दर्द है तो कभी दवा है ये,
इश्क़ है या कि मोजज़ा है ये.
.
जो बिख़रने का सिलसिला है ये
ख़ुशबू होने ही की सज़ा है ये.
.
हम जो रोते हैं कुफ़्र होता है
मज़हब-ए-इश्क़ में मना है ये.
.
अपनी ताक़त को वो समझता है
हुस्न के साथ मसअला है ये.
.
ख़त भला तेरा मैं जलाऊँगा?
आँसुओं से भभक गया है ये.
.
हम तो फिरऔन इसको कहते हैं
ये समझता रहे ख़ुदा है ये.
.
ग़म यहीं है यहीं कहीं होगा
तेरे देखे से छुप…
Added by Nilesh Shevgaonkar on September 29, 2022 at 11:30am — 17 Comments
22 22 22 22 22 2
मोद-सुमन जो नित्य हृदय के पास रहे
सौरभ का भी जीवन में आवास रहे
मार्ग भले ही छोटा या फिर लम्बा हो
पैरों पर प्रति पल अपने विश्वास रहे…
ContinueAdded by Ashok Kumar Raktale on September 28, 2022 at 7:30pm — 12 Comments
ज़िंदा हूँ अब तक मरा नहीं, चिता पर अब तक चढ़ा नहीं
साँसे जब तक मेरी चलती है, तब तक जड़ मैं हुआ नहीं
जो कहते थे हम रोएंगे, कब तक मेरे ग़म को ढोएंगे?
पहले पंक्ति में खड़े है, जो कहते है कैसे सोएँगे?
मैं धूल नहीं उड़ जाऊंगा, धुआँ नहीं गुम हो जाऊँगा
हर दिल में मेरी पहूंच बसी, मर के भी याद मैं आऊँगा
कैसा होता है मर जाना, एक पल में सबको तरसाना
मूँह ढाके शय्या पर लेटा, मैं तकता हूँ सबका रोना
साँसों को रोके रक्खा है, कफन भी…
ContinueAdded by AMAN SINHA on September 26, 2022 at 2:00pm — No Comments
गीत
*
कच्चे रास्तों गडारों से,
गाड़ी निकल रही है।
*
जा रहे हैं किधर कोई,
बूझता ही नहीं।
फूट रहे हैं सर क्योंकर,…
ContinueAdded by Ashok Kumar Raktale on September 23, 2022 at 10:30am — 8 Comments
ऐ ख़ुदा दिल को क्या हुआ है ये
किसकी चाहत में खो गया है ये
पेट में तितलियाँ सी उड़ती हैं
इश्क़ की क्या ही इब्तिदा है ये
याद-ए-जानाँ तो है दवा है गोया
दिल-ए-मुज़्तर का आसरा है ये
कौन सुन पायेगा मेरे दिल की
दिल-ए-सोज़ाँ तो बे-सदा है ये…
Added by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 23, 2022 at 9:48am — 6 Comments
प्रेम रस का पान आओ फिर करें
सृष्टि का नव गान आओ फिर करें !
*
हम जले दावानलों से,
आँधियों से तुम बिखर।
आ गये हैं एक जैसी,
भाग्य की बाँधी डगर।।
*
भूल कर बीते दुखों के दर्द को
मोहिनी मुस्कान आओ फिर करें !
*
सोच मन पर क्या न बीती,
और घायल मन न कर।।
तय करें फिर साथ मिलकर,
जिन्दगी का यह सफर।।
*
नव सृजन को पथ मिला साथी मिले
नीड़ का निर्माण आओ फिर करें !
*
हम रहे साथी…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 23, 2022 at 5:00am — 6 Comments
गुनगुन करता गीत नया है,
क़दम बढ़ाता मीत नया है
*
दर्द दिखा हर ओर भरा है,
अचरज है हर पोर भरा है,
शब्दों में खामोशी जितनी,
भीतर उतना शोर भरा है।
कानों ने…
ContinueAdded by Ashok Kumar Raktale on September 22, 2022 at 10:30pm — 7 Comments
तुम कह देती एक बार
प्राण! मुझ को, तुमसे प्यार।।
*
मिट जाती जन्मों की प्यास
छा जाता मन में उजास।
खो जाते सकल संत्रास
पूरित होती स्वर्णिम आस।।
*
पीड़ा हो जाती तार - तार
तुम कह देती एक बार
प्राण! मुझ को, तुमसे प्यार।।
*
पोंछ देती तुम नयन गीले
पड़ जाते सब आबंध ढीले।
हो जोते हरित, सब पर्ण पीले
मृत्यु कहती , जा और जी ले।।
*
मन से लेती जो पुकार
तुम कह देती एक …
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 22, 2022 at 8:30pm — 6 Comments
श्राद्ध पक्ष के कुछ दोहे. . . . .
घर- घर पूजे श्राद्ध में, पितरों को संतान ।
श्रद्धा पूरित भाव से, उनको दे सम्मान ।।
श्राद्ध सनातन रीत है, श्राद्ध पितर सम्मान ।
सच्चे मन से मानिए, श्राद्ध शास्त्र विधान ।।
श्राद्ध पक्ष में पूजती, पुरखों को सन्तान ।
श्रद्धा से तर्पण करें, उनका कर के ध्यान ।।
श्राद्ध पक्ष विचरण करें , पितर धरा के पास।
आकर दें आशीष वो , ऐसा है विश्वास ।।
जीते जी माँ बाप का, सदा करो सम्मान ।
जा…
Added by Sushil Sarna on September 19, 2022 at 5:20pm — 6 Comments
1212 1122 1212 22 / 122
बहुत सी देर लगी आग दिल लगाने में
उन्होंने खेल जो खेला उसे उसे मिटाने में
अभी तो आप नहीं भूल पाए प्यार सनम !
लगेगा वक़्त अभी आग वो बुझाने में
वो रात कल भी तो गुज़री है भारी मुझ पर जाँ
अभी कोशिश मिरी बस ज़िन्दगी बनाने में
तुम्हारा कुछ नहीं बिगड़ा हमें रुलाकर भी
कि शम'अ बुझ अभी जाती है आज़माने…
ContinueAdded by Chetan Prakash on September 19, 2022 at 3:30pm — 5 Comments
पहली बार उसको मैंने, उसके आँगन में देखा था
उसकी गहरी सी आँखों में, अपने जीवन को देखा था
मैं तब था चौदह का, वो बारह की रही होगी
खेल खेल में हम दोनों ने, दिल की बात कही होगी
समझ नहीं थी हमें प्यार की, बस मन की पुकार सुनी
बचपन के घरौंदे ने फिर, अमिट प्रेम की डोर बुनी
उसे देखकर लगता था जैसे, बस ये जीवन थम…
ContinueAdded by AMAN SINHA on September 19, 2022 at 2:51pm — 8 Comments
पाँच दोहे. . .
कल में कल की कल्पना, कल में कल की प्यास ।
कल में साँसें ले रहा, जीवन का विश्वास ।।
तिमिर लोक में प्रेम का, अद्भुत है इतिहास ।
सुर्ख साँझ के साथ ही, बढ़े मिलन की प्यास ।।
सब जानें ये जिन्दगी , केवल है आभास ।
फिर भी क्यों आभास का, जीव करे विश्वास ।।
हर लकीर पर है लिखा, जीवन का संघर्ष ।
तकलीफों के जलजले, डूबा जिसमें हर्ष ।।
हर तम का संसार में, होता एक प्रभात ।
सुख की छोटी सी किरण…
Added by Sushil Sarna on September 17, 2022 at 8:30pm — 4 Comments
1212 / 1122 / 1212 / 22(112)
तुम्हारी एक अदा पर ही मुस्कराने की
लगी है शर्त सितारों में जगमगाने की
तुम्हारे आने से फिर लौट आई है रौनक़
भुला चुके थे अदा लब तो मुस्कुराने की
तुम्हीं ने आ के ये वीराना कर दिया रौशन
तमन्ना थी न ज़रा हमको झिलमिलाने की
छुपा लूँ आओ तुम्हें मैं इन्हीं निगाहों में
नज़र लगे न कहीं तुम को इस ज़माने की
तड़प रहा है मेरी याद में मेरा मोहसिन
सिखा के कारीगरी…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 17, 2022 at 1:12pm — 6 Comments
1222 1222 1222 1222
बह्रे हजज़ मुसम्मन सालिम
जो बोला है वही लिखती मेरा सम्मान है हिन्दी
है बिन्दी माँ के माथे सी पिता का मान है हिन्दी
तुम्हारी माँ अग्रजा मम शिखा का मान है हिन्दी
है सरकारी वो रोटी आज भोजन आन है हिन्दी
खड़ी बोली है हरियाणा कि दिल्ली प्रान है हिन्दी
न है अनजान कोई उससे मेरी शान है हिन्दी
कहूँ क्या आपसे साथी स्वयं भण्डार भाषा है
वो सुमधुर गीत फिल्मों के बड़ा…
ContinueAdded by Chetan Prakash on September 16, 2022 at 7:30pm — No Comments
रूपसी के कोठे पर रसिया लोगों की भीड़ है।सभी अपनी हाल की देहरादून यात्रा का बड़े हौसलापूर्वक वर्णन कर रहे हैं। लखू सेठ, "बड़ी सुखद यात्रा रही,रूपसी बाई।"
गगन बिहारी पांडे बोले,"लगा जैसे स्वर्ग सीधे धरती पर उतर आया हो।"
छोटू दादा: अपुन तो दंग रह गए वहां की अतिथि शाला देखकर।बड़ी भली व्यवस्था थी, देवि।"
अपने प्रति इतना आदरपूर्वक संबोधन सुनकर रूपसी चौंक -सी गई।
"कौन अतिथि शाला,दादा?" रूपसी ने सवाल किया।
"मंजरी सदन।"
"अच्छा।पहुंच ग....ए.....।"रूपसी कहते -कहते रूक…
Added by Manan Kumar singh on September 16, 2022 at 7:27pm — 5 Comments
तड़प रही है
गर्म रेत पर
मरती हुई नदी
पहले तो बाँधों ने लूटा
फिर पावर प्लांटों ने लूटा
तिस पर सारे नाले मिलकर
हर पल इसको देते कैंसर
जल्द हमारे कंधों पर
होगी ये लाश लदी
मरती नदियाँ मरते जंगल
पूँजी का मंगल ही मंगल
छोड़ सूर्य की साफ ऊर्जा
होता जीवाश्मों पर दंगल
बात-बात पर खाँस रही है
ये बीमार सदी
गर्म हो रही सारी दुनिया
भजन करें सब ले…
ContinueAdded by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 16, 2022 at 12:00am — 7 Comments
1212 / 1122 / 1212 / 22
उठाओ जितनी भी चाहे क़सम ज़माने की
निकल सकेगी न हसरत हमें मिटाने की
जहाँ ये सारा हमारा वतन रहेगा, सुनो
हमारे वास्ते गर्दिश है सब ज़माने की
जिसे भी देखिये पत्थर लिये हुए है वो
करेगा बात यहाँ कौन दिल मिलाने की
तड़प के ख़ुद ही मेरी राह पर पड़ा है वो
बना रहा था जो बातें मुझे भुलाने की
जिसे भी देखिये वो होश-मंद है यारो
सुनेगा कौन यहाँ बात फिर दिवाने…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 15, 2022 at 5:16pm — 5 Comments
221 2121 1221 212
ख़ुशबू, चमन, बहार से आगे की चीज़ है।
जो ज़िंदगी है, प्यार से आगे की चीज़ है।
जारी है एक जंग जो ग़म और ख़ुशी के बीच,
यह जंग जीत-हार से आगे की चीज़ है।
अक्सर उफ़ुक़ को देख के आता है ये ख़याल,
कुछ है जो इस हिसार से आगे की चीज़ है।
कैसे बताऊं किस पे टिकी है मेरी निगाह,
मंज़िल से, रहगुज़ार से आगे की चीज़ है।
हद्द-ए-निगाह से भी परे है कोई वजूद,
इक वह्म ऐतबार से आगे की चीज़…
Added by जयनित कुमार मेहता on September 15, 2022 at 10:30am — 7 Comments
हिन्दी दिवस पर कुछ दोहे :
हिन्दी अपने देश में, माँगे अपना मान ।
अंग्रेजी के ग्रहण से, धूमिल इसकी शान ।।
अंग्रेजी को देश में, इतना क्यों सम्मान ।
हिन्दी का अपमान तो, भारत का अपमान ।।
हिन्दी हिन्दुस्तान के, माथे का सरताज ।
हिन्दी तो है हिन्द के , जन-जन की आवाज ।।
हिन्दी से अच्छा नहीं, करना यूँ परहेज ।
अंग्रेजी के तेज को, हिन्द करे निस्तेज ।।
कण -कण में अब हिन्द के , हिन्दी गूँजे आज ।
नहीं चलेगा…
Added by Sushil Sarna on September 14, 2022 at 8:37pm — 6 Comments
ग़ज़ल
1222 1222 1222 122
रहे जिससे मरासिम थे वही अखबार निकला
मुसीबत है अभी जीवन निरा श्रृंगार निकला
शबे ग़म दिल मिरा टूटा रही वो आँख रोती
कई दिन हो गये सूरज न वो संसार निकला
अँधेरे अधखुली आँखों मुझे अब देखते हैं
बुरा हो इश्क़ तेरा यार वो अख़बार निकला
न कोई दोस्त है दुनिया न ही हमदम यहाँ है
जिसे गलहार समझा था अभी खूँख़्वार निकला
न हमजोली बचा है आज तो…
ContinueAdded by Chetan Prakash on September 12, 2022 at 8:30pm — No Comments
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