2122 1212 22
खूब सूरत गुनाह कर बैठे ।
हुस्न पर हम निगाह कर बैठे ।।
आप गुजरे गली से जब उनके ।
सारी बस्ती तबाह कर बैठे ।।
कुछ असर हो गया जमाने का ।
ज़ुल्फ़ वो भी सियाह कर बैठे ।।
देख कर जो गए थे गुलशन को ।
आज फूलों की चाह कर बैठे ।।
जख्म दिल का अभी हरा है क्या ।
आप फिर क्यों कराह कर बैठे ।।
किस तरह से जलाएं मेरा घर ।
लोग मुझसे सलाह कर बैठे ।।
लोग नफरत की इस सियासत…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on March 4, 2019 at 1:00pm — 11 Comments
अब शहादत को न जाया कीजिये ।
आइना उनको दिखाया कीजिये।।
मुल्क में है इन्तकामी हौसला ।
हौसलों को मत दबाया कीजिये ।।
आग उगलेगी सुख़नवर की कलम ।
अब न कोई सच छुपाया कीजिये ।।
ख़ाब जो देखें हमारे कत्ल की ।
हर सितम उनपे ही ढाया कीजिये ।।
उनके हमले से फ़जीहत हो गयी।
दिल यहाँ अपना जलाया कीजिये ।।
तफ़सरा कीजै नये हालात पर ।
आप अपना घर बचाया कीजिये…
Added by Naveen Mani Tripathi on February 24, 2019 at 8:39pm — 4 Comments
1212 1122 1212 22/112
क़ज़ा का करके मेरी इंतिज़ाम उतरी है ।
अभी अभी जो मेरे घर मे शाम उतरी है ।।
तमाम उम्र का ले तामझाम उतरी है ।
ये जीस्त मौत को करने सलाम उतरी है ।।
अदाएं देख के उसकी ये लग रहा है मुझे ।
कि लेने हूर कोई इंतिकाम उतरी है ।।…
Added by Naveen Mani Tripathi on February 13, 2019 at 8:30pm — 4 Comments
1222 1222 1222 1222
फ़ना के बाद भी अपनी निशानी छोड़ आये हैं ।
जिसे तुम याद रक्खो वो कहानी छोड़ आए हैं ।।
सुकूँ मिलता हमें कैसे यहां परदेश में आकर ।
विलखती मां की आंखों में जो पानी छोड़ आये हैं ।।
कलेजा मुँह को आता है जरा माँ बाप से पूछो ।
जो घर से दूर जा बेटी सयानी छोड़ आये हैं ।।
हमें इंसाफ का उनसे तकाज़ा ही नहीं था कुछ ।
अदालत में तो हम भी हक़ बयानी छोड़ आये हैं ।l
तेरे प्रश्नों का उत्तर था तेरे लहजे में ही…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on February 11, 2019 at 12:55am — 3 Comments
छलके जो उनकी आंख से जज़्बात ख़ुद ब ख़ुद ।
आए मेरी ज़ुबाँ पे सवालात ख़ुद ब ख़ुद ।।
किस्मत खुदा ने ऐसी बनाई है सोच कर ।
मिलती गमों की हमको भी सौगात ख़ुद ब ख़ुद ।।
चर्चा है शह्र में उसी की देख आज कल ।
बाँटा है जिसने इश्क़ को ख़ैरात ख़ुद ब ख़ुद ।।…
Added by Naveen Mani Tripathi on February 1, 2019 at 3:01pm — 3 Comments
क़ज़ा के वास्ते ये इंतिज़ाम किसका है ।
तेरे दयार में जीना हराम किसका है ।।
उसे है ख़ास ज़रूरत जरा पता करिए ।
बड़े सलीके से आया सलाम किसका है ।।
दिखे हैं रिन्द बहुत तिश्नगी के साथ वहाँ ।
कोई बताए गली में मुकाम किसका है ।।
है जीतना तो ख़यालात ऐब…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on January 21, 2019 at 8:30pm — 3 Comments
1222 1222 122
अभी तक आना जाना चल रहा है ।
कोई रिश्ता पुराना चल रहा है ।।
सुना है शह्र की चर्चा में आगे ।
तुम्हारा ही फ़साना चल रहा है ।।
इधर दिल पर लगी है चोट गहरी ।
उधर तो मुस्कुराना चल रहा है ।।
कहीं तरसी जमीं है आब के बिन ।
कहीं मौसम सुहाना चल रहा है ।।
तुझे बख्सा खुदा ने हुस्न इतना ।
तेरे पीछे ज़माना चल रहा है ।।
दिया था जो वसीयत में तुम्हें वो ।
अभी तक वह खज़ाना चल रहा है…
Added by Naveen Mani Tripathi on January 16, 2019 at 11:37pm — 14 Comments
2122 2122 212
आज उनका है ज़माना चुप रहो ।
गर लुटे सारा खज़ाना चुप रहो ।।
क्या दिया है पांच वर्षों में मुझे ।
मांगते हो मेहनताना चुप रहो ।।
रोटियों के चंद टुकड़े डालकर ।
मेरी गैरत आजमाना चुप रहो ।।
मंदिरों मस्ज़िद से उनका वास्ता ।
हरकतें हैं वहिसियाना चुप रहों ।।
लुट गया जुमलों पे सारा मुल्क जब ।
फिर नये सपने दिखाना चुप रहो ।।
दांव तो अच्छे चले थे जीत के ।
हार पर अब…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on January 8, 2019 at 12:30pm — 10 Comments
शायद वह दीवानी है ।
लड़की जो अनजानी है ।।
दिलवर से मिलना है क्या ।
चाल बड़ी मस्तानी है ।।
इश्क़ हुआ है क्या उसको ।
आँखों में तो पानी है ।।
खोए खोए रहते हो ।
यह भी इक नादानी है ।।…
Added by Naveen Mani Tripathi on January 6, 2019 at 11:55am — 3 Comments
तरन्नुम बन ज़ुबाँ से जब कभी निकली ग़ज़ल कोई ।
सुनाता ही रहा मुझको मुहब्बत की ग़ज़ल कोई ।।
बहुत चर्चे में है वो आजकल मफ़हूम को लेकर ।
जवां होने लगी फिर से पुरानी सी ग़ज़ल कोई ।।
कभी यूँ मुस्कुरा देना कभी ग़मगीन हो जाना ।
वो छुप छुप कर तुम्हारी जब कभी पढ़ती…
Added by Naveen Mani Tripathi on January 6, 2019 at 11:21am — 3 Comments
पूछ मुझसे न सरे बज़्म यहाँ क्या होग़ा ।
महफ़िले इश्क़ में अब हुस्न को सज़दा होगा ।।
बाद मुद्दत के दिखा चाँद ज़मीं पर कोई ।
आप गुजरेंगे गली से तो ये चर्चा होगा ।।
वो जो बेचैन सा दिखता था यहां कुछ दिन से ।
जेहन में अक्स तेरा बारहा उभरा होगा ।।
रोशनी कुछ तो दरीचों से निकल आयी जब ।
तज्रिबा कहता है वो चाँद का…
Added by Naveen Mani Tripathi on December 31, 2018 at 8:20pm — 5 Comments
1222 1222 122
बहुत से लोग बेेेघरर हो गए हैं ।
सुना हालात बदतर हो गए हैं ।।
मुहब्बत उग नहीं सकती यहां पर ।
हमारे खेत बंजर हो गए हैं ।।
पता हनुमान की है जात जिनको।
सियासत के सिकन्दर हो गए हैं ।।
यहां हर शख्स दंगाई है यारो ।
सभी के पास ख़ंजर हो गए हैं ।।…
Added by Naveen Mani Tripathi on December 29, 2018 at 3:00pm — 6 Comments
212 212 212 212
कैसे कह दूं हुआ हादसा ही नहीं ।
दिल जो टूटा अभी तक जुड़ा ही नहीं।।
तब्सिरा मत करें मेरे हालात पर ।
हाले दिल आपको जब पता ही नहीं ।।
रात भर बादलों में वो छुपता रहा ।
मत कहो चाँद था कुछ ख़फ़ा ही नहीं ।।
आप समझेंगे क्या मेरे जज्बात को ।
आपसे जब ये पर्दा हटा ही नहीं ।।
मौत भी मुँह चुराकर गुज़र जाती है ।
मुफ़लिसी में कोई पूछता ही…
Added by Naveen Mani Tripathi on December 26, 2018 at 6:02pm — 9 Comments
1222 1222 122
नए हालात पढ़ पाए नहीं क्या ।
अभी तुम होश में आए नहीं क्या ।।
उठीं हैं उंगलियां इंसाफ ख़ातिर ।
तुम्हारे ख़ाब मुरझाए नहीं क्या ।।
सुना उन्नीस में तुम जा रहे हो ।
तुम्हें सब लोग समझाए नहीं क्या ।।
किया था पास तुमने ही विधेयक ।
तुम्हारे साथ वो आए नहीं क्या ।।
जला सकती है साहब आह मेरी ।
अभी तालाब खुदवाए नहीं क्या ।।
है टेबल थप थपाना याद मुझको ।
अभी तक आप शरमाए…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on December 21, 2018 at 5:36pm — 3 Comments
2122 1212 22
बाद मुद्दत खुला मुक़द्दर था ।
मेरी महफ़िल में चाँद शब भर था ।।
देख दरिया के वस्ल की चाहत ।।
कितना प्यासा कोई समंदर था ।।
जीत कर ले गया जो मेरा दिल।
हौसला वह कहाँ से कमतर था ।।
दर्द को जब छुपा लिया मैने ।
कितना हैराँ मेरा सितमगर था ।।
अश्क़ आंखों में देखकर उनके ।
सूना सूना सा आज मंजर था ।।
जंग इंसाफ के लिए थी वो ।
कब…
Added by Naveen Mani Tripathi on December 18, 2018 at 1:00pm — 7 Comments
खेल क्या तुम भी सियासी जानते हो ।
कौन कितना है मदारी जानते हो ।।
फैसला ही जब पलट कर चल दिये तुम।।
फिर मिली कैसी निशानी जानते हो।।
हो रहा है देश का सौदा कहीं पर ।
खा रहे कितने दलाली जानते हो।।
मसअले पर था ज़रूरी मशविरा भी ।
तुम हमारी शादमानी जानते हो।।…
Added by Naveen Mani Tripathi on December 17, 2018 at 10:07pm — 8 Comments
1212 1122 1212 22
हर एक शख्स को मतलब है बस ख़ज़ाने से ।
गिला करूँ मैं कहाँ तक यहां ज़माने से ।।
कलेजा अम्नो सुकूँ का निकाल लेंगे वो ।।
उन्हें है वक्त कहाँ बस्तियां जलाने से ।।
न पूछ हमसे अभी जिंदगी के अफसाने ।
कटी है उम्र यहां सिसकियां दबाने से ।।
मैं अपने दर्द को बेशक़ छुपा के…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on December 12, 2018 at 9:08pm — 4 Comments
122 122 122 122
दिया आप ने था हमें जो सिला कुछ ।
बड़ा फैसला हमको लेना पड़ा कुछ ।।
कहा किसने अब तक नहीं है जला कुछ ।
धुंआ रफ़्ता रफ़्ता है घर से उठा कुछ ।।
बहुत हो चुकी अब यहाँ जुमले बाजी ।
तुम्हारे मुख़ालिफ़ चली है हवा कुछ ।।
बहुत दिन से ख़ामोश दिखता है मंजर ।
कई दिल हैं टूटे हुआ हादसा कुछ ।।
कदम मंजिलों की तरफ बढ़ गए जब ।
तो अब पीछे मुड़कर है क्या देखना…
Added by Naveen Mani Tripathi on December 8, 2018 at 1:04am — 8 Comments
अच्छी लगी है आपकी तिरछी नज़र मुझे ।।
समझा गयी जो प्यार का ज़ेरो ज़बर मुझे ।।1
आये थे आप क्यूँ भला महफ़िल में बेनक़ाब ।
तब से सुकूँ न मिल सका शामो सहर मुझे ।।2
नज़दीकियों के बीच बहुत दूरियां मिलीं ।
करना पड़ा है उम्र भर लम्बा सफर मुझे ।।3…
Added by Naveen Mani Tripathi on December 5, 2018 at 12:34am — 10 Comments
12221222 122
वो भौरे पास हैं जब से कली के ।
हैं बिखरे रंग तब से पाँखुरी के ।।
सुना है चांद आएगा जमी पर ।
बढ़े हैं हौसले अब चांदनी के ।।
जरा कमसिन अदाएं देखिए तो ।
अजब अंदाज़ उनकी बेख़ुदी के ।।
वो बेशक पास मेरे आ रही है ।
लगे हैं स्वर सही कुछ बाँसुरी के ।।
मुहब्बत हो गयी उनसे जो मेरी ।
हुए मशहूर किस्से आशिकी के ।।
तुम्हारा खत मिला जो…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on December 2, 2018 at 10:30am — 6 Comments
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |