रोला छंद :-
धड़की बन कर याद , सुहानी वो बरसातें ।
दो अधरों की पास, सुलगती दिल की बातें ।
अनबोली वो बात, प्यार का बना फसाना ।
धड़के दिल के पास, मिलन का वही तराना ।
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दिन भर करते पाप, शाम को फेरें माला ।
उपदेशों के संत, साँझ को पीते हाला ।
पाखंडी संसार , यहाँ सब झूठे मेले ।
ढोंगी करता मौज , सज्जन दु:ख ही झेले ।
सुशील सरना / 31-3-22
मौलिक एवं…
ContinueAdded by Sushil Sarna on March 31, 2022 at 3:00pm — 6 Comments
मैंने देखा है जहाँ में लोग दो तरह के है
हाँ यहाँ पर हर किसी को रोग दो तरह के है
एक को लगता है जैसे सब देवता के हाथ है
एक को लगता सबकुछ दानवो के साथ है
मन के विश्वास को कोई आस्था बता रहा
दूसरा अपने भरम को सत्य से छिपा रहा
लोगों के आस्था का यहाँ हो रहा व्यापार है
हर गली में पाखंडियों का लग रहा बाज़ार है…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 31, 2022 at 10:14am — 2 Comments
2122 - 2122 - 2122 - 212
ये उड़ानों का भला फिर हौसला कैसा हुआ।
आपने जो भी दिया हर पंख था कतरा हुआ।
देखिए विज्ञापनों का दौर ऐसा आ गया
काम होने से जरूरी है दिखे होता हुआ।
जब रपट आई तो सारे एक स्वर में कह गए
कुछ हुआ हो ना हुआ हो आंकड़ा अच्छा हुआ।
चूर कर दी शख्सियत यूं जख्म भी दिखता नहीं
ये तरीका चोट करने का बहुत संभला हुआ।
दे रहें हैं आप लेकिन मिल न पाया आज तक
आपका सम्मान भी लगता है बस मिलता…
Added by मिथिलेश वामनकर on March 30, 2022 at 6:11pm — 11 Comments
बस कुछ दिनों की बात है, ये वक़्त गुज़र जाएगा
मौत के अंधेरे को चीर के फिर उजला सवेरा आएगा
समय सब्र रखने का है, एक व्रत रखने का है
अगर संयम से चले हम तो फिर ये संकट भी टल जाएगा
बस कुछ ................................................
है प्रार्थना सभी से मिलकर साथ रहो तुम सब
बहूत देख लिया जग हमने, बस घर मे रहो सारे…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 30, 2022 at 10:20am — 3 Comments
युद्ध के विरुद्ध हूँ मैं …
Added by amita tiwari on March 30, 2022 at 12:00am — 5 Comments
रोला छंद .....
मधुशाला में जाम, दिवाने लगे उठाने ।
अपने -अपने दर्द, जाम में लगे भुलाने ।
कसमें वादे प्यार ,सभी हैं झूठी बातें ।
आँसू आहें अश्क, प्यार की हैं सौग़ाते ।
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दमके ऐसे गाल, साँझ की जैसे लाली ।
मृग शावक सी चाल ,चले देखो मतवाली ।
मदिरालय से नैन, करें सबको दीवाना ।
अधरों पर मुस्कान, प्यार का मधुर तराना ।
सुशील सरना / 29-3-22
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on March 29, 2022 at 9:40pm — 6 Comments
दिशाविहीन
दयनीय दशा
दुख में वज़्न
दुख का वज़्न
व्यथित अनन्त प्रतीक्षा
उन्मूलित, उचटा-सा है मन
कि जैसे रिक्त हो चला जीवन
खाली लगती है…
ContinueAdded by vijay nikore on March 29, 2022 at 2:33pm — 11 Comments
कजरा वही गज़रा वही आँखों में है नर्मी वही
पायल वही झुमका वही साँसों में है गर्मी वही
टिका वही बिंदी वही गालो में है लाली वही
काजल वही कंगन वही कानो में है बाली वही
चुनड़ वही घागर वही कमर पर है गागर वही
ताल वही और चाल वही घुँघराले से बाल वही
रूप वही और रंग वही चोली अबी भी तंग वही
अंग वही और ढंग वही रहती हरदम है संग…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 29, 2022 at 10:25am — 12 Comments
2×15
दूर कहीं पर धुंआ उठा था दम घुटता था मेरा भी
ख़्वाब में मैंने देख लिया था दिल सुलगा था मेरा भी
एक अदद मिसरा जो दिल से निकले और पहुँचे दिल तक
हर सच्चे शाइर की तरहा ये सपना था मेरा भी
टुकड़े टुकड़े दिल है पर मरने की चाह नहीं होती
तेरे अहसानों के बदले इक वादा था मेरा भी
मेरी आँखों की लाचारी तुम भी समझ नहीं पाए
खारे पानी के दरिया में कुछ हिस्सा था मेरा भी
दिल को यही दिलासा देकर काट रहा हूँ तन्हाई
इस मिट्टी के…
Added by मनोज अहसास on March 29, 2022 at 12:18am — 6 Comments
किवाड़ के खड़कने के आवाज़ पर
दौड़ कर वो कमरे में चली गयी
आज बाबूजी कुछ कह रहे थे माँ से
अवाज़ थी, पर जरा दबी हुई
बात शादी की थी उसकी चल पड़ी
सुनकर ये ख़बर जरा शरमाई थी
आठवीं जमात हीं बस वो पढ़ी थी
चौदह हीं तो सावन देख पाई थी
हाथ पिले करना उसके तय रहा
बात ये बाबूजी जी ने उससे कह…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 28, 2022 at 10:25am — 2 Comments
घटा - घोप अन्धेर है, कहीं न पहरेदार ।
तक्षक बनता काल है, क्या होगा घर-बार ।। ( 1 )
+++++++++++++++++++++++++
नागफनी वन हो गये, जंगल ...नम्बरदार ।
बना कैक्टस मुँहलगा, फुदकता - बार बार ।। ( 2 )
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रोशन जो दिखती नहीं, गाँव सखा तक़दीर ।
बुझा- बुझा सा मन हुआ, सोच रहा ताबीर ।। ( 3…
ContinueAdded by Chetan Prakash on March 27, 2022 at 12:30am — 2 Comments
यथार्थ के दोहे .....
पाप पंक पर बैठ कर ,करें पुण्य की बात ।
ढोंगी लोगों से मिलेेें, सदा यहाँ आघात ।।
आदि -अन्त के भेद को, जान सका है कौन ।
एक तीर पर शोर है, एक तीर पर मौन ।।
आदि- अन्त का ग्रन्थ है, कर्मों का अभिलेख ।
जन्म- जन्म की रेख को,देख सके तो देख ।।
कितना टाला आ गई, देखो आखिर शाम ।
दूर क्षितिज पर दिख रहा, अब अन्तिम विश्राम ।।
तृप्ति यहाँ आभास है, तृष्णा भी आभास …
ContinueAdded by Sushil Sarna on March 26, 2022 at 3:30pm — 13 Comments
पाप.....
कितना कठिन होता है
पाप को परिभाषित करना
क्या
निज स्वार्थ के लिए
किसी के उजाले को
गहन अन्धकार के नुकीले डैनों से
लहूलुहान कर देना
पाप है
क्या
अपने अंतर्मन की
नाद के विरुद्ध जाना
पाप है
क्या
किसी की बेबसी पर
अट्टहास करना
पाप है
क्या
अन्याय के विरुद्ध मौन धारण कर
नज़र नीची कर के निकल जाना
पाप है
वस्तुतः
सोच से निवारण तक …
Added by Sushil Sarna on March 25, 2022 at 8:14pm — 2 Comments
एक दिन स्वर्ग में घूमते-घूमते
एक जगह रुक्मिणी राधिका से मिली
एक दिन स्वर्ग में……………
सैकड़ों प्रश्न मन में समेटे हुए
श्याम की प्रीत तन पर लपेटे हुए
जोड़कर हाथ राधा के सम्मुख वहाँ
एक रानी सहज भावना से मिली
एक दिन स्वर्ग में …………….
देखकर राधिका झट गले लग गई
साँवरे की महक से सुगंधित हुई
प्रीत की प्रीत में घोलकर मन, बदन
साधना प्रीत की साधना से मिली
एक दिन स्वर्ग में……………
भेँटना हो गया बात होने…
ContinueAdded by आशीष यादव on March 25, 2022 at 1:30pm — No Comments
ना खबर है राह की ना मजिंल का ठिकाना है
खुद की तलाश में हम खुद को भुलाए जा रहे है
नज़्म है कोई ना कोई गुंज़ाइश-ए तराना है
अंजान अल्फ़ाज़ को खुदका बताए जा रहे है
फलक के अक्स में हम तैरते हुए
उस पार हो भी…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 25, 2022 at 10:30am — No Comments
विरहणी; भाई ,पति का
संदेश तुम्ही से कहती थी
अपने भावों को पहुँचाने
तुम्हे निहोरा करती थी
स्वर्ण रश्मियों की डोरी से
चन्द्र उतर कर तुम आते
तपते मन के ज़ख़्मों पर…
Added by Usha Awasthi on March 24, 2022 at 11:05am — 2 Comments
चार दिन भी हुए नहीं ब्याह के उसको आए हुए
उसके नाम की चर्चा में हैं मनचले बौहराये हुए
बस्ती में चर्चा है काफी उसके लम्बे बालों की
लोग तारीफे कर रहे हैं उसके गोरे गालों की
पति प्रेम है उसका सच्चा, तन से है वो थोड़ा कच्चा
अगन प्यास की बुझा ना पाए, है अकल से पूरा बच्चा
तन की प्यास बुझाने को वो दिल ही दिल में व्याकुल…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 24, 2022 at 10:55am — No Comments
आज का दिन है बड़ा सुहाना, हवा में खुशियां फैली है
आओ मिलकर ख़ुशी मनाए, घाटी ने बाहें खोली है
सत्तर साल से जिन पैरों को, जंजीरों ने जकड़ा था
घाटी के दामन को अब तक, जिन धाराओं ने पकड़ा था
ख़त्म हुआ अनुच्छेद आज वो, अब तुम खुलकर साँसे लो
कदम बढ़ाओ तुम भी आगे, इस राष्ट्र पुरुष (अखण्ड भारत) के संग हो लो
शायद थोड़ी देर हुई है, ये पहले ही हो जाना…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 23, 2022 at 10:04am — 2 Comments
रोला छंद .....
साबुन बचा न शेष, देह काली की काली ।
पहन हंस का भेष , मनाये काग दिवाली ।
नकली जग के फूल, यहाँ का नकली माली।
सत्य यहाँ पर मौन , झूठ की बजती ताली ।
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खूब किया शृंगार, लगाई बिन्दी लाली ।
घरवाली को छोड़ ,सजन को भायी साली ।
रखना लेकिन याद ,काम अपने ही आते ।
ऐसे झूठे साथ , बाद में बहुत रुलाते ।
सुशील सरना / 22-3-22
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on March 22, 2022 at 4:53pm — 6 Comments
(वोट के पहले)
वोट माँगने आए हैं, जोड़ कर दोना हाथ
बोले कभी न छोड़ेंगे, हम जनता का साथ
इस जनता का साथ, कभी जो हमने छोड़ा
उम्मीदों का तार, जैसे हो हम हीं ने तोड़ा
भूखा होगा कोई ना, ना सोएगा खाली पेट
हर कोई शिक्षा पाएगा, विद्यालय में…
ContinueAdded by AMAN SINHA on March 22, 2022 at 10:30am — No Comments
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