1222 1222 122
शमा के पास परवाने रहेंगे ।
तेरी महफ़िल में दीवाने रहेंगे ।।
तुम्हारी शोखियाँ कातिल हुई हैं ।
तुम्हारे खूब अफ़साने रहेंगे ।।
बना देंगे नया इक ताज़ हम भी ।
हमें जब हाथ कटवाने रहेंगे ।।
तुम्हारी बज्म में आता रहूँगा ।
खुले जब तक ये मैखाने रहेंगे ।।
जिसे है फिक्र दौलत की नहीं अब ।
उसी के साथ याराने रहेंगे ।।
तुम्हारी शोखियाँ कातिल हुई हैं ।
तुम्हारे खूब अफ़साने रहेंगे ।।
बड़ा…
Continue
Added by Naveen Mani Tripathi on June 24, 2017 at 11:15am —
2 Comments
-----**** ग़ज़ल ***------
121 22 121 22 121 22 121 22
झुकी झुकी सी नज़र में देखा ,
कोई फ़साना लिखा हुआ है ।।
ये सुर्ख चेहरा बता रहा है
के दिल का मौसम जुदा जुदा है ।।
------------------------------------------------
फ़िजा की सूरत बदल रही है ,
अजीब मंजर है आशिकी का ।।
हैं मुन्तजिर ये सियाह रातें ,
वो चांद कितना ख़फ़ा खफ़ा है ।।
-----------------------------------------------
तमाम शिकवे गिले हुए हैं ,
तमाम…
Continue
Added by Naveen Mani Tripathi on June 21, 2017 at 1:49pm —
15 Comments
-------ग़ज़ल -------
2122 1212 22
बात तुम भी खरी नही करते ।
काम कोई सही नही करते ।
चोट दिल पर लगी है फिर उसके ।
काम ये मजहबी नहीं करते ।।
जब से अफसर बना दिया कोटा ।
बात अच्छी भली नहीं करते ।।
दोस्तों की किसी तरक्की में ।
यूँ मुसीबत खड़ी नहीं करते ।।
जिंदगी पर यकीन है जिनको । वो कभी खुदकुशी नहीं करते ।।
कुछ तो खुन्नस बनी रही होगी ।
बेसबब बेरुखी नहीं करते ।।
पेंग गर प्यार की बढ़ानी है ।
प्यार में…
Continue
Added by Naveen Mani Tripathi on June 18, 2017 at 12:00am —
4 Comments
-----ग़ज़ल -----
*2122 1212 22*
हाथ काफी मले गए हर सू ।
कुछ सयाने गए छले हर सू ।।
बात बोली गई दीवारों से ।
खूब चर्चे सुने गए हर सू ।।
आग का कुछ पता न् चल पाया ।
बस धुंआ ही धुंआ उठे हर सू ।।
इक तरन्नुम में पढ़ ग़ज़ल मेरी ।
ये ज़माना तुझे सुने हर सू ।।
जुर्म की हर निशानियाँ कहतीं ।
अश्क़ यूं ही नहीं बहे हर सू ।।
वह मुहब्बत में डूबती होगी ।
ढूढ़ दरिया में बुलबुले हर सू ।।
रात मिलकर गई है…
Continue
Added by Naveen Mani Tripathi on June 16, 2017 at 2:01pm —
2 Comments
2122 2122 2122 212
मैं तेरे अहले चमन का सिलसिला हो जाऊंगा।
बेवफा मुझको कहो मत मैं अता हो जाऊंगा ।।
कुछ तेरी फ़ितरत है ऐसी कुछ मेरी आवारगी ।
वस्ल के आने पे तेरा मयकदा हो जाऊंगा ।।
घुघरूओं की ये सदायें छू रही हैं रूह को ।
मैं तेरी महफ़िल में आकर बाखुदा हो जाऊंगा।।
अब मेरे हालात पर नज़रे इनायत कीजिये ।
आपकी इस जिंदगी का तज्रिबा हो जाऊंगा ।।
बज़्म में लाखों दीवाने आ गए हैं आपके ।
कौन कहता आपका मै रहनुमा हो जाऊंगा…
Continue
Added by Naveen Mani Tripathi on June 15, 2017 at 1:00am —
No Comments
1222 1222 122
उसे सर पर बिठाया जा रहा है ।
किसी पे जुर्म ढाया जा रहा है ।।
उन्हें मालूम है अपनी तरक्की ।
जहर को आजमाया जा रहा है ।।
चलेगा किस तरह गर्दन पे ख़ंजर ।
तरीका सब सिखाया जा रहा है ।।
जो नफरत में चलाता रोज पत्थर ।
उसे अपना बताया जा रहा है ।।
जो चारा खा चुके हैं जानवर का ।
उन्हें नेता बुलाया जा रहा है ।।
वो गायें काटते हैं वोट खातिर ।
नया मजहब चलाया जा रहा है ।।
जे एन यू में है गद्दारी का…
Continue
Added by Naveen Mani Tripathi on June 14, 2017 at 12:30am —
6 Comments
122 122 122 122
तेरे अक्स के ख्वाब आते रहेंगे ।
मुहब्बत की रस्मे निभाते रहेंगे ।।
ये जुल्फों के साये में तेरे तबस्सुम ।
मुझे उम्र भर तक सताते रहेंगे ।।
नज़ारों से लूटा गया हूँ बहुत मैं ।
मगर फिक्र दिल से उडाते रहेंगे ।।
न ठुकरा सकोगी हमारी मुहब्बत ।
यकीनन तुझे याद आते रहेंगे ।।
बड़ी आरजू थी मुलाकात होगी ।
खबर क्या थी चिलमन गिराते रहेंगे ।।
तेरी खुशबुओं को बिखेरा करें वो ।
हवाओं से चर्चा चलाते रहेंगे…
Continue
Added by Naveen Mani Tripathi on June 13, 2017 at 12:30am —
13 Comments
2122 2122 2122 212(1)
फिक्र बनकर तिश्नगी अक्सर सँवर जाती है रोज़ ।
उस दरीचे तक मेरी सहमी नज़र जाती है रोज़ ।।
मुन्तजिर आंखे गवाही दे रही हैं इश्क़ की ।
आइने के सामने कितना निखर जाती है रोज़ ।।
सिम्त शायद है ग़लत उलझे हुए हालात हैं ।
है मुसीबत बदगुमां घर में ठहर जाती है रोज़ ।।
जिंदगी के फ़लसफ़े में है बहुत आवारगी ।
ठोकरें खाने की ख़ातिर दर बदर जाती है रोज़ ।।
यह उमीदों का परिंदा भी उड़े तो क्या उड़े ।
बेरुखी तो बेसबब…
Continue
Added by Naveen Mani Tripathi on June 12, 2017 at 2:28pm —
6 Comments
*1212 1212 1212 1212*
सितम की आरजू लिए है वक्त आजमा रहा ।
जो हो सका नहीं मेरा वो रास्ता बता रहा ।।
अजीब दास्ताँ है ये न् कह सका न् लिख सका।
ये हाथ मिल गए मगर वो फासला बना रहा ।।
है हसरतों की क्या ख़ता उन्हें जो ये सजा मिली ।
मैं कातिलों का रात भर गुनाह देखता रहा ।।
बड़ी उदास शब दिखी न् माहताब था कहीं ।
वो कहकशां सहर तलक हमें ही घूरता रहा ।।
जो सिलसिला चला नही उसी का जिक्र फिर सही ।
धुँआ उठा बहुत मगर न आग का पता रहा…
Continue
Added by Naveen Mani Tripathi on June 11, 2017 at 5:32pm —
4 Comments
।। 2122 2122 2122 212 ।।
पूछिये मत क्यो हमारी शोखियाँ कम पड़ गईं ।
जिंदगी गुजरी है ऐसे आधियाँ कम पड़ गईं ।।
भूंख के मंजर से लाशों ने किया है यह सवाल ।
क्या ख़ता हमसे हुई थी रोटियां कम पड़ गईं ।।
जुर्म की हर इंतिहाँ ने कर दिया इतना असर ।
अब हमारे मुल्क में भी बेटियां कम पड़ गईं ।।
मान् लें कैसे उन्हें है फिक्र जनता की बहुत ।
कुर्सियां जब से मिली हैं झुर्रियां कम पड़ गईं ।।
इस तरह बिकने लगी है मीडिया की शाख भी ।
जब लुटी…
Continue
Added by Naveen Mani Tripathi on June 7, 2017 at 11:59pm —
6 Comments
1222 1222 1222 1222
वो अक्सर बेरुखी से वक्त का दीदार करती हैं ।।
हवाएं इस तरह से जिंदगी दुस्वार करती हैं ।।
न जाने क्या मुहब्बत है हमारी हर तरक्की से ।
हज़ारों मुश्किलें हम से ही आंखें चार करती हैं ।।
बड़ी चर्चा है वो बदनामियों से अब नहीं डरता ।
है उसकी हरकतें ऐसी दिलों में ख्वार करतीं हैं ।।
जिन्हें खुद पर भरोसा ही नही रहता है मस्जिद में ।
खुदा की रहमतें उनको बहुत लाचार करती हैं ।।
न् जाओ तुम कभी मतलब परस्तों के इलाके में…
Continue
Added by Naveen Mani Tripathi on June 3, 2017 at 3:04pm —
5 Comments
221 1221 1221 122
भारत की बुलन्दी का सितारा ही रहेगा ।
कश्मीर हमारा है हमारा ही रहेगा ।।
हालात बदलने में नहीं देर लगेगी ।
प्यारा है हमें मुल्क तो प्यारा ही रहेगा ।।
हम एक थे हम एक हैं हम एक रहेंगे ।
यह दर्द तुम्हारा है तुम्हारा ही रहेगा ।।
बरबाद नहीं होगी शहीदों की निशानी ।
इतिहास में हारा है तू हारा ही रहेगा ।।
ऐ पाक कहाँ साफ़ रहा है तेरा दामन ।
है तुझ से किनारा तो किनारा ही रहेगा ।।
यह ख्वाब न् पालो के कभी तोड़…
Continue
Added by Naveen Mani Tripathi on May 31, 2017 at 8:30am —
10 Comments
2122 1212 22
वो दिखी बेनकाब है यारों।
सारा चेहरा गुलाब है यारोँ ।।
अच्छी सूरत भी क्या बुरी शय है ।
सबकी नीयत खराब है यारों ।।
है लबों पर अजीब सी जुम्बिश ।
कैसा छाया शबाब है यारों।।
होश खोया है देख कर उसको ।
वह पुरानी शराब है यारों ।।
एक मुद्दत के बाद देखा है ।
हुस्न का इंकलाब है यारों।।
पैरहन ख्वाब में वो आती है ।
कितनी आदत खराब है यारोँ ।।
मैं जिसे सुबहो शाम पढ़ता हूँ ।
वह ग़ज़ल लाजबाब है…
Continue
Added by Naveen Mani Tripathi on May 27, 2017 at 1:24pm —
8 Comments
221 1221 1221 122
अब हम भी ज़माने का सुख़न देख रहे हैं ।।
बिकता है सुखनवर ये पतन देख रहे हैं ।।
बदनाम न् हो जाये कहीं देश का प्रहरी ।
नफरत का सियासत में चलन देख रहे हैं ।।
वो मुल्क मिटाने की दुआ मांग रहा है ।
सीने में बहुत आग जलन देख रहे हैं।।
सब भूंख मिटाते हैं वहां ख्वाब दिखा कर ।
रोटी की तमन्ना का हवन देख रहे हैं ।।
वादों पे यकीं कर के गुजारे हैं कई साल ।
मुद्दत से गुनाहों का चमन देख रहे हैं ।।
लाशों में…
Continue
Added by Naveen Mani Tripathi on May 27, 2017 at 8:30am —
No Comments
वज़्न - 221 1222 221 1222
पिजरे से परिंदे को आज़ाद नहीं करते ।
कुछ लोग मुहब्बत को आबाद नहीं करते ।।
फ़ितरत है पतंगों की शम्मा पे मचलने की ।
ऐसे जुनूं पे आलिम इमदाद नहीं करते ।।
वह दर्द मिटाने का वादा किया था वरना ।
रह रह के मुकद्दर को हम याद नही करते ।।
ज़ालिम की अदालत में सच पर गिरी है बिजली।
मालूम अगर होता फरियाद नही करते ।।
वो साथ निभाएंगे कहना है बहुत मुश्किल ।
वो वक्त कभी हम पर बर्बाद नहीं करते ।।
हसरत ही…
Continue
Added by Naveen Mani Tripathi on May 23, 2017 at 1:28am —
7 Comments
1222 1222 122
अना की बात में कुछ दम नहीं है ।
कहा किसने तेरा परचम नहीं है ।।
मिलेंगी कब तलक ये स्याह रातें ।
मेरी किस्मत में क्या पूनम नही है ।।
अभी तक मुन्तजिर है आंख उसकी ।
वफ़ा के नाम पर कुछ कम नहीं है ।।
चिरागे इश्क़ पर है नाज़ उसको ।
उजाला भी कहीं मध्यम नहीं है ।।
सजा देंगे हमे ये हुस्न वाले ।
हमारे हक़ का ये फोरम नहीँ है ।।
तेरी जुल्फों की मैं तश्वीर रख लूँ।
मगर मुद्दत से इक अल्बम नही है…
Continue
Added by Naveen Mani Tripathi on May 21, 2017 at 6:06am —
3 Comments
*221 1221 1221 122
-------------
सबसे न बताओ के परेशान यही है ।
आशिक़ हूँ यकीनन मेरी पहचान यही है ।।
यूँ ही न् गले मिल तू जरा सोच समझ ले ।
इस शह्र के हालात पे फरमान यही है ।।
कहने लगी है आज से मुझको भी सरेआम ।
ठहरा है जो मुद्दत से वो मेहमान यही है ।।
बर्बाद गुलिस्तां को सितम गर ने किया जब।
लोगो ने कहा प्यार का तूफ़ान यही है ।
अक्सर ही नकाबों में छुपाते हैं ये चेहरा ।
बैठा जो तेरे हुस्न पे दरबान यही है…
Continue
Added by Naveen Mani Tripathi on May 15, 2017 at 1:03pm —
10 Comments
2122 1212 22
फूल ढूढे गए किताबों से ।
हो गयी बात कुछ इशारों से ।।
कुछ गलत फहमियां हुई होंगी ।।
उस से मिलता कहाँ मै वर्षों से ।।
फेसबुक से उसे भी नफरत है ।
डर उसे है अनाम रिश्तों से ।।
कुछ तो है वो खफा ख़फ़ा शायद ।
लग गया बेलगाम बातों से ।।
आशिकी का नशा हुआ महंगा ।
रिन्द घटने लगे हैं खर्चों से ।।
बाद मुद्दत के जब मिले उस से ।
दर्द छलका तमाम आंखों से ।।
हो यकीनन जफ़ा के काबिल तुम ।।
शर्म तुमको…
Continue
Added by Naveen Mani Tripathi on April 30, 2017 at 8:03am —
3 Comments
2212-1212-2212-12
थोड़ी तसल्लियों में मेरा इंतजार हो ।
माना कि आज तुम जियादा बेकरार हो ।
वह मैकदों के पास से गुजरा नहीं कभी ।
गर चाहते हो रिन्द को तो इश्तिहार हो ।।
निकला है आज चाँद शायद मुद्दतों के बाद ।
अब वस्ल पर वो फैसला भी आरपार हो ।।
आया शिकार पर न् वो खुद ही शिकार हो ।
इतना खुदा करे उसे बेगम से प्यार हो ।।
लिख्खा दरख़्त पर किसी पगली ने कोई नाम ।
शायद गरीब दिल की कोई यादगार हो।।
हालात हैं खराब क्यों…
Continue
Added by Naveen Mani Tripathi on April 30, 2017 at 7:30am —
4 Comments
2122 1212 22
उसके चेहरे पे कुछ लिखा होगा ।
पढ़ने वालों ने पढ़ लिया होगा ।।
यूँ…
Continue
Added by Naveen Mani Tripathi on April 21, 2017 at 10:00am —
8 Comments