असंतोष की छटपटाहटें समेटते
गहन वेदना की छायाओं में पले
टूटे विश्वास के घाव खुले-के-खुले
न सिले
सिले ओंठ उन घावों की आस्था की
तकलीफ़ भरी पुकार के
मिट्टी के ढेले के उड़ गए कण हों मानो
उन घावों के मैदान से तुम तक अब
कोई आवाज़ तक नहीं आती
आदि से अनन्त हुए
सनातन संघर्षी घावों की आयु है कब से
तुम्हारे संवेदनशील भावों से अनजान
घायल दिन का अस्थि-पंजर समेटे
एक और न गुज़रती रात की अकथनीय पीड़ा…
ContinueAdded by vijay nikore on October 31, 2016 at 3:00pm — 6 Comments
1212 1122 1212 112
अवाम में सभी जन हैं इताब पहने हुए
सहिष्णुता सभी की इजतिराब पहने हुए |
गरीब था अभी तक वह बुरा भला क्या कहें
घमंडी हो गया ताकत के ख्याब पहने हुए |
मसलना नव कली को जिनकी थी नियत, देखो (२२-११२)
वे नेता निकले हैं माला गुलाब पहने हुए |
अवैध नीति को वैधिक बनाना है धंधा (२२-११२)
वे करते केसरिया कीमखाब पहने हुए |
शब-ए -विशाल की दुल्हन को इंतज़ार रहा
शबे…
ContinueAdded by Kalipad Prasad Mandal on October 31, 2016 at 10:30am — 10 Comments
सुरेश को घर में आता देख बच्चे फ़ौरन उनके पास आगये और थैले को देखने लगे ,वो बाज़ार से जो सामान लेकर आए थे
उनमें उनके पटाखे भी थे |
बच्चे पटाखे देख कर बोले " यह क्या पापा आप तो सिर्फ़ फुलझड़ी ,अनार और चरखी ही लाए हैं , आवाज़ वाले बम ,और
रॉकेट वग़ैरा नहीं लाए "
सुरेश ने जवाब में कहा " दीपावली रोशनी का त्योहार है ,इसमें सिर्फ़ रोशनी करनी चाहिए "
बच्चे फिर बोले " हर तरफ से पटाखों की आवाज़ें आ रही हैं , कितना अच्छा लग रहा है ,दूसरे बच्चे चिढ़ाएगे कि हमारे…
ContinueAdded by Tasdiq Ahmed Khan on October 31, 2016 at 9:30am — 9 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on October 31, 2016 at 9:02am — 6 Comments
Added by नाथ सोनांचली on October 31, 2016 at 8:58am — 7 Comments
Added by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on October 31, 2016 at 8:22am — 8 Comments
Added by Satyanarayan Singh on October 31, 2016 at 1:21am — 11 Comments
Added by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on October 30, 2016 at 11:55am — 3 Comments
Added by Dr.Prachi Singh on October 30, 2016 at 11:12am — 3 Comments
Added by Arpana Sharma on October 29, 2016 at 6:48pm — 6 Comments
मत्तगयंद सवैया (सूत्र=211×7+22; भगण×7+गागा)
ज्योति जले घर-द्वार सजे सब, हैं उतरे वसुधा पर तारे।
आज बनी रजनी वधु सुंदर ज्यों पहने मणि के पट प्यारे।।
थाल लिए जुगनू सम दीपक, नाच रहे खुश हो जन सारे।
आश-दिये हरते उर से तम, भाग रहे डर के अँधियारे।।1।।
किरीट सवैया (सूत्र=211×8; भगण×8)
कोटिक दीप जले वसुधा पर, है कितना यह दृश्य सुहावन।
झूम रहे नव आश भरे उर, पूज रहे मिल आज सभी जन।।
ज्योति जलाकर स्वागत में तव राह निहार रहे सबके मन।
हे! कमला…
Added by रामबली गुप्ता on October 29, 2016 at 5:30pm — 9 Comments
इक दिया ....
थे कुछ दिए
तेरे नाम के
जो बुझ के भी
जलते रहे
थे कुछ दिए
मेरे नाम के भी
जो जले
मगर
बे नूर से
बस इक दिया
देर तक
जलता रहा
जो था
हमारे
अबोले
प्यार का
सुशील सरना
मौलिक एवम अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on October 29, 2016 at 4:22pm — 8 Comments
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on October 29, 2016 at 2:47pm — No Comments
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on October 29, 2016 at 2:46pm — No Comments
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on October 29, 2016 at 2:43pm — 7 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on October 29, 2016 at 1:30pm — 3 Comments
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 29, 2016 at 12:00am — 2 Comments
दिवाली – ( लघुकथा ) –
"अम्मा, हम लोग दिवाली क्यों नहीं मनाते, हमारी हर रात एक जैसी ही रहती है, न पटाखे, न रोशनी की लड़ियां, न नये कपड़े, न खीर पूड़ी वाले पकवान"।
"मनायेंगे मेरी बिट्टो, अगली साल जरूर मनायेंगे"।
"अम्मा, अगली साल ऐसा क्या होने वाला है"।
"तेरा बापू आयेगा परदेश से, ढेर सारे पैसे लेकर, इसलिये"।
"अम्मा, यही तसल्ली तुम पिछले तीन साल से दे रही हो"।
"बिटिया, तुम्हारे भाग्य में कम से कम यह तसल्ली तो है, बहुत लोगों के नसीब में तो यह तसल्ली भी…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on October 28, 2016 at 7:13pm — 4 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on October 28, 2016 at 10:00am — 7 Comments
धनतेरस के पर्व पर, कर लें कार्य महान|
निर्धन को बर्तन करें, दान आप श्री मान||
दीवाली लाये सदा, खुशियाँ अपरम्पार|
खील बताशे कह रहे, हम आये हैं द्वार||
लक्ष्मी और गणेश की, पूजा करिए साथ|
सब पर ही किरपा करें, मेरे भोले नाथ||
होई करवा चौथ का, लगे अनोखा मेल|
पर्वों की अब देखिये छूटी जाती रेल||
इस दीवाली लग रही, फीकी सी सब ओर|
सीमा पर प्रहरी तकें, एक सुहानी भोर||
डाल दिये झूले सभी मन…
ContinueAdded by Abha saxena Doonwi on October 28, 2016 at 9:20am — 6 Comments
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