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देर से ही सही.. हर्दिक आभार आपका आदरणीय विजय शंकर जी!
Haardik abhaar aapka!
आदरणीय डॉ विजय शंकर सर,
आपको जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनायें
आदरणीय Dr. Vijai Shanker जी आप का हार्दिक आभार ....मंगलकामनाएँ...सादर
आदरणीय डॉ विजय शंकर सर, निवेदन स्वीकार करने के लिए आभार...
विद्यार्थी की मुक्त कंठ प्रशंसा आपका बड़प्पन और आपके हृदय की विशालता का प्रमाण है.
आपका स्नेह और आशीर्वाद सदैव मिलता रहे, इसके लिए सदैव प्रयास करता रहूँगा. नमन
आदरणीय डॉ विजय शंकर सर, आभार, धन्यवाद.... आप लोगो के स्नेह और आशीर्वाद से ही मंच पर सक्रिय हो पाता हूँ. आपका आभार हार्दिक धन्यवाद
आपको सपरिवार ज्योति पर्व की हार्दिक एवं मंगलमय शुभकामनाएं...
वक़्त अच्छा है
तो सब अच्छा है ,
वर्ना बुरे वक़्त से
बुरा, कुछ नहीं। ....... (1)
जोड़ना और जुड़ जाना भी
एक बहुत बड़ा हुनर है।
अक्सर लोग , टूट कर ,
खुद ही बिखर जाते हैं ,
दूसरों को तोड़ने में । ... (2)
मौलिक एवं अप्रकाशित
Posted on September 24, 2023 at 5:30pm — 6 Comments
सत्य अटल है , स्थिर है ,
झूठ न अटल है ,न स्थिर है।
समय के अनुसार परिवर्तन शील है ,
परिस्थिति वश बदल जाता है ,
हर हाल से समझौता कर लेता है ,
मुखर है , निडर है ,सर चढ़ कर बोल लेता है ,
बहुरंगी है , बहुधन्धी है ,
इसलिए हर जगह चलता है ,
सत्य स्थिर है , अटल है ,
सत्य खोजना पड़ता है ,
झूट स्वयं उपस्थित हो जाता है.
मौलिक एवं अप्रकाशित
Posted on September 14, 2023 at 10:00pm — 4 Comments
हम समझते थे ,
झूठ के करोड़ों प्रकार होते हैं।
यहां तो सच भी हर एक का
अपना अपना हैं। .......... 1.
तुम बेशक मेरे रास्ते में
रोड़े बिछा सकते हो ,
मेरा नसीब नहीं बदल सकते,
अगर बदल सकते तो
अपनी तक़दीर बदलते ,
दूसरों के रास्ते में यूं
रोड़े नहीं बिछाते रहते।......... 2.
मौलिक एवं अप्रकाशित
Posted on March 5, 2022 at 9:59am — 2 Comments
भूख नैसर्गिक है ,
पर रोटी , रोटी
नैसर्गिक नहीं है।
भूख का निदान
स्वयं को करना होता है ,
रोटी कमानी पड़ती है ,
रोटी खरीदनी पड़ती है ,
रोटी पर टैक्स चुकाना पड़ता है ,
रोटी निदान है , आय का जरिया है।
भूख ऐसी कुछ नहीं , उसका निदान ,
आदमी से क्या कुछ नहीं करा देता है ,
उसे एक शब्द में कमाई कह देते हैं।
अपने लिए , अपने पेट के लिए।
सब कुछ नैसर्गिक है ......... ?
व्यापार के लिए , राजस्व के लिए।
मौलिक…
ContinuePosted on November 27, 2021 at 11:29am — 2 Comments
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