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Dr.Prachi Singh's Discussions

ओबीओ लाइव महोत्सव अंक 60 की सभी रचनाओं का संकलन
14 Replies

१. सौरभ पाण्डेय जीपाँच दोहे  ====== देख शहर की रौनकें भौंचक हुआ किसान  भूखी बस्ती रो रही कहाँ गया सब धानअबकी फिर माँ के लिए ’फले पूत’ वरदान  बिटिया बैठी ताड़ती बिन जनमे का मानबादल आये झूम कर लेकिन…Continue

Started this discussion. Last reply by pratibha pande Oct 21, 2015.

ओबीओ लाइव महोत्सव अंक 59 की समस्त रचनाओं का संकलन
26 Replies

1.आ० राजेश कुमारी जीग़ज़लवक़्त बड़ा बलवान सुना है भैया जीछूट गया जो साथ डुबोता नैया जी कर लो पूरे काम न छोड़ो कल पर तुमकरवायेगा वरना ताता थैया जी मँहगाई में सौ-सौ नखरेबाज हुआकितना हाय कमीना आज रुपैया…Continue

Started this discussion. Last reply by Dr.Prachi Singh Oct 8, 2015.

ओबीओ लाइव महोत्सव अंक-58 की समस्त रचनाएं एक साथ
39 Replies

 आदरणीय सुधीजनो, दिनांक -8 अगस्त’ 2015 को सम्पन्न हुए  “ओबीओ लाइव महोत्सव अंक-58” की समस्त स्वीकृत रचनाएँ संकलित कर ली गयी हैं. सद्यः समाप्त हुए इस आयोजन हेतु आमंत्रित रचनाओं के लिए शीर्षक “फंदा”…Continue

Started this discussion. Last reply by Janki wahie Aug 30, 2015.

ओबीओ लाइव महोत्सव अंक-56 की समस्त स्वीकृत रचनाओं का संकलन
25 Replies

आदरणीय सुधीजनो, दिनांक -14जून’ 2015 को सम्पन्न हुए  “ओबीओ लाइव महोत्सव अंक-56” की समस्त स्वीकृत रचनाएँ संकलित कर ली गयी हैं. सद्यः समाप्त हुए इस आयोजन हेतु आमंत्रित रचनाओं के लिए शीर्षक “गर्मी की…Continue

Started this discussion. Last reply by मिथिलेश वामनकर Jun 24, 2015.

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क्षणभंगुर सा स्वप्न सजीला, छन से टूटा...बिखर गया

भावों के सागर को जब-जब

अमृत घट बंधन में बाँधा-

क्षणभंगुर सा स्वप्न सजीला, छन से टूटा...बिखर गया 

तड़प-तड़प प्राणों ने ढूँढा, लेकिन जाने किधर गया ?

भीतर-भीतर अंतःमन में जन्मे जाने कितने सपने,

लिए रवानी…

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Posted on December 14, 2022 at 11:55pm — 3 Comments

अक्सर मुझसे पूछा करती.... डॉ० प्राची

सपनों में भावों के ताने-बाने बुन-बुन

अक्सर मुझसे पूछा करती...

बोलो यदि ऐसा होता तो फिर क्या होता ?... और मौन हो जाता था मैं !

 

उसकी एक हँसी पर जैसे

अपने दोनों पंख पसारे,

ढेरों हंस उड़ा करते थे

बहती…

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Posted on November 28, 2022 at 2:30am — 7 Comments

उम्र आधी कट गई है, उम्र आधी काट लूँगी

रात दिन तुमको पुकारा,

किन्तु तुम अब तक न आए !

चित्र मेरी कल्पना के,

मूर्तियों में ढल न पाए !

 

चिर प्रतीक्षित आस के संग, प्यार अपना बाँट लूँगी ।

उम्र आधी कट गई है, उम्र आधी काट लूँगी…

Continue

Posted on July 8, 2020 at 4:30pm — 6 Comments

क्या यही तेरा सृजन था

प्रश्न मैं तुझ पर उठाऊँ, हूँ नहीं इतना पतित भी,

किन्तु जो प्रत्यक्ष है उस पर अचंभित हूँ, अकिंचन!

पूछ बैठा हूँ स्वयं के, बोध की अल्पज्ञता में,

बोल दे हे नाथ मेरे, क्या यही तेरा सृजन था?

जब दिखी मुस्कान तब-तब, आँसुओं…

Continue

Posted on November 27, 2019 at 5:00pm — 2 Comments

प्रेम: विविध आयाम

प्रेम : विविध आयाम

प्रेम

ठहरा था

बन के ओस

तेरी पलकों पर...

उफ़ तेरी ज़िद

कि बन के झील

वो…

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Posted on November 13, 2019 at 2:00pm — 3 Comments

तुम आओ तो...

मैंने केसर-केसर मन से रची रंगोली,

मैंने रेशम-रेशम बंधनवार सजाए,

कुछ महके कुछ मीठे से पकवान बना लूँ-

तुम आओ तो उत्सव जैसा तुम्हे मना लूँ...

 

कंगूरों तक रुकी धूप से कर…

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Posted on October 5, 2019 at 1:10am — 5 Comments

ऐसा हो तो फिर क्या होगा ....डॉ प्राची सिंह

मेरे मन की शांत नदी में अविरल बहती भाव लहर हो

मेरे गीतों से निस्सृत अक्षर-अक्षर का गुंजित स्वर हो

मैं तुलसी तुम मेरा आँगन, मैं श्वासों का अर्पित वंदन,

साथी-सखा-स्वप्न सब तुम ही, सच कह दूँ- मेरे ईश्वर हो !

 

आतुर…

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Posted on July 21, 2019 at 6:56pm — 2 Comments

..ऐसा हो तो फिर क्या होगा (गीत) ~ डॉ. प्राची

पूछ रहा हूँ मैं उन सच्ची ध्वनियों से जो मौन ओढ़ कर

मुझमें गूँजा करतीं हैं जो संदल-संदल अर्थ छोड़ कर...

...साँझ ढले और मैं ना आऊँ, ऐसा हो तो फिर क्या होगा ?

...धुँआ-धुँआ बन कर खो जाऊँ, ऐसा हो तो फिर क्या होगा…

Continue

Posted on July 6, 2019 at 2:26am — 5 Comments

आखिर क्यों ?

आख़िर क्यों पूछे तू ऐसे प्रश्न
नियति, जिनके उत्तर
ख़ुद तुझको ही स्वीकार नहीं…
Continue

Posted on May 9, 2019 at 6:00pm — 1 Comment

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Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" पर्यावरण की इस प्रकट विभीषिका के रूप और मनुष्यों की स्वार्थ परक नजरंदाजी पर बहुत महीन अशआर कहे हैं मिथिलेश भाई जी सब के सब बेमिसाल हैं फिर भी इन दो अशआर पर मेरी तरफ से विशेष बधाई  धुंध गहरी और खाई दिख रही है  अब तरक्की में…"
Jun 16

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Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"दोहा सप्तक में लिखा, त्रस्त प्रकृति का हाल वाह- वाह 'कल्याण' जी, अद्भुत किया कमाल "
Jun 16

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Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"मानव के अत्यधिक उपभोगवादी रवैये के चलते संसाधनों के बेहिसाब दोहन ने जलवायु असंतुलन की भीषण स्थिति को ला खड़ा कर दिया ... a local action has global impact ये हम नहीं समझते और संसाधनों के अति दोहन ने सम्पूर्ण धरती को एक विनाशकारी स्थिति में ला…"
Jun 16

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Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" जलवायु असंतुलन के दोषी हम सभी हैं... बढ़ते सीओटू लेवल, ओजोन परत में छेद, जंगलों का कटान, नदियों का प्रदूषण, मिट्टी में ज़हर का घुलना, सबके ज़िम्मेदार केवल हम मानव और त्रस्त सम्पूर्ण प्राणी जगत अब भी नहीं तो न जाने कब चेतेंगे हम सब बहुत…"
Jun 16

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Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आग लगी है व्योम में, कहते कवि 'कल्याण' चहुँ दिशि बस अंगार हैं, किस विधि पाएं त्राण,किस विधि पाएं त्राण, जगत के प्राणी सारे  जीव जगत पर मार, झेलते सब बेचारे रोपें सब मिल वृक्ष, इसी से आस जगी है सब मिल करें उपाय, बुझे जो…"
Jun 16

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Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"भाई लक्षमण जी एक अरसे बाद आपकी रचना पर आना हुआ और मन मुग्ध हो गया पर्यावरण के क्षरण पर बहुत धारदार अशआर हुए हैं हर शेर के साथ एक बोनस शेर मेरा भी स्वीकार करें    धूप से नित  है  झुलसती जिंदगी नीर को इत उत कलपती…"
Jun 16

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Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को बहुत खूबसूरती से अपनाने की अंतर्धारा पर सुंदर नज्म "
Jun 7

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Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर करे यह सुअवसर जल्दी ही बने "
May 26

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Dr.Prachi Singh commented on AMAN SINHA's blog post आँख मिचौली
"रचना की विषयवस्तु बहुत रोचक है एक बहुत सुदर बाल रचना बन सकती है यह बस थोड़ा मात्राओं और तुकांत पर ध्यान दीजिये सुन्दर प्रयास है .. बहुत बधाई प्रिय अमन भाई "
Jan 16

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Dr.Prachi Singh commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post चोर का मित्र जब से बना बादशाह (ग़ज़ल)
"सभी अशआर बहुत धारदार हुए हैं धर्मेन्द्र भाई जी  बहुत बधाई "
Jan 16
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Dr.Prachi Singh's blog post क्षणभंगुर सा स्वप्न सजीला, छन से टूटा...बिखर गया
"आ. प्राची बहन, सादर अभिवादन। उत्तम रचना हुई है । हार्दिक बधाई."
Dec 21, 2022
Sushil Sarna commented on Dr.Prachi Singh's blog post क्षणभंगुर सा स्वप्न सजीला, छन से टूटा...बिखर गया
"आदरणीया प्राची सिंह जी बहुत भावपूर्ण सृजन हुआ है । दिल से बधाई स्वीकार करें ।"
Dec 16, 2022

Profile Information

Gender
Female
City State
Haldwani / Uttarakhand
Native Place
Haldwani
Profession
Dean Academics (MIET-KUMAON)
About me
Dr. Prachi is working as a Dean Academics, in a Professional Engineering College. She is an adviser to Vivekanand Education Society.She also organizes interactive discussion and lectures with teachers & students on regular basis. Dr.Prachi has a Masters’s degree in Environment Science from Gurukul Kangri vishwavidyalaya (M.Sc. Gold Medalist) and Ph.D. in Bioscience from Banasthali Vidyapith. She has also qualified UGC-NET examination. She is recipient of Young Scientist Award by Department of Science & Technology (DST), Government of India in " a contact programme for young scientists organized by TBGRI, Thiruvananthpuram, Kerala in 2002. She has also designed a unique Personality Development Course for college students. She is a god gifted artist & poetess, and remains actively involved in sketching portraits of National Leaders and famous personalities as well as writing poems on many issues close to her heart.

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At 7:29pm on December 2, 2022, आचार्य शीलक राम said…

धन्यवाद आदरणीय

At 3:50pm on November 2, 2015, Ravi Shukla said…

आदरणीया प्राची जी नमस्‍कार

करवा चौथ का आपका गीत पढ़ कर कुछ मार्ग दर्शन की आकांक्षा है क्‍योंकि अपने पुराने लिखे गीतो पर फिर से काम कर रहे है ।

आपने अपने इस गीत में वर्ण को आधार बनाया है या मात्रा को

मात्रा के अनुसार है तो क्‍या गीतो में मात्रा गिरा कर पढ़ा जा सकता है जैसे उर्दू बह्र में छूट है

मात्रा गणना में कितनी छूट स्‍वीकार्य है

मैं पिया के हृदय में सदा ही रहूँ

2 1 2   2 1 11  2 1 1  2 1 2   ( 21 2 की चार आवृत्ति ) 20 मात्रा

वो ही सागर मेरे, मैं नदी सी बहूँ

2 2 2  1 1  2 2   2 1 2  2 1 2  ( मात्रा गिरा के पढ़ने से लय बन रही है ) 22 मात्रा

आशा है हम अपनी बात रख पाये है

आपका गीत बहुत ही सुन्‍दर है और प्रासंगिक होने से और भी अच्‍छा लगा है बधाई

यदि गीतो के बारे में कुछ जानकारी मंच में हो तो उसे बताये पढ़ने के बाद फिर संपर्क करेंगे छंद विधान मे छंद की जानकारी उपलब्‍ध है किन्‍तु उससे हमारी शंका का समाधान नहीं हो पा रहा ।

At 3:14pm on October 15, 2015, Sushil Sarna said…

आदरणीया डॉ प्राची सिंह जी आपको जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामना   .... प्रभु आपके जीवन के हर पल को खुशियों से भरपूर करे। 

At 12:14pm on October 15, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

आदरणीया डॉ प्राची सिंह जी, आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें...

At 7:46am on October 15, 2014, जितेन्द्र पस्टारिया said…

आदरणीया डा.प्राची जी, आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत शुभकामनायें.

सादर!

At 9:01pm on June 26, 2014, Santlal Karun said…

आदरणीया डॉ. प्राची जी,

'साथ जीने की सज़ा' पर आप की टिप्पणी से जिज्ञासा-वश मैं आप के ब्लॉग पर आया | अधिक तो न पढ़ सका, किन्तु 'सत्य पिरो लूँ' नवगीत के कथ्य तथा शिल्प दोनों के अनूठेपन में मन ऊभ-चूभ हो उठा | संवेदनाओं की वीणा-सी झंकृत इस सूक्ष्म भावों की हृदयस्पर्शी रचना के लिए हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ !

At 8:49pm on June 15, 2014, mrs manjari pandey said…
आदरणीया साधुवाद . वस्तुतः विषय ज्वलंत है इसलिए तुरंत लिख कर मैंने बस आहुति में अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराई है . मै इन दिनों आस्ट्रेलिया आई हूँ बेटी के पास। नाती दिन भर तो कुछ करने नहीं देता। फिर भी आपने मेरा मान बढ़ाया है
At 2:39pm on March 16, 2014, Sushil Sarna said…

मेरी ओर से होली के पावन पर्व पर सपरिवार आप को होली की शुभकामनाएं। उस परम पिता परमेश्वर से प्रार्थना है कि वो सदा आपके आँगन में खुशियों के रंग बिखेरता रहे।

सुशील सरना

 
 
 

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"आदरणीय रामबली जी बहुत ही उत्तम और सार्थक कुंडलिया का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई सर"
17 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
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Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
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"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
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Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
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Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
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"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
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"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
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"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
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"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
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