हास्य कॆ,,,,,दॊहॆ :- ---------------------
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करियॆ साजन आज सॆ, सब्जी लाना बन्द ।
दिन-दिन दुर्लभ हॊ रहीं, जैसॆ मात्रिक छंद ॥१॥
परवल पीली पड़ गई, मिर्ची गई सुखाय ।
बहुमत पाया प्याज नॆं,शासन रही चलाय ॥२॥
शपथ ग्रहण मॆंथी करॆ, मंत्री पद की आज ।
आलू कॆ सहयॊग सॆ, सिद्ध हुयॆ सब काज ॥३॥
लौकी कॊ तॊ चाहियॆ, रॆल प्रशासन हाँथ ।
कुँदरू गाजर घॆवड़ा, बावन संसद साथ ॥४॥
पालक खड़ी विपक्ष…
ContinueAdded by कवि - राज बुन्दॆली on September 4, 2013 at 3:30pm — 22 Comments
पाँव मेरे वहीं पर ठिठक से गए
जिस जगह तुम गए थे मुझे छोड़कर
मैं वहीं पर खड़ा ये ही देखा किया
कैसे जाता है कोई मुँह मोड़कर
कितने वादे किए थे तुमने मगर
इन कलियों को खिलना कहाँ था लिखा
इन शाखों पर चिड़िया चहकती नहीं
कब पेड़ों से पतझड़ हुआ था विदा
अब बहारें उधर से गुजरती नहीं
जो राहें तुम तन्हा गए छोड़कर
अश्क तो आँख से अब छलकते नहीं
सब घटा बन तुम्हारी तरफ हैं गए
चाँदनी मेरी छत पर ठहरती…
ContinueAdded by बृजेश नीरज on September 4, 2013 at 3:00pm — 25 Comments
पुष्प भावों के चढाने आया
आज मैं सर को झुकाने आया
बस रही है आप की ही तो कृपा
बात ये दिल की जताने आया
कर्ज में डूबा है कतरा कतरा
कर्ज किंचित वो चुकाने आया
एक रिश्ता है गुरु चेले में
आज वो रिश्ता निभाने आया
ज्ञान दाता हो बिधाता सम तुम
दीप दिल का मैं जलाने आया
ज्ञान रग रग में समाहित जिनका
उनको कुछ दिल की सुनाने आया
जग में महती है जो रिश्ता…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on September 4, 2013 at 12:30pm — 14 Comments
घर ही उजाड़ दिया
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मतलब की दुनिया है
मतलब के रिश्ते हैं
कौन कहे मेले में
आज कहीं अपने हैं
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छोटे से पौधे को
बड़ा किया प्यार दिया
सींचा सम्हाल दिया
फूल दिया फल दिया
तूफ़ान आया जो
घर ही उजाड़ दिया
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बिच्छू के बच्चों ने
बिच्छू को खा लिया
इधर – उधर, डंक लिये
'खा' लो सिखा…
ContinueAdded by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 4, 2013 at 11:00am — 12 Comments
संत लीला
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वेद पुराण वाचते करते गीता पाठ ।
बाबाजी के देखिये शाही ठाठ बाठ ।
शाही ठाठवाठ मे, कोई कमी न आये ।
वैरागी बन के बाबा, दौलत खूब कमाये । 1।
चार बार चन्दन घिसे, छिडके गंगा नीर ।
देख के नारी मोहनी, बाबा भये अधीर ।
बाबा भये अधीर के, भूले दुनियादारी ।
मोहमाया के…
ContinueAdded by बसंत नेमा on September 4, 2013 at 11:00am — 17 Comments
कुण्डलियाँ लिखने का प्रयास! (कृपया गुण दोष निकालें)
1.
मनमोहन को देखिये, बोल रहे हैं बैन
सोना नाहि खरीदिये, जाए दिल का चैन
जाए दिल का चैन, लम्पट लूट ले जाए
पैदल चलिए खूब, राखिये तेल बचाए.
विकट घड़ी में देश, पूरे विश्व में मन्दन
मन में रखिये धैर्य, स्वयम कहते मनमोहन!
2.
मेरा उनका आपका, भेद नहीं मिट पाय.
मन में संशय ही रहे, दूरी नित्य बढ़ाय..
दूरी नित्य बढ़ाय, मनुज मन अंतर लाये
झगड़ा रगडा होय,चैन मानव नहि पाए
कहे जवाहर…
Added by JAWAHAR LAL SINGH on September 4, 2013 at 9:08am — 13 Comments
मुझको अब एक ख़्वाब समझने लगे हैं आप।
सूखा हुआ गुलाब समझने लगे हैं आप॥
यूं लखनऊ में रहके गुजारे जो चार दिन,
अपने को अब नवाब समझने लगे हैं आप॥
तस्वीर पर ज़रा सी जो तारीफ़ हो गयी,
अपने को माहताब समझने लगे हैं आप॥
दो चार जुगनुओं से ज़रा दोस्ती हुई,
अपने को आफ़ताब समझने लगे हैं आप॥
घर से निकल के आप जो सड़कों पे आ गए,
उसको ही इंकलाब समझने लगे हैं आप॥
दो चार ज़िंदगी में ग़लत लोग क्या…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on September 4, 2013 at 1:00am — 10 Comments
रिश्तों की मर्यादा में हमने घुट-घुट के जीना सीख लिया,
औरों को खुशियाँ देने को, छुप-छुप के रोना सीख लिया।
ताने उलाहने सुन कर हम बने रहे हर बार अंजान,
वो यूं ही सताते रहे हमे समझा न कभी हमे इंसान।
मेरी आंखो के सागर का बूंद-बूंद तक लूट लिया और,
रिश्तों की मर्यादा में हमने घुट-घुट के जीना सीख लिया।
मेरे मन की गहराई मे अब उलझनों का घेरा हैं
हर रात बीते रुसवाई मे, बेबस हर सवेरा है।
मौसम की कड़ी तपन मे घावों को सीना सीख लिया…
ContinueAdded by Vasudha Nigam on September 3, 2013 at 9:51pm — 17 Comments
है हंसी रात बस चले आओ
बहके जज़्बात बस चले आओ !
उसने वादा किया वफ़ा देंगे
दे रहा घात बस चले आओ !
ज़िन्दगी हो गई है आवारा
क्या सवालात बस चले आओ !
ठन्डे पानी मे भी बदन जलता
क्या ये बरसात बस चले आओ !
"म“ञ्जरी" अब सहा नही जाता
अरज़े हालात बस चले आओ !
अप्रकाशित एवम मौलिक रचना !
Added by mrs manjari pandey on September 3, 2013 at 8:30pm — 16 Comments
इश्क के मजार पर
पाकीजा रुह का दीया रखते वक्त
जैसे ही उसने चुन्नी से सिर ढांका
लौ थर्रा कर बोली
उसके साथ ही उसका
दीन और ईमान भी वापस लौट गया
उसके साथ ही
ख्वाब और खुलूस भी खो…
ContinueAdded by Gul Sarika Thakur on September 3, 2013 at 8:30pm — 7 Comments
“दादी ये पराया घर क्या होता है ?” नन्ही जूही ने मचलते हुए दादी से पूछा । दादी ने प्यार से समझते हुए कहा “जब तुम बड़ी हो जाओगी खूब पढ़ लिख जाओगी तब हम तुम्हारा ब्याह एक अच्छे से राजकुमार से कर देंगे वो तुम्हें अपने घर ले जाएगा, उसी को कहते है पराया घर ।” उसने पूछा - " तो दादी जैसे आप भी पराए घर मे हो और माँ भी । बुआ को भी आपने पराये घर भेज दिया ।” दादी ने स्वीकृति मे सिर हिला दिया । उसकी उत्सुकता शांत नहीं हुई थी उसने फिर पूछा - “क्या भैया भी पराए घर जाएगा , दादा जी भी गए थे और…
ContinueAdded by annapurna bajpai on September 3, 2013 at 6:00pm — 32 Comments
हाँफता काँपता सा
हाथी भागा जा रहा था
चीखता हुआ
‘वो निकाल लेना चाहते हैं
मेरे दाँत
सजाएँगे उन्हें
अपने दीवानखाने में
मूर्तियाँ बनाकर
जैसे पेड़ों को छीलकर
बना डालीं फाइलें
और प्रेमपत्र।‘
- बृजेश नीरज
(मौलिक व अप्रकाशित)
Added by बृजेश नीरज on September 3, 2013 at 6:00pm — 28 Comments
हे देवपुरुष !
हे ब्रह्मस्वरूप !
कहती हूँ तुम्हें - श्रीकृष्ण !
पर
माधव, मैं -
वंशी धुन सम्मोहित
प्रेम…
ContinueAdded by Dr.Prachi Singh on September 3, 2013 at 4:00pm — 33 Comments
रात भर सोया नहीं
बस सोचता रहा
कब काली रात जायेगी
रवि अपनी किरणें फैलाएगा
बहुत लम्बी रात थी
जो नहीं था उसे खोजता रहा
अंतहीन धुंध के खौफ से
डरता कांपता
बार-बार खुद से यही पूछता
क्या सफल हो पाऊंगा?
सुबह हुई
पर कोई नयापन नहीं
अचानक
चिर स्थिर खड़े पेड़ को देखा
एक भी पत्ते नहीं थे
शायद !मुझसे कह रहा था
धैर्य रखो बसंत आने तक।
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राम…
Added by ram shiromani pathak on September 3, 2013 at 2:38pm — 27 Comments
आपका बेटा कहाँ है , हम उसे गिरफ्तार करने आये है .. अचानक पुलिस को देख कर माँ बाप घबरा गए,... मगर हमारे बेटे ने क्या किया है ???? ११ में पढ़ता है बहुत सीधा है .. जी आपके सीधे बेटे ने इक लड़की का रेप किया है .. कुछ ज्यदा ही सीधा है ... इतना कह कर पुलिस उसे अपने साथ ले गयी .. माँ बाप मानने को तैयार ही नहीं थे जरुर वो लड़की ही बदचलन होगी ... उसने ही फँसाया होगा मेरे भोले भाले बेटे को .. चलो जी अभी बेटे को वापस ले के आयेगे .. पुलिस स्टेशन पर उस लड़की के माँ बाप रो रहे थे | तभी लड़की की…
ContinueAdded by Roshni Dhir on September 3, 2013 at 2:00pm — 15 Comments
अलार्म की आवाज सुन कर अदिति की आँख खुल गयी | उसने मोबाइल उठा कर अलार्म बंद कर दिया और समय देखा सुबह के ५ बज गए थे जल्दी से उठ कर काम में लग गई सफाई, नहाना, पूजा बेटे को स्कूल और पति को ऑफिस भेज कर एक लम्बी साँस ली | कमरे में नजर घुमा के देखा तो पूरा कमरा अस्त व्यस्त हो गया था, फिर से उसने आंचल को कमर में खोंसा और काम में जुट गई | काम समेटते समेटते दोपहर हो गयी और बेटे के स्कूल से आने का समय भी | वो दौड़ कर रसोई में जा गैस पर दाल गर्म होने के लिए रख देती है इतने में बेटा आ जाता है, आते ही…
ContinueAdded by Meena Pathak on September 3, 2013 at 11:00am — 36 Comments
किंचित तो गुरुता नहीं, अन्तरमन में शेष।
लेकिन बैठे छद्म कर, धारण गुरु का वेश॥
धारण गुरु का वेश, विषयरत कामी–लोभी।
लेकर प्रभु का नाम, लूट लेते प्रभु को भी॥
करुणाकर भी सोच, सोच कर होंगे चिंतित।
रच कर मानुष-वर्ण, भूल कर बैठा किंचित!!
_______मौलिक / अप्रकाशित________
- संजय मिश्रा 'हबीब'
Added by Sanjay Mishra 'Habib' on September 3, 2013 at 9:30am — 15 Comments
Added by Sumit Naithani on September 3, 2013 at 9:00am — 24 Comments
दोहा
मातृभूमि है मेरी, स्वर्ग से भी भली ।
माथा झुका नमन करू, प्रस्सुन ले अंजुली ।।
चैपाई
लहर लहर तिरंगा लहराता । रवि जहां पहले शिश झुकाता
जय हो जय हो भारत माता । तेरा वैभव सकल जग गाता
उत्तर हिमालय मुकुट साजे । उन्नत शिखर रक्षक बन छाजे
गंगा यमुना जहां से निकली । केदार नंदा तट है बद्री
दक्षिण में सिंधु चरण पखारे । दहाड़ता जस हो रखवारे
सेतुबंध कर शंभू जापे । तट राम रामेश्वर थापे
पूरब कोणार्क जग थाती …
Added by रमेश कुमार चौहान on September 2, 2013 at 11:00pm — 9 Comments
Added by AVINASH S BAGDE on September 2, 2013 at 11:00pm — 24 Comments
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