For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

July 2012 Blog Posts (196)

गृहस्थी का दायित्व

गृहस्थी का दायित्व 



चारो भाइयों में बड़े लडके नयन बाबू की माँ लड़को को बाहर खेलने नहीं निकलने देती थी, ताकि वे बिगड़ न जावें | अचानक माँ का देहांत हो गया | उस समय नयन बाबू 16 वर्ष और पिताजी 46 वर्ष के थे | पिता प्रभु व्यसायी और सामाजिक कार्यकर्त्ता थे | पिता ने २० वर्षीय विधवा से पुनर्विवाह कर लिया | अपनी माँ के नियंत्रण के कारण कभी घर से न निकलने…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 16, 2012 at 10:08am — 8 Comments

यूँ कभी कभी

   यूँ कभी कभी मन में उठती है तरंग 

   बार-बार कहता कुछ विचलित मन 

   मस्तिष्क पटल पर छा जाते वो साज सभी 

   कानों में आती गुंजन की आवाज़ कभी 

   दिखती है आँखों में बिजली सी चमक कहीं 

   लगता है खोया गया सर्वस्व यहीं !

   देती है भाँवर सी फेरी वो कभी ख्यालों में मेरे 

   न जाने क्या पूंछा करती वो मुझसे साँझ सबेरे 

   बालों को लहरा के हवा आके छू जाती है मुझको 

   अपलक वो देखा करती पता नहीं क्यों खुद को 

   खिल गई कली चपला सी…

Continue

Added by Raj Tomar on July 15, 2012 at 10:00pm — 5 Comments


सदस्य टीम प्रबंधन
जाने क्यों ?

दीवान में 

बटोर कर रखा 

बरसों पुराना सामान 

कुछ चीज़ें मात्र नहीं होता....

उसमे तो कैद होते हैं 

ज़िंदगी के वो खूबसूरत पन्ने 

जो हमें उस रूप में ढालते हैं

जो आज हम हैं....

हमारी पूरी ज़िंदगी

समेटे होती हैं

वो कुछ

गिनी चुनी निशानियाँ....

कुछ गुड्डे- गुडिया

जिनकी आँखों में

आज भी मुस्कुराता है हमारा बचपन....

कुछ फूलों की 

सूखी पंखुड़ियां 

जो आज भी दोस्ती बन महकती  हैं जहन…

Continue

Added by Dr.Prachi Singh on July 14, 2012 at 10:59pm — 4 Comments

'कोख' को बचाने को ...भाग रही औरतें

कोख को बचाने को भाग रही औरतें 

------------------------------------------

ये कैसा अत्याचार है 

'कोख' पे प्रहार है 

कोख को बचाने को 

भाग रही औरतें 

दानवों का राज या 

पूतना का ठाठ …

Continue

Added by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 14, 2012 at 10:30pm — 12 Comments


मुख्य प्रबंधक
लघु कथा : ????

"चल कल्लुआ जल्दी से दारु पिला, आज मैं बहुत खुश हूँ |"…

Continue

Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 14, 2012 at 3:30pm — 36 Comments

दो घूंट भरके पी ले

आदरणीया/आदरणीय गुरुमां, गुरुजनों और मेरे प्रिय मित्रों. आज पहली बार मैंने ओ.बी.ओ पर ग़ज़ल की कक्षा से सीख कर एक ग़ज़ल लिखने का प्रयास किया है. कृप्या मेरा मार्ग दर्शन करें कि मैंने कहाँ पर त्रुटी की है. सभी को सादर प्रणाम.

दो घूंट भरके पी ले, बड़ी उम्दा शराब है,

ए दोस्त तेरी प्यार में किस्मत ख़राब है,

धोखा है, बेवफा है, ये हुस्न है फरेबी,…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on July 14, 2012 at 1:30pm — 8 Comments

कह मुकरियाँ

कह मुकरियाँ



एक प्रयास किया है मुकरियाँ लिखने का दोस्तों आशा करता हूँ मार्गदर्शन मिलेगा



जब आती है नए ख्वाब दिखाती है

फिर अपनी बात से ही मुकर जाती है

उसको होती नहीं फिर हमारी दरकार

क्या मित्र सजनी ??? ना मित्र सरकार



जब आती है कली कली खिल जाती है

भंवरों के गुन्जन को गती मिल जाती है

उसके आने से मिल जाए दिल को करार

क्या मित्र सजनी ??? ना मित्र बहार



उसके बिना सब फीका सा लगता है

छप्पन भोग भी नीका न…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 14, 2012 at 1:16pm — 7 Comments

किरण

ढोल- नगाड़े

हाथी- घोड़े

आतिशबाजी

इतने रंग

सब हैं संग

कभी पालकी लिए

कभी रणभूमि

कभी रंगभूमि

चले जा रहे हैं

भागे जा रहे…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 14, 2012 at 10:59am — 4 Comments

जो बेवफा हो गए

आंसूओ को आँखों में खेलने दो 
मुस्कराहट को होठों से रूठने दो
कब तक रोकोगे, कब तक टोकोगे
जो बेवफा हो गए…
Continue

Added by rajkaran on July 13, 2012 at 10:31pm — 4 Comments

रिश्वत खाना पाप नहीं है बाबाजी

नयन लड़ाना पाप नहीं है बाबाजी

प्यार जताना पाप नहीं है बाबाजी



अगर पड़ोसन पट जाये तो उसके घर

आना -  जाना पाप नहीं है बाबाजी



बीवी बोर करे तो कुछ दिन साली से

काम  चलाना पाप नहीं है बाबाजी



पत्नी रंगेहाथ पकड़ ले तो उसके

पाँव दबाना पाप नहीं है बाबाजी



रोज़ सुबह उठ, अपनी पत्नी की खातिर

चाय बनाना पाप नहीं है बाबाजी



वेतन से यदि कार खरीदी न जाये

रिश्वत खाना पाप नहीं है बाबाजी



'अलबेला' हर व्यक्ति यहाँ…

Continue

Added by Albela Khatri on July 13, 2012 at 7:30pm — 30 Comments

"मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है "

"मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है "



लब खामोश हैं


कुछ कम्पन है

कहना चाह रहे हैं

पर खामोश हैं

फिर भी कोई तो है

जो कर रहा है बात

चुप चुप…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 13, 2012 at 6:30pm — 3 Comments

ताज महल

ताज महल 

----------------

चंचल हिरनी मृग नयनी 

मदमस्त अदा गृह सजनी
करती श्रृंगार सौ बीमार 
उसका मेरा असीम प्यार
नयनों में अनजानी  आस 
जाने क्यों रहती अब  उदास
पूछो लाख खामोश रहती…
Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on July 13, 2012 at 6:28pm — 12 Comments

कब बदलोगे

कब बदलोगे

कभी मस्जिद में ले चलना कभी मंदिर में आओ तुम

वहीँ से चर्च में चल देंगे मिलजुलकर हम और तुम

यह दर-ओ-दीवार मज़हव की कहीं आड़े न आ जाए

कहीं इंसानियत के फूल को कम्बखत खा जाए

बदलो सोच को अपनी झाँको दिल के बाहर भी

घटिया सोच के दायरे में कहीं हो जाएँ न हम गुम

यह मेरा दावा है गुरूद्वारे में भी राम बसते हैं

ज़रा तू मान ले यह बात दीपक 'कुल्लुवी' की भी सुन…

Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on July 13, 2012 at 5:02pm — 6 Comments

नाखून

कभी अपने नाखून देखे हैं

अपने अल्फाजों के नाखून

हाँ यही बहुत पैने हैं तीखे हैं

चुभते हैं

ज़रा तराश लो इन्हें

इनकी खरोंचों से चुभन होती है

ये विदीर्ण कर जाते हैं

मेरे मोम से कोमल ह्रदय को…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 13, 2012 at 2:59pm — 9 Comments

चंद सिक्कों के लिए नीयत बुरी हो जाएगी

क्या पता ईमान की इतनी कमी हो जाएगी॥

चंद सिक्कों के लिए नीयत बुरी हो जाएगी॥

 …

Continue

Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on July 13, 2012 at 11:00am — 11 Comments

तेरी याद आती है माँ

दिल खोलकर सखियों में मेरा ज़िक्र करती थी,

ज़रा सी देर क्या हो जाए बहुत फिक्र करती थी.........



तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......

अश्क आँखों में जब आता है, दर्द जब मुझको सताता है,

जब उदास हो जाता है मन, जब बढ़ जाती है उलझन,

तेरी याद आती है माँ, हाँ…

Continue

Added by अरुन 'अनन्त' on July 13, 2012 at 10:30am — 21 Comments

सब रह जाएगा

सब रह जाएगा

कहीं किडनी फेल कहीं हार्ट फेल

कुदरत के हैं यह अजीब खेल

कर्म किए हैं तूने जैसे

वैसी ही अब सज़ा तू झेल

भूल गया था तू औकात

कुछ भी तुझको रहा न याद

बहुत हँसा अब रोएगा तू

कौन सुने तेरी फरियाद

वोह ऊपर बैठा सब देखे है

कर्मों के ही सब लेखे हैं

इंसाफ़ करेगा वोह तो ज़रूर

मिटा के रहेगा तेरा गरूर

जीवन में चाहे कुछ भी करना

किसी के हक से घर न भरना

धन दौलत यहीं रह जाएगा

अपनी हस्ती पे गुमाँ न…

Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on July 13, 2012 at 10:00am — 6 Comments

चिंगारी

सब जानते हैं

क्या चल रहा है

कैसे चल रहा है

हल भी है

लेकिन चुप है

क्यूंकि इनके दिलों ने

धडकना छोड़ दिया है

वो केवल फड-फडाता है

घुटन पसंद हैं इन्हें…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 13, 2012 at 10:00am — 12 Comments

बीवी को मत आँख दिखाओ बाबाजी

झूमो, नाचो, मौज मनाओ बाबाजी

जीवन का आनन्द उठाओ बाबाजी



ये क्या, जब देखो तब रोते रहते हो ?

घड़ी दो घड़ी तो मुस्काओ बाबाजी



मुझ जैसे मसखरे का चेला बन जाओ

दिवस रैन दुनिया को हँसाओ बाबाजी



ये सब नेता रक्तपिपासु कीड़े हैं

इनसे मत कुछ आस लगाओ बाबाजी



जनता के दुःख को जो अपना दुःख समझे

अब ऐसी सरकार बनाओ  बाबाजी



एक मिनट में ऐसी-तैसी कर देगी

बीवी को मत आँख दिखाओ बाबाजी



ओ बी ओ की परिपाटी है…

Continue

Added by Albela Khatri on July 13, 2012 at 9:00am — 34 Comments

“जिन्दगी का गीत”

रास्तों में मुश्किलें हैं आज इनसे होड़ ले.

जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले.

 

मंजिलें अलग-अलग हैं रास्ते जुदा-जुदा, 

गर तू पीछे रह गया तो साथ देगा क्या खुदा,

हिम्मतों  से काम लेके रुख हवा का मोड़ ले.

जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा…

Continue

Added by Er. Ambarish Srivastava on July 13, 2012 at 1:00am — 32 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service