Added by Deepika Mandal on March 13, 2013 at 11:30pm — 10 Comments
भ्रष्टाचार जड़ विकट, माया-मोह-गठजांेड़।
कहे सुने बढ़ जात है, अहं-विकार-मदलोभ।।
पंडित वेद कुरान पाठ, करि सब हुए मसान।
नेता-भ्रष्टाचार-आतंक, सब बनगै श्रीमान।।
भ्रष्टाचार बन जगदगुरु, लूटे देश समूल ।
रामदेव-अन्ना हजारे, लिए हाथ मा तूल।।
,
जनता निरीह गाय-भैंस, लठैत है सरकार।
दूध दुहन को वोट बैंक, फिर पीछे मक्कार।।
नेता सब ज्रागत भये, सोवत संसद बीच ।
जनता जस जागरण करे, मारे झोंटा खींच।।
बंदर बांट-रेवड़ी बांट, बांट जो जोहे…
ContinueAdded by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 13, 2013 at 11:17pm — 7 Comments
धीरे धीरे शाम उतर आयी
धरती पर
मेरा इंतजार अभी भी बरकरार है
कि कब तेरा दीदार हो
और मेरी सुब्ह हो
तेरा जज्ब ए अमजद
या चाहत का असर
ओढ़ता बिछाता हूं…
ContinueAdded by बृजेश नीरज on March 13, 2013 at 11:15pm — 5 Comments
जग मान जरा भव कालहि!
’जग’ सागर कै बुल्ला ज्यों, तनिक छुवे मिट जाता है!
अहम ईर्षा लोभ क्षोभ जो, फॅसत निकल नहि पाता है!!
काम-’मान’ घास-पूस सो, यह चिनगी पाय दहकाता है!
मन नहि माने ’जरा’ सुनाये, तब बुध्दि योग उलझाता है!!
गृहस्थ ’भव’ स्वः विदेह जानो, राम नाम गुण गाता है!
केवल इस साधना भक्ति में, सद्गुरू ही पता बताता है!!
मित्र कुटुम्ब ’कालहि’ समान, छिन-छिन भ्रमहि कपट कहिहै!
सत्यम ज्ञान विराग लुटावहिं, जगमा न जरा भव का लहिहै!
सत्यम/मौलिकएवं…
Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 13, 2013 at 10:58pm — 1 Comment
Added by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on March 13, 2013 at 10:51pm — 6 Comments
साथियों, मैं एक शोध पत्र तैयार कर रही हूँ जो आगामी अखिल भारतीय साहित्यकला मंच द्वारा काठमाण्डु (नैपाल) में आयोजित (अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी समारोह - 8 जून 2013 से 11 जून, 2013 तक) में पढ़ा जायेगा, इस निमित ओ बी ओ के समस्त साहित्यकारों से विनम्र निवेदन के साथ कहना है कि यदि आप सभी के माध्यम से मुझे विदेशों में रहने वाले भारतीय साहित्यकारों की सूची, उनके द्वारा सृजित साहित्य, व उनके द्वारा सम्पादित पत्र पत्रिकाओं की सूची उपलब्ध हो सकती हो तो कृपया उपलब्ध करायें, यदि आप…
ContinueAdded by asha pandey ojha on March 13, 2013 at 10:30pm — 4 Comments
टूथ-पेस्ट की ट्यूब
और एक दिन ऐसा भी आता है
खूब खूब दबाने से निकलता
चने के दाने बराबर
इत्ता सा टूथ-पेस्ट...
कि बने झाग थोडा सा
मुंह की बदबू दूर हो जाए
मुहलत मिले इतनी कि
शाम खदान से लौटते वक्त
ज़रूर खरीद लाना है
एक नया टूथ-पेस्ट...
अगली सुबह
हड़बड़ी में
वाश बेसिन के सामने
ब्रुश उठाते ही हाथ में
दिख जाता वही
पिचका
चिपटा
तुडा-मुडा टूथपेस्ट
मुंह…
ContinueAdded by anwar suhail on March 13, 2013 at 9:31pm — 4 Comments
बस यूँ ही.....काश ये हलके होते.....
बचपन के सपने
खुली आँखों के सपने
खुला आकाश
आज़ाद पंछी
बहुत से उड़ गए
कुछ सफ़र पूरा कर
वापस पलकों पर आ गए
और अब...
बंद आँखों में नींद कंहा
नींद कभी आई तो
सपने…
ContinueAdded by pawan amba on March 13, 2013 at 7:43pm — 11 Comments
Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 13, 2013 at 7:30pm — 11 Comments
पाधारो म्हारा देश, पलक पावणा बिछा देंगे
तुम जवानों के सिर काट लो, हम चुप नहीं बैठेंगे,कहकर सो जायेंगे
आतंक का नंगा नाच दिखाओ ,भेदिये जुटा देंगे
कोई हमारे सब्र कि परीक्षा ना ले, और हम एक बार फिर फेल हो जायेंगे
खूब रेल जलाओ ,अपहरण करो ,आतंकी रिहा करा देंगे
शोर शराबा किया तो, सम्प्रदाइकता का आरोप लगा ,ध्यान बटा देंगे…
Added by Dr Dilip Mittal on March 13, 2013 at 6:30pm — 9 Comments
चलिये शाश्वत गंगा की खोज करें (2) की द्वितीय कड़ी में सब अतिथि blogers का स्वागत है. आप के पर्संसात्मक comments का धन्यवाद यह एक लम्बी काव्या कथा है कृपया बने रहें. कोशिश करूंगा आप को निराश न करूं. यदि रचना बोर करने लगे तो कह देना. मैं दुसरे टॉपिक्स में शिफ्ट हो जाऊंगा.
Dr. Swaran J Omcawr
ज्ञानी
दिग्भ्रमित!…
Added by Dr. Swaran J. Omcawr on March 13, 2013 at 5:00pm — 10 Comments
====== ग़ज़ल========
वो दौर और था जिसमे था आबरू पानी
नहीं उबाल रहा अब के है लहू पानी
नदी में फेंक दिए हमने आज कुछ कंकर
दिखा रहा था मेरा अक्स हू-ब-हू पानी
नया है दौर हुई रस्में यहाँ भाप मगर
उड़ा न…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on March 13, 2013 at 3:00pm — 8 Comments
सरसों तू क्यों फूली-फूली है, सरसो कि मधुमास रसी!
आमन के बिरवा बौराये गये,फगुआ बयार पगलाये रही।।
पीली-पीली सरसों हरषों ज्यों फगुआ बयार हरहराये रही।
धरती के सूनी आॅचल में बसन्त बनो मुस्कराये रही।।
भौंरे गुंजन कर गाये रहे कलियाॅ-तरूणी इठलाये रही।
पवन मलय मद गंध पिेये,बहकाय तू मस्त झूम रही।।
कोयलिया कूक फिरै वन मा,विरहणियाॅ कन्तन खोज रही।
बगिया फूलन की बेल चढ़ी, पुष्पवाण जियन को भेद रही।।
के पी सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित रचना
Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 13, 2013 at 10:17am — 4 Comments
चलो अच्छा हुआ ये भ्रम भी टुटा मेरा
वो हमे प्यार करते थे ये झूठ निकला
चलो अच्छा हुआ धोखा जो खा ही लिया
प्यार एतबार से होता है ये भी झूठ निकला
चलो अच्छा हुआ जो गम ही मेरे दामन में आया
कोशिश हमेशा कामयाब होती है ये भी झूठ निकला…
Added by Sonam Saini on March 13, 2013 at 10:08am — 14 Comments
Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 13, 2013 at 8:49am — 23 Comments
दोहा
तुलसी तुलसी सब कहे, दास न कहता कोए!
राम चरित मानस पढ़े, दोनहु परगट होए !!
तुलसी के जस राम हैं, सूर कहें घनशाम !!
राम रामायण दिनकर, सूर सागर सुभान!!
मोल बड़ा अनमोल है, राम चरित के बोल!
घट घट में बस जात है, दया.दान रस घोल!!
मंगल मेरी कामना, जड़. चेतन चित लाय!
मन की ऐसी भावना, मंगल दोष न जाय !!
मंगल मूरति दास की, चित बैठाये राम !
क्षण ही संकट.दोस मिटे, सुमरे जस हनुमान!!
बन बड़वानल उभरे ,…
ContinueAdded by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 13, 2013 at 7:30am — 10 Comments
माथे पर सलवटें;
आसमान पर जैसे
बादल का टुकड़ा थम गया हो;
समुद्र में
लहरें चलते रूक गयीं हों,
कोई ख्याल आकर अटक गया।
…
ContinueAdded by बृजेश नीरज on March 13, 2013 at 7:17am — 18 Comments
रे सजनी तुझ बिन चैन कहाँ !
नगर का शोर छोड़ कर ध्याऊ !
जहाँ बजे शंख और ढोल !!
रे सजनी तुझ बिन चैन कहाँ !
प्यार का घर ममता सब छोडूँ !
फसूं मंदिर और दरगाह !!
रे सजनी तुझ बिन चैन कहाँ !
पाहन पूजूं गिरि पर चढ़ि .चढ़ि !
भूखे रहे दिन और रात !!
रे सजनी तुझ बिन चैन कहाँ !
दर .दर ढ़ूं ढ़ूं नगर .सगर में !
ढ़ूं ढ़ूं वन और रेगिस्तान !!
रे सजनी तुझ बिन चैन कहाँ !
‘सत्यम‘शिव मन में ही निहित है !
छोडो द्वेष और अभिमान !!
रे सजनी…
Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 13, 2013 at 6:56am — 4 Comments
ज़िंदगी की राह के किनारे लगी
ऊंचे दरख्तों की झुकी डालें नंगी हैं.
एक बेचैन सन्नाटे को पछाडकर,
मैं, एक खामोश कोलाहल में,
परेशान भटक रहा हूँ.
शायद अकारण ही!
शायद आगे उस मोड़ पर
कोई तूफ़ान मिल जाए;
शायद उन कँटीली झाड़ियों के पीछे
कोई झुरमुट मिल जाए -
पर आह,
मेरे सपनों के गुलमोहर
इन राहों में बिखरे पड़े हैं.
उन्हें कुचल नहीं सकता, बटोर रहा हूँ -
आँसुओं की नमी में पलकर
वे अभी मुरझाए नहीं…
ContinueAdded by sharadindu mukerji on March 13, 2013 at 3:30am — 9 Comments
Added by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on March 12, 2013 at 10:42pm — 6 Comments
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