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दो घूंट भरके पी ले

आदरणीया/आदरणीय गुरुमां, गुरुजनों और मेरे प्रिय मित्रों. आज पहली बार मैंने ओ.बी.ओ पर ग़ज़ल की कक्षा से सीख कर एक ग़ज़ल लिखने का प्रयास किया है. कृप्या मेरा मार्ग दर्शन करें कि मैंने कहाँ पर त्रुटी की है. सभी को सादर प्रणाम.

दो घूंट भरके पी ले, बड़ी उम्दा शराब है,

ए दोस्त तेरी प्यार में किस्मत ख़राब है,

धोखा है, बेवफा है, ये हुस्न है फरेबी,…

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Added by अरुन 'अनन्त' on July 14, 2012 at 1:30pm — 8 Comments

कह मुकरियाँ

कह मुकरियाँ



एक प्रयास किया है मुकरियाँ लिखने का दोस्तों आशा करता हूँ मार्गदर्शन मिलेगा



जब आती है नए ख्वाब दिखाती है

फिर अपनी बात से ही मुकर जाती है

उसको होती नहीं फिर हमारी दरकार

क्या मित्र सजनी ??? ना मित्र सरकार



जब आती है कली कली खिल जाती है

भंवरों के गुन्जन को गती मिल जाती है

उसके आने से मिल जाए दिल को करार

क्या मित्र सजनी ??? ना मित्र बहार



उसके बिना सब फीका सा लगता है

छप्पन भोग भी नीका न…

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Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 14, 2012 at 1:16pm — 7 Comments

किरण

ढोल- नगाड़े

हाथी- घोड़े

आतिशबाजी

इतने रंग

सब हैं संग

कभी पालकी लिए

कभी रणभूमि

कभी रंगभूमि

चले जा रहे हैं

भागे जा रहे…

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Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 14, 2012 at 10:59am — 4 Comments

जो बेवफा हो गए

आंसूओ को आँखों में खेलने दो 
मुस्कराहट को होठों से रूठने दो
कब तक रोकोगे, कब तक टोकोगे
जो बेवफा हो गए…
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Added by rajkaran on July 13, 2012 at 10:31pm — 4 Comments

रिश्वत खाना पाप नहीं है बाबाजी

नयन लड़ाना पाप नहीं है बाबाजी

प्यार जताना पाप नहीं है बाबाजी



अगर पड़ोसन पट जाये तो उसके घर

आना -  जाना पाप नहीं है बाबाजी



बीवी बोर करे तो कुछ दिन साली से

काम  चलाना पाप नहीं है बाबाजी



पत्नी रंगेहाथ पकड़ ले तो उसके

पाँव दबाना पाप नहीं है बाबाजी



रोज़ सुबह उठ, अपनी पत्नी की खातिर

चाय बनाना पाप नहीं है बाबाजी



वेतन से यदि कार खरीदी न जाये

रिश्वत खाना पाप नहीं है बाबाजी



'अलबेला' हर व्यक्ति यहाँ…

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Added by Albela Khatri on July 13, 2012 at 7:30pm — 30 Comments

"मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है "

"मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है "



लब खामोश हैं


कुछ कम्पन है

कहना चाह रहे हैं

पर खामोश हैं

फिर भी कोई तो है

जो कर रहा है बात

चुप चुप…

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Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 13, 2012 at 6:30pm — 3 Comments

ताज महल

ताज महल 

----------------

चंचल हिरनी मृग नयनी 

मदमस्त अदा गृह सजनी
करती श्रृंगार सौ बीमार 
उसका मेरा असीम प्यार
नयनों में अनजानी  आस 
जाने क्यों रहती अब  उदास
पूछो लाख खामोश रहती…
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Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on July 13, 2012 at 6:28pm — 12 Comments

कब बदलोगे

कब बदलोगे

कभी मस्जिद में ले चलना कभी मंदिर में आओ तुम

वहीँ से चर्च में चल देंगे मिलजुलकर हम और तुम

यह दर-ओ-दीवार मज़हव की कहीं आड़े न आ जाए

कहीं इंसानियत के फूल को कम्बखत खा जाए

बदलो सोच को अपनी झाँको दिल के बाहर भी

घटिया सोच के दायरे में कहीं हो जाएँ न हम गुम

यह मेरा दावा है गुरूद्वारे में भी राम बसते हैं

ज़रा तू मान ले यह बात दीपक 'कुल्लुवी' की भी सुन…

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Added by Deepak Sharma Kuluvi on July 13, 2012 at 5:02pm — 6 Comments

नाखून

कभी अपने नाखून देखे हैं

अपने अल्फाजों के नाखून

हाँ यही बहुत पैने हैं तीखे हैं

चुभते हैं

ज़रा तराश लो इन्हें

इनकी खरोंचों से चुभन होती है

ये विदीर्ण कर जाते हैं

मेरे मोम से कोमल ह्रदय को…

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Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 13, 2012 at 2:59pm — 9 Comments

चंद सिक्कों के लिए नीयत बुरी हो जाएगी

क्या पता ईमान की इतनी कमी हो जाएगी॥

चंद सिक्कों के लिए नीयत बुरी हो जाएगी॥

 …

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Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on July 13, 2012 at 11:00am — 11 Comments

तेरी याद आती है माँ

दिल खोलकर सखियों में मेरा ज़िक्र करती थी,

ज़रा सी देर क्या हो जाए बहुत फिक्र करती थी.........



तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......

अश्क आँखों में जब आता है, दर्द जब मुझको सताता है,

जब उदास हो जाता है मन, जब बढ़ जाती है उलझन,

तेरी याद आती है माँ, हाँ…

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Added by अरुन 'अनन्त' on July 13, 2012 at 10:30am — 21 Comments

सब रह जाएगा

सब रह जाएगा

कहीं किडनी फेल कहीं हार्ट फेल

कुदरत के हैं यह अजीब खेल

कर्म किए हैं तूने जैसे

वैसी ही अब सज़ा तू झेल

भूल गया था तू औकात

कुछ भी तुझको रहा न याद

बहुत हँसा अब रोएगा तू

कौन सुने तेरी फरियाद

वोह ऊपर बैठा सब देखे है

कर्मों के ही सब लेखे हैं

इंसाफ़ करेगा वोह तो ज़रूर

मिटा के रहेगा तेरा गरूर

जीवन में चाहे कुछ भी करना

किसी के हक से घर न भरना

धन दौलत यहीं रह जाएगा

अपनी हस्ती पे गुमाँ न…

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Added by Deepak Sharma Kuluvi on July 13, 2012 at 10:00am — 6 Comments

चिंगारी

सब जानते हैं

क्या चल रहा है

कैसे चल रहा है

हल भी है

लेकिन चुप है

क्यूंकि इनके दिलों ने

धडकना छोड़ दिया है

वो केवल फड-फडाता है

घुटन पसंद हैं इन्हें…

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Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 13, 2012 at 10:00am — 12 Comments

बीवी को मत आँख दिखाओ बाबाजी

झूमो, नाचो, मौज मनाओ बाबाजी

जीवन का आनन्द उठाओ बाबाजी



ये क्या, जब देखो तब रोते रहते हो ?

घड़ी दो घड़ी तो मुस्काओ बाबाजी



मुझ जैसे मसखरे का चेला बन जाओ

दिवस रैन दुनिया को हँसाओ बाबाजी



ये सब नेता रक्तपिपासु कीड़े हैं

इनसे मत कुछ आस लगाओ बाबाजी



जनता के दुःख को जो अपना दुःख समझे

अब ऐसी सरकार बनाओ  बाबाजी



एक मिनट में ऐसी-तैसी कर देगी

बीवी को मत आँख दिखाओ बाबाजी



ओ बी ओ की परिपाटी है…

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Added by Albela Khatri on July 13, 2012 at 9:00am — 34 Comments

“जिन्दगी का गीत”

रास्तों में मुश्किलें हैं आज इनसे होड़ ले.

जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले.

 

मंजिलें अलग-अलग हैं रास्ते जुदा-जुदा, 

गर तू पीछे रह गया तो साथ देगा क्या खुदा,

हिम्मतों  से काम लेके रुख हवा का मोड़ ले.

जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा…

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Added by Er. Ambarish Srivastava on July 13, 2012 at 1:00am — 32 Comments

कुश्ती का सरदार गया है बाबाजी

रुस्तमे-हिन्द  दारासिंह  के देहावसान पर  उनके  प्रशंसक अलबेला खत्री की विनम्र शब्दांजलि



नील गगन के पार गया है बाबाजी

छोड़ के यह संसार गया है बाबाजी



हरा सका न कोई जिसे अखाड़े में

मौत से वह भी हार गया है बाबाजी



देवों को कुछ दाव सिखाने कुश्ती के

कुश्ती का सरदार गया है बाबाजी



अपनी माता के संग भारत माता का

सारा  क़र्ज़ उतार गया है बाबाजी



हाय! रुस्तमे-हिन्द को कैसा रोग लगा

हर इलाज बेकार गया है…

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Added by Albela Khatri on July 12, 2012 at 9:30pm — 25 Comments


सदस्य कार्यकारिणी
परिवर्तन वरदान या बोझ

परिवर्तन के नाम पर ,अलग -अलग है सोच 

किसी ने वरदान कहा ,इसे किसी ने बोझ ||

परिवर्तन वरदान है ,या कोई अभिशाप 

एक को बांटे खुशियाँ ,दूजे को संताप ||

विघटित करके देश के ,कई प्रांत बनवाय 

महा नगर विघटित हुए ,इक -इक शहर बसाय||

शहर- शहर विघटित हुए ,और बन गए ग्राम 

ग्रामों में गलियाँ बनी ,परिवर्तन से  धाम||

घर बाँट दीवार कहे ,परिवर्तन की खोज

बूढ़े मात -पिता कहें ,ये छाती पर सोज ||

जो नियम भगवान् रचे ,वो…

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Added by rajesh kumari on July 12, 2012 at 9:00pm — 27 Comments

==========दोहे =========

मित्रों दोहों के रूप में कुछ अपने जीवन के अनुभव और विचार प्रस्तुत कर रहा हूँ अपने विचार अवश्य रखें प्रसन्नता होगी



==========दोहे =========



पीर पराई देख के , नैनन नीर बहाय

दया जीव पे जो करे, वो मानव कहलाय



सब धर्मों का एक ही, तीरथ भारत देश

सबको देता ये शरण, कैसा भी हो वेश



मोक्ष आखिरी लक्ष्य है, हर मानव का दीप

मोती पाना कठिन है, गहरे सागर सीप



दीप जलाओ ज्ञान का, मन से मन का मेल

बाती जिसमें शास्त्र की, रीतों का हो…

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Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 12, 2012 at 8:38pm — 9 Comments

ये युवा है

देखो

तूफ़ान उठ रहा है

सागर मचल रहा है

लहरें उठ रही हैं

आसमान छू लेने को

चल रहा अपनी धुन में

दुनिया से बेखबर

स्वतंत्र

बाधाओं को लांघते…

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Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 12, 2012 at 6:23pm — 6 Comments


सदस्य टीम प्रबंधन
हंसों का जोड़ा (एक प्रेम गीत)

हंसों का जोड़ा  (एक प्रेम गीत)
 
दो आतुर हंसों का जोड़ा
नेह मिलन जब बेसुध दौड़ा,
 
कुछ कुछ जागा, कुछ कुछ सोया
इक दूजे में बिलकुल खोया,
 
अर्धखुली सी उनकी आँखें
मंद मंद सी महकी साँसें,
 
धड़कन में लेकर मदहोशी
कुछ हलचल औ कुछ खामोशी ,
 
कदमों  में दीवानी थिरकन
बहके बहके से अंतर्मन…
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Added by Dr.Prachi Singh on July 12, 2012 at 6:00pm — 17 Comments

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