2212 - 1222 - 212 - 122
इक है ज़मीं हमारी इक आसमाँ हमारा
इक है ये इक रहेगा भारत हमारा प्यारा
हिन्दू हों या कि मुस्लिम सारे हैं भाई-भाई
होंगे न अब कभी भी तक़्सीम हम दुबारा
यौम-ए-जम्हूरियत पर ख़ुशियाँ मना रहे हैं
हासिल शरफ़ जो है ये, ख़ूँ भी बहा हमारा
अपने शहीदों को तुम हरगिज़ न भूल जाना
यादों को दिल में उनकी रखना जवाँ…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on February 6, 2021 at 7:27pm — 5 Comments
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 6, 2021 at 12:30pm — No Comments
राधे इस बार गाँव लौटा तो उसने देखा कि उसके दबंग पड़ौसी ने वाकई उसके दरवाजे पर अपना ताला जड़ दिया था ।
दर असल जयसिंह उसे कहता, " काम जब करते ही शहर में हो तो मकान हमें दे दो" कभी कहता, " मान जाओ, नहीं तो तुम्हारे जाते ही अपना ताला डाल दूंगा ।"
राधे को एकाएक कुछ सूझा, बच्चों और पत्नि को वहीं खड़े रहने को कहा, खुद भागा-भागा अपने दोस्त करीमू के पास जा पहुँँचा और बोला, " भाई करीमू, चल, चल जल्दी कर, बच्चे ठंडी रात मे घर से बाहर खड़े है, ताला खोल" ! चाबी मुझ से रास्ते मे खो गयी, इस…
Added by Chetan Prakash on February 5, 2021 at 5:00pm — 2 Comments
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 4, 2021 at 7:00pm — 2 Comments
1212 1212 1212 1212
नज़र कहीं निशाना ताज़ हो रहा बवाल है
मदद नहीं किसान की गरीब घर सवाल है।
ज़मीं सदा इन्हीं की मौत है गरीब की यहाँ
वो मर रहा है भूख से जनाब याँ बवाल है।
कि आइये कभी गंगा तटों जमुन जहान में
वो ज़िन्दगी रहती कहाँ सनम कहाँ कवाल है।
लड़़ो मरो हक़ूक हित दिखाइये वो जख्म भी
जो माँगते थे मिल गया वो फिर कहाँ सवाल है ।
तुम्हारी ही बिरादरी तुम्हारे ही युवा जहाँ
जवान खौफ वो रहा…
Added by Chetan Prakash on February 4, 2021 at 6:30pm — 2 Comments
हम तो हल के दास ओ राजा
कम देखें मधुमास ओ राजा।१।
*
रक्त को हम हैं स्वेद बनाते
क्या तुमको आभास ओ राजा।२।
*
अन्न तुम्हारे पेट में भरकर
खाते हैं सल्फास ओ राजा।३।
*
पीता हर उम्मीद हमारी
कैसी तेरी प्यास ओ राजा।४।
*
हम से दूरी मत रख इतनी
आजा थोड़ा पास ओ राजा।५।
*
खेती - बाड़ी सब सूखेगी
जो तोड़ेगा आस ओ राजा।६।…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 4, 2021 at 9:56am — 23 Comments
शेर की सवारी
और ज्यादा दिन
मौत है नजदीक तेरी
गिन रहा दिनमान है,
तोड़ देगा आन तेरी
यही उसका काम है
जिन्दगी देता अगर
मौत उसका फरमान है।
कहावते और मुहावरे
बुज़ुर्ग दे गये बावरे
सुनोगे उनको
गुनोगे सबको
जीवन सफल हो जाएगा
उद्धार होगा तुम्हारा
देश भी रह जाएगा
दोस्त,
कहानियाँ गर पढ़ो तो
तो पंचतंत्र की
जीवन अमृत हो जाएगा
तू अमर हो जाएगा
साथी,
परमार्थ भी हो जाएगा ।
धर्म हो या संस्कृति…
Added by Chetan Prakash on February 4, 2021 at 7:30am — 4 Comments
हर लहर से बढ़ के अब तो रार साथी तेज कर
पार जाने के लिए पतवार साथी तेज कर।१।
*
ये लहर ऐसे न साथी साथ देगी अब यहाँ
झील के पानी में थोड़ी मार साथी तेज कर।२।
*
जुल्म के पत्थर इसी से कट गिरेंगे देखना
पहले पत्थर पर कलम की धार साथी तेज कर।३।
*
काट दी है जीभ इन की चीखना सम्भव नहीं
सच कहेंगी बेड़ियाँ झन्कार साथी तेज…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 3, 2021 at 7:58pm — 10 Comments
2212 - 1222 - 212 - 122
दामन बचा के हमने दिल पर उठाए ग़म भी
बेदाग़ हो गये हैं सब कुछ लुटा के हम भी
कुछ ख़्वाब थे हसीं कुछ अरमाँ थे प्यारे प्यारे
अहल-ए-वफ़ा से तालिब थे तो वफ़ा के हम भी
उस शख़्स-ए-बावफ़ा से सबने वफ़ा ही पाई
ये बात और है के हम को मिले हैं ग़म भी
गर्दिश में हूँ अगरचे रौशन है दिल की महफ़िल
लब ख़ुश्क़ हैं तो क्या है आँखे हैं मेरी नम भी
ज़ुल्फ़ों की छाँव मिलती पलकों का साया…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on February 2, 2021 at 11:28pm — 6 Comments
तेरे आकर्षण का पल पल प्रतिकर्ष सताता है
सामजिक ताना बाना मिरी उलझन बढ़ाता है //
नदिया के पास जाऊं तो शीतल हो जाऊं
साथ दो अगर तो मैं मुस्कान बन जाऊं //
आकर्षक सा छद्म आव्हान मुझे बुलाता है //
सामजिक ताना बाना मिरी उलझन बढ़ाता है //
तुमसे कहने का मैं कोई मौका न छोड़ता
बस एक इशारा मिलता तो ही तो बोलता //
ऊहा पोह के सागर में अब गोता खाता हूँ
सामजिक ताना बाना मिरी उलझन बढ़ाता है //
दर्द की बात न करूंगा दर्द अब बेमानी हुआ
चाय…
ContinueAdded by DR ARUN KUMAR SHASTRI on February 2, 2021 at 4:45pm — 2 Comments
वक़्त मिलता है कहाँ
आज के मौसुल में
रक़ीबा दर - ब - दर
डोलने का हुनर मंद है
ये ख़ाक सार
इक अदद पेट ही है
जिसने न जाने कितनी
जिंदगियां लीली है
तुखंम उस पर कभी भरता नहीं
हर वक्त सुरसा सा
मुँह खोल के रखता है
न जाने किस कदर
इसमें ख़ज़ीली हैं।
ईंते ख़ाबां मुलम्मा कौन सा
इस पर चढ़ा होगा
दिखाई भी तो नहीं देता
मगर इक बात मुझको
इसके जानिब ये ज़रुर कहनी है।
अगरचे ये नहीं होता
बा कसम ये दुनिया नहीं होती
ये जो…
Added by DR ARUN KUMAR SHASTRI on February 2, 2021 at 4:30pm — No Comments
स्वार्थ रस्ता रोके बैठे है.....!
कई दिनों से सोन चिरैया
गुमसुम बैठी रहती है
देख रही चहुँ ओर कुहासा
भूखी घर बैठी रहती है
चौराहे पर बंद लगे हैं
स्वार्थ रस्ता रोके बैठे हैं !
कितने बच्चे कितने बूढ़े
कितनों के रोज़गार छिने हैं
लोग मर गए बिना दवा के
हार गए जीवन से हैं...
जंतर मंतर रोज रचे हैं
हँसते हँसते रो दे ते हैं !
तोड़ रहे कानून …
ContinueAdded by Chetan Prakash on February 2, 2021 at 2:02pm — 5 Comments
२१२२/२१२२/२१२२/२१२
.
शेष इस में क्या रहा इनकार कहने के लिए
कह गया कनखी में सब दरवार कहने के लिए।१।
*
काम जनता के न आयी आज तक ये एक दिन
यूँ तो जनता की रही सरकार कहने के लिए।२।
*
इश्तहारों के सिवा जनहित का उसमें कुछ नहीं
शेष है बस नाम ही अखबार कहने के लिए।३।
*
काम कोई भी किया ऐसा न जिसका दम भरें
बात ही उस की रही दमदार कहने के लिए।४।
*
सब दिहाड़ी पर बुलाए उस के ही मजदूर थे
लोग जितने भी जुटे आभार कहने के…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 2, 2021 at 3:30am — 3 Comments
नहीं कुछ गाँव सा सुनता हुआ निष्ठुर नगर
दिखाने घाव मत जाना सखा निष्ठुर नगर।१।
*
उसे डर है कि उसके हित कमीं आजायेगी
नहीं देता किसी का भी पता निष्ठुर नगर।२।
*
नदी सूखी हुई कहती है प्यासे खेत से
तेरे हिस्से का पानी पी गया निष्ठुर नगर।३।
*
कहाँ तुम बात दुख की यार करते हो भला
खुशी तक में अकेला ही दिखा निष्ठुर नगर।४।
*
निकल पाया न खुद के व्यूह से सायास…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 31, 2021 at 8:59am — 9 Comments
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on January 30, 2021 at 11:30am — No Comments
1222 - 1222 - 1222 - 1222
ज़मीं होगी तुम्हारी पर फ़सल बेचेंगे यारों हम
मिलेगी तुमको राॅयल्टी न देंगे खेत यारों हम
जो बोएगा वही काटेगा ये बातें पुरानी हैं
फ़सल तय्यार करना तुम मगर काटेंगे यारों हम
ये जोड़ी अब तुम्हारी और हमारी ख़ूब चमकेगी
करो मज़दूरी तुम डटकर करें व्यापार यारों हम
ज़मीं पर बस हमारी ही हुकूमत होगी अब प्यारो
मईशत 'उनके' हाथों में न जाने देंगे यारों हम
रखेंगे हम ज़ख़ीरा कर…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 29, 2021 at 11:46pm — 14 Comments
2122 2122 212
तेरे कहने से ही क्या हो जाएगा
जो बुरा है वो भला हो जाएगा (1)
जो पुराना जख़्म माज़ी ने दिया
दो ही दिन में क्या नया हो जाएगा (2)
खाद पानी मिलने से ही क्या शजर
वक़्त से पहले बड़ा हो जाएगा (3)
है अलग सबसे ख़ज़ाना प्यार का
ख़र्च कीजै दोगुना हो जाएगा (4)
दोस्ती में दर्द-ओ-ग़म हो या ख़ुशी
जो भी तेरा है मेरा हो जाएगा (5)
क़द अगर छोटा है उसका दोस्तो
मैं झुका तो वो बड़ा…
Added by सालिक गणवीर on January 29, 2021 at 10:30pm — 11 Comments
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on January 29, 2021 at 8:30pm — 6 Comments
Added by Sushil Sarna on January 29, 2021 at 5:39pm — 5 Comments
221 2121 1221 212
ये मानता हूँ पहले से बेकल रहा हूँ मैं,
लेकिन तेरे ख़्यालों का संदल रहा हूँ मैं।
अब होश की ज़मीन पर टिकते नहीं क़दम,
बरसों तुम्हारे प्यार में पागल रहा हूँ मैं।
हैरत से देखते हैं मुझे रास्ते के लोग,
बिल्कुल किनारे राह के यूँ चल रहा हूँ मैं।
मुझको उदासियां मिली है आसमान से,
चुपचाप इन के आसरे में जल रहा हूँ मैं।
साहिल पर जाके तू मुझे मुड़ कर तो देखता,
इक वक्त तेरी रूह की हलचल रहा हूँ…
Added by मनोज अहसास on January 28, 2021 at 11:35pm — 5 Comments
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