नीरसता में बदलता, नाशवान सुख-भाग,
सुख दुख में सम भाव रह,भौतिक सुख है रोग |
भौतिक सुख है रोग, अर्थ जीवन का जाने
खुद का हो उद्देश्य, कृपा हम प्रभु की माने |
कह लक्ष्मण कविराय, भरे मन में समरसता,
स्वच्छ करे मन भाव, तब न होगी नीरसता ||
(मौलिक व् अप्रकाशित)
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 4, 2013 at 9:30am — 11 Comments
जन्मदिन पर सबसे विगत में हुई भूलों के लिए क्षमा मांगते हुए "दोहे पुष्प" समर्पित है
अडसठ बसंत में मुझे,मिला सभी का प्यार,
गुरुवर अरु माँ-बाप का, वरदहस्त आधार |
सद्गुरु को मै दे सकूँ, ऐसी क्या सौगात,
चरण पखारूँ अश्क से,इतनी ही औकात |
समर्पण निःशेष रहे, तुम मेरे आधार,
तुमसे तुमको मांग लू,करे अगर स्वीकार |
जन्म दिवस पर दे रही,माँ मुझको आशीष
सद्कर्मी पथ पर चलूँ, भला करे जगदीश |
घर पर सब…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 19, 2013 at 10:30am — 39 Comments
नारी पीड़ा सह रही, मन में है अवसाद,
संत वेश में घूमते, दुष्कर्मी आजाद |
दुष्कर्मी आजाद, सताते नहीं अघाते
करे नहीं परवाह, गंदगी यूँ फैलाते |
राजनीति का मंच, भरे अपराधी भारी,
हमको यही मलाल,कष्ट में अबला नारी |
(2)
गांधी के इस देश में, हिंसा है आबाद,
निरपराध है जेल में, सौदागर आजाद |
सौदागर आजाद, कर रहे भ्रष्टाचारी
इनमे है उन्माद, कष्ट में जनता सारी
जागरूकता रोक सके अपराधी आंधी,
जनता पर ही भार,सहे…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 16, 2013 at 7:00pm — 9 Comments
देखे भाई दूज में, रिश्तो का संसार,
प्यारा भाई जा रहा,प्रिय बहना के द्वार
प्रिय बहना के द्वार,बोला खिलाओ खाना
भरकर ह्रदया नेह,प्यार से मुझे खिलाना
सदियों का इतिहास,भाई बहन के लेखे
आती भाई दूज, भाई बहन को देखे ||
(4)
सभी देव करते रहे, गौमाता में वास
खुशहाली मिलती रहे,गाय रखे यदि पास
गाय रखे यदि पास,न दूध दही का घाटा
बिना दही अरु दूध, शरीर रहे ये नाटा |
संतो का अनुरोध,गौ ह्त्या न करे कभी
ब्रहमा विष्णु…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 10, 2013 at 7:00pm — 14 Comments
दीपोत्सव पर्व की हार्दिक शुभकामनाए
पुष्य नक्षत्र की शुभ बेला में, लक्ष्मी जी ने जन्म लिया,
महक फैलाती आई कमला, गुरु नक्षत्र का चयन किया |
ज्ञान पिपासु की वृद्धि करने, ज्ञानेश्वरी को साथ लिया,
धन वैभव में बरकत करती, सुख सम्रद्धि का भाव दिया |
लक्ष्मी,गणेश खुश हो जाते,जब हो हंसवाहिनी संग,
दीपोत्सव त्यौहार मनाओ, रंगोली ले आती रंग |
घर लक्ष्मी की हो प्रसन्नता, लक्ष्मी देवे तब वरदान
बिन गणपति और…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 3, 2013 at 6:30am — 14 Comments
नाव है, पतवार नहीं
भाव है, पर शब्द नहीं
शब्द साधे पर,
अभिव्यक्ति का
सलीका नहीं |
छंद का ज्ञान कर,
शिल्प को साध कर
कविता गढ़ दी
बार बार पढ़कर
पाया,
कविता में वह-
मधुर तान नहीं |
तब, कविता लिखा
कागद फाड़कर,
डालता रहा-
कूड़ेदान में,
कलम हाथ में पकडे
पकड़कर माथा,
गडा दी आँखे
घूरते कागजो के-
कूड़ेदान में |
फिर आहिस्ता से
सिर उठाया-
आसमान की…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 27, 2013 at 10:00pm — 14 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 17, 2013 at 10:00am — 8 Comments
लोहा ले तलवार से, तभी कलम की शान
जनता करती याद है, बढे कलम का मान |
बढे कलम का मान, जुल्म पर खुलकर बोले
मसी छोड़ दे छाप, न्यायिक तुला पर तोले
रही धर्म के साथ, उसी ने मन को मोहा
काँपे कभी न हाथ, झूठ से जब ले लोहा||
(मौलिक व अप्रकाशित )
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 1, 2013 at 8:30pm — 9 Comments
देते है आशीष वे, सर पर रखते हाथ
मन में श्रद्धा भाव हो, तभी श्राद्ध यथार्थ |
तभी श्राद्ध यथार्थ, सभी है उनकी माया
समझों वे है साथ, मिले उनकी ही छाया
मिले सभी संस्कार संज्ञान में जो लेते
माने हम उपकार, पूर्वज ख़ुशी ही देते |
…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 25, 2013 at 10:30am — 17 Comments
आता है हिन्दी दिवस जाने को तत्काल
संसंद में करते रहे, नेता टालम टाल
विकसित करना देश को तो मन में यह ठान
अपनी भाषा का सदा उन्नत रखना भाल |
(2)
हिन्दी में ही बोलकर रख भाषा का मान
भाषा की सम्पन्नता, है हिन्दी की शान
हीन भाव लाये बिना कर हिन्दी में बात
तब हिन्दी की विश्व में अमिट बने पहचान |
(3)
रोज मना हिन्दी दिवस करना गौरव गान
देवनागरी लिपि बनी, जो है इसकी शान
संस्कृति अरु साहित्य का उन्नत है भण्डार
सबको…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 14, 2013 at 10:00am — 17 Comments
(1)
कन्या होती भाग्य से,रखना इसका मान
कन्या घर में आ रही, ले गौरी वरदान |
ले गौरी वरदान, आँगन कुटी मह्कावे,
घर आँगन चमकाय,कुसुम कलियाँ खिलजावे
शिक्षा का हो भान, बनावे शिक्षित सुकन्या
रखती मन में धैर्य,कष्ट सहती है कन्या
.
(2)
जन्मे बेटी भाग्य से, घर को दे मुस्कान
पालन -पौषन साथ ही, पावे शिक्षा ज्ञान |
पावे शिक्षा ज्ञान, समाज बने संस्कारी
नारी का हो मान, करे…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 12, 2013 at 11:30am — 15 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 5, 2013 at 10:30am — 18 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 1, 2013 at 1:30pm — 24 Comments
वजीरे आला आप भारी विरोध के चलते धैर्य रख इतने समय से शासन कर रहे है । आपके अधिकाँश मंत्रियों पर घोटाले सहित कई प्रकार के आरोप लग रहे है । कई मंत्रियों को तो स्तीफा भी देना पड़ा है । यहाँ तक की कई मामलो में तो न्यायालय ने भी तल्ख़ टिप्पणियाँ तक की है । तिरस्कार पूर्ण वचन बहुत दारुण होता है । यह कहते हुए युवराज ने राजनीति के गुर सीखने हेतु जिज्ञासा प्रकट करते हुए पूछा- फिर भी आप यह सब सहन कारते हुए मौन एवं धैर्य रख कैसे शासन कर रहे है ?
वजीरे आला यह सब सुनकर कुछ देर मौन रहे ।…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 28, 2013 at 7:00pm — 17 Comments
मधुशाला खुलती गयी, विद्यालय के पास,
आजादी जब से मिली, ऐसा हुआ विकास |
ऐसा हुआ विकास, मिले शराब के ठेके
आय करे सरकार, नेता रोटियाँ सेकें
शिक्षा पर हो ध्यान, उन्नत हो पाठशाला
शिक्षालय के पास, हो न कोई मधुशाला |
(२)
रंगत बदले मनुज अब, गिरगिट भी शर्माय
गिरगिट पुनर्जन्म धरे, नेता बनकर आय |
नेता बनकर आय, क्षमता और बढ़ जावे
पेटू बनकर खाय, खाकर डकार न लावे
ईश्वर करे सहाय, पाये न इनकी संगत,
सूझे न…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 5, 2013 at 3:00pm — 24 Comments
धन की खटिया छोड़ दे, मोह नहीं रख पास
तन मन चंगा रख सके, मन में भरे मिठास |
समय मौत ग्राहक कभी, आ टपके अनजान
इन्तजार करना नहीं, इनकी फिदरत जान |
मात पिता स्व यौवन का,सदा करे सम्मान,
जाने पर फिर ना मिले,सहजे रखकर ध्यान |
छोडो चिंता अतीत की, चिंतन में हो आज,
समय व्यर्थ गँवाय नहीं, झट निपटावे काज |
उत्तम संग संगीत का, संत संग हो बात,
दोस्त बने सह्रदय के, दुनिया को दे मात |
विद्या…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 1, 2013 at 1:30pm — 19 Comments
धरती तो आधार है, जा न सके उस पार
जन्म,मरण अरु परण का,धरती ही आधार|
पञ्च तत्व से जन्म ले,पाय धरा की गोद
हरेभरे उपवन खिले, प्राणी करे प्रमोद |
धरती गगन जहां मिले,लगे नीर की झील
हिरन दौड़ते खोजने, निकले मीलो मील |
हीरे मोती कुछ नहीं, जितनी धरा अमूल्य,
सभी मिले भूगर्भ में, बिन माटी सब शून्य|
निर्धन या धनवान हो, दो गज मिले जमीन,
साँसों की डोरी थमे, जाय संपदा हीन |
(मौलिक व्…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 17, 2013 at 12:00pm — 12 Comments
जेल जाय अपराध में, करते वे पद त्याग,
जन प्रतिनिधि क़ानून में,इससे उल्टा राग |
संविधान में निहित है, मूलभूत अधिकार,
सबको समान हक़ मिले, भेद करे सरकार |
रुपया गिरता देखकर, डालर मुंह बिचकाय,
बढे कर्ज के बोझ से, चिंता घेरे जाय |
कर्ज विदेशी बढ़ रहा, इधर तेल के दाम,
काला धन स्विस बैंक में,भुगते जन अंजाम|
रकम जमा स्विस बैंक में, घरवाले अनजान,
भेद दिए बिन चल बसे, घर के सब हैरान|
(मौलिक…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 14, 2013 at 4:00pm — 12 Comments
देश में फल-फूल रहा, सट्टे का बाजार,
कुछ लोगो के बिक रहे,देखो सब घर बार |
सट्टा गर सरकार का, नियमो में वह वैध
जनता गर सट्टा करे, उसको कहे अवैध |
राजनीति व्यवसाय है,दीमक जैसी चाट
घोटाले करते रहे, कुर्सी के है ठाट |
राजनीति में जो सफल,घोटालो में लिप्त,
इस धंधे में देख लो,नेता सब संलिप्त |
बहुत संपदा पास में, कल तक तो थे रिक्त
नित्य संपदा…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 11, 2013 at 6:30pm — 22 Comments
एकाकीपन साँझ का, मन विचलित करजाय
इस पड़ाव पर उम्र के , बनता कौन सहाय |
सुन्दर हर पल वह घडी,अनुपम सा उपहार
साँस साँस की हर लड़ी,करती जैसे प्यार |
होठ छुअन अहसास ही, मुग्ध मुझे करजाय,
संयम त्यागा स्वपन में, चंचल मन भटकाय |
बहका बहका दिख रहा, खुद का ही व्यवहार
जैसे सब कुछ ख़त्म है, मन मेरा लाचार |
मेरे जीवन में बसे, रूप धरा श्रृंगार,
पोर पोर में बह रही, बनी सतत रसधार |
-लक्ष्मण…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 4, 2013 at 12:30pm — 21 Comments
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