For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

October 2011 Blog Posts (78)


सदस्य टीम प्रबंधन
दीप जले -- (छंद : मत्तगयंद सवैया और घनाक्षरी)

 

पाँति सजी मनभावन, पावन दीप जले,…

Continue

Added by Saurabh Pandey on October 31, 2011 at 1:30pm — 2 Comments

अमावस जैसे .. .



शब्द चुप से हैं ,कुछ अरसे से..
मन है व्याकुल सा  ,भाव तरसे से ..
घुमड़ते हुए से बादल बरसते ही नहीं  ..
जाने क्या…
Continue

Added by Lata R.Ojha on October 31, 2011 at 8:49am — 4 Comments

एक तवायफ की दास्तान

कितनी बदली हुई तकदीर नज़र आती है--ये जवानी मेरी तस्वीर नज़र आती है !!



                    
                                                         हमने सोचा न था हालात कुछ ऐसे होंगे !…
Continue

Added by Hilal Badayuni on October 31, 2011 at 12:30am — 16 Comments

त्यागपत्र (कहानी)

त्यागपत्र (कहानी)

लेखक - सतीश मापतपुरी.

अंक 1 पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करे

.............. अंक -- 2 .....................

राज्य के विधायकों में पी. पी. सिंह का एक अलग ही स्थान था. अपनी स्पष्टवादिता एवं निर्भीकता के लिए वे विख्यात थे.सत्तापक्ष के विधायक होने के बावजूद भी सरकार की गलत नीतियों की आलोचना वे सार्वजनिक रूप में किया…

Continue

Added by satish mapatpuri on October 30, 2011 at 11:30pm — 5 Comments

एक विचार

संघर्ष जीवन के कठिन नीरस बनाते हैं हमें

कर्तव्य-पथ के शूल भी बहुधा डराते हैं हमें

भटकें न हम हरहाल में,आगे निरंतर हम बढे

जबतक ये लक्ष्य अलक्ष्य है,न पग रुकें न मन थके..१.

 …

Continue

Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on October 30, 2011 at 4:30pm — 1 Comment

ग़ज़ल :- उसके होने के ही एहसास में जाकर देखो

 
 
ग़ज़ल :-  उसके होने के ही एहसास में जाकर देखो
 
उसके होने के ही एहसास में जाकर देखो ,
किसी रोते हुए बच्चे…
Continue

Added by Abhinav Arun on October 30, 2011 at 1:30pm — 11 Comments

कविता :- आदमखोर

कविता :- आदमखोर
तुमने हमारे खेतों में खड़ी कर दीं चिमनियाँ 
बिछा दिए हाई - वे के सर्पिल संसार…
Continue

Added by Abhinav Arun on October 30, 2011 at 12:30pm — 11 Comments

एक कविता: कौन हूँ मैं?... --संजीव 'सलिल'

एक कविता:
कौन हूँ मैं?...
संजीव 'सलिल'
*
क्या बताऊँ, कौन हूँ मैं?
नाद अनहद मौन हूँ मैं.
दूरियों को नापता हूँ.
दिशाओं में व्यापता…
Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on October 30, 2011 at 10:29am — 6 Comments

त्यागपत्र (कहानी)

त्यागपत्र (कहानी)

लेखक - सतीश मापतपुरी

................ अंक -- एक ...................

'प्रबल प्रताप ज़िन्दावाद ' के नारे से पंडाल गूंज उठा. पी. पी.सिंह के नाम से जाने जानेवाले प्रबल प्रताप सिंह के मंत्री बनने के उपलक्ष में इस समारोह का आयोजन हुआ था. जनता - जनार्दन के बीच उनकी अच्छी -खासी लोकप्रियता थी. उनके दर्शनार्थ भीड़ उमड़ पड़ी थी. गिरधरपुर निर्वाचन -क्षेत्र की जनता - जनार्दन को नाज़ था कि वो प्रदेश को एक मंत्री देने का गौरव हासिल करने जा रहे हैं.सच ही तो है…

Continue

Added by satish mapatpuri on October 30, 2011 at 3:00am — 5 Comments

दोहा सलिला: दोहों की दीपावली, अलंकार के संग..... संजीव 'सलिल'

दोहा सलिला:                                                                       



दोहों की दीपावली, अलंकार के संग.....



संजीव 'सलिल'

*

दोहों की दीपावली, अलंकार के संग.

बिम्ब भाव रस कथ्य के, पंचतत्व नवरंग..

*

दिया दिया लेकिन नहीं, दी बाती औ' तेल.

तोड़ न उजियारा सका, अंधकार की जेल..   -यमक

*

गृहलक्ष्मी का रूप तज, हुई पटाखा नार.     -अपन्हुति

लोग पटाखा खरीदें, तो क्यों हो  बेजार?.    -यमक,

*

मुस्कानों की फुलझड़ी, मदिर नयन के बाण. …

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on October 27, 2011 at 9:07am — 5 Comments

दिवाली का रूप बदल गया

जब से दिल दिवाल हुआ है, दिवाली का रूप बदल गया.

जब से नियति मलिन हुई है, अर्द्धरात्रि में धूप निकल गया.

पर पीड़ा पर होने वाली, धड़कन जानें कहाँ गयी?

संवेदना- चेतना - निष्ठा, मानवता अब कहाँ गयी ?

जब से नफ़रत- क्रोध बसा है, इंसानों का रूप बदल गया.

जब से दिल दिवाल हुआ है, दिवाली का रूप बदल गया.

रीति - रिवाज़ में लोग  बाग. अब छिपकर सेंध लगाते हैं.

पटाखों के बीच, गोलियों का भी शोर मिलाते हैं.

जब से इसका चलन हुआ है, पर्व - त्यौहार का रूप बदल…

Continue

Added by satish mapatpuri on October 26, 2011 at 2:43pm — No Comments

व्यंग्य रचना: दीवाली : कुछ शब्द चित्र: संजीव 'सलिल'

व्यंग्य रचना:                                                                                  

दीवाली : कुछ शब्द चित्र:

संजीव 'सलिल'

*

माँ-बाप को

ठेंगा दिखायें.

सास-ससुर पर

बलि-बलि जायें.

अधिकारी को

तेल लगायें.

गृह-लक्ष्मी के

चरण दबायें.

दिवाली मनाएँ..

*

लक्ष्मी पूजन के

महापर्व को

सार्थक बनायें.

ससुरे से मांगें

नगद-नारायण.

न मिले लक्ष्मी

तो गृह-लक्ष्मी को

होलिका बनायें.

दूसरी को…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on October 26, 2011 at 8:00am — 4 Comments

दीपावली हार्दिक शुभकामनाएं

कीजिये कामना सबके अपने मिले.

सबकी आँखों को सुन्दर से सपने मिले.

सारी धरती पे खुशियों की बरसात हो.

ईद का दिन - दिवाली की हर रात हो.

OBO परिवार के सभी सदस्यों को दीपावली हार्दिक शुभकामनाएं.

Added by satish mapatpuri on October 26, 2011 at 2:53am — No Comments

दोहा सलिला : दोहों की दीपावली: --संजीव 'सलिल'





दोहा सलिला :

दोहों की दीपावली:

--संजीव 'सलिल'



दोहों की दीपावली, रमा भाव-रस खान.

श्री गणेश के बिम्ब को, अलंकार अनुमान..



दीप सदृश जलते रहें, करें तिमिर का पान.

सुख समृद्धि यश पा बनें, आप चन्द्र-दिनमान..



अँधियारे का पान कर करे उजाला दान.

माटी का दीपक 'सलिल', सर्वाधिक गुणवान..



मन का दीपक लो जला, तन की बाती डाल.

इच्छाओं का घृत जले, मन नाचे दे ताल..



दीप अलग सबके मगर, उजियारा है एक.

राह अलग हर…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on October 25, 2011 at 5:00pm — 4 Comments

आप सभी को दीपावली की बधाई व शुभकामनायें !

 

 

 

स्नेह मिलता रहे, दीप जलते रहें,



प्यार से हम सभी, रोज मिलते रहें,…

Continue

Added by Er. Ambarish Srivastava on October 25, 2011 at 12:30pm — 7 Comments

होना चाहिए

 

हुस्न है तो हुस्न का सिंगार होना चाहिए.

 

है किसी से इश्क तो इज़हार होना चाहिए.

 

गर क़यामत आ भी जाए तो भी कोई ग़म नहीं.

 

बस नज़र में खुबसूरत प्यार होना चाहिए.

 

जीतने के बाद गिरगिट सा बदलते रंग जो.

 

उनको वापस लाने का अधिकार होना चाहिए.

 

ताज़ और तख़्त का कब का ज़माना लद गया.

 

आज तो जनहित का ही सरोकार होना चाहिए.

 

चाहते हैं हमसे वो जुड़ना…
Continue

Added by satish mapatpuri on October 25, 2011 at 12:53am — 1 Comment

आज तिमिर का नाश हुआ

आज तिमिर का नाश हुआ
दीपों की लगी कतार
कार्तिक अमावस्या लेकर आई
यह आलोकित उपहार

द्वार द्वार पर दीप जलें
घर घर हुआ श्रृंगार
हर देहरी प्रदीप्त हुई
बिखरा हर्ष अपार

झाड़ बुहार आँगन को
लक्ष्मी को दें आमंत्रण
करबद्ध हो सब करें
मन से रमा का वंदन

सभी को शुभ दीपावली...
दुष्यंत..........

Added by दुष्यंत सेवक on October 24, 2011 at 6:38pm — 4 Comments

कविता :- शब्द - दीप !

 कविता :-  शब्द - दीप !

 

एक दीप उस द्वार भी जले

खुला जो रहा कई बरस

रोशनी को जो रहा तरस…

Continue

Added by Abhinav Arun on October 23, 2011 at 8:30pm — 10 Comments

- - - - माँ - - - -

कैसे तुझे  बताऊँ माँ कि

याद तेरी यहाँ आती  है

तेरे प्यार की वो दुनियां अब

आँख मेरी भर जाती  है |



भूखी तू रह जाती है पर

खाना मुझे  खिलाती  है

राह का मेरी मिटाने अँधेरा

तू दीपक बन  जाती  है |



घिर जायें हज़ार दुखों से

जब,राह नजर न आती है

गोद तेरी तो उस पल भी माँ

स्वर्ग  धरा  बन  जाती  है |



दया  भाव …

Continue

Added by Ajay Singh on October 23, 2011 at 12:53pm — 1 Comment

गुरु दोहावली

मन पागल बौराय है, इसे कोउ समझाय,

बीत गया है जो समय, लौट कभी न आय  !   
.
जिसकी जो गति वो लिखा वही बने तक़दीर ,
होनी तो होके रहे, सहज हो या गंभीर  ,
.
दुःख से घबराओ नहीं, सुख का ये आधार,
दुःख से डर के भागना, बदलो ये व्यवहार,…
Continue

Added by Rash Bihari Ravi on October 22, 2011 at 2:00pm — 8 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"सीख ...... "पापा ! फिर क्या हुआ" ।  सुशील ने रात को सोने से पहले पापा  की…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आभार आदरणीय तेजवीर जी।"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।बेहतर शीर्षक के बारे में मैं भी सोचता हूं। हां,पुर्जा लिखते हैं।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। चेताती हुई बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लगता है कि इस बार तात्कालिक…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
" लापरवाही ' आपने कैसी रिपोर्ट निकाली है?डॉक्टर बहुत नाराज हैं।'  ' क्या…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। उम्दा विषय, कथानक व कथ्य पर उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। बस आरंभ…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service