221 2121 1221 212
सच्ची जो बात है वो छुपाई न जाएगी ।
झूठी कसम तो आप की खाई न जाएगी ।।
बस हादसे ही हादसे मिलते रहे मुझे ।
लिक्खी खुदा की बात मिटाई न जाएगी ।।
चेहरे हैं बेनकाब यहाँ कातिलों के अब।
लेकिन सजाये मौत सुनाई न जाएगी ।।
ज़ाहिद खुदा की ओर मुखातिब न कर मुझे ।
काफ़िर हूँ मैं नमाज़ पढ़ाई न जाएगी…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on January 30, 2018 at 6:00pm — 7 Comments
212 212 212 212
आज फिर वो मुझे याद आने लगे ।
भूलने में जिसे थे ज़माने लगे ।।
कर गई है असर वो मिरे जख़्म तक ।
इस तरह क्यूँ ग़ज़ल गुनगुनाने लगे ।।
दिल जलाने की साज़िश बयां हो गयी ।
बेसबब आप जब मुस्कुराने लगे ।।
अब बता दीजिये क्या ख़ता हो गयी ।
ख़ाब में इस तरह क्यों सताने लगे…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on January 28, 2018 at 4:03pm — 7 Comments
1212 1122 1212 22
गरीब खाने तलक रोटियां नहीं जातीं ।
तेरे जहान से क्यूँ सिसकियाँ नहीं जातीं ।।
कतर रहे हैं वो पर ख्वाहिशों का अब भी बहुत।
नए गगन में अभी ,बेटियां नहीं जातीं ।।
वो तोड़ सकता है तारे भी आसमाँ से मग़र ।
मुसीबतो की ये परछाइयां नहीं जातीं ।।
यकीं करूँ मैं कहाँ तक जुबान पर साहब ।
लहू से आपके खुद्दारियाँ नहीं जातीं…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on January 27, 2018 at 9:51pm — 9 Comments
1212 1122 1212 22
गरीब खाने तलक रोटियां नहीं जातीं ।
तेरे जहान से क्यूँ सिसकियाँ नहीं जातीं ।।
कतर रहे हैं वो पर ख्वाहिशों का अब भी बहुत।
नए गगन में अभी ,बेटियां नहीं जातीं ।।
वो तोड़ सकता है तारे भी आसमाँ से मग़र ।
मुसीबतो की ये परछाइयां नहीं जातीं ।।
यकीं करूँ मैं कहाँ तक जुबान पर साहब ।
लहू से आपके खुद्दारियाँ नहीं जातीं…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on January 27, 2018 at 9:49pm — 1 Comment
2122 2122 212
बेखुदी की जिंदगी है आजकल ।
खूब सस्ता आदमी है आजकल ।।
जी रहे मजबूरियों में लोग सब।
महफिलों में ख़ामुशी है आजकल ।।
लग रही दूकान अब इंसाफ की ।
हर तरफ़ कुछ ज़्यादती है आजकल।।
छोड़ कर तन्हा मुझे मत जाइए ।
कुछ जरूरत आपकी है आजकल ।।
अब नहीं मिलता कोई मुझसे यहां।
बर्फ रिश्तों पर जमी है…
Added by Naveen Mani Tripathi on January 19, 2018 at 1:07pm — 5 Comments
1212 1122 1212 22
सिला दिया है मेरे दिल में कुछ उतर के मुझे ।
जला गया जो गली से अभी गुजर के मुझे ।।
किया हवन तो जला हाथ इस कदर अपना ।
मिले हैं दर्द पुराने सभी उभर के मुझे ।।
तमाम जुल्म सहे रोज आजमाइस में ।
चुनौतियों से मिली जिंदगी निखर के मुझे ।।
अजीब दौर है किस किस की आरजू देखूँ ।
बुला रही है क़ज़ा भी यहाँ सँवर के मुझे ।।
मिटा रहे हैं…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on January 17, 2018 at 6:26pm — 1 Comment
221 1221 1221 122
बुझते हुए से आज चराग़ों की तरह है ।
जो शख्स मेरे चाँद सितारों की तरह है ।।
करता है वही कत्ल मिरे दिल का सरेआम ।
मिलता मुझे जो आदमी अपनों की तरह है ।।
रह रह वो कई बार मुझे देखते हैं अब ।
अंदाज मुहब्बत के इशारों की तरह है ।।
कुछ रोज से चेहरे की तबस्सुम पे फिदा वो ।
किसने कहा वो आज भी गैरों की तरह है ।।
यूँ न बिखर जाए कहीं टूट के…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on January 16, 2018 at 9:06pm — 2 Comments
1222 1222 122
सुकूँ के साथ कुछ दिन जी लिया क्या ।
वो अच्छा दिन तुम्हें हासिल हुआ क्या ।।
बहुत दिन से हूँ सुनता मर रहे हो ।
गरल मजबूरियों का पी लिया क्या ।।
इलक्शन में बहुत नफ़रत पढाया।
तुम्हें इनआम कोई मिल गया क्या ।।
लुटी है आज फिर बेटी की इज़्ज़त ।
जुबाँ को आपने अब सी लिया क्या ।।
सजा फिर हो गयी चारा में उसको ।
खजाना भी कोई वापस हुआ क्या ।।
नही थाली में है रोटी तुम्हारी ।…
Added by Naveen Mani Tripathi on January 13, 2018 at 2:00am — 3 Comments
2122 1122 1122 22
तेरी आँखों में अभी तक है अदावत बाकी ।
है तेरे पास बहुत आज भी तूुहमत बाकी ।।
इस तरह घूर के देखो न मुझे आप यहाँ ।
आपकी दिल पे अभी तक है हुकूमत बाकी ।।
तोड़ सकता हूँ मुहब्बत की ये दीवार मगर।
मेरे किरदार में शायद है शराफत बाकी ।।
ऐ मुहब्बत तेरे इल्जाम पे क्या क्या न सहा ।
बच गई कितनी अभी और फ़ज़ीहत बाकी ।।
मुस्कुरा कर वो गले…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on January 12, 2018 at 10:00am — 7 Comments
2122 2122 212
जख्म पर मरहम लगाना हो गया ।
आदमी कितना सयाना हो गया ।।
इस तरह दिल से न तुम खेला करो ।
खेल यह अब तो पुराना हो गया ।।
इश्क भी क्या हो गया है आपसे ।
घर मेरा भी शामियाना हो गया ।।
बाद मुद्दत के मिले हो जब से तुम ।
तब से मौसम आशिकाना हो गया ।।
बात पूरी हो गई नजरों से तब ।
आपका जब मुस्कुराना हो…
Added by Naveen Mani Tripathi on January 10, 2018 at 10:30am — No Comments
1212 1122 1212 22
कफ़स को तोड़ बहारों में आज ढल तो सही ।।
तू इस नकाब से बाहर कभी निकल तो सही ।।
तमाम उम्र गुजारी है इश्क में हमने ।
करेंगे आप हमें याद एक पल तो सही ।।
सियाह रात में आये वो चाँद भी कैसे ।
अदब के साथ ये लहज़ा ज़रा बदल तो सही ।।
बड़े लिहाज़ से पूंछा है तिश्नगी उसने ।
आना ए हुस्न पे इतरा के कुछ उबल तो सही…
Added by Naveen Mani Tripathi on January 10, 2018 at 1:30am — 3 Comments
221 2121 1221 212
आबाद इस चमन में तेरी शेखियाँ रहें ।
बाकी न मैं रहूँ न मेरी खूबियां रहें ।।
नफ़रत की आग ले के जलाने चले हैं वे ।
उनसे खुदा करे कि बनीं दूरियां रहें ।।
दीमक की तर्ह चाट रहे आप देश को ।
कायम तमाम आपकी वैसाखियाँ रहें ।।
बैठे जहां हैं आप वही डाल काटते ।
मौला नजर रखे कि बची पसलियां रहें ।।
अंधा है लोक तन्त्र यहां कुछ भी मांगिये ।
बस शर्त…
Added by Naveen Mani Tripathi on January 8, 2018 at 2:30am — 7 Comments
2122 1122 1122 22
जहर कुछ जात का लाओ तो कोई बात बने ।
आग मजहब से लगाओ तो कोई बात बने ।।
देश की शाख़ मिटाओ तो कोई बात बने ।
फ़स्ल नफ़रत की उगाओ तो कोई बात बने ।।
सख़्त लहजे में अभी बात न कीजै उनसे।
मोम पत्थर को बनाओ तो कोई बात बने ।।
अब तो गद्दार सिपाही की विजय पर यारों ।
याद में जश्न मनाओ तो कोई बात बने ।।
जात के नाम अभी…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on January 4, 2018 at 12:39am — 8 Comments
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