वादे नेता कर रहे , चुनावी है पुलाव
बीते पाँचों साल के कौन भरेगा घाव
कौन भरेगा घाव समझना चालें इनकी
रोटी कपड़ा वास नहीं है बस में जिनकी
सरिता कहती भाँप नहीं हैं नेक इरादे
निर्वाचन कर सोच झूठ हैं इनके वादे
...........मौलिक व अप्रकाशित...........
Added by Sarita Bhatia on March 14, 2014 at 3:29pm — 4 Comments
सारी दुनिया कर रही अब तेरी पहचान
तू दुर्गा तू शक्ति है तेरा कर्म महान /
तेरा कर्म महान नहीं बनना तू अबला
खुद की कर पहचान हुई तू सक्षम सबला
पहचानो अधिकार करो शिक्षित हर नारी
होना कभी न मौन झुकेगी दुनिया सारी //
.........मौलिक व अप्रकाशित...........
Added by Sarita Bhatia on March 13, 2014 at 10:13am — 13 Comments
होली के दिन सब मिलो लेकर सारे रंग
गाओ मिलकर फाग को सब यारों के संग /
सब यारों के संग धूम तुम खूब मचाओ
नीला पीला लाल हरा गुलाबी लगाओ
शिकवे सारे भूल चले आओ हमझोली
रंगों का त्योहार ,आ गया है अब होली //
.............मौलिक व अप्रकाशित............
Added by Sarita Bhatia on March 11, 2014 at 9:00am — 8 Comments
फाग मास की पूर्णिमा रंगों का त्योहार
सरसों खिलती खेत में फाल्गुन बाँटे प्यार /
पहला दिन है होलिका दूजा है धुरखेल
भारत औ' नेपाल में खेलें हैं यह खेल /
आओ यारो सब मिलो लेकर रंग गुलाल
नीला पीला औ' हरा गुलाबी संग लाल /
सब करें होलिका दहन फिर लगाएं गुलाल
फाग से है धमार का मिला ताल से ताल /
काम महोत्सव तुम कहो या राग रंग पर्व
होली दिन है मेल का करते सारे गर्व /
आया है अब फाग जो रंगीन है फुहार
भूलो…
Added by Sarita Bhatia on March 9, 2014 at 9:02pm — 10 Comments
मुझे चिंता में डूबे देख
तुम दुहाई देते
जब तक मेरा हाथ है
तुम्हारे हाथ में
मेरी सांसें
तुम्हारी साँसों में महकती है
विश्वास है महत्वाकांक्षा के घोड़ों पर
जो हर बाधा पार कर लेंगे
जब तक हूँ मैं जीवित
तुम खुद को अकेला मत समझो
मैं हूँ ना हमेशा तुम्हारे साथ
तुम्हारा साया बनकर
वोही साया ढूढ़ती हूँ
चारों ओर
आठों पहर
शायद
साया खो गया है
मुझ में ही कहीं
जैसे दोपहर के सूर्य में
मेरी परिछाई
उसी से तो…
Added by Sarita Bhatia on March 5, 2014 at 10:40am — 20 Comments
इन्दु अपने मंडल की पेंशन प्रमुख थी, किसी भी बुजुर्ग महिला या बहन को पेंशन लगवानी होती तो झट उससे संपर्क करतीं ....
अपने मोहल्ले की अपनी कॉलोनी की सभी महिलाओं की चाहे वो वृद्ध हो, विधवा हो या तलाकशुदा हो उसने बिना किसी अड़चन के पेंशन लगवा दी थी.
समय ने करवट ली, उसके पति का आकस्मिक देहांत हो गया ...
कुछ समय बीत जाने पर उसकी एक ख़ास सहेली ने उसे सुझाव दिया ...
"भाभी आप ने पेंशन के लिए अपना फॉर्म भरवाया ?"
थोड़ा चुप रहकर फिर कहा ..
"यह तो सरकार दे रही है…
ContinueAdded by Sarita Bhatia on March 3, 2014 at 4:30pm — 19 Comments
एक मासूम कली
भंवरे के स्पर्श से
खिल उठी
मुस्काई
हर्षाई
लिया पुष्प सा रूप
एक दिन
भंवरा उसका खो गया
पुष्प का हाल बुरा हो गया
उदास बेचैन पुष्प को चाहिए था
थोड़ा प्यार
थोड़ा दुलार
थोड़ी हंसी
थोड़ी हमदर्दी
जो ना मिल पाई
फिर एक दिन
आया एक भंवरा
जो उसके आसपास मंडराता
उसे तराने सुनाता
उसे खिलखिलाना सिखाता
पुष्प हुआ पुनर्जीवित
उसके प्यार से
दुलार से
पर
चिंतित…
Added by Sarita Bhatia on March 1, 2014 at 9:30am — 16 Comments
उत्सव भारत देश के ,करें सभी हम गर्व
फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी , महाशिवरात्रि पर्व /
फाल्गुन में शिवरात का होता पर्व विशेष
रंगों भरी फुहार से मिटाओ गिले द्वेष /
मध्यरात अवतरित हो धरा रूप सारंग
गले में सर्प हार औ रमे भस्म से अंग/
रूद्र रूप को देख के भर लो ह्रदय उमंग
शिव शक्ति का मिलनदिवस मनाओ प्रेम संग /
सदा ही मिले आपको शिव का आशीर्वाद
शिव के नित उपवास से मिले दुआ प्रसाद /
धतूरे बेलपत्र से, करना कर्म विशेष…
Added by Sarita Bhatia on February 26, 2014 at 7:34pm — 14 Comments
बिटिया ना अपनी हुई कैसा रहा विधान
राजा हो या रंक की बिटिया सभी समान /
बिटिया सभी समान रहेंगी सदा बेगानी
छोड़ेगी वो गेह रीत पड़ेगी निभानी
चाहे गेह अमीर या रही गरीब की कुटिया
सरिता कहती मान पराई होती बिटिया//…
Added by Sarita Bhatia on February 26, 2014 at 10:27am — 3 Comments
कुछ कम रोशन है रोशनी तुम बिन
बरसात कम है गीली तुम बिन
हवाओं में खुश्बू नहीं है तुम बिन
चाँद की कम है चाँदनी तुम बिन
सूरज करे ना उजाला तुम बिन
घर बन गया मकान है तुम बिन
भंवरे नही हैं गुनगुनाते तुम बिन
थम सा गया है वक्त तुम बिन
पर मेरी हर ख्वाहिश है तुम से
पर अब भी हर सांस में बसे हो तुम
हर धड़कन में आवाज़ है तुम्हारी
हर पल जैसे छू जाते हो दिल को
हर आहट में अहसास है तुम्हारा
पीछे से…
ContinueAdded by Sarita Bhatia on February 25, 2014 at 4:00pm — 6 Comments
जब सब कुछ था
मेरे पास
जो
जीने के लिए काफी था
तुम्हारा प्यार,
तुम्हारा साथ,
तुम्हारा समय
तुम्हारा विश्वास
हमारा साहस
यही सब
मेरी बहुमूल्य पूंजी थी
वो
उड़ान भरते
सुनहरे सपने
जो
हम दोनों ने कभी देखे थे
दुनिया
अपने कदमों में थी
तो किसकी लगी नज़र ?
जो छूटा ...
तुम्हारा प्यार
तुम्हारा साथ
क्यों रुकीं
वो सांसें
वो जिन्दगी
टूटीं उम्मीदें
टूटे सपने
और
साथ ही
टूट…
Added by Sarita Bhatia on February 25, 2014 at 3:03pm — 21 Comments
11.
दोस्ती मेरी सदा निभाए
न्यारी न्यारी बात बताए
बताए हरदम सही जवाब
क्या सखि साजन ? ना सखि किताब
12.
तुझ बिन जगत यह कड़की धूप
तेरे संग खिलता है रूप
कैसा तूने किया करिश्मा
क्या सखि साजन ? ना सखि चश्मा
13.
ज्यों चलूँ वो साथ ही हो ले
अंग संग खाए हिचकोले
मधुर सुरों से ह्रदय छले छलिया
क्या सखि साजन ? ना पायलिया
14.
उलझे मेरे लट सुलझाता
न बोलूँ तो खीझ है जाता
रूप दिखाता रंग बिरंगा
क्या सखि…
Added by Sarita Bhatia on February 24, 2014 at 9:56am — 6 Comments
6.
जीवन मेरा रोशन करता
सूरज जैसे तम को हरता
उस बिन धड़के मेरा जिया
क्या सखि साजन ? ना सखि दीया
7.
चले संग वो धड़कन जैसे
उस बिन कटे बताऊँ कैसे
रखे हिसाब हर पल हर कड़ी
क्या सखि साजन ? नहीं सखि घड़ी
8.
पलकें मीचूं सपने लाता
कोमलता से फिर सहलाता
छोड़े ना वो पूरी रतिया
क्या सखि साजन? ना सखि तकिया
9..
नया रूप ले रात को आता
दिन चढ़ते वैरी छुप जाता
छिपता जाने कौनसी मांद
क्या सखि साजन ? ना सखि चाँद…
Added by Sarita Bhatia on February 21, 2014 at 7:35pm — 15 Comments
प्रथम प्रयास कह मुकरियाँ पर आप सब सुधीजनों के मार्गदर्शन की अभिलाषी हूँ ...
1.
लीला सखिओं संग रचाता
मन का हर कोना महकाता
भागे आगे पीछे दैया
क्यों सखि साजन ? ना कन्हैया
2.
जिसको हमने स्वयं बनाया
मान और सम्मान दिलाया
उसको हमारी ही दरकार
क्यों सखि साजन ? नहीं सरकार
3.
बच्चे बूढ़े सबको भाए
नाच दिखाए खूब हँसाए
सबके दिल का बना विजेता
क्यों सखि साजन ? ना अभिनेता
4.
उसके बिना चैन ना आए
पाकर उसको मन…
Added by Sarita Bhatia on February 20, 2014 at 9:30am — 7 Comments
दिलों में रंजिशें ना हों यहाँ ऐसा जहाँ इक हो
जो छत हो आसमां सारा यहाँ ऐसा मकाँ इक हो /
नया हर जो सवेरा हो मिले सुख शांति हर घर में
मिटे ना वक्त के हाथों जो ऐसा आशियाँ इक हो /
बुराई लोभ भ्रष्टाचार धोखा दूर हो कोसों
हो केवल प्यार हर घर में बसेरा अब वहाँ इक हो /
मिले केवल सुकूं अब और हो मुस्कान होठों पर
घुली मिश्री हो बातों में यहाँ ऐसी जुबाँ इक हो /
निशानी अब हसीं यादों की लम्हा लम्हा मुस्काये
हों चर्चे कुल जहां…
ContinueAdded by Sarita Bhatia on February 18, 2014 at 3:44pm — 19 Comments
आओ कुछ तो समय निकालो
थोड़ा हँस लो थोड़ा गा लो |
जीवन की आपाधापी में
अपने पीछे छूट न जाएँ
नन्हे सपने टूट न जाएँ
जरा नया उत्साह जगा लो
थोड़ा हँस लो.......
अपने हम से रूठ गए जो
जीवन पथ पर छूट गए जो
उनकी यादों से अब निकलो
रूठ गए जो उन्हें मना लो
थोड़ा हँस लो........
देख समय ने करवट खाई
फिर क्यों है मायूसी छाई
दे दो गम को आज विदाई
बुरे समय को हँस कर टालो
थोड़ा…
ContinueAdded by Sarita Bhatia on February 12, 2014 at 3:00pm — 31 Comments
जागो प्यारे भोर में मन में ले विश्वास
आस जगाती जिन्दगी करना है कुछ ख़ास /
करना है कुछ ख़ास मन में जगा लो चाहत
करो वक्त पे काम मिले तनाव से राहत
सरिता कहे पुकार नहीं मुश्किल से भागो
पड़े बहुत हैं काम भोर हुई अभी जागो //
..................................................
...........मौलिक व अप्रकाशित...........
Added by Sarita Bhatia on February 10, 2014 at 4:37pm — 13 Comments
डरना कैसा मौत से, यह तो सच्ची यार
धोखा देती जिन्दगी , मौत निभाए प्यार /
मौत निभाए प्यार , साथ है लेकर जाती
सबक जिंदगी रोज, नया हमको सिखलाती
नेक मौत का काम, सबकी पीर को हरना
सरिता कहे पुकार, मत तुम मौत से डरना //
.....................................................
................मौलिक व प्रकाशित ...........
Added by Sarita Bhatia on February 7, 2014 at 10:02am — 16 Comments
मन के जीते जीत है ,मन के हारे हार
मन को समझा ना अगर जीना हो दुश्वार /
जीना हो दुश्वार अगर मन दुख से भारी
सुख से पल संवार, कर के मन संग यारी
मन से कर लो प्रीत ,छोड़ो मोह अब तन के
मन की ना हो हार ,प्यार के फेरो मनके //
..........मौलिक व अप्रकाशित ..............
Added by Sarita Bhatia on February 6, 2014 at 10:00am — 10 Comments
शुक्ल पंचमी माघ से ,शुरू शरद का अंत
पवन बसंती है चली, आया नवल बसंत /
ले आया मधुमास है, चंचल मस्त फुहार
पीली चादर ओढ़ के, धरा करे शृंगार /
रात सुहानी हो गई उजली है अब भोर
डाली डाली फूल हैं ,हरियाली चहुँ ओर /
निर्मल अम्बर है हुआ, पाया धरा निखार
जर्रे जर्रे में बसा , कुदरत में है प्यार /
रंग बिरंगी तितलियाँ , मन में भरें उमंग
प्यार हिलोरें ले रहा , अब प्रीतम के संग /
पेड़ आम के बौर से, इतरायें हैं आज
मन को है…
Added by Sarita Bhatia on February 3, 2014 at 11:06pm — 12 Comments
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