जाते-जाते वो मुझे लाकर की चाबी दे गया।
माल तो सब ले गया लाकर वो खाली दे गया।
मैं कभी तहजीब से बाहर निकल पाया नही ,
एक अदना आदमी फिर मुझको गाली दे गया।
उसने मेरी सादगी का यूँ उठाया फायदा ,
छीनकर दिन का उजाला रात काली दे गया।
जब भुनाने मैं गया उस रोज सेंट्रल बैंक में ,
तब पता मुझको चला कि चेक वो जाली दे गया।
रोटियाँ जो बांटने आया था भूखों को वही ,
खा गया खुद रोटियाँ आधी औ आधी दे गया।
अच्छे -अच्छे पारखी…
ContinueAdded by Ram Awadh VIshwakarma on September 29, 2013 at 10:00am — 10 Comments
आँख मिचौली खेलता, मुझसे मेरा मीत
अंतरमन के तार पर, गाए मद्धम गीत
जैसे सूरज में किरण, चन्दन बसे सुगंध
प्रियतम से है प्रीत का, मधुरिम वह सम्बन्ध
क्यों अदृश्य में खोजता, मनस सत्य के पाँव
सहज दृश्य में व्याप्त जब, उसकी निश्छल छाँव
संवेदन हर गुह्यतम, सहज चित्त को ज्ञप्त
आप्त प्रज्ञ सम्बुद्ध वो, ज्ञानांजन संतृप्त
प्रीत प्रखरता जाँचती, नित्य नियति की चाल
मोहन लोभन…
ContinueAdded by Dr.Prachi Singh on September 29, 2013 at 1:30am — 28 Comments
उठती टीस हृदयतल से
क्यूँ ये बेरंगी लगती है
घाव अनंत देती कभी तो
उमंगों से जीवन भरती है....
कभी लगती रति कामदेव की
तो लगती कभी मधुशाला है
तिनका तिनका करके बनती
सुखद घरोंदा कभी लगती है....
लगती कभी नववधू जैसी
आलिंगन प्रेम का करती है
कभी नाचती गोपियों जैसी
मुरली मधुर जब सुनती है .....
फिर भी ये ज़िन्दगी है
जीने का दम भरती है
शुन्य से शुरू होती…
ContinueAdded by Aarti Sharma on September 28, 2013 at 9:30pm — 12 Comments
एक धमाका
फिर कई धमाके
भय और भगदड़....
इंसानी जिस्मों के बिखरे चीथड़े
टीवी चैनलों के ओबी वैन
संवाददाता, कैमरे, लाइव अपडेट्स
मंत्रियों के बयान
कायराना हरकत की निंदा
मृतकों और घायलों के लिए अनुदान की घोषणाएं
इस बीच किसी आतंकवादी संगठन द्वारा
धमाके में लिप्त होने की स्वीकारोक्ति
पाक के नापाक साजिशों का ब्यौरा
सीसीटीवी कैमरे की जांच
मीडिया में हल्ला, हंगामा, बहसें
गृहमंत्री, प्रधानमन्त्री से स्तीफे…
Added by anwar suhail on September 28, 2013 at 8:00pm — 6 Comments
(1)
हे अबलाबल भगवती, त्रसित नारि-संसार।
सृजन संग संहार बल, देकर कर उपकार।
देकर कर उपकार, निरंकुश दुष्ट हो रहे ।
करते अत्याचार, नोच लें श्वान बौरहे।
समझ भोग की वस्तु, लूट लें घर चौराहे ।
प्रभु दे मारक शक्ति, नारि क्यूँ सदा कराहे ॥
-----------------------------------------------
(2)
प्रणव नाद सा मुखर जी, पाता है सम्मान |
मौन मृत्यु सा बेवजह, ले पल्ले अपमान |
ले पल्ले अपमान , व्यर्थ मुट्ठियाँ भींचता…
ContinueAdded by रविकर on September 28, 2013 at 6:30pm — 10 Comments
जाने कितने बसंत
शीत,पतझड़, सावन
आये गये
तपती,भीगती,ठिठुरती
मुरझाती पर फिर भी
चलती रही अनवरत
हाँफती,दौड़ती,पसीजती
डोर अपनी साँसों की पकड़े
कोलाहल अंतर का समेटे
मूक, निःशब्द बस्
अपने काफिले के साथ
बढ़ती ही गई
जीवन के पथ पर !!
अपनी साँसें संयत करने को
रुकी इक पल को
पीछे मुड़ कर देखा जो
छोड़ गये थे सभी मुझको
मेरे पीछे था अब सुनसान
आगे वियावान
नीचे तपती रेत
ऊपर सुलगता आसमान…
Added by Meena Pathak on September 28, 2013 at 4:08pm — 14 Comments
चाल चला जब हंस की, बगुला बहुत सयान
बगुला खाया मात तब, खोया अपना मान
खोया अपना मान, इस्तीफे की है मांग
बात बड़ेन की मान, है टूटी छोटी टांग
कह सागर कविराय, नेता इनका है बाल
इन्हीं को अब पड़ी, है उलटी इनकी चाल
आशीष ( सागर सुमन )
मौलिम एवं अप्रकाशित
Added by Ashish Srivastava on September 27, 2013 at 11:00pm — 10 Comments
हौंसला चाहिए जहाँ में मोहब्बत पाने के लिए !
मोहब्बत जताने के लिए , मोहब्बत निभाने के लिए !
रुश्वायियाँ मिला नही करती खैरात में !
इज्ज़त से भी खेलना पड़ता है , इन्हें पाने के लिए !
बहुत मशहूर है शराबी अपने हाल पर !
हस्ती भी मिट जाती है , ये शोहरत पाने के लिए !
दिल का हाल कभी उस बाजारू नारी से पूछो !
मजबूर होती है जो बाज़ार में बिक जाने के लिए !
बस्ती मिटाने वालो पलभर को तो जरा सोच लो !
जवानी बुढापे में बदल जाती है एक आशियाँ बनाने…
ContinueAdded by डॉ. अनुराग सैनी on September 27, 2013 at 10:13pm — 6 Comments
समय समय की बात है ,देखो बदली रीत !
मौन कोकिला हो गयी ,कौवे गाते गीत !!१
दुबका दुबका सच दिखे ,सहमा सहमा धर्म !
जबसे लोगों के हुए ,उल्टे गंदे कर्म !!२
मेरे प्यारे गाँव की ,बदल गयी तसवीर !
वही नदी है ,नाव है, किन्तु न दिखता नीर !!३
देखो फिर से हो गया ,मुख प्राची का लाल !
किरणों ने कुछ यूँ मला ,उसके गाल गुलाल !!४
तन पर कपड़ों की कमी ,हाड़ कपाती शीत !
बना गरीबों के लिए ,यही दर्द का गीत !!५
लालच कटुता…
ContinueAdded by ram shiromani pathak on September 27, 2013 at 4:38pm — 26 Comments
कहकशाँ में उठ रही लहरों की बातें क्या करें
इस गुबारे-गर्द में सहरों की बातें क्या करें
हर कोई पहने मुखौटे फिर रहा है जब यहाँ
फिर बताओ हम भला चेहरों की बातें क्या करें
इस कदर मसरूफ हैं पाने को नाम औ शोहरतें
वक़्त इक पल का नहीं पहरों की बातें क्या करें
तुक मिलाने को समझ बैठा जो शाइर शाईरी
नासमझ से वजन औ बहरों की बातें क्या करें
नफरतें हैं वहशतें हैं दहशतें हैं राह में
हर घडी है गमजदा कहरों की…
ContinueAdded by SANDEEP KUMAR PATEL on September 27, 2013 at 4:30pm — 28 Comments
टेरत टेरत जुग भया, सुधि नहि लीन्ही मोहि
Added by Ashish Srivastava on September 27, 2013 at 1:22pm — 9 Comments
सपने !!!!!!!
सुहाने से
सँजोये थे जो मन के
भीतर आवरणो की परतों मे
सँजोया और सींचा था
नव पल्लव देख
मन झूम उठा था
खुशी के अंकुर भी
फूट पड़े थे
उड़ान की आकांक्षा मे
पंखों को कुछ फड़फड़ा कर
ज्यों हुआ उड़ने को आतुर !!!!
आह !!
पंख कतर दिये किसने ?
धराशायी हुआ
स्वर भी बाधित हुआ
जख्म लगे
अभिलाषी मन
परित्यक्त सा
कुलबुला उठा
अश्रुओं ने साथ छोड़ा
धैर्य ने भी…
ContinueAdded by annapurna bajpai on September 27, 2013 at 12:30pm — 26 Comments
**जल से हम कल बनायेंगे**
मदमस्त पवन, घनघोर घटा,
छाई बदली, सूरज को हटा ।
रिमझिम-रिमझिम बरसे बदरा,
तपती धरा पे कतरा-कतरा ।
सौंधी-सौंधी महक लिए,
मिट्टी जल संग बहने लगी,
नाले से बनकर नदी जल वो,
मन ही मन बूँद कहने लगी ।
सागर से उठी बादल मैं बनी,
संग पवन के मैं इठला के उड़ी ,
प्यासी धरती की तपन को देख,
बेबस ही बस मैं बरस पड़ी ।
अब बहती हूँ धारा बनकर,
नदियों में कल-कल-कल-कल कर,
निर्झर…
Added by Jitender Kumar Jeet on September 27, 2013 at 11:30am — 15 Comments
1.
भ्रष्ट नेता रे,
लालची मतदाता,
लोकतंत्र है ?
2.
पढ़े लिखे हो ?
डाले हो कभी वोट ?
क्यो देते दोष ??
3.
देख लो भाई,
कौन नेता चिटर ?
तुम वोटर ।
4.
तुम हो कौन ?
सरकार है कौन ?
जनता मौन ।
5.
क्या मानते हो ?
ये देश तुम्हारा है ।
मौन क्यों भाई ??
.
...........‘‘रमेश‘‘............
मोलिक अप्रकाशित
Added by रमेश कुमार चौहान on September 27, 2013 at 11:00am — 11 Comments
सत्कर्मों से जो सदा ,खेता है पतवार ,
समझो वो नर हो गया ,भवसागर से पार !!१
राम नाम ही सत्य है ,कहते वेद पुराण!
रमा राम के नाम जो ,उसका ही कल्याण !!२
ज्ञान चक्षु को खोलकर ,ऐसा दीपक बार !
जिससे घटता दंभ तम ,छटते मलिन विचार !!३
श्रद्धानत हो पूजते ,मन में दृढ़ विश्वास !
ऐसे नर के हिय सदा ,शिव शम्भू का वास !!४
सब धर्मों का सार यह ,सुनिये मेरी बात!
फल भी वैसा ही मिले ,जैसी करनी तात !!५
सहज नहीं…
ContinueAdded by ram shiromani pathak on September 27, 2013 at 10:30am — 28 Comments
2 1 2 2 1 2 1 2 2 2
सिर्फ कानों सुना नहीं जाता
लब से सब कुछ कहा नहीं जाता
दर्द कि इन्तहां हुई यारों
मुझसे अब यूँ सहा नहीं जाता
देश का हाल जो हुआ है अब
चुप तो मुझसे रहा नहीं जाता
चुन के मारो सभी दरिन्दों को
माफ इनको किया नहीं जाता
वो खता बार- बार करता है
फिर सज़ा क्यूँ दिया नहीं जाता
है भला क्या तेरी परेशानी
बावफ़ा जो हुआ नहीं जाता
कैसे वादा निभाऊ जीने का
तेरे बिन अब…
Added by sanju shabdita on September 27, 2013 at 9:30am — 18 Comments
गली,कटी, तपकर खिली, माटी की संतान
माटी से मोती बने, माटी से इंसान
माटी से मूरत बने, मूरत में भगवान
माटी की भक्ति करे, तर जाये इंसान
माटी से उपजें सभी, माटी में ही अंत
माटी का घर छोड़ के, जाये सभी अनंत
मौलिक व अप्रकाशित
Added by hemant sharma on September 27, 2013 at 12:00am — 11 Comments
भारत माँ की बड़ी दुलारी हिंदी रानी
=================================
सीधी सादी नेक बड़ी हूँ दिल की रानी
भारत माँ की बड़ी दुलारी हिंदी रानी
मै महलो हूँ गाँव बसी हूँ जंगल में भी
आदि काल से जन-जन में हूँ आदिवासी…
ContinueAdded by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 26, 2013 at 11:30pm — 12 Comments
नख-दंत के संसार में गुम
ढूंढता निज मर्म हूँ मैं
ये रूचिर
रूपक तुम्हारे
गुंबजों की
पीढि़यां
दंगों के
फूलों से चटकी
कुछ आरती,
कुछ सीढि़यां
थुथकार की सीली धरा पर
सूखता गुण-धर्म हूँ मैं
रंगों की
थोड़ी समझ है
कृष्ण तक तो
श्वेत था
आह्लाद के
परिपाक में भी
एकसर
समवेत था
युगबोध पर कहता मुझे है
कि नहीं यति-धर्म हूँ…
ContinueAdded by राजेश 'मृदु' on September 26, 2013 at 1:29pm — 24 Comments
मोहि दुखियारी आँख को,सुक्ख मिलत है नाहि
Added by Ashish Srivastava on September 26, 2013 at 12:00pm — 9 Comments
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