क्या पता ईमान की इतनी कमी हो जाएगी॥
चंद सिक्कों के लिए नीयत बुरी हो जाएगी॥
…
पत्थरों के शहर में शीशे का घर मेरा भी है।
खौफ़ में साये में जीने का हुनर मेरा भी है॥
क़त्ल, दहशत, बम धमाके, हैं दरिंदे हर तरफ,
वहशतों के दौर…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on March 11, 2013 at 10:30pm — 14 Comments
कभी काँटे बिछाते हैं कभी पलकें बिछाते हैं॥
सयाने लोग हैं मतलब से ही रिश्ते बनाते हैं॥
हमारे पास भी हैं ग़म उदासी बेबसी तंगी,
तुम्हें जब देख…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on February 20, 2013 at 4:46pm — 19 Comments
हर आहट पे सांस थमी है आ भी जाओ ना॥
सूनी दिल की आज गली है आ भी जाओ ना॥
अरमानों के गुलशन में बस तेरा चर्चा है,
हरसू तेरी बात चली है आ भी जाओ ना॥
पूनम की इस रात में तेरी याद बहुत आती है,
तारों की बारात सजी है आ भी जाओ ना॥…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on February 13, 2013 at 1:30am — 20 Comments
कटेगी सिर्फ़ दिलासों से ज़िंदगी कब तक।
रहेगी लब पे ग़रीबों के खामुशी कब तक॥
वरक़ पे आने को बेताब हो रहा है अब,…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on December 10, 2012 at 12:30pm — 7 Comments
जब तेरी यादों की दरिया में उतर जाता हूँ मैं॥
कागज़ी कश्ती की तरहा फिर बिखर जाता हूँ मैं॥
कैसी वहशत है जुनूँ है और है दीवानपन,
तू ही तू हरसू नज़र आया जिधर जाता हूँ मैं॥
सारे मंज़र, तेरी यादें सब जुदा हो जाएंगी,
सोचकर तनहाई में अक्सर सिहर जाता हूँ मैं॥
किसकी नज़रों ने दुआ दी है, के तेरी बज़्म में,
बेहुनर हूँ जाने कैसे बाहुनर जाता हूँ मैं॥
तेरी यादों का ये जंगल मंज़िले ना रास्ते,
जिस्म अपना छोडकर जाने किधर जाता हूँ मैं॥
दर्द-ओ-ग़म के…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on November 15, 2012 at 1:30am — 10 Comments
मुझको बता रहें हैं मेरी हद वो आजकल।
लगता है भूल बैठे हैं मक़्सद वो आजकल॥
उनका मुझे परखने का अंदाज़ देखिये,
लीटर से नापते हैं मेरा क़द वो आजकल॥
हल्के हवा के झोंके भी जो सह नहीं सके,
कहते फिरे हैं अपने को अंगद वो आजकल॥
रिश्तों की बात करते नहीं हैं किसी से अब
घायल हुए हैं अपनों से शायद वो आजकल॥
कल तक पकड़ के चलते थे जो उँगलियाँ मेरी
कहने लगे हैं अपने को अमजद वो आजकल॥
ख़ुद अपनी मंज़िलों की जिन्हें कुछ ख़बर नहीं,
पहुंचा रहे हैं औरों को…
Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on October 15, 2012 at 12:30am — 10 Comments
उसके आने की डगर अब देखता रहता हूँ मैं।
लेके टूटे ख़ाब शब भर जागता रहता हूँ मैं॥
रोज़ बनकर चाँद आँगन में मेरे आता है वो,
रोज़ उसकी…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on August 13, 2012 at 1:00am — 8 Comments
कभी जब दिल से दिल का ख़ास रिश्ता टूट जाता है॥
तो फिर लम्हों में सदियों का भरोसा टूट जाता है॥
भले जुड़ जाये समझौते से पहले सा नहीं रहता,
मुहब्बत का अगर इक बार शीशा टूट जाता है॥
क़ज़ा की आंधियों के सामने टिकता नहीं कोई,
सिकंदर हो कलंदर हो या दारा टूट जाता है॥
कभी हिम्मत नहीं हारा जो मीलों मील उड़कर भी,
कफ़स में क़ैद होकर वह परिंदा टूट जाता है॥
यूं चलना चाहते तो है सभी राहे सदाक़त पर,
मगर…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on August 3, 2012 at 5:00pm — 15 Comments
कोई भी हो नहीं देखी गई सरकार सदमे में।
मगर जनता है जो देखी गयी हर बार सदमे में॥
मुहब्बत करने वाले हैं ज़माने के निशाने पर,
है फतवा खाप पंचायत का सुनकर प्यार सदमे में॥…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on July 20, 2012 at 9:54pm — 11 Comments
क्या पता ईमान की इतनी कमी हो जाएगी॥
चंद सिक्कों के लिए नीयत बुरी हो जाएगी॥
…
Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on July 13, 2012 at 11:00am — 11 Comments
जो आदमी ज़मीं से जुड़ा रह नहीं सका।
वो ज़ोर आंधियों का कभी सह नहीं सका॥
हिकमत1 से चोटियों पे पहुँच तो गया…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on July 5, 2012 at 11:30pm — 7 Comments
दिल मेरा तोड़ के इस तरह से जाने वाले।
बेवफ़ा तुझको पुकारेंगे ज़माने वाले॥
प्यार में खाईं थी क़समें भी किए थे वादे,
क्या तुझे याद है कुछ मुझको भुलाने वाले॥
झांक के देख ले अपने भी गिरेबाँ में तू,
उँगलियाँ मेरी शराफ़त पे उठाने वाले॥
सर झुकाये हुए कूचे से निकल जाते हैं,
हैं पशेमान बहुत मुझको सताने वाले॥
बाद मरने…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 22, 2012 at 9:30am — 16 Comments
लिख नहीं जो सकता तू सच ख़बर ज़माने की।
बोल क्या ज़रूरत है फिर क़लम उठाने की॥
छोड़ दे ये हसरत भी दिल कहीं लगाने की।
सह नहीं जो सकता तू ठोकरें ज़माने की॥…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 18, 2012 at 1:00pm — 13 Comments
उसने यारों मुझको पागल कर रखा है।
उसकी अदा ने दिल को घायल कर रखा है॥
अश्क़ों की बारिस को अब मैं रोकूँ कैसे,
आँखों को सावन का बादल कर रखा है॥
ख़ुद ही बढ़…
Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 13, 2012 at 1:30pm — 8 Comments
दुश्मनों तुम सरहदों के पार मत देखा करो॥
आँख जल जाएगी ये अंगार मत देखा करो॥
ऐ मसीहा इस तरह बीमार मत देखा करो॥
आदमी में सिर्फ तुम आज़ार मत देखा करो॥…
Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 6, 2012 at 12:00pm — 6 Comments
ग़म ज़िंदगी में देख के रोया नहीं कभी।
अश्क़ों से अपने गाल भिगोया नही कभी॥
हर सिम्त है धुआं यहाँ हर सिम्त आग है,
इस खौफ़ से ही चैन से सोया नही कभी॥
दिल में जिगर में था वही साँसों में…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 28, 2012 at 9:30pm — 17 Comments
शहर ये हो गया शमशान कहीं और चलें॥
बस्तियाँ हो गईं वीरान कहीं और चलें॥
कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई यहाँ,
है नहीं कोई भी इंसान…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 24, 2012 at 7:30am — 11 Comments
रात आती है तेरी यादें सुहानी लेकर।
फिर मोहब्बत की वही बातें पुरानी लेकर॥
ख़्याल जब तेरा सताता है मुझे रातों को,
सिसकियाँ लेता हूँ मैं आँखों में पानी लेकर॥…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 19, 2012 at 12:30am — 14 Comments
सामने है खड़ी दीवार ख़ुदा ख़ैर करे।
रास्ता हो गया दुश्वार ख़ुदा ख़ैर करे॥
अब तो हर चीज़ जुदाई में बुरी लगने लगी,
फूल भी लगने लगे ख़ार ख़ुदा ख़ैर करे॥…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 17, 2012 at 10:00am — 13 Comments
दिल मेरा फिर से सितमगर तलाश करता है।
आईना जैसे के पत्थर तलाश करता है॥
एक दो क़तरे से ये प्यास बुझ नहीं सकती,
दिल मेरा अब तो समंदर तलाश करता…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 16, 2012 at 2:00pm — 16 Comments
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