दोस्तो,
अंजुमन प्रकाशन द्वारा 27 अक्टूबर 2013 को लखनऊ के पुस्तक लोकार्पण समारोह में की गयी घोषणा के अनुसार अंजुमन ग़ज़ल नवलेखन पुरस्कार-2014 के नियम एवं शर्त उपलब्ध हैं | युवा शाइरों से निवेदन है कि इस पुरस्कार योजना में शामिल हो कर इसे सफल बनाएँ व इसका लाभ उठायें |…
Added by वीनस केसरी on November 3, 2013 at 7:30pm — 27 Comments
दीवाली के दोहरे
होती है हर एक को, रिद्धि सिद्धि की चाह।
दीप पर्व दिखला रहा, अंतर मन को राह।१।
उनका जीवन पथ चुनें, करें आत्म उत्थान।
जिनके जीवन में मिला, यश कीरत…
ContinueAdded by Satyanarayan Singh on November 3, 2013 at 7:00pm — 28 Comments
छंदों के दीप जलें, शायरी की झिलमिल हो
हँसी खुशी भरी सदा, ओबिओ की महफिल हो
साहित्य करे उन्नति, भाषा का विकास हो
इस मंच पर सदा-सदा स्नेह का प्रकाश हो
सभी विधाओं का सभी दिशाओं में उत्थान हो
सभी नयी प्रतिभाओं के लिये यहां मुस्कान हो
समस्त लक्ष्य - योजना व स्वप्न साकार हो
आने वाले पल के सदा हाथ में उपहार हो
दीपावली की 'चर्चिती शुभकामना' फलीभूत हो
इस मंच के सभी प्रयास सफल व अनुभूत हों
(मौलिक एवं…
ContinueAdded by VISHAAL CHARCHCHIT on November 3, 2013 at 2:00pm — 16 Comments
दीप पावन तुम जलाओ, अंधियारा जो हरे ।
पावन स्नेह ज्योति सबके, हृदय निज दुलार भरे ।
वचन कर्म से पवित्र हो, जीवन पथ नित्य बढ़े ।
लीन हो ध्येय पथ पर, नित्य नव गाथा गढ़े ।
कीजिये कुछ परहित काज, दीन हीन हर्षित हो ।
अश्रु न हो नयन किसी के, दुख दरिद्र ना अब हो ।
सीख दीपक से हम लेवें, हम सभी कैसे जियें ।
मन सभी निर्मल रहे अब, हर्ष अंतर्मन किये ।
शुभ करे लिये शुभ विचार, मानव का मान करे ।
भटक ना जाये मन राह, अधर्म कोई न करे ।
कायम हो…
Added by रमेश कुमार चौहान on November 3, 2013 at 1:00pm — 11 Comments
ज्योतिपर्व की रात में ,करो तिमिर का नाश!
सच ही जीता है सदा ,ऐसा हो विश्वास !!
शांतिदीप घर घर जले ,समय तभी अनुकूल !
आपस में सौहार्द हो,कटुता जाओ भूल !!
ज्योतिपर्व की रात में ,तुम्हे समर्पित तात !
जीवन यूँ जगमग रहे ,दीपों की सौगात!!
मन में शुभ संकल्प लो,हाँथो में ले दीप !
अंतस का कल्मष छटे ,मन का आँगन लीप !!
मन का अँधियारा छटे,कटे दम्भ का जाल !
पहनाओ कुछ इस तरह ,दीपों की इक माल !!
ज्योतिपर्व…
ContinueAdded by ram shiromani pathak on November 3, 2013 at 11:30am — 26 Comments
सुन..! मेरे मिट्टी के बर्तन,
तू अपनी असलियत को पहचान
इस संसार की झूठी, खोखली वाहवाही से
परे रहना
अपनी गहराई से ज्यादा, अनुपयोगी द्रव्य को
मत सहेजना, ढुल जाता है..
इक दिन निकल गया मैं
किसी के कहने पर
इक नयी मिट्टी का बर्तन बनाने
उस मिटटी में सौंधी खुसबु,
रंग मेरी मिट्टी की ही तरह, साँवला
हुबहू.... मेरे जैसी ही मिट्टी
पर शायद तनिक, कंकरियां मिली थीं,
उससे न बना पाया,बर्तन
बनने से…
ContinueAdded by जितेन्द्र पस्टारिया on November 3, 2013 at 11:30am — 28 Comments
पाव पाव दीपावली, शुभकामना अनेक |
वली-वलीमुख अवध में, सबके प्रभु तो एक |
सब के प्रभु तो एक, उन्हीं का चलता सिक्का |
कई पावली किन्तु, स्वयं को कहते इक्का |
जाओ उनसे चेत, बनो मत मूर्ख गावदी |
रविकर दिया सँदेश, मिठाई पाव पाव दी ||
मौलिक / अप्रकाशित
वली-वलीमुख = राम जी / हनुमान जी
पावली=चवन्नी
गावदी = मूर्ख / अबोध
Added by रविकर on November 3, 2013 at 9:00am — 13 Comments
दीपोत्सव पर्व की हार्दिक शुभकामनाए
पुष्य नक्षत्र की शुभ बेला में, लक्ष्मी जी ने जन्म लिया,
महक फैलाती आई कमला, गुरु नक्षत्र का चयन किया |
ज्ञान पिपासु की वृद्धि करने, ज्ञानेश्वरी को साथ लिया,
धन वैभव में बरकत करती, सुख सम्रद्धि का भाव दिया |
लक्ष्मी,गणेश खुश हो जाते,जब हो हंसवाहिनी संग,
दीपोत्सव त्यौहार मनाओ, रंगोली ले आती रंग |
घर लक्ष्मी की हो प्रसन्नता, लक्ष्मी देवे तब वरदान
बिन गणपति और…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 3, 2013 at 6:30am — 14 Comments
अब तक तो सभी घरों मे रंग रोगन होकर नए तरीके से सभी के घर भी सज चुके है । जिन घरों मे रंग रोगन नहीं हुआ है वहाँ साफ सफाई होकर सज सज्जा के साथ घरों को लक्ष्मी जी के आगमन हेतु तैयार कर लिया गया है । इस दिवाली लक्ष्मी जी सभी के घरों को खुशियों से भर दें । सभी के मनों मे प्रेम, सौहार्द्य एवं सच्चाई का उजाला भर दें ।कहा जाता है कि दीपावली कि रात्री मे विष्णु प्रिया श्री लक्ष्मी सदगृहस्थों के घर मे प्रवेश कर यह देखती है कि हमारे निवास योग्य घर कौन…
ContinueAdded by annapurna bajpai on November 2, 2013 at 9:30pm — 16 Comments
उतर रही लक्ष्मी घर आंगन
सावन भादो बरस गये
हर्षित हुई अवनी.
नृत्य कर रही है वह खेतों में
धानी चुनरी पहन.
मिली किसानों को फ़सलों का सौगात
बीत गये अंधकार भरे दिन.
गा रही है हर सुबह
उषा, मृदु स्वर में असावरी.
उल्लसित है सब का मन.
कर पितरों को जल तर्पण
भगवती को सुगंधित अर्ध्य अर्पण
तुलसी बीरवा तले दीप जला
त्यौहारों का है मौसम
सखी! सतरंगी परिधान पहन
चल हाट! मोल ले चूड़ियाँ
सिंदूर टिकुली मेहेंदी महावर
और…
Added by coontee mukerji on November 2, 2013 at 5:07pm — 12 Comments
सवाल-ए-इश्क़, रुख़ पे, क्या असर लाये, सुभान’अल्ला!
झुकी नज़रेँ उठेँ, उठ कर झुकेँ, हाए, सुभान’अल्ला!
पलक से, वक़्त बे-क़ाबू, हवा मोड़े जो, चाल ऐसी,
खुले जो ज़ुल्फ, मौज आये, घटा छाये, सुभान’अल्ला!
तेरी खुशबू के रंगोँ से, बहारोँ की धनक महके,
तेरी आवाज़, क़ुदरत का सुकूँ, हाए, सुभान’अल्ला!
उफक़ ये हुस्न, तो, वो चाँद-सूरज हैँ तेरी बिन्दी,
सितारा, बन तेरी नथनी, चमक पाये, सुभान’अल्ला!
कमर प्याला, सुराहीदार गर्दन, जिस्म…
ContinueAdded by सन्दीप सिंह सिद्धू "बशर" on November 2, 2013 at 3:00pm — 7 Comments
ख्वाब के मोती हकीकत में पिरोने के लिए।
लोग हैं तैयार खुद की लाश ढोने के लिए।
झोंपड़े में सो रहा मजदूर कितने चैन से,
है नहीं कुछ पास उसके क्योंकि खोने के लिए।
आसमां की वो खुली, लंबी उड़ानें छोड़कर,
क्यों तरसते हैं परिंदे कैद होने के लिए।
जिंदगी भर खून औरों का बहाते जो रहे,
जा रहे हैं तान सीना पाप धोने के लिए।
जगमगाते हैं दिखावे से शहर के सब मकान,
सादगी तो रह गई है मात्र कोने के लिए।
पुष्प सारे चल…
ContinueAdded by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 2, 2013 at 12:25pm — 28 Comments
!!! दीवाली क्या चीज है !!!
जीवन का उद्देश्य सम, हर पल रहें प्रसन्न।
मृत्यु काल के घाट पर, नहीं पूंछती प्रश्न।। 1
सदा दिया के सम बनो, उजला रहे समाज।
निश-दिन पाप मुक्त तभी, कर दीवाली आज।। 2
यह प्यारा संसार है, दीन-हीन के संग।
दीपक जिनके घर नही, उनके लिए पतंग।। 3
लक्ष्मी को पूजें सभी, धनतेरस है कमाल।
बहू हमारी कर्ज सी, नित झगड़ा जंजाल।। 4
आलम-गौरव गले मिलें, होली हो या ईद।
नेता झंझट कील से, उकसाते…
Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 2, 2013 at 9:32am — 20 Comments
बसंता लगभग एक साल बाद अपने गाँव लौट रहा था । बसंता इतना खुश था कि जो भी वेंडर ट्रेन मे आता वो कुछ न कुछ खरीद लेता, माला, गुड़िया, चूड़ी, बिंदी, सोनपापड़ी और भी बहुत कुछ । पैसे देने के लिए हर बार वह नोटों से भरा पर्स खोल लेता । अगल बगल के यात्रियों ने उसे डांटा भी, मगर भोला भला बसंता हँस कर बात टाल जाता ।
आख़िर वही हुआ जिसका डर था, चलती ट्रेन में किसी ने उसका रुपयों से भरा पर्स निकाल लिया । बसंता ज़ोर ज़ोर से रोने लगा, तब…
Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 1, 2013 at 9:00pm — 34 Comments
जब आसमान में काले बादल
नज़र आते हैं
जब रात स्याह और घनी हो जाती है
कोई पथ नहीं दिखता
डर बढ़ जाता है
स्वयं को खोने का
तब मेरे अंदर से आवाज़ आती है
मैं तुम्हारे साथ हूँ
जब दर्द बढ़ जाता है
पीड़ा घनीभूत हो
आँसू बन ढुलकती है
गालों पर मोती सी
तब मेरे अंदर से आवाज़ आती है
मैं तुम्हारे साथ हूँ
जब मेरे ही
मुझे प्रताडित करते हैं
मुझ में विश्वास नहीं कर
मुझे निराश करते…
ContinueAdded by mohinichordia on November 1, 2013 at 3:18pm — 12 Comments
पीकर आया दीवाली में, बांह पकड़ बीबी से बोला।
तुम मधुमय अधरों वाली, और मैं प्यासा दरुवा भोला॥ ...... दरुवा = शराबी
बीबी बोली, शर्म करो , दीवाली में पीकर आये हो। ....... पत्नी…
ContinueAdded by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on November 1, 2013 at 3:10pm — 10 Comments
Added by गिरिराज भंडारी on November 1, 2013 at 1:00pm — 24 Comments
माँ अभी तक काम से नहीं लौटी थी ।आठ साल कि बिरजू , दरवाजे पर बैठी, सामने आकाश में छूटती रंग- बिरंगी आतिशबाजी को मुग्ध भाव से देख रही थी । जिधर नज़र जाती दूर तक दीपों , मोमबत्तियों और बिजली की झालरों की कतारें दिखाई पड़ती थीं । अचानक बिरजू के दिमाग में एक विचार कौंधा। वह उठीं । अपने जमा किये पांच रुपये निकाले और दूकान से कुछ दीये खरीद लायी । झोपड़ी के कोने में बने चूल्हे के पास में रखी बोतल से सरसों का तेल निकाल कर उसने सारे दीयों में भर दिया । खाली बोतल वहीँ छोड़ कर उसने दियासलाई उठाई । तेल भरे…
ContinueAdded by ARVIND BHATNAGAR on November 1, 2013 at 6:00am — 25 Comments
2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
2011
2010
1999
1970
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |