अपने रूप पर ऐ चाँद तू ........
अपने रूप पर ऐ चाँद तू
क्यों इतना इतराया है
तू तो मेरे चाँद का
बस हल्का सा साया है
केसरिया है रूप तेरा
केसरिया परछाईं है
कौमुदी ने पानी में
प्रीत की पेंग बढ़ाई है
विभावरी का स्वप्न है तू
चांदनी का प्यारा है
पानी में तेरा अक्स
बड़ा हसीँ छलावा है
अक्स नहीं यकीं है वो
इन बाहों को जो भाया है
ख़्वाब है मेरी नींद का वो
हकीकत में हमसाया है
खुदा ने अपने हाथों से
मेरे चाँद को बनाया…
Added by Sushil Sarna on September 25, 2020 at 5:04pm — No Comments
खेत मन का एक जोता हमने बाजी मार ली
तन का सौदा रोक डाला हमने बाजी मार ली।१।
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रेत पर लिख करके गुस्सा हमने बाजी मार ली
पत्थरों पर प्यार साधा हमने बाजी मार ली।२।
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हर नदी की हर लहर पर पार जाना लिख दिया
मोड़ डाला रुख हवा का हमने बाजी मार ली।३।
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छोड़ आये चाँद आधा यूँ सितारों के लिए
किन्तु पहलू में है पूरा हमने बाजी मार…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 24, 2020 at 6:30am — No Comments
आँख से काजल चुराने का न कौशल हम में था
दूर रह कर याद आने का न कौशल हम में था।१।
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नाम पेड़ों पर तो हम भी लिख ही लेते थे मगर
पुस्तकों में खत छिपाने का न कौशल हम में था।२।
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दोस्ती सूरज सितारों से तो अपनी थी गहन
चाँद को लेकिन रिझाने का न कौशल हम में था।३।
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पा गये विस्तार …
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 23, 2020 at 7:00am — 12 Comments
212-122-1212
मैं जो कारवाँ से बिछड़ गया
यूँ तुम्हारे दर पे ही पड़ गया
दिल गया ख़ुशी की तलाश में
साथ उनके हम से बिछड़ गया
ये गरेबाँ गुल-रू की चाह में
क्या कहूँ के फिर से उधड़ गया
वो दुआ थी तेरी या बद् दुआ
ये नसीब अपना बिगड़ गया
कोई ज़िन्दगी तो सँवर गई
ग़म नहीं मुझे मैं उजड़ गया
वो तुम्हारी आँखों में चुभ रहा
लो हमारा ख़ेमा उखड़ गया
मैं झुका…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 20, 2020 at 6:30pm — 10 Comments
1222 1222 122
धुआँ उठता नहीं कुछ जल रहा है
मुझे वो आग बन कर छल रहा है
पिछड़ जाउंँगा मैं ठहरा कहीं गर
ज़माना मुझसे आगे चल रहा है
बहुत ख़ुश था मैं तन्हाई में पर अब
ये सूनापन मुुझे क्यों खल रहा है
अंधेरे में उसे दिखता मैं कैसे
मगर फिर भी वो आँखें मल रहा है
बड़ा होकर दुखों में छाँव देगा
जो ये पौधा ख़ुशी का पल रहा है
निगल जाएगा मुझको भी अँधेरा
ये…
Added by सालिक गणवीर on September 20, 2020 at 1:30pm — 7 Comments
पल सुनहरी सुबह के खोयेंगें हम
और कितनी देर तक सोयेंगें हम।
रात काली तो कभी की जा चुकी
अब अँधेरा कब तलक ढोयेंगे हम।
जुगनुओं जैसा चमकना सीख लें
रोशनी के बीज फिर बोयेंगे…
Added by अजय गुप्ता 'अजेय on September 19, 2020 at 11:20pm — 16 Comments
221 2121 1221 212
कश्ती में है मगर नहीं पतवार हाथ में.
होता कहाँ किसी के ये संसार हाथ में.
कर लो भला गरीब का कुर्सी पे बैठकर,
तुमको मिला है भाग्य से अधिकार हाथ में.
ईश्वर की चाह है तो अकेले भजन…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on September 19, 2020 at 6:00pm — No Comments
जिस इश्क में दिल्लगी नही होती
उस इश्क की तो जानू उमर भी नही होती
सिलसिला साँसों का जिस रोज़ थम गया
रौशनी गई दिये से और प्यार मर गया
धड़कन में अगर खून की लाली नही होती
उस इश्क की तो जानू उमर भी नही होती
दिखावा प्यार का तुम खूब कर चुके
दे दे के तोहफे प्यार में मिरा घर भर चुके
सेंकडो तो आने जाने के बहाने कर चुके
जोश था जो मिलन का वो आज मर चुका
जिस इश्क में दिल्लगी नही…
ContinueAdded by DR ARUN KUMAR SHASTRI on September 19, 2020 at 3:00am — 2 Comments
क्षणिकाएं : जिन्दगी पर
जिंदगी
जीती रही
मिट जाने के बाद भी
जिंदगी के लिए
कैद में
निर्जीव फ्रेम के
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लगा देती है
जिन्दगी
आंखों की चौखट पर
सांकल
हर प्रतीक्षा की
सांसो से
अनबन
होने के बाद
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
हो गया
गिलास खाली
पानी
बिखर जाने के बाद
थी
फिर भी उसमें
शेष
थोड़ी सी
नमी
अनदेखी
जिन्दगी…
Added by Sushil Sarna on September 17, 2020 at 8:52pm — 6 Comments
2122 2122 212
कह रहे हैं जब सभी तुम भी कहो
आँख मूँदो आम को इमली कहो
बोलते हो झूठ लेकिन एक दिन
आइने के सामने सच ही कहो
कौन रोकेगा तुम्हें कहने से अब
तुम ज़हीनों को भी सौदाई कहो
कैसे कहता कह न पाया आज तक
दोस्तों को जब कहो बैरी कहो
वो नहीं कहता है तू भी कह नहीं
जब कहे हाँ तुम भी तब हाँ जी कहो
वो बने हैं एक दूजे के लिए
दोस्तों उनको दिया बाती कहो
कह नहीं पाया मैं…
ContinueAdded by सालिक गणवीर on September 17, 2020 at 8:30am — 8 Comments
122 122 122 122
***
मुहब्बत की जब इंतिहा कीजियेगा,
निगाहों से तुम भी नशा कीजियेगा ।
सफ़र दिल से दिल तक लगे जब भी मुश्किल ,
दुआओं की फिर तुम दवा कीजियेगा ।
नज़र ज़ुल्फ़ों पे गर टिकें ग़ैरों की तो,
यूँ आँखों में नफ़रत अदा कीजियेगा ।
मुझे सोच हों चश्म नम तो समझना,
ये जज़्बात अपने अता कीजियेगा ।
ये है इल्तिज़ा मर भी जाऊँ तो इतनी,
ख़ुदा से न तुम ये गिला कीजियेगा ।
मेरी आरज़ू बंदगी तुम…
ContinueAdded by Harash Mahajan on September 16, 2020 at 12:00pm — 5 Comments
"अरे, कल तक तो आप ठीक लग रहे थे, आज इतना परेशान दिख रहे हैं. रात में फिर से बुखार तो नहीं आया था, दवा तो ले रहे हैं ना. ये कोविड भी जो न कराये, सारा देश परेशान है?, पत्नी ने उसके चिंतित चेहरे को देखते हुए कहना जारी रखा. कोविड के चलते वह दूर से ही खाना, पानी इत्यादि दे रही थी और बीच बीच में आकर हाल भी पूछ जाती थी.
"मैं तो बिलकुल ठीक हूँ लेकिन बेटी का बुखार उतरा कि नहीं, कहीं मेरे चलते उसे भी संक्रमण न हो जाए?, उसने शायद पत्नी की बात पूरी सुनी ही नहीं.
मौलिक एवं…
Added by विनय कुमार on September 16, 2020 at 10:49am — 6 Comments
थम सी गई जिन्दगी सबकी,
थोड़ी सी हलचल हो जाए।
बोर हो गए इतने दिन से ,
क्यूं ना कुछ मस्ती हो जाए।।
ख्वाहिश है मेरी बस,
पहले की तरह सब कुछ हो जाए।
बहुत हो गए घर में बंद,
थोड़ा सैर सपाटा हो जाए।।
याद रहेंगे ये पल भी,
कैसे एक दूजे से दूर रहे।
कहने को तो बहुत पास थे ,
फिर भी दीदार को तरस रहे।।
ऑनलाईन तो मात्र एक जरिया था,
जीवन में खुशियां लाने का।
ऑनलाईन की इस दुनियां से,
अब तो जीवन ऑफलाइन…
Added by Neeta Tayal on September 15, 2020 at 10:30pm — 5 Comments
वो कहता है मेरे दिल का कोना कोना देख लिया
तो क्या उस ने तेरी यादों वाला कमरा देख लिया?
.
वैसे उस इक पल में भी हम अपनों ही की भीड़ में थे
जिस पल दिल के आईने में ख़ुद को तन्हा देख लिया.
.
उस के जैसा दिल तो फिर से मिलता हम को और कहाँ
सो हमने इक राह निकाली, मिलता जुलता देख लिया.
.
मैख़ाने में एक शराबी अश्क मिलाकर पीता है
यादों की आँधी ने शायद उसे अकेला देख लिया.
.
महशर पर हम उठ आए उस की महफ़िल से ये कहकर
तेरी दुनिया तुझे मुबारक़!…
Added by Nilesh Shevgaonkar on September 14, 2020 at 5:30pm — 15 Comments
Added by Sushil Sarna on September 14, 2020 at 2:00pm — 8 Comments
दिन भर का उत्साह है, पन्द्रह दिन का प्यार
हिंदी हित कुछ झूठ-सच, कुछ भावुक उद्गार ..
सरकारी है घोषणा, सजे-धजे हैं मंच
'हिंदी भाषा राष्ट्र की', दिन भर यही प्रपंच
'हिंदी-हिंदी' कर सभी, बजा रहे निज गाल
हम भकुआए देखते.. 'हिंदी-दिवस' उबाल
माँ-बोली को जानिए ज्यों माता का प्यार
फिर हिंदी की बाँह धर.. सीखें जग-व्यवहार !
***
(मौलिक और अप्रकाशित)
Added by Saurabh Pandey on September 14, 2020 at 10:11am — 6 Comments
२२१/२१२१/१२२१/२१२
कहने को जिसमें यार हैं अच्छाइयाँ बहुत
पर उसके साथ रहती हैं बरबादियाँ बहुत।१।
**
सजती हैं जिसके नाम से चौपाल हर तरफ
सुनते हैं उस को भाती हैं तन्हाइयाँ बहुत।२।
**
कैसे कहें कि गाँव को दीपक है मिल गया
उससे ही लम्बी रात की परछाइयाँ बहुत।३।
**
पाँवों तले समाज को करके बहुत यहाँ
चढ़ता गया है आदमी ऊँचाइयाँ बहुत।४।
**
बैठी हैं घर किये वहाँ अब तो…
ContinueAdded by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 14, 2020 at 7:30am — 4 Comments
सुबह-सुबह
सूरज को देखा
बहुत ही सुंदर
फूलों को देखा
बहुत ही प्यारे
रंग बिरंगी तितलियों को देखा
हृदय हुआ प्रफुल्लित…
Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 13, 2020 at 1:30pm — 7 Comments
हिंदी हमारी मातृभाषा, हिंदी जीवन का आधार ।
हिंदी की महिमा को गाते,करते हम इसका प्रचार ।।
हिंदी के बिना जीवन सूना,हिंदी देती सबको ज्ञान ।
मन के भाव प्रकट हों सारे, पूरे करती ये अरमान ।
मातृभाषा की महिमा देखो, सुनकर होता है अभिमान ।
कोर्ट कचहरी दफ्तर सारे, बाबू कलेक्टर चौकीदार ।
हिंदी की महिमा........................................... ।
माँस से नाखून दूर ना जाएँ, कौए चलें ना हंस की चाल ।
हिंदी के सब रंग में रंग लो, अपनी…
ContinueAdded by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 13, 2020 at 11:30am — 3 Comments
Added by Neeta Tayal on September 12, 2020 at 11:02pm — 5 Comments
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