जिसे हमने देवता माना , सरेआम डूबा डाला | |
जवानी जिस पर लूटा दिया , छोड़ शादी रचा डाला | |
दिल से जिसको पूजा हमने , हमें मिट्टी बना डाला | |
कसमें वादों की… |
Added by Shyam Narain Verma on April 15, 2013 at 3:00pm — 7 Comments
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी को समर्पित ,
ये रचना लगभग २५ बर्ष पूर्व लिखी गयी ,
जो आज भी प्रासंगिक है |…
Added by अशोक कत्याल "अश्क" on April 15, 2013 at 2:00pm — 11 Comments
मोरे अँगना मे फूल खिलो आज
री गोरी मोरे ...............आज
मुख लागे है चंद चकोरा
कोमल कोमल तन है गोरा
लोचन लागे हैं अभिरामा
सोचूँ का दैइ हों मैं नामा
नाचे मनवा हमारो छेड़ साज़
मोरे अँगना मे फूल खिलो आज
खिल खिल हँसता देखे हमको
चितवन खूब लुभावे सबको
देखत कौन अघाय छवि को
दिन में धूल चटाय रवि को
करे बगिया खुदी पे आज नाज़
मोरे अँगना मे फूल खिलो आज
सोचूँ जियरा भींच भींच…
ContinueAdded by SANDEEP KUMAR PATEL on April 15, 2013 at 1:32pm — 12 Comments
सखी री मोरे अंगना में धूप खिली आज
मन की प्रणय पाती साजन को मिली आज
हुआ यकायक मुझे अंदेशा
भेजा उसने कोई संदेशा
नेह नीर बिना शुष्क हुई थी
देह प्रीत बिना रुष्ट हुई थी
लिपट पवन संग हिय तरु की डारि हिली आज
सखी री मोरे अंगना में धूप खिली आज
आह्लादित मन लहका- लहका
प्रीत उपवन है महका- महका
मिले गले जब भ्रमर औ कलिका
हया दीप संग जलती अलिका
विरहाग्नि से हुई विक्षत चुनरिया…
ContinueAdded by rajesh kumari on April 15, 2013 at 11:54am — 33 Comments
जिन्दगी का जबाब
कल राह मे जिन्दगी से मुलाकात हो गयी ।
पूछा जो एक सवाल* तो जिन्दगी नाराज हो गयी।
बोली देता है मुझको दोष, बता तुने क्या अच्छा किया है…
ContinueAdded by बसंत नेमा on April 15, 2013 at 10:30am — 8 Comments
!!! सत्यम शिवम सुन्दरम !!!
हे शिव जय शिव, हर शिव कर शिव।
जल शिव नभ शिव, थल शिव नर शिव।।
अनल शमन शिव, भवम शवम शिव।
ज्योतिर्मय शिव, तिमिर जगत शिव।।
अखिल पवन शिव, धवल चन्द्र शिव।
महिमा शिव शिव, गरिमा शिव शिव।।
महा समर शिव, अजर अमर शिव।
कन कन शिव शिव, आत्मा शिव शिव।।
मसान घर शिव, मन्दिर हिम शिव।
हरिजन शिव शिव, हरि भज शिव शिव।।
सकल जगत शिव, समरथ है शिव।
मैं भी शिव शिव, तू भी शिव शिव।।
भजन सुजन शिव, भगत भुतन शिव।
कह जन शिव शिव, सुन…
Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 15, 2013 at 8:44am — 26 Comments
जिज्ञासाओ को छुती हुई
पल की खबर नही
ठूंठ की तरह खड़ी हुई
आज का पता नही
कल का ठिकाना नही
चल रही बेबाक सी
किसी का खौफ नही
बनती बिगड़ती फिर सवंरती
कैसी खोखली ये ज़िन्दगी
आगे दौड़ने की होड़ में रह गई पीछे
ताश के पत्तों सी बिखरी हुई …
ContinueAdded by Aarti Sharma on April 15, 2013 at 12:00am — 15 Comments
!!! सत्ता का सार !!!
सत्ता - सुशासन - सरकार
पेट्रोल - डीजल- गैस की मार
दर्द क्यों हम इसका झेलें
जिसके तन में हों पहिये चार
नेताओं की चलती है कार
काला - धन और भ्रस्टाचार
टूट - फूट और मरम्मत का कार्य
बस थोड़ा सा दंगा
और नर -संहार
उनकी कार में खूनी पेट्रोल
व्यभिचारी डीजल का शोर
बलात्कारी से हूटर चीखते
मंहगाई का पूरा काफिला ही संग चलता
ए.सी. ट्रेन - प्लेन का सुख
लेतें हैं चमचा- चापलूस- गद्दार
इनके पूत पालने में…
Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 14, 2013 at 10:42pm — 20 Comments
एक दौर
चलता है जीवन भर !
सफलता
पाता है कोई
कभी थम जाये सफ़र !
कमजोर
का साथ
देना सीखा,
ज़रुरत
मदद की
उसे ही रहती .
सदा साथ
नर का
देती रही ,
साया बन
संग उसके
खड़ी है रही ,
परीक्षा की घडी
आये पुरुष की
नारी बन सहायक
सफलता दिलाती…
ContinueAdded by shalini kaushik on April 14, 2013 at 8:30pm — 17 Comments
हमारे प्रथम रुदन से लेकर अंतिम श्वाश तक जीवन अनुभवों का एक सिलसिला है। सम्पूर्ण जीवन काल में हम प्रेम और घृणा, मान और अपमानं, ख़ुशी और गम आदि द्वंदों के बीच में झूलते रहते है। एक रोलर कोस्टर की भांति इसके उतार चढ़ाव हमें आकर्षित करते हैं।
"जीवन साईकिल की सवारी की भांति है। संतुलन बनाये रखने के लिए आगे बढ़ते रहना आवश्यक…
ContinueAdded by ASHISH KUMAAR TRIVEDI on April 14, 2013 at 4:00pm — 10 Comments
नवगीत
छाँव निगलकर हँसता सूरज,
उगल रहा है धूप।
शीतलता को रखा कैद में,
गर्मी लाया साथ।
तप्त दुपहरी रानी बनकर,
बाँट रही सौगात।
फ्रूट-चाट, कुल्फी, ठंडाई,
सभी सुहाने रूप।
रातें छोटी दिन हैं लंबे,
लू का बढ़ा प्रकोप।
घने पेड़ भी तपे आग से,
शीत हवा का लोप।
चीं चीं, चूँ चूँ, कांव कांव सब,
ढूंढ रहे नल कूप।
सड़क किनारे ठेले वाले,
राहत लिए…
ContinueAdded by कल्पना रामानी on April 14, 2013 at 1:30pm — 16 Comments
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on April 14, 2013 at 12:37pm — 25 Comments
कुंडलिया छंद
नारी तू अबला नहीं, अपनी ताकत जान
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 14, 2013 at 11:30am — 22 Comments
Added by manoj shukla on April 14, 2013 at 8:30am — 14 Comments
आज ज़रूरत है
अपने अंदर झाँकने की
आपसी द्वेष और क्लेश से
ऊपर उठने की
सामने पड़ी वस्तु पर तो
शायद हम पैर न रखतें हैं
पर दूसरों की भावनाओं को
पैरों तले कुचलने में न झिझकते हैं
जात -पात वर्ण भेद के मानकों पर
इंसानों को बाँटने में लग गए हैं
एक दूसरे को नीचा दिखाने की हर
प्रतिस्पर्धा में बुरी तरह जुट गए हैं
पेड पत्थर कागज़ में तो
भगवान् का प्रतिरूप देख रहे हैं
भगवान् द्वारा…
ContinueAdded by vijayashree on April 13, 2013 at 11:28pm — 13 Comments
Added by manoj shukla on April 13, 2013 at 11:08pm — 15 Comments
Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on April 13, 2013 at 9:03pm — 9 Comments
Added by anwar suhail on April 13, 2013 at 8:40pm — 12 Comments
ठगती है,
बार बार,
अंतरात्मा,
आश्वासनों से,
ठीक हो जाएगा,
सब ठीक हो जाएगा,
एक अंतर्द्वंद्व,
सत्य असत्य,
दिल दिमाग़ के मध्य,
नही डिगेगा,
कभी नही डिगेगा,
चलते जाना है,
सत्य के मार्ग पर,
जो घटित होना है,
हो जाय,
कौन अमर यहाँ,
कोई नही,
कोई भी तो नही,
फिर डर कैसा,
उस अहंकार से,
जो क्षण भंगुर है,
चल हट !
चलने दे,
कार्य पथ पर बढ़ने दे,
वो सामने देख…
Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 13, 2013 at 8:00pm — 38 Comments
हर तरफ खौफनाक सन्नाटा
कहीं कोई आवाज नहीं
हालांकि दर्द हदों को छू गया।
जिंदगी
दरकने लगी है
तप रही है जमीन,
पानी की बूंद
गायब हो जाती…
ContinueAdded by बृजेश नीरज on April 13, 2013 at 6:00pm — 26 Comments
2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
2011
2010
1999
1970
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |