ज़बां फूलों सी रखता है ......
अना पत्थर सी रखता है ......
अधूरी दास्तां दिल मे छिपा कर वो भी रखता है ......…
Added by Prabha Khanna on June 24, 2011 at 7:02pm — 6 Comments
Added by rajkumar sahu on June 24, 2011 at 5:16pm — No Comments
Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 24, 2011 at 3:05pm — 1 Comment
ऐसा लगता है, जैसे छत्तीसगढ़ की परीक्षाओं का, फर्जीवाड़ा और विवादों से चोली-दामन का साथ है। तभी तो प्रदेश में होने वाली अधिकांश परीक्षाओं में किसी न किसी तरह से धब्बा लगा ही जाता है। छग में शिक्षा नीति जिस तरह लचर है, उसी का खामियाजा होनहार छात्रों व उनके अभिभावकों को भुगतना पड़ रहा है। प्रदेश के लिए परीक्षाओं में फर्जीवाड़ा की बात कोई नई नहीं रह गई है, यही कारण है कि छग से दूसरे राज्यों में जाकर पढ़ने वाले प्रतिभावान छात्रों को ‘हेय’ की दृष्टि से देखा जाता है, यह किसी भी सूरत में विकास पथ पर आगे…
ContinueAdded by rajkumar sahu on June 24, 2011 at 2:00am — No Comments
Added by Julie on June 23, 2011 at 9:54pm — 9 Comments
Added by Bhasker Agrawal on June 23, 2011 at 7:30pm — 4 Comments
Added by sangeeta swarup on June 23, 2011 at 12:34pm — 5 Comments
कभी ज़िंदगी से भी मिलो --
ज़िंदगी ...... किसी क़ीमत पर हारती ही नही --…
Added by Prabha Khanna on June 22, 2011 at 10:00pm — 4 Comments
आओ साथी बात करें हम
अहसासों की रंगोली से रिश्तों में जज़्बात भरें हम..
रिश्तों की क्यों हो परिभाषा
रिश्तों के उन्वान बने क्यों
हम मतवाला जीवनवाले
सम्बन्धों के नाम चुने क्यों
तुम हो, मैं हूँ, मिलजुल हम हैं, इतने से बारात करें हम..
आओ साथी बात करें हम.........
शोर भरी ख्वाहिश की बस्ती--
--की चीखों से क्या घबराना
कहाँ बदलती दुनिया कोई
उठना, गिरना, फिर जुट जाना
स्वर-संगम से अपने श्रम के, मन…
ContinueAdded by Saurabh Pandey on June 22, 2011 at 6:30pm — 18 Comments
Added by Shanno Aggarwal on June 22, 2011 at 3:30am — 4 Comments
Added by Abhinav Arun on June 21, 2011 at 10:43am — 13 Comments
Added by Prabha Khanna on June 21, 2011 at 9:54am — 9 Comments
Added by satish mapatpuri on June 21, 2011 at 2:00am — 1 Comment
साथियों ! नये सदस्यों के सहयोग हेतु ब्लॉग में रचना कैसे पोस्ट करे चित्र के माध्यम से समझाया गया है | यदि पुनः कोई प्रश्न इस सम्बन्ध में हो तो नीचे दिए गए टिप्पणी बॉक्स मे लिखकर पूछा जा सकता है |…
ContinueAdded by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 20, 2011 at 7:00pm — 4 Comments
Added by l.r.gandhi on June 20, 2011 at 5:30pm — 1 Comment
Added by प्रदीप सिंह चौहान on June 20, 2011 at 1:14pm — 1 Comment
टूटने का दर्द होता एक समान ...........रिश्ता नामवर हो या के अनाम
चुभन तो मिट जाती है हर शूल की....शालती राहती उम्र तमाम....
घाव तो भर जाते है हर चोट के.... रह जाते है मगर निशान....
बेवफ़ाई तो भूल चुके उनकी मगर....भूल ना सके उनके अहसान
कद्र वो क्या समझते हमारी वफा का...जफ़ाओ का जो रखते सामान
क़ातिल तो फकत क़ातिल होता है...उसका न कोई धर्म न ईमान
##### प्रदीप सिंह चौहान "अनाम"
Added by प्रदीप सिंह चौहान on June 20, 2011 at 1:11pm — 1 Comment
Added by manu manju shukla on June 20, 2011 at 11:03am — No Comments
Added by Prabha Khanna on June 20, 2011 at 9:00am — 9 Comments
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