2122 2122 2122 212
एक कतरा रोशनी है एक कतरा जाम है
दिल जलों का दिल जलाने आ गयी फिर शाम है
धडकनों की सुन जरा तू पास आकर के कभी
धडकनों की हर सदा पर इक तेरा ही नाम है
उनके क़दमों के नहीं नामों निशा भी अब कहीं
ख्वाब में पर क़दमों की आहट को सुनना आम है
जुगनुओं की रोशनी से हर चमन आबाद था
रोशनी क्या आज तो…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on February 21, 2014 at 1:02pm — 9 Comments
१२१२ १२१२ ११२२ २२
वो मुझसे पेश रोज रोज यूं आता क्यूँ है
चरागे दिल जला जला के बुझाता क्यूँ है
निगाह से ही बात दिल की बताता क्यूँ है
वो बज्म में नजर यूँ हमसे चुराता क्यूँ है
निगाहों में छुपी है कोई पहेली उसके
घरौंदा मुझ को देखकर वो बनाता क्यूँ है
है बात कुछ, नही पता है मुझे खुद जिसका
वो मुझको देख नजरें अपनी झुकाता क्यूँ है
रचा हिना से नाम मेरा हथेली पर वो
ज़माने से…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on February 15, 2014 at 3:00pm — 12 Comments
२१२२ २१२२ २२२२ २१२
ला ल ला ला ला ल ला ला ला ला ला ला ला ल ला
भेदने जब तम फलक का रवि आमादा हो गया
चाँद पीकर चांदनी अपनी ही नभ में खो गया
हाथ हम रखते रहे जलते अंगारों पर यूं ही
एक फरिस्ता जिन्दगी में ख्वाबे गुल ही बो गया
बज्म में वो गीत गाये झूमे पीकर मस्त हो
और नन्हा लाल घर पे रोके भूखा सो गया
घिर के नफरत में जहाँ की सूझा जब कुछ भी नहीं
चौखटों पे मंदिरों की…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on February 6, 2014 at 1:30pm — 12 Comments
ल ला ल ला ला ल ला ला ल ल ला ला ला ला
शबाब फूलों का शबनम में मिला देते हैं
शराब यूं ही हसी रोज बना देते हैं
दुआएं करते हैं हम जब भी अमन की खातिर
कबूतरों को भी हाथों से उड़ा देते हैं
कभी जो आया हमें याद सुहाना बचपन
हँसी घरोंदा ही बालू पे बना देते हैं
हुए न जब भी चरागा हैं मयस्सर हमको
चरागे दिल को यूं ही रोज जला देते हैं
समझ रहे हैं फकीरों को भिखारी या रब
फ़कीर खुद ही…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on January 28, 2014 at 1:00pm — 24 Comments
221 2121 1221 212
Added by Dr Ashutosh Mishra on January 12, 2014 at 4:00pm — 15 Comments
ला ला ल ला ल ला ला ल ला ला ला ला ल ला
महफ़िल तू आज फिर से सजाने की बात कर
हसरत जवा है पीने पिलाने की बात कर
चिलमन कहाँ से आया तेरे मेरे बीच में
चिलमन हटा ये नजरें मिलाने की बात कर
चिलमन हटा तो मुखड़े को घूंघट में यूं छुपा
गुल की कली न ऐसे जलाने की बात कर
जलवे जो तेरे पहली दफा देखे थे कभी
इक बार फिर वो जलवे दिखाने की बात कर
हाथों में हाथ तेरे हों बस इतनी आरजू
जन्मों की…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on January 4, 2014 at 10:00am — 25 Comments
अब्रे गम जब दिल पे मेरे छा गया
अश्क का दरिया भी रुख पे आ गया
आइना देखा है जब भी दोस्तों
सामने मेरे मेरा सच आ गया
यूं तो गुल लाखों थे बगिया में मगर
दिल को लेकिन कोई कांटा भा गया
वो हसीं गुल आने वाला है इधर
चूम झोंका खुशबू का बतला गया
हाल उनसे कहते दिल का जब तलक
यार नजरों से ही सब जतला गया
जिसने भर दी खार से ये जिन्दगी
फूल नकली दे के फिर बहला…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on December 23, 2013 at 7:30pm — 18 Comments
१२२२ १२२२ १२२२ १२२२
छलकती आँखें हैं साकी हसीं इक जाम हो जाये
बना दो रिंद दुनिया को सुहानी शाम हो जाये
जुदा मजहब के लोगों को मिला दे आज ऐ साकी
तरीका कोई भी हो आज दिलकश काम हो जाये
हमें हिन्दू मुसल्मा कह लड़ाते हैं भिड़ाते हैं
करो कोई जतन ऐसा की हिंदी नाम हो जाये
हजारों फूल गुलशन में जुदा हैं रूप रंगत भी
मगर खुशबू जुदा मिलकर हसीं पैगाम हो जाये
न जाने किसकी साजिश है बहाते हम लहू…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on December 19, 2013 at 2:30pm — 21 Comments
सीमित संसाधनों के साथ
महती भौतिकता वादी प्यास की तृप्ति
शायद प्रेरित करती है तुम्हे सतत
बेच देने के लिए अपना जमीर ......
शराब और शबाब में मस्त
अपने दांतों से खींचते हुए
रोस्टेड चिकेन की टाँगे
भूलते रहे हो तुम अपने शक्ति और अधिकार ...
फिर समाज में रुतवा कायम करने की;
एक अच्छा पिता और पति कहलाने की ;
तुम्हारी ख्वाइश ने भी जी भर हवा दी है
अधिक से अधिक धनोपार्जन की तुम्हारी प्यास को
जायज या नाजायज
किसी…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on December 14, 2013 at 4:29pm — 7 Comments
२१२ २१२ २१२ २१२
रात को चाँद फिर आयेगा देखिये
आके दिल फिर जला जायेगा देखिये
हम रहेंगे खड़े रात भर छत पे ही
बादलों में वो छुप जायेगा देखिये
अपने दीवानों पे रोज ही इस तरह
चांद क्या क्या सितम ढायेगा देखिये
हम जिसे भूल पाए कभी हैं नहीं
किस तरह वो भुला पायेगा देखिये
रंग गिरगिट के जैसे बदलता है जो
कैसे वादे निभा पायेगा देखिये
चांदनी बन जमी पर उतरता रहा
खुद जमी पर…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on December 11, 2013 at 4:30pm — 20 Comments
२१२२ १२१२ १२२ २२२
रोज आदत जो तुमसे मिल ने की हो जायेगी
मौत की रात मेरी रूह भी रो जायेगी
आखिरी पल क़ज़ा जो सामने होगी मेरे
जिन्दगी इक हसीन ख्वाब में खो जायेगी
आज साकी बनी ग़ज़ल खडी है महफ़िल में
रिंद जब देंगे मशविरा सँवर वो जायेगी
हार उल्फत का देख मौत होगी शर्मिंदा
मौत खुद जिन्दगी ही हार में पो जायेगी
बात गुल से हसीं हो खार सी कड़वी चाहे
बीज जेहन मे ये ग़ज़ल के ही बो…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on December 9, 2013 at 11:30am — 10 Comments
२२१२ १२१२ २२१ १२२
दम भूख से हैं तोड़ते मासूम जमीं पर
पीकर शराब मस्ती में तू झूम जमी पर
बच्चे मनाते फुलझड़ी बिन रो के दिवाली
पीकर तुझे लगे मची है धूम जमी पर
अम्बार फरजी डिग्रियों के तूने लगाए
लटका के अब गले में इन्हें घूम जमी पर
दो बूँद अश्क जो गिरे आँखों से यूं तेरी
सारे शहर में उग गए मशरूम जमी पर
सड़कों पे गर पिया तो पोलिश का भी है पंगा
बनवा ले झुरमुटों में ही कोई रूम जमी…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on December 4, 2013 at 11:06am — 24 Comments
2122 /1122 /1122 /22
मौसम-ए-इश्क हसीं प्यास जगा जाता है
प्रेमी जोड़ों का सुकूँ चैन चुरा जाता है
दिल की धड़कन को बढ़ा सीने में तूफ़ान छुपा
मौसम-ए-इश्क दबे पाँब चला जाता है
सर्द हो रात हो बरसात का मादक मंजर
मौसम-ए-इश्क सदा सब को जला जाता है
दर्द ऐसा भी है, अहसास सुखद है जिसका
मौसम-ए-इश्क वो अहसास करा जाता है
देख आँखों मे चमक गुल की यूँ हैराँ मत हो
मौसम-ए-इश्क हसी नूर…
Added by Dr Ashutosh Mishra on November 30, 2013 at 1:30pm — 19 Comments
१२२२ १२२२ १२२२ १२२२
पिला देती अगर साकी तो मैं भी बोल देता सच
हलक से गर उतर जाती तो मैं भी बोल देता सच
हसीं नगमे, हसीं जलवे, हसीं महफ़िल हसीनो की
हँसी रुसवा न गर होती तो मैं भी बोल देता सच
कहें शायर घनी काली घटाएं इन की जुल्फों को
न उनकी नींद गर उडती तो मैं भी बोल देता सच
बड़ी दिलकश हसीं कातिल चमकता चाँद सब कहते
हंसी गर सच को सह पाती तो मैं भी बोल देता सच
कतल होने मे गर आये मजा…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on November 21, 2013 at 4:30pm — 26 Comments
२१२२ १२१२ २२
जिंदगी और इम्तिहान न ले
कुछ भी ले ले मेरा गुमान न ले
मशविरा है यही फकीरों का
यूं कभी दी हुई ज़बान न ले
राह आसां नहीं है उल्फत की
नन्हे से दिल मे आसमान न ले
चल खिलोनों से खेलते हैं हम
तू अभी हाथ में कृपान न ले
जो पड़ोसी है मुल्क उसको बता
असलहों से भरी दुकान न ले
खुल के जी खुद भी, सब को दे…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on October 22, 2013 at 12:30pm — 29 Comments
१२२२ १२२२
बड़ी बातें मियां छोड़ों
हमारा दिल न यूं तोड़ों
न हिन्दू है न वो मुस्लिम
वो हिंदी है उसे जोड़ो
छलकती हैं जहाँ आँखें
मुझे रिन्दों वहां छोड़ों
लगें दिलकश जो शाखों पे
हसीं गुल वो नहीं तोड़ों
मिलेगी वक़्त पर कुर्सी
मियाँ कुर्सी को मत दौड़ों
लुटी कलियाँ चमन की हैं
दरिंदों को नहीं छोड़ों
बचा कुर्सी वतन बेंचा
शरारत ये जरा…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on October 19, 2013 at 2:30pm — 18 Comments
दिल के बिना जैसे कोई नादान जिन्दा रह गया
वैसे हो बेघर इक हसीं अरमान जिन्दा रह गया
है आदमी ही आदमी की जान का दुश्मन हुआ
यारों खुदा का है करम इंसान जिन्दा रह गया
टूटा हमारा हौसला उम्मीद फिर भी थी जवां
रख आरजू जीने की ये बेजान जिन्दा रह गया
मेरे खुदा मुझ पर तेरा रहमो करम हरदम रहा
तूफ़ान में अदना सा ये इंसान जिन्दा रह गया
लगते रहे हर रोज ही इल्जाम तो हम पर बड़े
माँ की दुआओं से…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on October 13, 2013 at 3:46pm — 22 Comments
यूं मुझे भूल न पाओगे था मालूम मुझे
दिल में लोबान जलाओगे था मालूम मुझे
अपने अश्कों से भिगो बैठोगे मेरा दामन
एक दिन मुझको रुलाओगे था मालूम मुझे
मैंने सीने से लगा रक्खा है तेरा हर ख़त
ख़त मगर मेरा जलाओगे था मालूम मुझे
यूं तो वादा भी किया, तुमने कसम भी खाई.
गैर का घर ही बसाओगे था मालूम मुझे
सारे इलज़ाम ले बैठा तो हूँ मैं अपने सर
मिलने पर नजरें चुराओगे था मालूम मुझे
डॉ आशुतोष…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on October 1, 2013 at 1:58pm — 12 Comments
२१२२/११२२/२२
झूठ अब सामने लाया जाये
आइना सबको दिखाया जाये
तीरगी है तो उदासी कैसी
दीप फ़ौरन ही जलाया जाये
आज दिल में है बड़ी बेचैनी
साक़िया भर के पिलाया जाये
लाडली वो भी किसी मा की है
फिर बहू को न सताया जाये
तोड़ डाला जो खिलौना उसने
उसको इतना न रुलाया जाये
बात गर करनी मोहब्बत की तो
दिल से नफरत को मिटाया…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on September 23, 2013 at 5:30pm — 25 Comments
मुझको दीवाना बना देंगे ये तेरे जल्वे
आग सी दिल में लगा देंगे ये तेरे जल्वे
नींद में डूबा हुआ जाने हुआ मेरा दिल
उसको लगता है जगा देंगे ये तेरे जल्वे
जैसे परवाना जले कोई शमा जलते ही
बैसे ही मुझ को जला देंगे ये तेरे जल्वे
हमने इस दिल को बचाया था बड़ी मुश्किल से
दिल को अब लगता मिटा देंगे ये तेरे जल्वे
क्या तेरे दिल में…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on September 20, 2013 at 4:00pm — 14 Comments
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