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गिरिराज भंडारी
  • 71, Male
  • भिलाई , (छत्तीस गढ़ )
  • India
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल के फीचर किए जाने की हार्दिक बधाई।"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा था. तभी अप्रिहार्य कारणों से पैत्रिक गाँव जाना पड़ गया. खैर.. आपकी प्रस्तुति के कई शेरों पर अनायास ही वाह-वाही निकल रही है. यह अवश्य है कि मैं…"
Jun 16

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"अनुज बृजेश , प्रेम - बिछोह के दर्द  केंदित बढ़िया गीत रचना हुई है , हार्दिक बधाई आदरणीय रावि भाई जी सलाहों के मई भी सहमत हूँ , ख़ास तौर पर '' आह बुरा हो '' के प्रयोग से , द्खियेगा अगर आप भी सहमत हों तो | "
Jun 10

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय रवि भाई  ग़ज़ल पर उपस्थिति  हो  उत्साह वर्धन  करने के लिए आपका आभार  आदरणीय आपकी शंका निर्मूल नहीं है , सोचता हूँ कुछ और , अगर आपको सूझे तो आप भी बता सकते हैं "
Jun 10

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश ,  ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका आभार , मेरी कोशिश हिन्दी शब्दों की उपयोग करने की है  , आपकी सलाह अच्छी है , आपका आभार "
Jun 10

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय अजय भाई ,  ग़ज़ल पर उपस्थिति हो  उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Jun 10

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आ. नीलेश भाई ग़ज़ल पर उपस्थिति और उत्साह वर्धन के लिए आपका आभार "
Jun 10
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाई जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छी प्रयास है । आप को पुनः सृजन रत देखकर खुशी हो रही है  मुझे पढ़ने में दूसरे शेर  में बाहों को देखते हुए जो चंदन नहीं है की जगह नहीं हैं समझ आ रहा है अगर यह सही है तो रदीफ बदल रही है बाहें बहुवचन…"
Jun 9
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय भंडारी जी बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है सादर बधाई। दूसरे शेर के ऊला को ऐसे कहें तो "समय की धार ने बदली निज़ामत विषधरों की"  बस एक ख़्याल "
Jun 4
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि में “न” और “ण” को अलग नहीं किया जा सकता पर देवनागरी में तो इन्हें पृथक ही रखना चाहिए।  सादर "
May 31
Nilesh Shevgaonkar commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आ. गिरिराज जी ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई ..मैं निजि रूप में दर्पण जैसे संस्कृतनिष्ठ शब्द को दरपन की तरह लेने के पक्ष में नहीं हूँ लेकिन आजकल यह स्वीकार्य है .पुन: बधाई  "
May 31

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गिरिराज भंडारी commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आदरणीय अजयन  भाई , परिवर्तन के बाद ग़ज़ल अच्छी हो गयी है  , हार्दिक बधाईयाँ "
May 30

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गिरिराज भंडारी commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"आदरणीय अजय भाई , अच्छी ग़ज़ल हुई है , हार्दिक बधाई ,  क्यों दोष किसी को देते हैं, क्यों नाम किसी का लेते हैं,जिस सूत ने हम को बाँधा है, वो सूत हमीं ने काता है  ... बेहतरीन शेर कहा , बहुत बधाई "
May 30

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गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. नीलेश भाई बेहद  कठिन रदीफ  पर आपंर अच्छी  ग़ज़ल कही है , दिली बधाईयाँ "
May 30

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गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. नीलेश भाई , बेहतरीन ग़ज़ल हुई है ,सभी शेर एक से बढ कर एक हैं , हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
May 30

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गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )

१२२२    १२२२     १२२२      १२२मेरा घेरा ये बाहों का तेरा बन्धन नहीं हैइसे तू तोड़ के जाये मुझे अड़चन नहीं है समय की धार ने बदला है साँपों को भी शायदवो लिपटे हैं मेरी बाहों से जो चन्दन नहीं है जिन्हों ने कामनाओं की जकड़ स्वीकार की थी   उन्हीं की भावनाओं में बची जकड़न नहीं है न लो गंभीरता से तुम बुढ़ापे की लड़ाई कोअकेलेपन को भरता  हूँ, यहाँ अनबन नहीं है सभी राहों में कांटे, फूल पत्थर है नदी भीये दुनिया छोड़ जाने का कोई कारन नहीं है अगर चलती हैं साँसें तो कभी पूछो तो खुद सेकिसी की वेदना में क्यूं यहाँ…See More
May 30

Profile Information

Gender
Male
City State
bhilai
Native Place
khairagarh
Profession
अवकाश प्राप्त , भिलाई स्टील प्लांट कर्म चारी
About me
I like to express thoughts through geet ,gazal

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ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )

१२२२    १२२२     १२२२      १२२

मेरा घेरा ये बाहों का तेरा बन्धन नहीं है

इसे तू तोड़ के जाये मुझे अड़चन नहीं है

 

समय की धार ने बदला है साँपों को भी शायद

वो लिपटे हैं मेरी बाहों से जो चन्दन नहीं है

 

जिन्हों ने कामनाओं की जकड़ स्वीकार की थी   

उन्हीं की भावनाओं में बची जकड़न नहीं है

 

न लो…

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Posted on May 29, 2025 at 8:00pm — 9 Comments

ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )

२१२२    २१२२      २१२

गुफ़्तगू चुप्पी इशारा सब ग़लत

बारहा तुमको पुकारा सब ग़लत

 

ये समंदर ठीक है, खारा सही

ताल नदिया वो बहारा सब ग़लत

 

रोज़ डूबे, रोज़ लाया खींच कर

एक दिन क़िस्मत से हारा, सब ग़लत

 

एक क्यारी को लबालब भर दिये

भोगता जो बाग़ सारा, सब…

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Posted on April 30, 2025 at 11:00am — 9 Comments

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है  

********************************

२१२२    २१२२     २१२२ 

'मन के कोने में इक इच्छा पल रही है'

पर वो चुप है, आज तक निश्चल रही है

 

एक  चुप्पी  सालती है रोज़ मुझको

एक चुप्पी है जो अब तक खल रही है

 

बूँद जो बारिश में टपकी सर पे तेरे    

सच यही है बूंद कल बादल रही…

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Posted on April 19, 2025 at 5:46pm — 15 Comments

ग़ज़ल - हम रह सकें ऐसा जहाँ तलाश रहा हूँ ( गिरिराज भंडारी )

22   22   22   22   22   2 

तू पर उगा, मैं आसमाँ तलाश रहा हूँ

हम रह सकें ऐसा जहाँ तलाश रहा हूँ

 

ज़र्रों में माहताब का हो अक्स नुमाया

पगडंडियों में कहकशाँ तलाश रहा हूँ

 

खामोशियाँ देतीं है घुटन सच ही कहा है    

मैं इसलिये तो हमज़बाँ तलाश रहा हूँ

 

जलती हुई बस्ती की गुनहगार हवा अब    

थम जाये वहीं,.. वो बयाँ तलाश रहा हूँ

 

मैं खो चुका हूँ शह’र तेरी भीड़ में ऐसे

हालात ये, कि ज़िस्म ओ जाँ तलाश रहा…

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Posted on November 7, 2017 at 8:22am — 35 Comments

Comment Wall (47 comments)

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At 7:15pm on May 18, 2025, Shabla Arora said…

आभार आदरणीय 🙏🙏

At 12:02pm on May 11, 2020, TEJ VEER SINGH said…

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी को जन्म दिन की हार्दिक बधाई एवम असीमित शुभ कामनायें। ईश्वर सदैव सुख, शाँति और समृद्धि प्रदान करें। स्वस्थ रहें। दीर्घायु बनें।जीवन में हमेशा उन्नति के पथ पर अग्रसर रहें।

 

At 7:03pm on January 3, 2016, Sushil Sarna said…

नूतन वर्ष 2016 आपको सपरिवार मंगलमय हो। मैं प्रभु से आपकी हर मनोकामना पूर्ण करने की कामना करता हूँ।

सुशील सरना

At 9:17am on May 11, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

आदरणीय गिरिराज सर,  आपको जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनायें !

आपके स्वस्थ, शांतिमय, सुखी एवं उज्जवल जीवन की कामना करता हूँ.

At 9:40am on April 21, 2015, Dr. Vijai Shanker said…
आपका ह्रदय से स्वागत है , सादर।
At 11:15am on January 4, 2015, दिनेश कुमार said…
Shukriya sir ji
At 8:17am on October 10, 2014, somesh kumar said…

आदरणीय 

           आप को इस मंच पे पाकर सुखद अहसास हुआ |निसन्देह शुरु से आप के मार्गदर्शन के कारण ही मैं f -बुक पे लगतार लिखने और आगे बढ़ने का साहस जुटा सका हूँ |कई दिनों से आप का आशीष न मिलने से मेरे लेखन-कर्म में बिखराव आने लगा है |अभी यहीं से विदित हुआ की आप सम्पूर्ण परिवार समेत वायरल फ़ीवर से जूझ रहे हैं |सम्पूर्ण परिवार के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूँ |आप की रचनाओं से हमेशा मार्गदर्शन मिलता है |आप को और आप की सुंदर भावपूर्ण रचनाओं को प्रेम |

At 9:43pm on September 5, 2014, Ganga Dhar Sharma 'Hindustan' said…

भंडारी जी ,

आपकी एक से एक उच्च कोटि की  रचनाएँ पढ़कर मन आनंद से भर गया....भावों की सहज अभिव्यक्तियों से सजी ....जीवन की सच्चाइयों से सामना कराती ......अपने युग का बोध कराती ..........................................गंगा धर शर्मा 'हिंदुस्तान'

At 1:33pm on April 2, 2014, Neelam Madiratta said…

अप का शुक्रिया ..हार्दिक आभार ...नीलम 

At 3:54pm on March 21, 2014, Mukesh Verma "Chiragh" said…

धन्यवाद

 
 
 

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