छा गए बदरा कारे कारे नभ में
बयार शीतल लगी खिल उठे सभी
पात पात फूल फूल ये बात हो रही
खबर लाई है हवा बरसात की अभी
गिर पड़ी बूँदें यकायक धरा पर ज्यों ही
पुलकित हो गए है मन सभी
लू के थपेड़ों को सहते रहे बड़ी आस के साथ
खिल उठी कलियाँ मदमस्त सभी
आगमन में सभी जीव चर गा रहे है गीत
मिटटी की ख़ुशबू में मदमस्त है सभी
किसान अपने हल को देखकर मुस्कुराया
और मन में ख़ुशी की लहर दौड़ गई है
आओ स्वागत है सावन इस…
Added by yogesh shivhare on June 16, 2012 at 7:00pm — 3 Comments
कजरी गाँव से नई नई आई थी शहर में अपने मामा के पास। उसकी माँ और तीन छोटी बहनें गाँव में ही थे। उसका बाप चौथी बेटी के जन्म के बाद घर छोड़कर भाग गया था ऐसा गाँव के लोग कहते थे। उसकी माँ का कहना था कि उसका बाप इलाहाबाद के माघ मेले में नहाने गया था और मेले के दौरान संगम के करीब जो नाव डूबी थी उसमें उसका बाप भी सवार था। जिन लोगों को थोड़ा बहुत तैरना आता था उनको तो बचा लिया गया पर जो बिल्कुल ही अनाड़ी थे उनको गंगाजी ने अपनी गोद में सुला लिया। तब वह छह साल की थी। उसकी माँ ने पुलिस में रिपोर्ट भी लिखाई…
ContinueAdded by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 16, 2012 at 6:58pm — 8 Comments
इस दुनिया में कौन सुखी है बाबाजी
जिसको देखो, वही दु:खी है बाबाजी
तुम तो केवल चखना लेकर आ जाओ
बोतल हमने खोल रखी है बाबाजी
इसकी चन्द्रमुखी है, उसकी सूर्यमुखी
मेरी ही क्यों ज्वालमुखी है बाबाजी
रिश्वत की मदिरा फिर उससे न छूटी
जिसने भी इक बार चखी है बाबाजी
बाप से बढ़ कर कौन सखा हो सकता है
माँ से बढ़ कर कौन सखी है बाबाजी
काम अपना जी जान से करने वालों ने
अपनी किस्मत आप लिखी है बाबाजी
पथ के…
Added by Albela Khatri on June 16, 2012 at 5:00pm — 15 Comments
गांधी टोपी पहन के भागे कुरता पैजामा सिलवाने बाबा जी
कितना प्यारा देश का मौसम जनता को उल्लू बनाने बाबा जी
कर जोर मांगते भीख वोटन की पाकर जीत तन जाते बाबा जी
चोर चोर मौसेरे भाई बैठ संग देश की लाज लुटाते बाबा जी
मुन्नी संग कमर मटकाते जेल में राखी बंधवाते बाबा जी
सर्वस्व…
ContinueAdded by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 16, 2012 at 1:37pm — 2 Comments
Added by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on June 16, 2012 at 1:01pm — 39 Comments
मैं वोटर हूँ
एक आम मतदाता,
इसी देश का नागरिक
भीड़ का एक चेहरा
ज्यादा नहीं कमाता
शायद लिखना भी नहीं आता;
मेरा कोई संगठन नहीं
कोई नारा नहीं
हैलीकॉप्टर से तो दिखता भी नहीं
बहुत छोटा हूँ मैं
चिल्लाता हूँ कोई सुनता नहीं
इतना खोटा हूँ मैं;
इसी का आदी हूँ
शिकायत नहीं करता,
मेरा भी महत्त्व है
अचानक पता लगता,
पाँच सालों में; एक बार,
जब झुग्गियों में स्कॉर्पियो आती है,
काफिले आते हैं,
मैं "जनता जनार्दन" हो जाता हूँ
देसी…
Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on June 16, 2012 at 12:10pm — 4 Comments
Added by yogesh shivhare on June 16, 2012 at 11:30am — 2 Comments
तुम भी खाओ, हम भी खायें बाबाजी
आओ, मिल कर देश चबायें बाबाजी
राजनीति में किसी तरह घुस जाएँ तो
जीवन भर आनन्द मनायें बाबाजी
चोर - चोर मौसेरे भाई हैं तो फिर…
Added by Albela Khatri on June 15, 2012 at 10:22pm — 18 Comments
Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 15, 2012 at 9:08pm — 9 Comments
हो जाते है जब एकदम अकेले
हम अपनों की भीड़ में
तब जब दिल चाहता है कहना
किसी से बहुत कुछ
तब कोई नहीं मिलता ऐसा
जो साथ बैठकर सुने इस दिल की बाते
और कहे कि मैं हूँ न .........................
तब जब महसूस होता है
कि कोई नहीं है इस दुनिया में हमारा
तब एकदम से अचानक ...................
आ जाते है शब्द
और करने लगते हैं मुझसे बाते
तब जब दिल चाहता है जी भरकर रोना
लेकिन आंसू भी साथ देने से मना कर देते हैं
तब ये शब्द रोते है मेरे साथ…
Added by Sonam Saini on June 15, 2012 at 4:00pm — 14 Comments
लेखक की नई पुस्तक प्रकाशित हुई. कुछ ऐसे घटनाक्रम हुए कि लेखक व प्रकाशक में युद्ध आरंभ हो गया. कई दिनों तक आरोप–प्रत्यारोप का दौर चला. इस घटनाक्रम से लेखन संसार दुखी हो गया. लेखन जगत ने लेखक व प्रकाशक से इस विवाद को आपस में सुलझा लेने का आग्रह किया.…
ContinueAdded by SUMIT PRATAP SINGH on June 15, 2012 at 2:00pm — 5 Comments
कितने ही प्रतिष्ठित समाजसेवी संगठनों में उच्च पद-धारिका तथा सुविख्यात समाज सेविका निवेदिता आज भी बाल श्रम पर कई जगह ज़ोरदार भाषण देकर घर लौटीं. कई-कई कार्यक्रमों में भाग लेने के उपरान्त वह काफी थक चुकी थी. पर्स और फाइल को बेतरतीब मेज पर फेंकते हुए निढाल सोफे पर पसर गई. झबरे बालों वाला प्यारा सा पप्पी तपाक से गोद में कूद आता है.
"रमिया ! पहले एक ग्लास पानी ला ... फिर एक गर्म गर्म चाय.........."
दस-बारह बरस की रमिया भागती हुई पानी लिये सामने चुपचाप खड़ी हो जाती है.
"ये…
ContinueAdded by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 15, 2012 at 12:00pm — 20 Comments
जतिन जी ने बहुत ही लाड़-प्यार से अपने दो बेटों और एक बेटी को पाला. तीनो को बराबर उच्च शिक्षा दिलवाई, दोनों बेटे इंजिनियर और बेटी डॉक्टर बन गयी. उचित और उपयुक्त समय पर तीनो बच्चों का विवाह भी कर दिया. लड़की अपने पति के साथ विदेश चली गयी. लड़के भी बड़े बड़े शहरों में बड़ी कंपनियों में नौकरियां पाकर अपने-अपने परिवार को साथ लेकर वहीँ रहने लग गए. जतिन जी स्कूल की नौकरी पूरी करके सेवा निवृत्त हो गए और अपनी पत्नी के साथ अपने गाँव के घर में अकेले रह गए.
जब बच्चे छोटे थे तो उनके साथ बिताने…
Added by Neelam Upadhyaya on June 15, 2012 at 10:00am — 9 Comments
शब्-ए-फुरकत है उजालों की जरुरत क्या है
पास तुम हो तो इशारों की जरुरत क्या है
तुम बसे हो जो बने नूर-ए-खुदा आँखों में
इन निगाहों को नजारों की जरुरत क्या है
दिल लुटे सबके नज़र उसपे पड़ी जैसे ही
बेचने दिल ये बाजारों की जरुरत क्या है…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 15, 2012 at 9:33am — 4 Comments
कोई जड़ है खोद रहा कोई डाले खाद
हंगामा ऐसा करो लोग करे फरियाद
फरियादी की आड़ में कोई झोंके भाड़
जबभी डंडा बरसे है कोई हो गया आड़
कोई का मतलब बड़ा राजनीती के लोग
आगे करके जनता को खूब लगाये भोग
आग लगी पेट्रोल में हंगामा था…
Added by UMASHANKER MISHRA on June 15, 2012 at 12:00am — 6 Comments
बोतल पर क्यों डाट लगादी बाबाजी
मखमल में क्यों टाट लगादी बाबाजी
हमने जिसको जो भी ज़िम्मेदारी…
Added by Albela Khatri on June 14, 2012 at 8:33pm — 18 Comments
इन बारिश की बूंदों को
तन से लिपटने दो
प्यासे इस चातक का
अंतर्मन तरने दो
बरसो की चाहत है
बादल में ढल जाऊं
पर आब-ओ-हवा के
फितरत को समझने दो
फिर भी गर बूंदों से
चाहत न भर पाए
मन की इस तृष्णा को
बादल से भरने दो
Added by anamika ghatak on June 14, 2012 at 8:00pm — 4 Comments
ख्वाबों की दुकान से ख़रीदे थे अरमानो के बीज,
Added by Sarita Sinha on June 14, 2012 at 3:30pm — 4 Comments
तेरे संग के वो पल ..
सारे बीते हुए कल ..
सब याद आते हैं !! ..सब ..
वो चाँदी से पल ..
सोने में संग
सोने से पल ....
तेरे बालों की लट..
तेरा कहना वो चल हट .
सब याद आते हैं ..!!
तेरे होठों का रस ..
तेरा मिलना सरस ..
तेरा वो लड़ना
मुझसे झूठा झगड़ना ..
सब याद आते हैं ..सब .!!
वो आँखे मिलाना
वो प्यार से बुलाना ..
पुरानी सभी बातें बताना ..
याद आते हैं ..सब ..
तेरे आंसू के धारे
गिरते गालों सहारे ..…
Added by Raj Tomar on June 14, 2012 at 1:56pm — 6 Comments
करोड़ों दिलों पर राज करने वाले शहंशाह-ए-ग़ज़ल एवं लोक लाड़ले स्वर सम्राट जनाब मेहदी हसन के देहावसान से हमें बहुत दुःख पहुंचा है .
उनकी आत्मिक शान्ति के लिए परम पिता से प्रार्थना करते हुए एक ग़ज़ल के रूप में दिवंगत आत्मा को विनम्र श्रद्धांजलि :
आँख ग़ज़ल…
Added by Albela Khatri on June 14, 2012 at 11:30am — 12 Comments
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