221 2121 1221 212
छुपती कहाँ है आग दहकती जरूर है ।।
यादों में उनकी आंख फड़कती जरूर है ।।
खुशबू तमाम आई है उनके दयार से ।
गुलशन की वो हवा भी महकती जरूर है ।।
बुलबुल की शोखियों की बुलन्दी तो देखिए ।
बुलबुल बहार में तो चहकती जरूर है ।।
हसरत है देखने की तो आशिक मिजाज रख ।
चहरे से हर नकाब सरकती जरूर है ।।
रहना जरा सँभल के मुहब्बत की वस्ल में ।
अक्सर हया नज़र…
Added by Naveen Mani Tripathi on December 28, 2017 at 3:30pm — 7 Comments
1222 1222 122
हरम में अब समझदारी से बचिए ।
हसीनों की नशातारी से बचिए ।।
अगर ख्वाहिश जरा सी है सुकूँ की ।
रकीबों की वफादारी से बचिए ।।
यहाँ दुश्मन से कब खतरा हुआ है ।
यहाँ अपनों की गद्दारी से बचिए ।।
नियत सबकी बड़ी खोटी दिखी है ।
नगर में आप मुख्तारी से बचिए ।।
रहेगी आपकी भी शान जिंदा ।
जरूरत है कि बेकारी से बचिए ।।
है करके कुछ दिखाने की तमन्ना ।
तो पहले…
Added by Naveen Mani Tripathi on December 26, 2017 at 2:00am — 8 Comments
221 2121 1221 212
एक ग़ज़ल पूरी हुई 14 शेर के साथ ।
मुझको भी उसके पास बुलाया न जाएगा ।
मुमकिन है दौरे इश्क़ बढाया न जाएगा ।।
चेहरे से वो नकाब भी हटती नही है अब।
किसने कहा गुलाब छुपाया न जाएगा ।।
दिल मे ठहर गया है मेरे इस तरह से वो।
उसका वजूद दिल से मिटाया न जाएगा ।।
यूँ ही तमाम उम्र निभाता रहा हूँ मैं ।
अब साथ जिंदगी का निभाया न जाएगा ।।
बन ठन के मेरे दर पे वो आने लगे हैं खूब ।…
Added by Naveen Mani Tripathi on December 23, 2017 at 3:00pm — 5 Comments
212 1212
मिल गई नई नई ।
हुस्न की परी कोई ।।
झुक गई नजर वहीं।
जब नज़र कभी मिली।।
देखकर उसे यहां ।
खिल उठी कली कली ।
हिज्र की वो रात थी ।
लौ रही बुझी बुझी ।।
खा गया मैं रोटियां ।
बिन तेरे जली जली ।।
कुछ तो बात है जो वो।
रह रही कटी…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on December 21, 2017 at 11:53pm — 5 Comments
2122 1122 22
जब कभी छत पे नज़र जाती है ।
उनकी सूरत भी निखर जाती है ।।
पा के महबूब के आने की खबर।
वो करीने से सँवर जाती है ।।
कोई उल्फत की हवा है शायद ।
ज़ुल्फ़ लहरा के बिखर जाती है ।।
इक मुहब्बत का इरादा लेकर ।
रोज साहिल पे लहर जाती है ।।
बेसबब इश्क हुआ क्या उस से ।
वो तसव्वुर में ठहर जाती है ।।
अब न चर्चा हो तेरी महफ़िल में ।
चोट फिर से वो उभर जाती है…
Added by Naveen Mani Tripathi on December 21, 2017 at 1:31am — 12 Comments
121 22 121 22
है आई खुश्बू तेरी जिधर से ।
गुज़र रहा हूँ उसी डगर से ।।
नशे का आलम न पूछ मुझसे ।
मैं पी रहा हूँ तेरी नज़र से ।।
हयात मेरी भी कर दे रोशन ।
ये इल्तिज़ा है मेरी क़मर से ।।
हजार पलके बिछी हुई हैं ।
गुज़र रहे हैं वो रहगुजर से ।।
खफा हैं वो मुफलिसी से मेरी ।
जो तौलते थे मुझे गुहर से ।।
यूँ तोड़कर तुम वफ़ा के वादे ।
निकल रहे…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on December 20, 2017 at 3:00am — 17 Comments
212 1222 212 1222
इस तरह मुहब्बत में दिल लुटा के चलते हो ।
हर कली की खुशबू पर बेसबब मचलते हो ।।
मैंकदा है वो चहरा रिन्द भी नशे में हैं ।
बेहिसाब पीकर तुम रात भर सँभलते हो ।।
टूट कर मैं बिखरा हूँ अपने आशियाने में ।
क्या गिला है अब मुझसे रंग क्यूँ बदलते हो ।।
दिल चुरा लिया तुमने हुस्न की नुमाइस में ।
बेनकाब होकर क्यूँ घर से तुम निकलते हो…
Added by Naveen Mani Tripathi on December 19, 2017 at 9:00pm — 10 Comments
2122 2122 2122 212
ढूढते हैं वो बहाना रूठ जाने के लिए ।।
है बहुत अच्छा तरीका ज़ुल्म ढाने के लिए ।।
इक तेरा मासूम चेहरा इक मेरी दीवानगी ।
रह गईं यादें फकत शायद मिटाने के लिए ।।
फिर वही क़ातिल निगाहें और अदायें आपकी।
याद आयी हैं हमारा दिल जलाने के लिए ।।
घर मेरा रोशन है अब भी आपके जाने के बाद ।
हैं चरागे ग़म यहाँ घर जगमगाने के लिए ।।
चैन से मैं सो रहा था कब्र में अपनी तो…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on December 16, 2017 at 3:30pm — 16 Comments
221 2121 1221 212
यूँ तीरगी के साथ ज़माने गुज़र गए ।
वादे तमाम करके उजाले मुकर गए ।।
शायद अलग था हुस्न किसी कोहिनूर का ।
जन्नत की चाहतों में हजारों नफ़र गए ।।
ख़त पढ़ के आपका वो जलाता नहीं कभी ।
कुछ तो पुराने ज़ख़्म थे पढ़कर उभर गए।।
उसने मेरे जमीर को आदाब क्या किया ।
सारे तमाशबीन के चेहरे उतर गए ।।
क्या देखता मैं और गुलों की बहार को ।
पहली नज़र में आप ही दिल मे ठहर गए…
Added by Naveen Mani Tripathi on December 15, 2017 at 12:30pm — 6 Comments
2122 1122 1122 22
लोग तन्हाई में जब आप को पाते होंगे।
मेरा मुद्दा भी सलीके से उठाते होंगे ।।
लौट आएगी सबा कोई बहाना लेकर ।
ख्वाहिशें ले के सभी रात बिताते होंगे ।।
सर फ़रोसी की तमन्ना का जुनूं है सर पर ।
देख मक़तल में नए लोग भी आते होंगे ।।
सब्र करता है यहां कौन मुहब्बत में भला।
कुछ लियाकत का असर आप छुपाते होंगे ।।
उम्र भर आप रकीबों को न पहचान सके ।।
गैर कंधो से वे बन्दूक…
Added by Naveen Mani Tripathi on December 13, 2017 at 1:30am — 12 Comments
1212 1212 1212
जगी थीं जो भी हसरतें, सुला गए ।
निशानियाँ वो प्यार की मिटा गए।।
उन्हें था तीरगी से प्यार क्या बहुत।
चिराग उमीद तक का जो बुझा गए ।।
पता चला न, सर्द कब हुई हवा।
ठिठुर ठिठुर के रात हम बिता गए ।।
लिखा हुआ था जो मेरे नसीब में ।
मुक़द्दर आप अदू का वो बना गए।।
नज़र पड़ी न आसुओं पे आपकी
जो मुस्कुरा के मेरा दिल दुखा गये ।।
न जाने कहकशॉ से टूटकर कई ।
सितारे क्यों…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on December 11, 2017 at 11:09pm — 5 Comments
2122 2122 212
फिर कोई सिक्का उछाला जा रहा ।
रोज मुझको आजमाया जा रहा ।।
मानिये सच बात मेरी आप भी ।
देश को बुद्धू बनाया जा रहा ।।
कौन कहता है यहां सब ठीक है ।
हर गधा सर पे बिठाया जा रहा ।।
हो रहे मतरूफ़ सारे हक यहां ।
राज अंग्रेजों का लाया जा रहा ।।
हर जगह रिश्वत है जिंदा आज भी ।
खूब बन्दर को नचाया जा रहा ।।
कुछ हिफाज़त कर सकें तो कीजिये ।
बेसबब ही जुर्म ढाया जा रहा…
Added by Naveen Mani Tripathi on December 7, 2017 at 1:58am — 4 Comments
2122 1212 22
उसकी सूरत नई नई देखो ।
तिश्नगी फिर जगा गई देखो।।
उड़ रही हैं सियाह जुल्फें अब ।
कोई ताज़ा हवा चली देखो ।।
बिजलियाँ वो गिरा के मानेंगे ।
आज नज़रें झुकी झुकी देखो ।।
खींच लाई है आपको दर तक ।
आपकी आज बेखुदी देखो ।।
रात गुजरी है आपकी कैसी ।
सिलवटों से बयां हुई देखो ।।
डूब जाएं न वो समंदर में ।
क्या कहीं फिर लहर उठी देखो ।।
हट गया जब नकाब चेहरे से ।
पूरी बस्ती यहां…
Added by Naveen Mani Tripathi on December 5, 2017 at 7:00pm — 22 Comments
2122 1212 22
वक्त के साथ खो गयी शायद ।
तेरे होठों की वो हँसी शायद ।।
बन रहे लोग कत्ल के मुजरिम।
कुछ तो फैली है भुखमरी शायद ।।
मां का आँचल वो छोड़ आया है ।
एक रोटी कहीं दिखी शायद ।।
है बुढापे में इंतजार उसे ।
हैं उमीदें बची खुची शायद ।।
लोग मसरूफ़ अब यहां तक हैं ।
हो गयी बन्द बन्दगी शायद ।।
खूब मतलब परस्त है देखो ।
रंग बदला है आदमी शायद…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on December 5, 2017 at 2:30pm — 3 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on December 2, 2017 at 8:23am — 5 Comments
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |