ऊन सलाई संग दादी का
बहुत पुराना था याराना
चपल उँगलियों का दादी की
जाड़े ने भी लोहा माना
छत पर जब दादी को पाती
धूप गुनगुनी मिलने आती
ख़ास सहेली बन दादी की
वो भी फंदों से बतियाती
सीधे पर दो उल्टे फंदे
बुनता जाता ताना बाना
कल जो था बाबा का स्वेटर
अब छोटू का टोपा मफलर
नई पुरानी ऊनों के संग
चपल उँगलियाँ चलतीं सर सर
इस रिश्ते से उस रिश्ते तक
गर्माहट का आना…
ContinueAdded by pratibha pande on December 18, 2016 at 1:00pm — 8 Comments
Added by Mahendra Kumar on December 18, 2016 at 8:31am — 8 Comments
माँ की ममता कोई कल्पना नहीं,
ये सृष्टि संरचना की एक दास्तां
जो जन्म लेती अनंत गहराई में
पुष्पित,पल्लवित होती धरातल पर
एक कल्पतरु का सुंदर रूप लेकर
सदियों से चल रहा यह शिलशिला
ये हृदय से निकली प्यार ज्योति
सूर्य की रोशनी में हर दिन बढ़ती
बांधती सभी को एक प्रेम डोर में
अपने खुशियों की देती तिलांजली
नन्ही सी चिड़िया लड़ती साँप से
अपने प्राणों को संकट में डालकर
उसे बचाती मुसीबतों को झेलकर
उसके…
ContinueAdded by Ram Ashery on December 17, 2016 at 8:30pm — 5 Comments
काफिया :ओं ; रदीफ़: ने ले लिया
बह्र: २२१ २१२१ १२२१ २१२
बन्दे का काम घेर, उसूलों ने ले लिया
है गलतियाँ रहस्य, बहानों ने ले लिया |१
वो बात जो थी कैद तेरे दिल के जेल में
आज़ाद करना काम अदाओं ने ले लिया |२
चुपके से निकले घर से, सनम ने बताया था
वो जिंदगी का राज़ निशानों ने ले लिया |३
धरती को चाँदनी ने बनायीं मनोरमा
विश्वास नेकनाम सितारों ने ले लिया |४
मिलता है सुब्ह शाम समय रिक्त अब…
ContinueAdded by Kalipad Prasad Mandal on December 17, 2016 at 8:00pm — 4 Comments
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 17, 2016 at 5:09pm — 8 Comments
ज़ंग .....
गलत है
मिथ्या है
झूठ है
कि
उदासी
अकेलेपन की दासी है
अकेलेपन के किनारों पर
नमी का अहसास होता है
क्या अकेलापन
अंतस का
दर्द से
परिचय कराने का पर्याय है ?
जब कुछ नहीं होता
तो अकेलापन होता है
अकेलेपन में
स्व से परिचय होता है
अपने वज़ूद से
पहचान होती है
ज़िदंगी करीब आती है
अपना पराया समझाती है
अकेलेपन में
पीछे छूटे लम्हात
साथ निभाते हैं…
Added by Sushil Sarna on December 17, 2016 at 4:45pm — 6 Comments
Added by आशीष यादव on December 17, 2016 at 6:56am — 6 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 16, 2016 at 9:13pm — 4 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on December 16, 2016 at 2:00pm — 5 Comments
इंतज़ार ....
भोर की पहली किरण
सर्द हवा
आधी जागी
आधी सोयी
तू गर्म शाल में लिपटी
बालकनी के कोने में
हाथों में
कॉफी का कप लिए
यक़ीनन
मेरे आने का
इंतज़ार करती होगी
कितना
रुमानियत भरा होगा
वो मंज़र
तेरी आँखों में
मेरे आने के
इंतज़ार का
सुशील सरना
मौलिक एवम अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on December 16, 2016 at 1:01pm — 8 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on December 16, 2016 at 12:39pm — 6 Comments
Added by जयनित कुमार मेहता on December 16, 2016 at 6:47am — 8 Comments
Added by amita tiwari on December 15, 2016 at 11:17pm — 2 Comments
बड़ी अच्छी लगती है ...
हिज़्र में
तन्हाई
बड़ी अच्छी लगती है
यादों की
परछाई
बड़ी अच्छी लगती है
कभी कभी
रुसवाई भी
बड़ी अच्छी लगती है
आँखों की
गहराई
बड़ी अच्छी लगती है
साँसों की
गरमाई
बड़ी अच्छी लगती है
हुस्न की
अंगड़ाई
बड़ी अच्छी लगती है
दिल में
दिल की
समाई
बड़ी अच्छी लगती है
मगर
हक़ीक़ी ज़िन्दगी…
ContinueAdded by Sushil Sarna on December 15, 2016 at 9:19pm — 6 Comments
Added by Manan Kumar singh on December 15, 2016 at 8:00pm — 5 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 15, 2016 at 5:16pm — 3 Comments
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on December 15, 2016 at 4:30pm — 6 Comments
इक लफ्ज़ मुहब्बत का ....
लम्हों की गर्द में लिपटा
इक साया
ओस में ग़ुम होती
भीगी पगडंडी के
अनजाने मोड़ पर
खामोशियों के लबादे ओढ़े
किसी बिछुड़े साये के
इंतज़ार में
इक बुत बन गया
धुल न जाएँ
सर्दी की बारिश में
कहीं लंबी रातों के
पलकों के लिहाफ़ में
अधूरे से ख़्वाब
वो धीरे धीरे
कोहरे की लहद में
खो गया
इक लफ्ज़
मुहब्बत का
खामोश ही सो गया
सुशील सरना
मौलिक एवम अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on December 14, 2016 at 9:03pm — 8 Comments
तुम क्या हो?
किसी समुद्री मछली के उदर में
किसी ब्रह्मचारी के पथभ्रष्ट शुक्राणु का अंश मात्र
किन्तु उसका निषेचन?
अभी बहुत समय बाकी है उसमे
बहुत.....
हे प्रिये!
बुरा नहीं स्वयं को सर्वश्रेष्ठ समझना
अमरत्व का दिवा-स्वप्न भी बुरा नहीं
किन्तु समझना आवश्यक है
यह जान लेना आवश्यक है कि
अमर होने ने लिए मरण आवश्यक है
मरण हेतु जन्म अति आवश्यक
फिर तुम्हें तो अभी जन्म लेना है
जन्म लेने से पूर्व…
ContinueAdded by योगराज प्रभाकर on December 14, 2016 at 12:42pm — 7 Comments
Added by Manan Kumar singh on December 14, 2016 at 9:08am — 6 Comments
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