मनुज पशु पक्षी और जंतु,
एक ही सबका जीवन दाता,
धनी हो या फिर निर्धन कोई,
मरघट अंतिम ही सुख् दाता ।
भोर से लेकर सांझ तलक शव,
मरघट में आते रह्ते हैं,
चंद्न लकडी घी पावक मिल,
भस्म उसे करते रहते हैं ।
मूषक पिपिलिका कपोत उपाकर,
व्रीही खाकर जीवीत रहते हैं,
दूषित समझ मनुज जो छोडे,
वो जल पी जीवीत रहते हैं ।
उचित अनुचित तो ये भी जाने,
मनुज के मन को भी पहचाने,
पाप पुण्य का ज्ञान…
ContinueAdded by प्रदीप देवीशरण भट्ट on February 4, 2019 at 12:30pm — 4 Comments
२२१/२१२१/१२२/१२१२
जब से वफा जहाँन में मेरी छली गयी
आँखों में डूबने की वो आदत चली गयी।१।
नफरत को लोग शान से सर पर बिठा रहे
हर बार मुँह पे प्यार के कालिख मली गयी।२।
अब है चमन ये राख तो करते मलाल क्यों
जब हम कहा करे थे तो सुध क्यों न ली गयी।३।
रातों के दीप भोर को देते सभी बुझा
देखी जो गत भलाई की आदत भली गयी।४।
माली को सिर्फ शूल से सुनते दुलार ढब
जिससे चमन से रुठ के हर एक कली…
ContinueAdded by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 4, 2019 at 12:05pm — 6 Comments
२२१ २१२१ १२२१ २१२
अपनी गरज़ से आप भी मिलते रहे मुझे
ग़म है कि फिर भी आशना कहते रहे मुझे //१
दिल की किताब आपने सच में पढ़ी कहाँ
पन्नों की तर्ह सिर्फ़ पलटते रहे मुझे //२
मिस्ले ग़ुबारे दूदे तमन्ना मैं मिट गया
बुझती हुई शमा' सा वो तकते रहे मुझे //३
सौते ग़ज़ल से मेरी निकलती थी यूँ फ़ुगाँ
महफ़िल में सब ख़मोशी से सुनते रहे मुझे…
Added by राज़ नवादवी on February 4, 2019 at 10:13am — 6 Comments
अरकान-1222 1222 122
किनारा हूँ तेरा तू इक नदी है
बसी तुझ में ही मेरी ज़िंदगी है।।
हमारे गाँव की यह बानगी है
पड़ोसी मुर्तुज़ा का राम जी है।।
ख़यालों का अजब है हाल यारो
गमों के साथ ही रहती ख़ुशी है।।
घटा गम की डराए तो न डरना
अँधेरे में ही दिखती चाँदनी है।।
मुकम्मल कौन है दुनिया में यारो
यहाँ हर शख़्स में कोई कमी है।।
बनाता है महल वो दूसरों का
मगर खुद की टपकती झोपड़ी…
Added by नाथ सोनांचली on February 4, 2019 at 7:00am — 9 Comments
"तुम भी सिर्फ़ एक क़िताबी कीड़े ही हो! कभी तुमने अपनी सूरत आइने में देखी है? कभी किसी ने तुम्हारी सूरत पर कोई अच्छी सी टिप्पणी की है?"
"क्या मतलब?"
"मतलब यह कि न तो तुम्हारी सूरत देखकर मुझे ख़ुशी मिलती है, न ही तुम्हारी बातें सुनकर! तुम्हारे दिलो-दिमाग़ की सीमाएं नापी जा सकती हैं! तुम ज्ञानी ज़रूर हो, लेकिन तुम भी मेरे किसी काम के नहीं?"
"काम का कैसे नहीं हूं? बताओ क्या सुनना है मुझसे? कहानी, लघुकथा, कविता, इतिहास, नीति-शास्त्र, राजनीति या धर्म संबंधी?"
"वह सब तू…
ContinueAdded by Sheikh Shahzad Usmani on February 4, 2019 at 12:00am — 3 Comments
ग़ज़ल (मिट चुके हैं प्यार में कितने ही सूरत देख कर)
(फाइ ला तुन _फाइ ला तुन _फाइ ला तुन _फाइ लु न)
मिट चुके हैं प्यार में कितने ही सूरत देख कर l
कीजिए गा हुस्न वालों से मुहब्बत देख कर l
मुझको आसारे मुसीबत का गुमां होने लगा
यक बयक उनका करम उनकी इनायत देख कर l
कुछ भी हो सकता है महफ़िल में संभल कर बैठिए
आ रहा हूँ उनकी आँखों में क़यामत देख कर l
देखता है कौन इज्ज़त और सीरत आज कल
जोड़ते हैं लोग रिश्ते सिर्फ़ दौलत देख…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on February 3, 2019 at 7:43pm — 8 Comments
‘अरे राम-राम, संगम से इतनी दूर भी गंगा का किनारा साफ़ नहीं I सब ससुर किनारे में ही निपटान करत है i ऐसे में गंगा नहाय से का फायदा ? मगर हमरे घरैतिन के सिर पर तो कुम्भ सवार रहै I’- पंडित जी ने नाव वाले से कहा I नाव में कुछ और सवारियाँ भी थीं, परन्तु किसी का भी चेहरा धुंधलके और घने कुहरे के कारण साफ़ नजर नही आता था I
मल्लाह ने स्वीकार की मुद्रा में धीरे से ‘हूँ------‘ कहा और नाव खेने में मशगूल हो गया I
‘इनका होश ही नाहीं i’– पंडिताइन ने ठंढी बयार से बचाने के लिए गोद में पड़े अपने…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 3, 2019 at 5:41pm — 3 Comments
२२१ २१२१ १२२१ २१२
मिलना नहीं जवाब तो करना सवाल क्यों
मेरी ख़मोशियों पे है इतना मलाल क्यों //१
दामाने इंतज़ार में कटनी है ज़िंदगी
मरने तलक है हिज्र तो होगा विसाल क्यों //२
यारों को कब पता नहीं कैसे हैं दिन मेरे
है जो नहीं वो ग़ैर तो पूछेगा हाल क्यों //३
जब है ज़रीआ कस्ब का कोई नहीं मेरा
आसाईशों की चाह की फिर हो मज़ाल…
Added by राज़ नवादवी on February 3, 2019 at 12:09pm — 3 Comments
अनसोई कविता............
कभी देखे हैं
अनसोई कविताओं के चेहरे
अँधेरे में टटोटलना
मेरे साँझ से कपोलों पर
रुकी कविताओं के
सैलाब नज़र आएँगे
छू कर देखना
उसमें आहत
अनसोई कविताओं के चेहरे
बेनकाब
नज़र आएँगे
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on February 2, 2019 at 6:23pm — 2 Comments
(1212 1122 1212 22 )
हयात में तू मुहब्बत की आन रहने दे
कतर न पंख ये दिल की उड़ान रहने दे
***
न तोड़ सिलसिला तू इस तरह मुहब्बत का
वफ़ा का मुझको जरा सा गुमान रहने दे
****
न खोल राज़ सभी हो न मेरी रुसवाई
कुछ एक राज़ सनम दरमियान रहने दे
***
मैं जानता हूँ हक़ीक़त में प्यार है मुझसे
क़फ़स में क़ैद तेरे मेरी जान रहने दे…
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 2, 2019 at 6:00pm — 2 Comments
1-
जिसको ईश्वर की नहीं, कोई भी परवाह।
वह चल पड़ता है यहाँ, पाप कर्म की राह।।
पाप कर्म की राह, मगर फिर ठोकर खाता।
करके सत्यानाश, सही पथ पर वह आता।।
लोकलाज या शर्म,आज आखिर है किसको।
करता वही कुकर्म,न ईश्वर का भय जिसको।।
2-
हो जाता जो आदमी, लालच में पथभ्रष्ट।
वही भोगता बाद में, जीवन में अति कष्ट।।
जीवन में अति कष्ट, मगर हो जाता अंधा।
झूठ कपट छल छिद्र,पाप का करता धंधा।।
सीधा सच्चा मार्ग, नहीं उसको फिर भाता।
लालच में पथभ्रष्ट, आदमी…
Added by Hariom Shrivastava on February 1, 2019 at 7:08pm — 3 Comments
छलके जो उनकी आंख से जज़्बात ख़ुद ब ख़ुद ।
आए मेरी ज़ुबाँ पे सवालात ख़ुद ब ख़ुद ।।
किस्मत खुदा ने ऐसी बनाई है सोच कर ।
मिलती गमों की हमको भी सौगात ख़ुद ब ख़ुद ।।
चर्चा है शह्र में उसी की देख आज कल ।
बाँटा है जिसने इश्क़ को ख़ैरात ख़ुद ब ख़ुद ।।…
Added by Naveen Mani Tripathi on February 1, 2019 at 3:01pm — 3 Comments
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