू उपहार दे माँ,
जीवन पथ पर बढ़ती जाऊँ,
अपनों का विश्वास बनूँ माँ,
अंधियारे को दूर भगा दूँ,
ऐसी तेरी दास बनूँ माँ,
तेरी महिमा जग में गाउँ ,
अधरों को तू उदगार दे माँ,
हे हंसवाहिनी, हे शारदे माँ,
विद्या का तू उपहार दे माँ,
मधु का स्वाद लिए है ज्यो अब,
विष का भी मैं पान करूँ माँ,
फूलों पर जैसे चलती हूँ,
शूलों को भी पार करूँ माँ,
तूफानों में राह बना…
Added by Anita Maurya on January 11, 2014 at 3:00pm — 7 Comments
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