For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

All Blog Posts (19,141)

लफ़ंगे परिंदे

यौवन आते ही उन्मुक्त हो उठे

उन्माद में भयमुक्त हो उठे

जमीं से कहा उगे थे जो

आसमा से उँचे हो उठे

 

पहली आजादी के अहसास से

खुलेपन की सास से

चलना कहा सिखा था

गिर पड़े उड़ने के कयास से

 

हवाओं से बाते करते थे

रफ़्तारो से मुलाकातें करते थे

कब मौत ने जिंदगी को पछाड़ दिया

हम तो आपसी हौड़ लगाया करते थे

 

फ़िक्र को धुआ करने मे

सूखे कंठ में मिठास भरने मे

कश लगाया पहली बार

हर…

Continue

Added by Mayank Sharma on January 16, 2011 at 2:19pm — No Comments

मैं.. बस एक अंश..

उस दिव्य ज्योति की अंश मात्र..

हूँ उस असीम की कृपापात्र..

इस रंगमंच पे जीना है..

कुछ वर्ष-माह मुझे मेरा पात्र..



कुछ ज्ञान कहीं जो सुप्त सा है..

उसको जड़ता से…

Continue

Added by Lata R.Ojha on January 16, 2011 at 4:30am — 2 Comments

GHAZAL - 25

                ग़ज़ल



हर   रिफअत  मुझसे  फकत,   सादमां  रहा |


ज़ुल्म  थी  ज़मीं   और   कहर  आसमां  रहा ||



खुर्शीद -ओ- चाँद-तारे,  शोले  बने  हैं  आज,


गुल  है  न   कोई   गुलशन  न  बागवां  रहा ||



मिलते   नहीं   हैं   रिश्ते,  वज्मे - ज़हान  में,


साकी  के  मय को मयक़स,  है आजमा रहा ||



हसरत है ज़िंदा लेकिन अब मर चुका है दिल,…
Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on January 15, 2011 at 9:00pm — 1 Comment

सफ़र

बातों बातों में कट गया सफ़र पता ही न चला

आखिर में था न कोई शिकवा न कोई था गिला

बातों बातों में कट गया सफ़र पता ही न चला



कभी रस्ते में सताया इस भीड़ ने

गिरे भी तो उठाया इस भीड़ ने

यों ही चलता रहा सिलसिला

पता ही न चला ..



बातों बातों में कट गया सफ़र पता ही न चला



जागते थे रात भर उजाले की चाह में

वो सपने ही सहारे थे उस राह में

यों ही एक दिन मिल गया शिखर पता ही न चला



बातों बातों में कट गया सफ़र पता ही न चला …

Continue

Added by Bhasker Agrawal on January 15, 2011 at 2:00pm — 2 Comments

GHAZAL - 24

                    ग़ज़ल



इन्सां  तेरे  कदम  तक,   ये  आसमां  झुके |

मंजिल  न  हो  जहाँ,  न  वहाँ  कारवाँ  रुके ||



हस्ती है तेरी खुद में  चिरागां -ए-शब्,  सहर,


तूफां  है  तू  वो,  देख  जिसे,  हर  रवां  रुके ||



रौशन हैं तुझसे रौशनी,  के कारवाँ -ओ- दर,


मुमकिन है, तू जो चाहे, तो खुद, खुदा झुके ||



मंजिल है तेरी वो क़ि-  ज़न्नत  को  रश्क  है,…
Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on January 15, 2011 at 12:58pm — 4 Comments

कुछ ऐसा सोचें।

चलो आज कुछ ऐसा सोचें। 

रोज़ नहीं हम जैसा सोचें

नींद उड़ा दे जो रातों की

सपना कोई ऐसा सोचें

बनती बात बिगड़…

Continue

Added by Pradeep Singh Chauhan on January 15, 2011 at 12:36pm — 2 Comments

GHAZAL - 23

    ग़ज़ल



हमनें हज़ार गम इस,  दिल से लगा लिए हैं |

जब
दर्द हद से गुजरा,  आँसूं  बहा  लिए  हैं ||



उनका भरम है शायद,  काँटों को मैं ने चाहा,

पर, राह में मिले तो,  ये  साथ  आ  लिए हैं ||



है किसके दिल की चाहत, उसे चैन न मिले,

पर,  आश  के  दीपक,  बस नाम के दिये है ||



कभी इसके दर पे बैठे, कभी उसके दर पे बैठे,

ये …
Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on January 15, 2011 at 12:30pm — 4 Comments

तुम वही हो

तुम वही हो
जिसके लिए मैने स्वपन बुने है
तुम वही हो
जिसकी धुन मैने गुने है
तुम वही हो
जिसके लिए ह्रदय मे स्पंदन है
तुम वही हो
जिसके लिए मन में बँधन है
तुम वही हो
जिसके बिना आँखो मे नमी सी थी
तुम वही हो
जिसकी जीवन में कमी सी थी

Added by Raju on January 14, 2011 at 11:17pm — 4 Comments

सॉरी सर (कहानी )अंक -3

सॉरी सर (कहानी )
लेखक - सतीश मापतपुरी
अंक -3
-------------------- गतांक से आगे ----------------------------
"जी नहीं, सोनाली घोष." प्रो. सिन्हा ने आज बड़े गौर से उस लड़की की आँखों में देखा.मनोविज्ञान के विशेषज्ञ
के लिए उस लड़की की आँखों की…
Continue

Added by satish mapatpuri on January 14, 2011 at 3:30pm — No Comments

स्वप्निल सुबह

गुनगुनाती मध्यम धूप सुबह की, 

तन -मन मैं बिखेर देती है अनगिनित उजाले'

कहीं खो जाते है इस स्वर्णिम चमक में,

मन में छुपे कुछ बादल काले

 

खिल जाती हैं, नयी उमीदों की नयी कोपलें

नई धुन पर तैयार ,नई गुनगुनाहटे,  

  पहले से जवान, पहले से हसीन, 

  मन के कोने से निकलकर कहीं,                           

कोरे कैनवास…

Continue

Added by anupama shrivastava[anu shri] on January 14, 2011 at 1:00pm — 6 Comments

डा.महंगाई सिंह

पूरा देश महंगाई के मार से पस्त है .महंगाई नियंत्रण की कही कोई उम्मीद नहीं दिख रही है .पक्ष बिपक्ष लगातार बयानबाजी कर रही है लेकिन निदान किसी के पास नहीं है.और यह सब तब हो रहा है जब इस देश की बागडोर एक कुशल अर्थशास्त्री डा.मनमोहन सिंह के हाथ में है.ये वो अर्थशास्त्री है जिन्होंने भारत को उस संकट से निकला था ,जब पूरा देश का सोना गिरवी रखने की नौबत आ गयी थी .इन्होने अपने अर्थशास्त्र और कौशल परिचय देते हुए भारत को उस मुसीबत से निकाला और एक विस्वसनीय योद्धा बन कर सामने आये. वर्ष २००४ से लेकर २००९ तक… Continue

Added by Ratnesh Raman Pathak on January 14, 2011 at 11:48am — 2 Comments

धर्म का पालन

में रोज जब घर से निकलता हूँ

तो खुला आसमान दिखता है

जैसे कि वो अपनी अनन्तता में

मेरा स्वागत कर रहा हो,

 

हवाएं मेरे बालों को सहलाती,

पंछी गीत गाते मुझे सुकून देते हैं

जमीन मेरा बोझ उठाकर

मुझे सम्हाले रखती है,

 

ये इनका रोज का नियम है ,

उनका प्रेम है जो, कभी कम नहीं होता

शायद वो अपना धर्म नहीं जानते ,

वरना मुझे छोड़ आपस में ही

वाद विवाद में उलझे होते,

 

या फिर शायद वो अपना…

Continue

Added by Bhasker Agrawal on January 14, 2011 at 10:00am — 5 Comments

जख्म, तकदीर और मैं

जख्म भरता नहीं.. दर्द थमता नहीं,

कितनी भी कोशिश कर ले कोई,

तकदीर का लिखा मिटता नहीं ...

चलता ही रहता है, जिंदगी का सफ़र,

कोई किसी के लिए, यहाँ रुकता नहीं..

 

खुद ही सहने होंगे सारे गम,

किसी की मौत पर कोई मरता नहीं,

हंसने पर तो दुनिया भी हंसती है संग,

हमारे अश्को पर, कोई पलकें भिगोता नहीं ...

 

आज दर्द हद से गुजर जायेगा जैसे,

कोई बढ़कर साथ देता नहीं,

जिंदगी तुझसे गिला भी क्या करे,

वक़्त से पहले,…

Continue

Added by Anita Maurya on January 14, 2011 at 8:01am — 2 Comments

सॉरी सर (कहानी ) अंक - 2

सॉरी सर (कहानी )
लेखक - सतीश मापतपुरी
अंक - 2
---------------- गतांक से आगे ----------------------------------
इस छोटे से पत्र के समक्ष उन्हें जीवन के…
Continue

Added by satish mapatpuri on January 13, 2011 at 4:00pm — 2 Comments

ग़र साथ नहीं तेरी किस्मतें...

 

यूँ तो उड़ सकता है कोई कागज़ का पुर्ज़ा भी
पैर ज़मीन पर पसारे,
कभी कभी भाग्य के सहारे,
लेकिन उड़ नहीं पाता वही…
Continue

Added by Veerendra Jain on January 13, 2011 at 11:30am — 13 Comments

कविता : गूलर का फूल

कितने किस्से गढ़े गए

गूलर के फूल पर…

Continue

Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on January 13, 2011 at 10:52am — 4 Comments

असल

चाँद नज़र ना आया तो गम है क्या

सितारों का साथ पाया ये कम है क्या



में तो खुद पे यकीन करता हूँ

नहीं जानता में के भरम है क्या



ना कर तू ज़ाहिर मुझको ख्वाइश अपनी

तेरी जरूरत में शामिल हम है क्या



चाहत मेरी मेरे ख्वाबों में बरसती है

नहीं… Continue

Added by Bhasker Agrawal on January 13, 2011 at 9:56am — 5 Comments

वो कौन है-2

वो कौन है,

 

अतीत जैसा पास है,

या कि मेरा आज है,

व आगे का एहसास है|

मैं फंसा इन उलझनों में, सोचता,

वो कौन है|

 

जो गा सकूँ वो गान है,

कि मिला सकूँ वो तान है,

या कि मेरा सम्मान है|

ये सुलझ जाए पहेली, जान लूँ,

वो कौन है|

 

मधुरव भरा वो साज है,

या कि नवोढ़ा लाज है,

मेरे लिए क्यूँ राज है?

एक रूप सदिश बने तब, कह सकूँ,

वो कौन है|

 

गुल है वो कि बाग़…

Continue

Added by आशीष यादव on January 13, 2011 at 9:32am — 14 Comments

फैज़ अहमद फैज़

फैज़ अहमद फैज़ की जन्मशती वर्ष के अवसर पर



भारतीय उपमहाद्वीप में इस साल फैज़ अहमद फैज़ की जन्मशती का जश्न चल रहा है। पाकिस्तान की सरजमीं के इस शानदार शायर को वस्तुतः संपूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप का शायर माना जाता है। फैज़ अहमद फैज़ की शायरी मंत्रमुग्ध करने वाली शायरी मानी जाती है। इसका अहम् कारण रहा कि फै़ज़ ने साहित्य और समाज की खातिर जीवनपर्यन्‍त कठोर तपस्या अंजाम दी। जिंदगी भर समाज के गरीब मजलूमों के लिए समर्पित रहने वाले फै़ज़ ने बेवजह शेर कहने की कोशिश कदाचित नहीं की। उनके कविता…

Continue

Added by prabhat kumar roy on January 13, 2011 at 7:30am — 3 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
17 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service