For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

All Blog Posts (18,998)

जरा इधर भी करें नजरें इनायत

1. समारू - भारतीय क्रिकेट टीम में श्रीकांत ने अपने बेटे का चयन किया है।

पहारू - बाप भए चयनकर्ता तो जुगाड़ कैसे न जमे।

 

2. समारू - मध्यप्रदेश में चिटफंड कंपनियों पर गाज गिरी।

पहारू - छग में भी ऐसा हो, तब तो।



3. समारू - केरल के मंदिर में एक लाख करोड़ का खजाना मिला है।

पहारू - यहां तो चवन्नी भी नसीब नहीं है।



4. समारू - छग में पीएमटी की परीक्षा तीसरी बार होने वाली है।

पहारू - देखना होगा, इस बार पेपर लीक कहां से होता है ?



5. समारू -…

Continue

Added by rajkumar sahu on July 6, 2011 at 12:31am — No Comments

ठीक है क्या ?

चाँद से पुछो बेबसी चीज है क्या

रात भर यूँ जागना ठीक है क्या

 

उन लम्हो को सम्भाल कर रक्खा है

अश्क जो बहे आँखो से मीत है क्या

 

जाने वालो ने कभी मुडके ना देखा

दिलमे है आग जलता दीप है क्या

 

दर्दो जहाँ मे कदम बढा के चले

हार का हो यकिन तो जीत है क्या

Added by kalpana on July 5, 2011 at 8:00pm — No Comments

कविता

कविता एक सुन्दर माध्यम अभिव्यक्ति का,
कविता एक कल्पना स्वरचित!
कविता एक मधुर लय ताल शब्दों का,
कविता एक यथार्थ शब्दरचित !
कविता एक संगम भावनाओ का,
कविता एक संसार हस्तरचित!
कविता एक प्रेरणा मनुष्य की,
कविता एक शब्द रचना ओज-संचित!
कविता एक मंथन व्यथित हृदय का,
कविता एक पुकार हृदय प्रेरित!!

Added by Vasudha Nigam on July 5, 2011 at 1:00pm — 1 Comment

मेरी भावनाएं ...

एक दिन ,

भावनाओ  की  पोटली  बांध 

निकल  पड़ी  घर  से ,

सोचा,

समुद्र  की  गहराईयों  में  दफ़न  कर  दूंगी  इन्हें ..

कमबख्तों  की  वजह  से  ..

हमेशा  कमजोर  पड़  जाती हूँ  ..

फेक  भी  आई  उन्हें ..

दूर  , बहुत  दूर

पर  ये  लहरें  भी  'न' .--

कहाँ  मेरा  कहा मानती  हैं ..

हर  लहर ....

उसे  उठा  कर  किनारे  पर  पटक  जाती , 

और  वो  दुष्ट  पोटली ..

दौड़ती  भागती  मेरे  ही …

Continue

Added by Anita Maurya on July 4, 2011 at 3:46pm — 15 Comments

हरे भरे हैं खेत सुहाने ,

हरे भरे हैं खेत सुहाने ,

देख के मचले ये दिवाने ,
जैसे होती सुबह की बेला ,
चिडियों का कोलाहल सुन के ,
उठ के प्रथम बैलो को ,
लगते हैं ये तो खिलने ,
हरे भरे हैं खेत सुहाने ,
देख के मचले ये दीवाने  ,
सुबह सुबह ले बैलो को ,
कंधे पे ये हल संभाले ,
दिन भर मेहनत करने वाले ,
शाम को लौटे थके हरे ,
सकून देती हरियाली ने…
Continue

Added by Rash Bihari Ravi on July 4, 2011 at 12:00pm — 12 Comments

ममतामयी माँ



माँ
शब्दों में न बांधी 
जा सकने वाली परिभाषा,
कोटिश: दुखों में छिपी 
सुखों की एक अभिलाषा....
तुम्हारा आँचल 
अनंत गगन को भी, 
छोटा कर देता
तुम्हारा प्यार 
समुद्र से विशाल दुखों 
को भी कम कर देता....
कहा से समाया है ,
तुममे इतना…
Continue

Added by Yogyata Mishra on July 4, 2011 at 11:14am — 2 Comments

श्रेय लेने का शुरूर

अक्सर देखा जाता है कि जब कोई उल्लेखनीय कार्य होता है तो उसका श्रेय लेने की होड़ मच जाती है और स्थिति मारामारी की बन जाती है। श्रेयमिजाजी लोग खास मिसाल पेश कर लेते हैं, तब वह इतिहास में अपना नाम दर्ज कराने भी उतारू हो जाता है। भले ही वह किसी भी रूप में हों ? आज जहां देखें वहां, केवल श्रेय लेने की होड़ दिखती है। ऐसा लगता है, जैसे गली-गली में ‘श्रेय की दुकान’ खुल गई है और वहां से जो जब चाहे, तब ‘श्रेय’ खरीदकर ले लाए। जैसे, बाजार से हम सेब खरीद कर ले आते हैं। फिर अपना एकाधिकार जमाने में उसे कहां देर… Continue

Added by rajkumar sahu on July 4, 2011 at 12:28am — No Comments

जरा इधर भी करें नजरें इनायत

समारू - चवन्नी का अस्तित्व खत्म हो गया है।

पहारू - मगर, चवन्नी छाप लोगों की संख्या तो बढ़ रही है।





2. समारू - ऐश्वर्या राय की जल्द ही मां बनने की खबर है।

पहारू - लगता है, ‘मीडिया’ को ‘ऐश्वर्या’ से अधिक जल्दी है।





3. समारू - छग के पीएमटी परीक्षा फर्जीवाड़े में ओहदेदारों की संलिप्तता की चर्चा है।

पहारू - बड़े लोग हैं, बड़े कारनामे करने में कैसे गुरेज करेंगे।





4. समारू - छग में डीएड का पेपर लीक हो गया।

पहारू - यहां की परीक्षा… Continue

Added by rajkumar sahu on July 3, 2011 at 11:14pm — 1 Comment

narmadashtak : aadi shankaracharya - sanjiv 'salil'



Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on July 3, 2011 at 8:30pm — No Comments

क्या तुम आज स्कूल आओगे?

अब ये नही होगा.......... कल मुझसे मेरे छोटे भाई ने कहा की दीदी अब तुझसे ये कोई नही कभी कहेगा की आज स्कूल क्यो नही आई या क्या तुम आज स्कूल आओगी? बात बिल्कुल साधारण सी थी पर मे सारा दिन सोचती रही की ये बात कितनी सच हे . बचपन के साथ साथ ये सारे पल भी तो बीत गये जब सारी सहेलिया साथ स्कूल जाती और हर दिन एक दूसरे से पूछती थी की क्या कल स्कूल आओगी?

 

हमारी वो दुनिया ही…

Continue

Added by monika on July 3, 2011 at 2:39am — 2 Comments

पीछे देखोगे साथ में भीड़ जुट जाएगी.

है अगर चाहत तुम्हारी सेवा परोपकार की,

तो जिंदगी समझो तुम्हारी पुरसुकूं पायेगी.

दुनिया में किसी को मिले न मिले

दुनिआवी झंझटों से मुक्ति मिल जाएगी.



हैं फंसे आकर अनेकों इस नरक के जाल में,

मुक्ति चाह जब उनकी आत्मा तरपाएगी .

तब उन्हें देख तुमको हँसते मुस्कुराते हुए

जिंदगी जीने की नयी राह एक मिल जाएगी.



मोह अज्ञानवश फिर रहे भटक रहे,

मौत के आगोश में गर जिंदगी जाएगी.

अंत समय ज्ञान पाने की ललक को देखना

इच्छा अधूरी है ये मन में दबी रह… Continue

Added by shalini kaushik on July 2, 2011 at 12:43am — 2 Comments

कलम तलवार नहीं है

हर जगह आग है, शोला है, कही प्यार नहीं है

सकून दे सके आपको,ऐसी कोई वयार नहीं है //



कितना संभल कर चलेंगे आप,अब गुल में

हर पेड़ अब खार है,कोई कचनार नहीं है //





हंसी मिलती है,अब सिर्फ तिजारत की बातों में

रिश्तों का महल बनाने, अब कोई तैयार नहीं है //



अश्क पोछना होगा अब आपको,अपने ही रुमाल से

पोछ दे आपका अश्क,अब ऐसा कोई फनकार नहीं है //



माँ ! लिखना भूल गई है अब मेरी कलम

शायद ,बेटे को अब माँ की दरकार नहीं है //



जी भर लूटो ,खाओ , इस… Continue

Added by baban pandey on July 1, 2011 at 11:59am — No Comments

आईना मेरा ..

  यू तो हम आईने पे मरते थे,

फिर भी हम आईने से डरते थे   

रोज़ किस्से हज़ारो बातें भी…
Continue

Added by Lata R.Ojha on July 1, 2011 at 12:30am — 8 Comments

माँ





तुझे बाहों मे भर लेने का,

तेरे कंधे रख के सर रोने का,

तुझसे मॅन का दर्द कह देने का,

माँ बड़ा दिल करता है!

 

तेरी उंगली पकड़ फिर चलने का,

तेरे साए मे बैठे रहने का,

तेरी लॉरी सुन कर सोने का,

माँ बड़ा दिल करता है!

 

दूर है तू मुझसे,या छुपी हुई है मुझमे ही,

ढूंडती हून तुझको हर कही,

तेरे आँचल मे छुप जाने का,

माँ बड़ा दिल करता…

Continue

Added by Vasudha Nigam on June 30, 2011 at 1:40pm — No Comments

“संग मेरी माँ हैं....”

 



क्या कहूँ की वो क्या हैं? 

 

माँ तो बस होती माँ हैं,

 

खिलाकर बच्चें को खाना ख़ुद खाती हैं, 

 

देख कर हमें सोता हुआ कहीं वो सो पाती हैं. 

 

याद हैं आज भी आपका मुझे लोरी सुनाना, 

 

बचाने को बुरी नज़र से बार-बार काला टीका लगाना. 

 

सच में कितनी सीधी और सच्ची होती हैं…

Continue

Added by Jaimangal Singh,Ek Aur Shayar on June 30, 2011 at 12:57pm — No Comments

कल रहे या ना रहे

क्या भरोसा जिन्दगी का कल रहे या ना रहे।

क्या पता यह बुलबुला कुछ पल रहे या ना रहे।।

 

है भयंकर इक समन्दर ये जहाँ उठ्ठे तूफां,

तैरती कागज की कश्ती तेज मौजों में यहाँ।

है किसे मालूम कब ये गल रहे या ना रहे।।

 

पूरी हो पायेंगी शायद ही खुशी ओ ख्वाहिशें,

मिट्टी के इस ढेले पे होतीं गमों की बारिशें।

क्या पता पानी में कब ये घुल रहे या ना रहे ।।

 

हो गई मुश्किल न कम है जिन्दगी अब बोझ से,

मौत रूपी माशूका की गोद में सब…

Continue

Added by आचार्य संदीप कुमार त्यागी on June 30, 2011 at 8:00am — No Comments

महंगाई व प्रधानमंत्री के वायदे

प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने मार्च 2012 तक महंगाई दर में 6 प्रतिशत की कमी होने का एक बार फिर दावा किया है। दरअसल, प्रधानमंत्री जी प्रिंट मीडिया के कुछ प्रमुख संपादकों से बुधवार को मुखातिब हुए। यहां उन्होंने भ्रष्टाचार, लोकपाल बिल समेत अन्ना हजारे, बाबा रामदेव के आंदोलन के संबंध में अपनी बात रखी। साथ ही खुद को कमजोर प्रधानमंत्री कहे जाने को एक सिरे से खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि यह विपक्ष का दुष्प्रचार है, जबकि वे हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि देश में कैसे विकास दर को बढ़ाया जाए और देश की… Continue

Added by rajkumar sahu on June 30, 2011 at 12:57am — No Comments

जरा इधर भी करें नजरें इनायत

1. समारू - प्रधानमंत्री ने प्रिंट मीडिया के प्रमुख संपादकों से चर्चा की।

पहारू - दिखाना चाह रहे हैं कि मेरी उछल-कूद में कोई कमी है तो बताओ।





2. समारू - खटारा गाड़ी में शहीद के शव मामले में छग के मुख्यमंत्री की सफाई।

पहारू - जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई की जहमत कहां उठा सकते हैं।





3. समारू - आरबीआई ने चवन्नी के सिक्के को बंद कर दिया।

पहारू - अब कोई चवन्नी छाप नहीं होगा।





4. समारू - प्रधानमंत्री ने साल भर में पांचवीं बार महंगाई कम होने… Continue

Added by rajkumar sahu on June 29, 2011 at 11:17pm — No Comments

मेरा विश्वास

सच्ची प्रीति में पगी जो प्रार्थना की रीति ये तो

नेह नीति में विरह की गाँठ न लगाइए

जब भी प्रेम भाव से बुलाया जाय आपको तो

भक्तों के काज आप बनाने चले आइये

आप मूर्तिमान हैं निधान  हैं दया के…

Continue

Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on June 29, 2011 at 10:54pm — No Comments

अब मेरे ख्वाबो को जीने दो ,

अब मेरे ख्वाबो को जीने दो ,

बचपन खेलने को तरस गया ,
हाथो में किताब पड़ने से ,
जवानी कर्मो में गुजर गया ,
और आगे बढ़ने में ,
पूरा चला ढाई कोस , 
वही कहावत हो गई , …
Continue

Added by Rash Bihari Ravi on June 29, 2011 at 7:00pm — No Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत ही उत्तम और सार्थक कुंडलिया का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई सर"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service