ग़ज़ल : - बनारस के घाट पर
कुछ था ज़रूर खास बनारस के घाट पर ,
धुंधला दिखा लिबास बनारस के घाट पर |
घर था हज़ार कोस मगर फ़िक्र साथ थी ,
मन हो गया उदास बनारस के घाट पर |
संज्ञा क्रिया की संधि में विचलित हुआ ये मन
गढ़ने लगा समास बनारस के…
ContinueAdded by Abhinav Arun on February 1, 2011 at 9:00am — 13 Comments
एक अनजाना सा घर, एक अनजानी डगर ..
ठान के ,हूँ साथ तेरे,कितना भी हो कठिन ये सफ़र..
पार भव कर ही लेंगे साथ मेरे तुम हो अगर..
छोड़ना मत हाथ मेरा तुम कभी वो हमसफ़र..
प्यार से सजाएंगे हम अपना ये प्रेम नगर..
करना नज़रंदाज़ मेरी गलती हो कोई अगर..
कोशिश तो बस ये मेरी, नेह में न हो कोई…
ContinueAdded by Lata R.Ojha on January 30, 2011 at 7:30pm — 8 Comments
Added by Lata R.Ojha on January 30, 2011 at 12:30am — 5 Comments
Added by Rana Pratap Singh on January 29, 2011 at 5:00pm — 8 Comments
Added by Abhinav Arun on January 26, 2011 at 7:00pm — 10 Comments
एक थैली बूंदी...
- शमशाद इलाही अंसारी "शम्स"
पता नहीं मुझे आज
एक थैली बूंदी की याद
इतनी क्यों आ रही है..?
आज के दिन..
जब स्कूल में
बंटा करती थी..
तमाम उबाऊ क्रिया कलापों
और न्यूनतम स्तर के
पाखण्डों के बाद
बस प्रतीक्षा रहती थी
कब मिलेंगी
वो, गर्म गर्म बूंदियों की
रस भरी थैलियां
जो, न जाने कब और कैसे
जुड़ गयी थी
गणतंत्र दिवस…
ContinueAdded by Shamshad Elahee Ansari "Shams" on January 26, 2011 at 7:09pm — 9 Comments
Added by Sujit Kumar Lucky on January 26, 2011 at 9:30am — 6 Comments
हर रुख से चली यूं तो हवा अपने वतन में
सावन कभी पतझड़ न बना अपने वतन में
साज़िश तो बहुत रचते रहे अम्न के दुश्मन...
रिश्तों पे रही महरे-खुदा अपने वतन में
हर हीर के दिल में है बसी झांसी की रानी
हर रांझे में बिस्मिल है छिपा अपने वतन में
…
ContinueAdded by shahid mirza shahid on January 26, 2011 at 4:30am — 7 Comments
Added by Abhinav Arun on January 25, 2011 at 3:51pm — 10 Comments
दरख़्त बदल रहा है
स्वयं खा फल रहा है ।१।
मैं लाया आइना क्यूँ
ये सबको खल रहा है ।२।
दिया सबने जलाया
महल अब गल रहा है ।३।
छुवन वो प्रेम की भी
अभी तक मल रहा है ।४।
डरा बच्चों को ही अब
बड़ों का बल रहा है ।५।
लिखा जिस पर खुदा था
वही घर जल रहा है ।६।
दहाड़े जा रहा वो
जो गीदड़ कल रहा है ।७।
उगा तो जल चढ़ाया
अगन दो ढल रहा है ।८।Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on January 24, 2011 at 9:30pm — 3 Comments
Added by R N Tiwari on January 24, 2011 at 10:00am — 13 Comments
Added by shahid mirza shahid on January 23, 2011 at 7:00pm — 8 Comments
पिता जी की डायरी से....
हाय भगवन क्या दिखाया ,
शांति मन में विक्रांति लाकर .
सरज का नव पुष्प कोमल ,
अग्नि ज्वाला में फसाकर,
वेड ही दिवस महिना ,
श्वेत ही वर्ण था निशा का,
शास्त्र ही दिन शेष था.
सूर्य था पश्चिम दिशा का.
उत्साह का उस दिन था पहरा ,
नयन सबही के खिले थे.
एक वर वधु के व्याह में ,…
Added by R N Tiwari on January 23, 2011 at 6:30pm — 4 Comments
वो कौन है ...
Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on January 21, 2011 at 8:30am — 6 Comments
रोज़ नहीं हम जैसा सोचें ॥
नींद उड़ा दे जो रातों की ।
सपना कोई ऐसा सोचें
बनती बात बिगड़…
ContinueAdded by Pradeep Singh Chauhan on January 15, 2011 at 12:36pm — 2 Comments
फैज़ अहमद फैज़ की जन्मशती वर्ष के अवसर पर
भारतीय उपमहाद्वीप में इस साल फैज़ अहमद फैज़ की जन्मशती का जश्न चल रहा है। पाकिस्तान की सरजमीं के इस शानदार शायर को वस्तुतः संपूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप का शायर माना जाता है। फैज़ अहमद फैज़ की शायरी मंत्रमुग्ध करने वाली शायरी मानी जाती है। इसका अहम् कारण रहा कि फै़ज़ ने साहित्य और समाज की खातिर जीवनपर्यन्त कठोर तपस्या अंजाम दी। जिंदगी भर समाज के गरीब मजलूमों के लिए समर्पित रहने वाले फै़ज़ ने बेवजह शेर कहने की कोशिश कदाचित नहीं की। उनके कविता…
Added by prabhat kumar roy on January 13, 2011 at 7:30am — 3 Comments
Added by Bhasker Agrawal on January 7, 2011 at 8:52pm — 2 Comments
Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 31, 2010 at 4:34pm — 4 Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on December 27, 2010 at 11:54pm — 4 Comments
मैं कौन हूँ?
ये सोच कर ,
विचार कर ,
परेशान हो गया ,
मेरी सोचने की क्षमता,
बेकार हो गई !
मैं कौन हूँ ?
मन बोला मैं पंडित ,
मेरी बातो में दम हैं ,
इस धरती पर ,
सबसे बुद्धिशाली ,
मैं सबसे गुणी ,
मगर जो ,
हश्र रावण का हुआ ,
वो सोच मैं बेजार हो गया !
मैं कौन हूँ ?
मगर मन भटकता रहा ,
अपने बल पे गरूर था ,
डरते हैं लोग सारे ,
अच्छो अच्छो को ,
पस्त कर डाला ,
मगर जो ,
हश्र…
Added by Rash Bihari Ravi on December 27, 2010 at 3:30pm — 14 Comments
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
2011
2010
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |